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फास्टर नोट्स-2018 बी. ए. प्रथम वर्ष शिक्षाशास्त्र प्रथम प्रश्नपत्र

यूनिवर्सिटी फास्टर नोट्स

प्रकाशक : कानपुर पब्लिशिंग होम प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 307
आईएसबीएन :0

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बी. ए. प्रथम वर्ष (सेमेस्टर-1) शिक्षाशास्त्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-प्रश्नोत्तर

22

एम. एच. आर. डी. एवं यूनेस्को
(M.H.R.D. and UNESCO)

 

प्रश्न- मानव विकास संसाधन मंत्रालय का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।

उत्तर-

मानव विकास संसाधन मन्त्रालय (M.H.R.D.)

मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार का एक मंत्रालय है जो शिक्षा पर राष्ट्रीय नीति के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार है। शिक्षा के विभिन्न स्तरों व क्षेत्रों में चलने वाली विभिन्न योजनायें मनुष्य को वह सम्पूर्ण ज्ञान व कौशल प्रदान करती हैं जो कि देश को उसके आर्थिक विकास के मार्ग पर ले जाता है। इसको दो भागों में मुख्य रूप से विभाजित किया गया है - स्कूली शिक्षा तथा साक्षरता विभाग जो प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा आदि से सम्बन्धित है। प्राथमिक शिक्षा की अगर हम बात करें तो यह शिक्षा व्यवस्था की नींव है, यह मानव शिक्षा का वह आधार तैयार करती है जिस पर आर्थिक विकास के भवन का निर्माण होता है। इससे साक्षरता आती है। वहीं पर माध्यमिक शिक्षा की बात करें तो विश्व के अधिकांश देशों में माध्यमिक शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् अधिकांश छात्र आर्थिक क्रियाओं में लग जाते हैं। इसका स्वरूप भिन्न-भिन्न होता है। इसे प्राप्त करने के पश्चात् छात्र उच्च शिक्षा में प्रवेश करता है। उच्च शिक्षा दो प्रकार की होती है - सामान्य व विशिष्ट। सामान्य शिक्षा के द्वारा तैयार व्यक्ति प्रशासनिक व संगठन के कार्यों की देखभाल करता है, जबकि विशिष्ट शिक्षा द्वारा तैयार व्यक्ति यान्त्रिक होते हैं। आर्थिक विकास के लिए विशिष्ट शिक्षा पर बल दिया जाता है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग हैं जो कि इस प्रकार हैं-
(1) शिक्षा विभाग,
(2) संस्कृति विभाग,
(3) कला विभाग.
(4) युवा और खेल विभाग,
(5) महिला शिक्षा विभाग।

