बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक आकलन बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक आकलनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक आकलन - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- व्यक्तित्व सूचियाँ क्या होती हैं तथा इसके ऐतिहासिक विकास क्रम के बारे में समझाइए?
उत्तर -
व्यक्तित्व सूचियाँ
व्यक्तित्व सूचियों के द्वारा उन समस्त पहलुओं का निर्धारण किया जाता है जिन्हें अन्य किसी विधि द्वारा ज्ञात नहीं किया जा सकता है। इनका मुख्य उद्देश्य विभिन्न शीलगुणों का मापन करना है एवं उनके आधार पर व्यक्तियों का वर्गीकरण करना होता है। समस्त व्यक्तित्व सूचियाँ इस सिद्धान्त पर आधारित हैं कि व्यक्तित्व एवं व्यवहार दोनों ही का स्वयं में कोई अस्तित्व नहीं है, बल्कि वे तो कुछ निश्चित शीलगुणों का प्रकाशन है। जिनका मापन एवं निर्धारण इन्हीं सूचियों के माध्यम से होता है। व्यक्तित्व सूचियों का वर्गीकरण यह कदापि इंगित नहीं करता है कि समस्त व्यक्तित्व सूचियों में आपस में कुछ भी समानता नहीं होती है अर्थात् वे लगभग समान ही होती हैं और उनका वर्गीकरण शीलगुणों की संख्या, उद्देश्यों, प्रशासन विधि, विषय-वस्तु एवं फलांकन विधियों की भिन्नता के कारण ही किया जाता है।
व्यक्तित्व सूचियों के प्रकार
फ्रीमैन ने व्यक्तित्व सूचियों को छः श्रेणियों में विभक्त किया है-
1. विशिष्ट शीलगुणों का मापन करने वाली सूचियाँ।
2. विशिष्ट एवं सामान्य क्षेत्रों में समायोजन का मूल्यांकन करने वाली श्रेणियाँ।
3. चिकित्सक क्षेत्रों में रोगियों का वर्गीकरण करने वाली सूचियाँ।
4. व्यक्तित्व को विभिन्न समूहों में वर्गीकृत करने वाली सूचियाँ।
5. व्यक्तित्व सिद्धान्तों पर आधारित व्यक्तित्व सूचियाँ।
6. व्यक्ति की रुचियों, मूल्यों एवं अभिवृत्तियों का मूल्यांकन करने वाली सूचियाँ।
सामान्य रूप से व्यक्तित्व सूचियों का वर्गीकरण दो मुख्य वर्गों में किया जा सकता है। एक वर्ग के अन्तर्गत वे व्यक्तित्व सूचियाँ सम्मिलित हैं जो केवल एक ही शीलगुण या एक आयाम का मापन करती है। इन्हें एक शीलगुण या एक आयाम वाली व्यक्तित्व सूचि के नाम से सम्बोधित किया जाता है। दूसरे वर्ग के अन्तर्गत वे व्यक्तित्व सूचियाँ आती हैं जो व्यक्ति के अनेक शीलगुणों का मापन एक साथ करती है। इन्हें बहुशीलगुण या बहुआयाम वाली व्यक्तित्व सूचियाँ कहा जाता है।
व्यक्तित्व सूचियों का ऐतिहासिक विकास-क्रम
व्यक्तित्व सूचियों का जन्म सर्वप्रथम सन् 1918 में हुआ जब वुडवर्थ ने सैनिकों की संवेगात्मक अस्थिरता ज्ञात करने हेतु 'व्यक्तित्व प्रदत्त सूचि' की रचना की। बाद में उन्होंने मनोस्नायु दौर्बल्य सूचि का निर्माण किया। प्रेसी (1919) ने युंग के व्यक्तित्व वर्गीकरण सिद्धान्त के आधार पर एक 'अन्तर्मुखी - बहुर्मुखी परीक्षण की रचना की जिसमें 54 पद सम्मिलित थे। आलपोर्ट एवं आलपोर्ट ने 'प्रभावित अधीनता परीक्षण की रचना की। रोजर्स (1931) ने प्रारम्भिक विद्यालयों के बच्चों हेतु सर्वप्रथम 'व्यक्तित्व' अनुसूचि का निर्माण किया। उसकी यह अनुसूचि रोजर्स समायोजन सूचि के नाम से प्रसिद्ध है।
इसके पश्चात् 20वीं शताब्दी के चतुर्थ दशक में चार अत्यन्त ही महत्वपूर्ण व्यक्तित्व सूचियों की रचना हुई जिनका आज भी व्यापकता से प्रयोग किया जाता है।
बर्नारिटर (1933) ने 125 पदों से युक्त एवं 'व्यक्तित्व सूचि' की रचना की। थोर्पे, क्लार्क (1939) आदि ने 'केलीफोर्निया व्यक्तिगत परीक्षण' की रचना की। बाद में, हाथवे तथा मैकिन्ले ने (1940) में 'मिनिसोटा बहुपक्षीय व्यक्तित्व सूचि की रचना की। डार्ले एवं मेकनामरा (1942) में 'मिनिसोटा व्यक्तित्व मापनी की रचना की। 1944 में कार्नेल सूचि का निर्माण किया गया। सिपले एवं उनके सहयोगियों (1946) ने मानसिक रोगियों का पता लगाने के लिए 'व्यक्तित्व सूचि का निर्माण किया। 1947 में जुरगनसेन ने 'एक वर्गीकरण सूचि की रचना की। इसी प्रकार मासलो, बर्दी एवं लिटिन, गोर्डन, रेमण्ड वी कैटिल, जैसे अनेक महान मनोवैज्ञानिकों ने विभिन्न स्तर एवं क्षेत्र पर विभिन्न व्यक्तित्व अनुसूचियों का निर्माण किया।
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- प्रश्न- परीक्षण के प्रशासन के आधार पर परीक्षणों के विभिन्न प्रकारों को बताइये।
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- प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण की विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण की सीमाएँ बताइए।
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