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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2796
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान : लोक प्रशासन

प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।

अथवा
नवीन लोक प्रशासन हनी प्रतिवेदन - 1967।
अथवा
मिन्नो बुक सम्मेलन 1968 पर प्रकाश डालिए।
अथवा
नव लोक प्रशासन को विकास को समझाइए।

उत्तर -

सन् 1968 के बाद लोक प्रशासन के अध्ययन क्षेत्र में नए विचारों का सूत्रपात हुआ है और इन विचारों को 'नवीन लोक प्रशासन की संज्ञा दी गयी है। 1967 में सार्वजनिक सेवाओं सम्बन्धी उच्च शिक्षा पर हनी रिपोर्ट के प्रकाशन के साथ ही 'नवीन लोक प्रशासन को मान्यता प्राप्त हुई। नवीन लोक प्रशासन को आगे बढ़ाने में 'लोक प्रशासन के सिद्धान्त एवं व्यवहार सम्बन्धी सम्मेलन (1967) तथा 'मिन्नोब्रुक सम्मेलन' (1968) की भूमिका अत्यन्त उल्लेखनीय रही है। 'नवीन लोक प्रशासन' को उद्घाटित करने में फ्रेंक मेरीनी की पुस्तक 'टूवार्ड ए न्यू पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन', मिन्नोब्रुक पर्सपेक्टिव (Toword a New Public Administration, Minowbrook Perspective) तथा ड्रवाइट वाल्डो की रचना पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन एण्ड एटाइम ऑफ बुलेन्स का प्रशंसनीय योगदान रहा है। इन रचनाओं में मिन्नोब्रुक सम्मेलन द्वारा प्रस्तुत नव लोक प्रशासन सम्बन्धी विचारों को संयोजित किया गया है। ये दोनों रचनाएं लोक प्रशासन के अध्ययन क्षेत्र में नए क्षितिज का उद्घाटन करने में मील का पत्थर हैं। इस विचारधारा के अग्रणी लेखक हैं- फ्रेंकमरीनी, जार्ज फ्रेडरिक्शन, जोसेफ उवाजेस, चालर्न लिण्डब्लोम तथा विन्सेट ओस्ट्रोम।

नवीन लोक प्रशासन हनी प्रतिवेदन 1967- जॉन सी. हनी सिराक्रूज विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। 'लोक प्रशासन की अमरीकी सोसाइटी ने अमरीकी विश्वविद्यालयों में लोक प्रशासन के स्वायत्त विषय के रूप में अध्ययन की सम्भावनाओं पर अपने प्रतिवेदन प्रस्तुत करने को कहा। उन्होंने लोक प्रशासन से सम्बन्धित कतिपय समस्याओं जैसे स्वायत्त विषय के रूप में विश्वविद्यालय में लोक प्रशासन के अध्ययन शोध हेतु धन का अभाव, लोक प्रशासन एक विषय है या विज्ञान या एक व्यवसाय है, लोक प्रशासन के विद्वानों एवं प्रशासकों में अन्तर का अध्ययन किया और अपने प्रतिवेदन में सन् 1967 में कई सुझाव दिये। उनके कतिपय सुझाव थे-

(i) लोक प्रशासन के क्षेत्र को व्यापक बनाया जाय
(ii) लोक प्रशासन के अन्तर्गत सम्पूर्ण शासकीय प्रक्रिया कार्यपालिका, विधायिका तथा न्यायोग को शामिल किया जाय।
(iii) लोक सेवा शिक्षा सम्बन्धी राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की जाय।
(iv) जो अध्ययनकर्ता लोक सेवा को जीविका के लिए अपनाना चाहे उन्हें छात्रवृत्तियां दी जाएँ
(v) शासकीय एवं सार्वजनिक मामलों सम्बन्धी शोधकार्य में रत व्यक्तियों को आर्थिक एवं अन्य सहायता दी जानी चाहिए।

हनी प्रतिवेदन की इस आधार पर आलोचना की गयी कि इसमें परिवर्तनशील समाज में लोक प्रशासन की भूमिका पर कुछ भी नहीं कहा गया था।