मानव विकास संसाधन मंत्रालय भूमिका

इनमें शिक्षा विभाग मानव संसाधन विकास मंत्रालय के घटक में से एक है जो कि मानव संसाधन विकास मंत्री के समग्र प्रभार के साथ ही राज्य मंत्री के अधीन कार्य को करता है। शिक्षा के क्षेत्र में इसके द्वारा विशेष रूप से भूमिकायें निभाई जाती हैं -
(1) योजना - केन्द्र सरकार अपना लक्ष्य निर्धारित करती है तथा देश के द्वारा लागू शैक्षिक योजनाओं को समग्र रूप से तैयार करती है।
(2) संगठन - देश के अन्तर्गत शैक्षिक योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए संगठन की एक महत्वपूर्ण भूमिका है जो कि शिक्षण संस्थान के सुचारू तथा कुशल संचालन के लिए एक साधन है। इसलिए ऐसा भी कह सकते हैं कि संगठन ऐसा होना चाहिए जो कि उद्देश्य की प्राप्ति के लिए शिक्षण, सीखने की प्रक्रिया को प्रभावित करने वाली व शैक्षिक सेवा, गतिविधि और कार्य के सुधार में और इसी के साथ समायोजन में मदद करेगा।
(3) शैक्षिक सुधार आयोगों और समितियों का गठन सरकार के द्वारा होता है। भारत में समय- समय पर और विभिन्न मूल्यवान सिफारिशें और इसी के साथ विभिन्न स्तरों पर शिक्षा के विकास के लिए सरकार द्वारा सुझाव भी दिए जाते हैं।
(4) दिशा मानव संसाधन और विकास मंत्रालय के अन्तर्गत शिक्षा विभाग की भूमिका शैक्षिक योजनाओं और नीतियों को पूरा करने के लिए उचित दिशा जरूरी है। जहाँ केन्द्र सरकार, राज्य सरकारों, स्थानीय निकायों और निजी उद्यम को निर्देशित करती है ताकि शिक्षा को सही मार्ग पर ले जाया जा सके। यह मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा केन्द्रीय सलाहकार बोर्ड ऑफ ऐजुकेशन के द्वारा किया जाता है।
(5) नियन्त्रण - केन्द्र सरकार राज्यों के द्वारा किए गए शैक्षिक कार्यक्रमों के विकास के लिए राज्यों, निजी एजेंसियों और स्थानीय निकायों को आवंटित करती है और आवंटित करके शिक्षा पर काफी नियंत्रण रखती है।
(6) पायलट प्रोजेक्ट्स - मंत्रालय का उद्देश्य देश के अन्तर्गत एक समतावादी समाज की स्थापना करना है। एम. एच. आर. डी. के अनुसार, शिक्षा मंत्रालय ग्रामीण विश्वविद्यालय, क्षेत्री संस्थानों, पाठ्यक्रम में सुधार और पाठ्य पुस्तकों आदि की एक बड़ी संख्या में पायलट परियोजनायें संचालित करती है। '
(7) केन्द्रीय संस्थान खोजना इसके लिए शिक्षा मंत्रालय सीधे जिम्मेदार होता है। कुछ विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय पुस्तकालयों, संग्राहलय और केन्द्रीय विद्यालयों को चलाने के लिए, इसके लिए मंत्रालय ने कई सलाहकार निकायों को स्थापित भी किया जो कि शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करते हैं।
(8) यूनेस्को के साथ सम्पर्क को स्थापित किया जाना - यूनेस्को के सहयोग के द्वारा शिक्षा मंत्रालय कुछ कार्य को करता है। इतना ही नहीं बल्कि यूनेस्को के साथ बाहर के सांस्कृतिक सम्पर्को के प्रसार के लिए भी उपयुक्त कदम आगे बढ़ाता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- वैदिक काल में गुरुओं के शिष्यों के प्रति उत्तरदायित्वों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा में गुरु-शिष्य के परस्पर सम्बन्धों का विवेचनात्मक वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- वैदिक शिक्षा व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं की विवेचना कीजिए। वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में सुधार हेतु यह किस सीमा तक प्रासंगिक है?
  4. प्रश्न- वैदिक शिक्षा की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  5. प्रश्न- प्राचीन भारतीय शिक्षा के कम से कम पाँच महत्त्वपूर्ण आदर्शों का उल्लेख कीजिए और आधुनिक भारतीय शिक्षा के लिए उनकी उपयोगिता बताइए।
  6. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के मुख्य उद्देश्य एवं आदर्श क्या थे? वैदिक काल में प्रचलित शिक्षा के मुख्य गुण एवं दोष बताइए।
  7. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के मुख्य उद्देश्य क्या थे?
  8. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के प्रमुख गुण बताइए।
  9. प्रश्न- प्राचीन काल में शिक्षा से क्या अभिप्राय था? शिक्षा के मुख्य उद्देश्य एवं आदर्श क्या थे?
  10. प्रश्न- वैदिककालीन उच्च शिक्षा का वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- प्राचीन भारतीय शिक्षा में प्रचलित समावर्तन और उपनयन संस्कारों का अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  12. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ज्ञान का विकास तथा आध्यात्मिक उन्नति करना था। स्पष्ट कीजिए।
  13. प्रश्न- आधुनिक काल में प्राचीन वैदिककालीन शिक्षा के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
  14. प्रश्न- वैदिक शिक्षा में कक्षा नायकीय प्रणाली के महत्व की विवेचना कीजिए।
  15. प्रश्न- वैदिक कालीन शिक्षा पर प्रकाश डालिए।
  16. प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं? शिक्षा के विभिन्न सम्प्रत्ययों का उल्लेख करते हुए उसके वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
  17. प्रश्न- शिक्षा का अर्थ लिखिए।
  18. प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
  19. प्रश्न- शिक्षा के दार्शनिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  20. प्रश्न- शिक्षा के समाजशास्त्रीय सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- शिक्षा के राजनीतिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  22. प्रश्न- शिक्षा के आर्थिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  23. प्रश्न- शिक्षा के मनोवैज्ञानिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- शिक्षा के वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
  25. प्रश्न- क्या मापन एवं मूल्यांकन शिक्षा का अंग है?
  26. प्रश्न- शिक्षा को परिभाषित कीजिए। आपको जो अब तक ज्ञात परिभाषाएँ हैं उनमें से कौन-सी आपकी राय में सर्वाधिक स्वीकार्य है और क्यों?
  27. प्रश्न- शिक्षा से तुम क्या समझते हो? शिक्षा की परिभाषाएँ लिखिए तथा उसकी विशेषताएँ बताइए।
  28. प्रश्न- शिक्षा का संकीर्ण तथा विस्तृत अर्थ बताइए तथा स्पष्ट कीजिए कि शिक्षा क्या है?
  29. प्रश्न- शिक्षा का 'शाब्दिक अर्थ बताइए।
  30. प्रश्न- शिक्षा का अर्थ स्पष्ट करते हुए इसकी अपने शब्दों में परिभाषा दीजिए।
  31. प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
  32. प्रश्न- शिक्षा को परिभाषित कीजिए।
  33. प्रश्न- शिक्षा की दो परिभाषाएँ लिखिए।
  34. प्रश्न- शिक्षा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- आपके अनुसार शिक्षा की सर्वाधिक स्वीकार्य परिभाषा कौन-सी है और क्यों?
  36. प्रश्न- 'शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है।' जॉन डीवी के इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  37. प्रश्न- 'शिक्षा भावी जीवन की तैयारी मात्र नहीं है, वरन् जीवन-यापन की प्रक्रिया है। जॉन डीवी के इस कथन को उदाहरणों से स्पष्ट कीजिए।
  38. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- शिक्षा विज्ञान है या कला या दोनों? स्पष्ट कीजिए।
  40. प्रश्न- शिक्षा की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
  41. प्रश्न- शिक्षा के व्यापक व संकुचित अर्थ को स्पष्ट कीजिए तथा शिक्षा के व्यापक व संकुचित अर्थ में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  42. प्रश्न- शिक्षा और साक्षरता पर संक्षिप्त टिप्पणी दीजिए। इन दोनों में अन्तर व सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
  43. प्रश्न- शिक्षण और प्रशिक्षण के बारे में प्रकाश डालिए।
  44. प्रश्न- विद्या, ज्ञान, शिक्षण प्रशिक्षण बनाम शिक्षा पर प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- विद्या और ज्ञान में अन्तर समझाइए।
  46. प्रश्न- शिक्षा और प्रशिक्षण के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।

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