बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक आकलन बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक आकलनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक आकलन - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- कैटेल द्वारा बताए गए व्यक्तित्व के शीलगुणों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
अथवा
व्यक्तित्व शीलगुणों में कैटेल के योगदान की व्याख्या कीजिए।
अथवा
सतही शीलगुण किसे कहते हैं?
अथवा
मूल शीलगुण व्यक्तित्व को किस प्रकार प्रभावित करते हैं?
उत्तर -
कैटेल का योगदान
शीलगुण सिद्धान्त में आलपोर्ट के बाद कैटेल का नाम अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। कैटेल ने शीलगुण सिद्धान्त में अपना विशेष योगदान करके व्यक्तित्व की व्याख्या महत्वपूर्ण ढंग से की है। कैटेल ने प्रमुख शीलगुणों की खोज शुरुआत आलपोर्ट द्वारा बतलाए गए 18,000 शीलगुणों में से 4,500 शीलगुणों को चुनकर किया। बाद में इनमें से समानार्थ शब्दों को एक साथ मिलाकर इसकी संख्या उन्होंने 200 कर दी और फिर बाद में विशेष सांख्यिकीय विधि यानि कारक विश्लेषण के सहारे अन्तर सहसम्बन्ध द्वारा उसकी संख्या 35 कर दी।
कैटेल ने शीलगुणों को कई ढंग से विभाजित कर अध्ययन किया है। उनका सबसे मशहूर वर्गीकरण वह है, जिसमें उन्होंने व्यक्तित्व के शीलगुणों को सतही शीलगुण तथा मूल या स्रोत शीलगुण के रूप में विभाजन किया है
(i) सतही शीलगुण - इस तरह का शीलगुण व्यक्तित्व के ऊपरी सतह या परिधि पर होता है यानि इस तरह के शीलगुण ऐसे होते हैं जो व्यक्ति के दिन-प्रतिदिन की अन्तः क्रिया में आसानी से अभिव्यक्त हो जाते हैं। इसकी अभिव्यक्ति इतनी स्पष्ट होती है कि सम्बन्धित शीलगुण के बारे में व्यक्ति में कोई दो मत हो ही नहीं सकते हैं। जैसे प्रसन्नता, परोपकारिता, सत्यनिष्ठा, कुछ ऐसे शीलगुण हैं, जिसकी अभिव्यक्ति व्यक्ति के दिन-प्रतिदिन की अन्तःक्रिया में स्पष्ट रूप से होती है।
(ii) स्रोत या मूल शीलगुण - कैटेल के अनुसार मूल शीलगुण व्यक्तित्व की अधिक महत्वपूर्ण संरचना है तथा इसकी संख्या सतही शीलगुण के समान, व्यक्ति के दिन-प्रतिदिन की अन्तः क्रिया में स्पष्ट रूप से व्यक्त नहीं हो पाती है। अतः इसका प्रेक्षण सीधे नहीं किया जा सकता है। कैटेल के अनुसार मूल शीलगुण व्यक्तित्व की भीतरी संरचना होती है, जिसके बारे में हमे ज्ञान तब होता है, जब हम उससे सम्बन्धित सतही शीलगुण को एक साथ मिलाने की कोशिश करते हैं। जैसे- सामुदायिकता, निस्वार्थता तथा हास्य, तीन ऐसे सतही शीलगुण हैं, जिनको एक साथ मिलाने से एक नया मूल शीलगुण बनता है, जिसे मित्रता की संज्ञा दी जाती है। कैटेल ने सतही शीलगुण को "शीलगुण सूचक" भी कहा है। कैटेल के अनुसार 23 मूल शीलगुण ऐसे हैं जो सामान्य व्यक्तियों में पाये जाते हैं तथा 12 ऐसे मूल शीलगुण हैं, जो असामान्य व्यक्तियों में पाये जाते हैं और इसे मापने के लिए उन्होंने एक विशेष प्रश्नावली भी तैयार की, जिसे सोलह व्यक्तित्व कारक प्रश्नावली की संज्ञा दी गयी है।
सामान्य रूप से मूल शीलगुण को कैटेल ने दो भागों में बाँटा है - पर्यावरण प्रभावित शीलगुण तथा स्वाभाविक शीलगुण। कुछ मूल शीलगुण ऐसे होते हैं जिनके विकास में आनुवंशिकता की अपेक्षा वातावरण सम्बन्धी कारकों का अधिक प्रभाव पड़ता है। इन्हें पर्यावरण प्रभावित शीलगुण कहा जाता है। कुछ ऐसे शीलगुण होते हैं, जिनके विकास में वातावरण की अपेक्षा आनुवंशिकता का प्रभाव अधिक पड़ता है इनको स्वाभाविक शीलगुण कहा जाता है।
कैटेल ने शीलगुणों का विभाजन उस व्यवहार पर भी किया है, जिससे वे सम्बन्धित होते हैं। इस कसौटी के आधार पर शीलगुण के तीन प्रकार हैं-
(i) गत्यात्मक शीलगुण - वैसे शीलगुण को कहा जाता है, जिससे व्यक्ति का व्यवहार एक खास लक्ष्य की ओर अग्रसित होता है। मनोवृत्ति, अर्ग तथा मनोभाव गत्यात्मक शीलगुण के उदाहरण हैं।
(ii) क्षमता शीलगुण - से तात्पर्य कुछ वैसे शीलगुणों से होता है जो किसी लक्ष्य तक पहुँचने में काफी प्रभावशाली होते हैं।
(iii) चित्तप्रकृति शीलगुण - से तात्पर्य वैसे शीलगुण से होता हैं जो किसी लक्ष्य पर पहुँचने के प्रयास से उत्पन्न होता है तथा जिसका सम्बन्ध व्यक्ति की संवेगात्मक स्थिति, अनुक्रिया करने की शक्ति तथा दर आदि से सम्बन्धित होता है। सांवेगिक स्थिरता, मस्तमौलापन आदि चित्त प्रकृति शीलगुण के कुछ उदाहरण हैं।
कैटेल ने यह भी स्पष्ट किया है कि व्यक्तित्व के शीलगुणों का अध्ययन करने के लिए मूलतः तीन स्रोत हैं- जीवन अभिलेख, आत्म रेटिंग तथा वस्तुनिष्ठ परीक्षण, पहले स्रोत से प्राप्त आँकड़ों को L-data. दूसरे स्रोत से प्राप्त आँकड़ों को Q-data तथा तीसरे स्रोत से प्राप्त आँकड़ों को O-T-data कहा जाता है।
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