नवीन लोक प्रशासन सिद्धान्त एवं व्यवहार सम्मेलन, 1967- जे. सी. चार्ल्सवर्थ की अध्यक्षता में अमरीकी राजनीति विज्ञान एवं समाजशास्त्र परिषद के तत्वावधान में एक सम्मेलन (1967) आयोजित किया गया। इसे फिलाडेल्फिया सम्मेलन भी कहा जाता है। इस सम्मेलन में लोक प्रशासन के सिद्धान्त एवं व्यवहार, क्षेत्र, अध्ययन पद्धति, आदि विषयों पर गम्भीरतापूर्वक चर्चा हुई। सम्मेलन के कतिपय निष्कर्ष इस प्रकार रहे-

(i) लोक प्रशासन के क्षेत्र को स्पष्ट करना कठिन है।

(ii) नीति निर्माण और लोक प्रशासन का विभाजन गलत है।

(iii) लोक प्रशासन एवं व्यवसाय प्रशासन का प्रशिक्षण अलग-अलग ढंग से होना चाहिए।

(iv) लोक प्रशासन के सम्बन्ध में अध्ययन का उपागम होना चाहिए

(v) लोक प्रशासन को राजनीति विज्ञान से अलग अनुशासन माना जाना चाहिए।

(vi) पदसोपानी धारणा तर्कसंगत नहीं है।

(vii) भावी प्रशासकों को व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थाओं में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।

(viii) लोक प्रशासन का अध्ययन मनोवैज्ञानिक समाजशास्त्रीय पहलुओं के आधार पर किया जाना चाहिए।

(ix) लोक प्रशासन में प्रशिक्षण कार्यक्रमों एवं शिक्षा का उद्देश्य मात्र प्रबन्धात्मक योग्यताओं व तकनीकी निपुणताओं का विकास न होकर विभिन्न सरकारी अभिकरणों में कार्यरत सार्वजनिक कार्मिकों प्रशिक्षार्थियों व विद्यार्थियों में सामाजिक संवेदना या चेतना को गहरा करना होना चाहिए।

(x) गलत व्यवहार व भ्रष्टाचार के अवसरों को कम करने के उददेश्य से शिक्षा कार्यक्रमों में प्रशासनिक उपचार पर उचित बल देने की आवश्यकता है।

(xi) लोक प्रशासन के विषय एवं व्यवहार का अधिक ध्यान शहरी दरिद्रता व गन्दगी, बेरोजगारी, गरीबी, पर्यावरण सम्बन्धी प्रदूषण और गिरते जीवन स्तर की सामाजिक समस्याओं की ओर होना चाहिए।

