बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान : लोक प्रशासन
प्रश्न- मुख्य प्रशासक की प्रशासन में क्या स्थिति है? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
मुख्य प्रशासक (कार्यपालक) के विभिन्न रूपों पर प्रकाश डालिए एवं प्रशासन में उसके कार्यों पर प्रकाश डालिए।
अथवा
'मुख्य कार्यपालिका' की शक्तियों और कार्यों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर -
(The Chief Executive)
मुख्य अधिकारी किसी देश की प्रशासनिक व्यवस्था का मुखिया होता है। जो एक अथवा एक से अनेक व्यक्तियों का समूह भी हो सकता है। देश की व्यवस्था एक पिरामिड की भाँति होती है, जो नीव पर चीनी और ऊपर (शीर्ष) पर पतली होती है। यह ऊपर चोटी पर जाकर बिन्दु का रूप धारण कर लेता है। मुख्याधिकारी इस प्रकार प्रशासनिक पिरामिड का शीर्षस्थ अधिकारी होता है। जो देश के प्रशासन में केन्द्रीय भूमिका निभाता है। मुख्य कार्यपालक राज्य का राजनीतिक नेतृत्व करता है। किसी भी देश की मुख्य कार्यपालिका का रूप वहाँ की संवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप निर्धारित होता है। भारत में राष्ट्रपति, इंग्लैण्ड में सम्राट और सम्राज्ञी, अमेरिका में राष्ट्रपति और स्विटजरलैण्ड में संघीय परिषद प्रमुख कार्यपालिका होता है। राज्यों में राज्यपाल तथा महानगरों में महापौर वहाँ के मुख्य प्रशासक होते हैं। इसी प्रकार व्यावसायिक संगठनों के मुख्य प्रशासक को महाप्रबन्धक कहा जाता है। मुख्य कार्यपालिका जिस प्रकार से राज्यों के संगठनों को संचालित निर्देशित, पर्यवेक्षित एवं नियन्त्रित करती है। उसी प्रकार महाप्रबन्धक संगठनों में समान कार्य करते हैं।
मुख्य कार्यपालक के प्रकार
किसी भी देश की मुख्य कार्यपालिका, वहाँ के संवैधानिक इतिहास, सामाजिक व्यवस्था दलीय वस्था एवं आर्थिक आधारों पर निर्भर करती है। कार्यपालिका के मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं
(1) राजनीतिक और स्थायी कार्यपालिका - भारत में राजनीतिक और स्थायी कार्यपालिका दृष्टिगोचर होती है। राजनीतिक कार्यपालिका का सम्बन्ध नीति निर्धारण और निर्देशन से होता है। भारत में मंत्री और मन्त्रिमण्डल, राजनीतिक कार्यपालिका है। जबकि स्थाई कार्यपालिका में वे है जो सिविल तथा अधीनस्थ भर्ती से आते हैं। इन्हें अस्थाई और स्थाई कार्यपालिका कहा जाता है। राजनैतिक पालिका का कार्यकाल मतदाता चुनावो द्वारा निश्चित करते हैं। उनका कार्यकाल निश्चित नहीं हैं। वहीं पर स्थाई कार्यपालिका के सदस्यों का चयन निश्चित कार्यकाल के लिए होता है। उन्हें हटाने की प्रक्रिया जटिल होती है।
(2) एकल एवं बहुल कार्यपालिका - यदि कार्यपालिका की समस्त शक्ति एक ही व्यक्ति के हाथ में अन्तिम रूप से आ जाती है तो उसे एकल कार्यपालिका कहते हैं। वहीं इसके विपरीत जब ये शक्तियाँ कुछ लोगों की समिति में निहित की जाती हैं तो उसे बहुल कार्यपालिका कहते हैं। प्राचीन एथेन्स और स्पार्टा में बहुल कार्यपालिका थी। वर्तमान में स्विजरलैण्ड में इसका रूप देखने को मिलता है। अमेरिका में राष्ट्रपति सर्वोपरि होता है। स्विजरलैण्ड