मित्रो ब्रुक सम्मेलन, 1968 - मिन्नोबुक सम्मेलन, 1968 लोक प्रशासन की युवाओं का सम्मेलन था। इस सम्मेलन में इस बात पर विचार किया गया कि परिवर्तनशील समाज में लोक प्रशासन की भूमिका क्या होनी चाहिए। नवीन लोक प्रशासन के समर्थक लोक प्रशासन की प्रचलित अवस्था से सन्तुष्ट नहीं थे। वे उथल-पुथल के काल में लोक प्रशासन से यह अपेक्षा करते हैं कि वह सामाजिक समस्याओं के प्रति जागरूक हों। नवीन लोक प्रशासन के समर्थक मूल्यविहीन अनुसन्धान प्रयासों को न किये जाने पर जोर देते हैं तथा सामाजिक न्याय के अनुरूप दृष्टिकोण को अपनाने के समर्थक हैं। उनकी धारणा है कि लोक प्रशासन सामाजिक समस्याओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो। संक्षेप में मिन्नोब्रुक सम्मेलन द्वारा इसको नए आयाम तथा नई छवि प्राप्त हुई है। इसके दृष्टिकोण तथा कार्यशक्ति में बदलाव आया है। समाज की समस्याओं के प्रति उसे सचेत किया गया है। प्रशासकों को परिवर्तन के सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में कार्य करने का संदेश दिया गया है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- 'लोक प्रशासन' के अर्थ और परिभाषाओं की विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- लोक प्रशासन की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
  3. प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- लोकतांत्रिक प्रशासन की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  5. प्रश्न- प्रशासन' शब्द का प्रयोग सामान्य रूप से किन प्रमुख अर्थों में किया जाता है?
  6. प्रश्न- "लोक प्रशासन एक नीति विज्ञान है" यह किन आधारों पर कहा जा सकता है?
  7. प्रश्न- लोक प्रशासन का महत्व बताइए।
  8. प्रश्न- प्रशासन के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
  9. प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र का 'पोस्डकोर्ब दृष्टिकोण' की व्यख्या कीजिये।
  10. प्रश्न- लोक प्रशासन को विज्ञान न मानने के क्या कारण हैं?
  11. प्रश्न- एक अच्छे प्रशासन के गुण बताइए।
  12. प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की चुनौतियाँ बताइये।
  13. प्रश्न- 'लोक प्रशासन में सैद्धान्तीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति', टिप्पणी कीजिए।
  14. प्रश्न- कार्मिक प्रशासन के मूल तत्व क्या हैं?
  15. प्रश्न- राजनीतिज्ञ एवं प्रशासक के मध्य अन्तर लिखिए।
  16. प्रश्न- शासन एवम् प्रशासन में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  17. प्रश्न- अनुशासन से क्या तात्पर्य है? लोक प्रशासन में अनुशासन के महत्व को दर्शाइए।
  18. प्रश्न- भारत में लोक सेवकों के आचरण को अनुशासित बनाने के लिए किए गए प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- लोक सेवकों को अनुशासन में बनाए रखने के लिए उन पर लगाए गए प्रतिबन्धों का वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- किसी संगठन में अनुशासन के योगदान पर टिप्पणी लिखिए।
  21. प्रश्न- प्रशासन में अनुशासनहीनता को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारण कौन-कौन से हैं?
  22. प्रश्न- "अनुशासन में गिरावट लोक प्रशासन के लिए चुनौती" इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  23. प्रश्न- लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? निजी प्रशासन लोक प्रशासन से किस प्रकार भिन्न है?
  24. प्रश्न- "लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन में अनेकों असमानताएँ होने के बावजूद कुछ ऐसे बिन्दू भी हैं जो उनके बीच समानताएँ प्रदर्शित करते हैं।' कथन का परीक्षण कीजिए।
  25. प्रश्न- निजी प्रशासन में लोक प्रशासन की अपेक्षा भ्रष्टाचार की सम्भावनाएँ कम है, कैसे?
  26. प्रश्न- निजी प्रशासन के नकारात्मक पक्षों पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  27. प्रश्न- लोक प्रशासन की तुलना में निजी प्रशासन में राजनीतिकरण की सम्भावनाएँ न्यूनतम हैं, कैसे?-
  28. प्रश्न- निजी प्रशासन के दो प्रमुख लाभ बताइए।
  29. प्रश्न- लोक प्रशासन के महत्व पर विवेचना कीजिए।
  30. प्रश्न- आधुनिक राज्यों में लोक प्रशासन के विभिन्न रूपों को स्पष्ट कीजिए।
  31. प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- संगठन का अर्थ स्पष्ट करते हुए, इसके आधारों को स्पष्ट कीजिए।
  33. प्रश्न- संगठन के आधारों को स्पष्ट कीजिए।
  34. प्रश्न- संगठन के प्रकारों को स्पष्ट कीजिए। औपचारिक संगठन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  35. प्रश्न- औपचारिक संगठन की विशेषताएँ बताइये।