में कार्यपालिका की सत्ता सदस्यों में निहितार्थ रहती है। इस परिषद का ही एक सदस्य वरिष्ठता के क्रम में एक साल के लिए अध्यक्ष की भूमिका निभाता है। कुछ लोगों का मत है कि इंग्लैण्ड व भारत के संसदीय शासनों की कार्यपालिका भी एकल कार्यपालिका के उदाहरण हैं। यद्यपि इन देशों में कार्यपालिका की शक्ति मन्त्रिमण्डल के हाथों में होती है जो बहुत सारे व्यक्तियों की संस्था है, किन्तु यह मन्त्रिपरिषद सामूहिक उत्तरदायित्व के सिद्धान्त के आधार पर एक इकाई की भाँति कार्य करती है और मन्त्रिपरिषद का प्रधान मन्त्रिमण्डल का अध्यक्ष तथा प्रभावशाली नियन्त्रणकर्ता होता है। अतः प्रधानमंत्री को कार्यपालिका का वास्तविक प्रधान कहा जा सकता है।
(3) वंशानुगत एवं निर्वाचित कार्यपालिका - राजतन्त्रीय व्यवस्था में प्रायः ऐसी कार्यपालिका पायी जाती है। जो वंश-परम्परा के आधार पर गद्दी प्राप्त करते थे। उन्हें वंशानुगत कार्यपालिका कहा जाता है। जिस कार्यपालिका को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष ढंग से निर्वाचन द्वारा चुना जाये, वह निर्वाचित कार्यपालिका है। ब्रिटेन की सम्राज्ञी या सम्राट वंशानुगत कार्यपालक हैं। जबकि अमेरिका और भारत का राष्ट्रपति निर्वाचित कार्यपालिका है।
(4) नाममात्र की एवं वास्तविक कार्यपालिका - नाममात्र की कार्यपालिका का अर्थ उस पदाधिकारी से होता है। जिसे संविधान के द्वारा समस्त प्रशासनिक शक्ति प्रदान की गयी हो। लेकिन जिसके द्वारा व्यवहार में इस प्रशासनिक शक्ति का प्रयोग अपने विवेक के अनुसार न किया जा सके। प्रशासन का सम्पूर्ण कार्य उसके नाम पर होता है, परन्तु व्यवहार में इन कार्यों को वास्तविक तौर पर वास्तविक कार्यपालिका द्वारा किया जाता है। भारत का राष्ट्रपति और इंग्लैण्ड का सम्राट नाममात्र की कार्यपालिका के उदाहरण हैं। इंग्लैण्ड और भारत की मन्त्रिपरिषद, इस प्रकार की वास्तविक कार्य लिका के उदाहरण हैं।
(5) संसदात्मक और अध्यक्षयात्मक कार्यपालिका - संसदात्मक और अध्यक्षात्मक कार्यपालिका वर्तमान में सबसे लोकप्रिय और व्यावहारिक दृष्टि से कामयाब संगठन के उदाहरण हैं। संसदीय कार्यपालिका को उत्तरदायी कार्यपालिका भी कहा गया है, क्योंकि अपने समस्त कार्यकलापों के लिए वह विधायिका के प्रति जवाबदेह होती है। संसदीय शासन प्रणाली में संसदीय सर्वोच्चता के सिद्धान्त का अनुसरण किया जाता है। व्यवस्थापिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका प्रथक्करण के साथ-साथ समन्वयन के सिद्धान्त का अनुपालन करते हैं। संसदीय व्यवस्था में राष्ट्रपति या सम्राट संवैधानिक रूप से पूर्ण शक्ति सम्पन्न होता है। लेकिन प्रायः राष्ट्रपति इन शक्तियों का प्रयोग नहीं कर पाता। संसदीय शासन व्यवस्था के अन्तर्गत व्यवस्थापिका और कार्यपालिका में घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। मन्त्रिमण्डल सदस्यों की नियुक्ति व्यवस्थापिका के सदस्यों में से ही अनिवार्य रूप से ही की जाती है। यदि प्रधानमंत्री या कोई मंत्री विधायिका का सदस्य नहीं है तो उसे 6 माह के अन्दर इसकी सदस्यता ग्रहण करके आना पड़ता