  36. प्रश्न- अनौपचारिक संगठन से आप क्या समझते हैं? इनकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  37. प्रश्न- औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  38. प्रश्न- संगठन की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- संगठन के यान्त्रिक अथवा शास्त्रीय दृष्टिकोण (उपागम) को स्पष्ट कीजिए।
  40. प्रश्न- पदसोपान प्रणाली के गुण व दोष बताते हुए इसका मूल्यांकन कीजिए।
  41. प्रश्न- संगठन के आदेश की एकता सिद्धान्त की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  42. प्रश्न- आदेश की एकता सिद्धान्त के गुण बताते हुए इसकी समालोचनाओं पर भी प्रकाश डालिए।
  43. प्रश्न- 'प्रत्यायोजन' से आप क्या समझते हैं? प्रत्यायोजन को परिभाषित करते हुए इसकी आवश्यकता एवं महत्व को बताइए।
  44. प्रश्न- प्रत्यायोजन के विभिन्न सिद्धान्तों एवं प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
  45. प्रश्न- संगठन के सिद्धान्तों के विशेष सन्दर्भ में प्रशासन को लूथर गुलिक एवं लिंडल उर्विक के योगदान की विवेचना कीजिए।
  46. प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र में एल्टन मेयो द्वारा प्रस्तुत मानव सम्बन्ध उपागम पर प्रकाश डालिए।
  47. प्रश्न- हरबर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सम्बन्धी मॉडल की व्याख्या कीजिए।
  48. प्रश्न- हर्बर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सिद्धान्त का लोक प्रशासन में महत्व पर प्रकाश डालिए।
  49. प्रश्न- नौकरशाही का अर्थ बताइये और परिभाषाएँ दीजिए।
  50. प्रश्न- नौकरशाही की विशेषताएँ अथवा लक्षणों को बताइये।
  51. प्रश्न- निर्णयन का क्या अर्थ है? प्रशासन में निर्णयन प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- हेनरी फेयाफल द्वारा उल्लिखित किये गये संगठन के सिद्धान्तों को बताइए।
  53. प्रश्न- 'गेंगप्लांक' पर टिप्पणी कीजिये।
  54. प्रश्न- हरबर्ट साइमन द्वारा 'प्रशासन की कहावत' किन्हें कहा गया है और क्यों?
  55. प्रश्न- ऐल्टन मेयो को मानव सम्बन्ध उपागम के प्रवर्तकों में शामिल किया जाता है, क्यों?
  56. प्रश्न- निर्णयन के अवसरों का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- निर्णयन के लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- प्रतिबद्ध नौकरशाही की विवेचना कीजिए।
  59. प्रश्न- सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण का आशय स्पष्ट कीजिए। सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण में अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  60. प्रश्न- सूत्र या पंक्ति अभिकरण से क्या आशय है एवं सूत्र (लाइन) या पंक्ति अभिकरणों की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- प्रशासन में स्टाफ अभिकरण के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- स्टाफ अभिकरणों के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  63. प्रश्न- स्टाफ अभिकरण के विभिन्न रूपों पर प्रकाश डालिए।
  64. प्रश्न- सहायक अभिकरण का अर्थ स्पष्ट कीजिए एवं स्टाफ अभिकरण से इनकी भिन्नता पर प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- मुख्य प्रशासक की प्रशासन में क्या स्थिति है? स्पष्ट कीजिए।
  66. प्रश्न- बजट से आप क्या समझते हैं? इसे परिभाषित कीजिए। भारत में बजट कैसे तैयार किया जाता है?
  67. प्रश्न- बजट किसे कहते है? एक स्वस्थ बजट के महत्वपूर्ण सिद्धान्त बताइए।
  68. प्रश्न- भारत में केन्द्रीय बजट का निर्माण किस प्रकार होता है?
  69. प्रश्न- वित्त विधेयक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  70. प्रश्न- वित्त विधेयक के सम्बन्ध में राष्ट्रपति के विशेषाधिकार को स्पष्ट कीजिए।
  71. प्रश्न- बजट का महत्व बताइए।
  72. प्रश्न- भारत में बजट के क्रियान्वयन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  73. प्रश्न- बजट के कार्य बताइये।
  74. प्रश्न- बजट के प्रकार लिखिए।
  75. प्रश्न- वित्त आयोग के कार्य बताइए।
  76. प्रश्न- योजना आयोग का प्रशासनिक ढाँचा क्या है?
  77. प्रश्न- शून्य आधारित बजट का वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? नवीन लोक प्रशासन के उदय के कारण बताते हुए इसकी दार्शनिक पृष्ठभूमि का वर्णन कीजिए तथा नवीन लोक प्रशासन एवं दार्शनिक पृष्ठभूमि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  79. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के लक्ष्य को स्पष्ट करते हुए इसके लक्षणों का परीक्षण कीजिए।
  81. प्रश्न- नवीन लोक प्रबन्ध के अभ्युदय कैसे हुआ? नवीन लोक प्रबन्ध की मुख्य विशेषताएँ बताते हुए इसके अंतर्गत सरकार की भूमिका में आए बदलावों पर प्रकाश डालिए।
  82. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन की भावी सम्भावनाओं को व्यक्त कीजिए।
  83. प्रश्न- नव लोक प्रशासन का उदय किन परिस्थितियों में हुआ?
  84. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के प्रमुख तत्व कौन से हैं?
  85. प्रश्न- 'नवीन लोक प्रबन्ध' दृष्टिकोण के हानिकारक पक्षों पर प्रकाश डालिए।
  86. प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण के समर्थक क्या आलोचना करते हैं?
  87. प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की हरबर्ट साइमन द्वारा प्रस्तुत आलोचना पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- प्रशासकीय कानून का क्या अर्थ है? प्रशासकीय कानून के विकास के प्रमुख कारण बतलाइए।
  89. प्रश्न- प्रशासकीय अधिनिर्णय का क्या अर्थ है? इसके विकास के प्रमुख कारणों का विवेचन कीजिए।
  90. प्रश्न- भारत में जन शिकायतों के निस्तारण हेतु ओम्बड्समैन की स्थापना हेतु किए गए प्रयासों की विवेचना कीजिए।
  91. प्रश्न- प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण से क्या तात्पर्य है? कोई न्यायालय प्रशासन के कार्यों को किस प्रकार अवैध घोषित कर सकता है?
  92. प्रश्न- भारत में प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण के विभिन्न साधनों का परीक्षण कीजिए।
  93. प्रश्न- भारत में प्रशासकीय न्यायाधिकरणों को कितने वर्गों में विभाजित किया गया है?
  94. प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों से क्या लाभ हैं?
  95. प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों की हानियाँ बताइए।
  96. प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के आधुनिक उपागमों को बताइये तथा व्यवहारवादी उपागमन को सविस्तार समझाइये।
  97. प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के व्यवस्था उपागम का वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- लोक प्रशासन के संरचनात्मक कार्यात्मक उपागम की व्याख्या कीजिए।
  99. प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के पारिस्थितिकी उपागम का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- सुशासन से आप का क्या आशय है? सुशासन की विशेषताएँ लिखिए।
  101. प्रश्न- भारतीय क्षेत्र में सुशासन स्थापित करने की प्रमुख चुनौतियाँ कौन-कौन सी हैं? स्पष्ट कीजिए।
  102. प्रश्न- भारत में सुशासन की स्थापना हेतु किये गये प्रयासों पर प्रकाश डालिए।
  103. प्रश्न- विकास प्रशासन से क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
  104. प्रश्न- विकास प्रशासन से आप क्या समझते हैं? विकास प्रशासन के विभिन्न सन्दर्भों का उल्लेख करें।
  105. प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के उद्भव व विकास को समझाते हुए विकास की विभिन्न रणनीतियों की विवेचना कीजिए।
  106. प्रश्न- विकास प्रशासन के विभिन्न तत्वों की विवेचना कीजिए।
  107. प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रकृति एवं साधन बताइए।
  108. प्रश्न- विकास प्रशासन के सामान्य अभिप्राय के सम्बन्ध में प्रमुख विवादों (भ्रमों) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  109. प्रश्न- विकासात्मक नीतियों को लागू करने में विकास प्रशासन कहाँ तक उपयोगी है?
  110. प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
  111. प्रश्न- विकास प्रशासन के 'स्थानिक आयाम' को समझाइए।
  112. प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के विकास के दूसरे चरण में विकास सम्बन्धी कि मान्यताओं का उदय हुआ?
  113. प्रश्न- विकास प्रशासन के समय अभिमुखी आयाम पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  114. प्रश्न- विकास प्रशासन और प्रशासनिक विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  115. प्रश्न- राजनीतिक और स्थायी कार्यपालिका से आप क्या समझते हैं और उनके मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  116. प्रश्न- भारतीय प्रशासन के विकास का विश्लेषणात्मक वर्णन कीजिए।
  117. प्रश्न- राजनीति क्या है? मानव सामाजिकता में राजनीतिक भूमिका लिखिए।
  118. प्रश्न- वर्तमान भारतीय प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।

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