है। कार्यपालिका अपने कार्यों व नीतियों के लिए व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदायी होती है। अध्यक्षात्मक कार्यपालिका इस शासन व्यवस्था में व्यवस्थापिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका एक-दूसरे से स्वतन्त्र रह कर कार्य करते हैं, सबकी शक्तियाँ अपने क्षेत्र में पहले से निर्धारित रहती हैं। मुख्य कार्यपालक इंगित विषयों में विधायिका के प्रति उत्तरदायी नहीं होता है। राष्ट्रपति अपने मंत्रिमंडल में जिसे चाहे उसे शामिल कर सकता है। क्योंकि मंत्रिपरिषद के सदस्यों को विधायिका का सदस्य होने की आवश्यकता नहीं है। इस व्यवस्था में व्यवस्थापिका का कार्यपालिका के ऊपर प्रत्यक्ष नियंत्रण नहीं होता है और न ही कार्यपालिका को अपने कार्यकाल के सम्बन्ध में व्यवस्थापिका से भय रहता है कि वह अविश्वास प्रस्ताव के द्वारा अपदस्थ कर देगी। संसदात्मक व्यवस्था में मंत्रिमंडल के सदस्य प्रधानमंत्री के सहयोगी के रूप में कार्य करते हैं। जबकि अध्यक्षात्मक प्रणाली में वे राष्ट्रपति के रहमोकरम पर रहते हैं। दोनों प्रणालियों की प्रासंगिकता देश की एतिहासिक पृष्ठभूमि एवं उद्देश्यों पर आधारित रहती है। अध्यक्षात्मक व्यवस्था के लिए जागरुक नागरिकों का होना अत्यन्त आवश्यक है। क्योंकि राष्ट्रपति के तानाशाही प्रवृत्तियों पर वे एक लगाम का काम करते हैं। विकासशील एवं बहुजातीय राष्ट्रों के लिए संसदात्मक व्यवस्था उचित है। क्योंकि सभी की सहभागिता सुनिश्चित की जा सकती है। मंत्रीमण्डल पर विधायिका अंकुश लगाती है। जिससे तानाशाही प्रवृत्तियों पर लगाम लगाई जा सकती है।
मुख्याधिकारी (प्रशासक) एक केन्द्रीय अधिकारी होता है और प्रशासनिक गतिविधियों का भी केन्द्र होता है। वह दुगनी भूमिका अदा करता है तथा दो प्रकार के कार्य निष्पादित करता है -
(1) राजनैतिक कार्य - राजनैतिक नेता की स्थिति में उसे अपनी नीति तथा कार्यक्रमों के लिए वैधानिक समर्थन प्राप्त करना होता है। वह राष्ट्र की नीतियों को निर्मित तथा पुनः निर्मित करता है। वह राष्ट्र को नेतृत्व भी प्रदान करता है। उसके राजनैतिक कार्य बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। कोई मुख्य अधिकारी इन कार्यों की अनदेखी नहीं कर सकता अन्यथा उसे अपना पद छोड़ना पड़ता है।
(2) प्रशासनिक कार्य - मुख्याधिकारी एक प्रशासक होता है। वह सम्पूर्ण ढाँचे पर नियन्त्रण करता है। लूथर गुलिक ने 'POSDCORB' शब्द का प्रतिपादन किया, जो मुख्याधिकारी के प्रशासनिक कार्यों पर लागू होता है। ये हैं- संयोजन, संगठन, कार्मिकीकरण, निर्देशन, समन्वय, सूचना निष्पादन तथा बजट (आय-व्यय) अनुमान एम. डिमॉक इन कार्यों का केवल एक ही वाक्य में वर्णन करता है। वह समस्याएँ पकड़ता है और भविष्य के कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करता है। मुख्य प्रशासक के प्रमुख प्रशासनिक कार्य निम्न हैं-
(i) प्रशासनिक नीति का निर्णय - मुख्य प्रशासनिक अधिकारी उन प्रशासनिक नीतियों का निर्णय करता है। जो सरकार के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए क्रियान्वित हो सकते हैं। ई. एम. ग्लैडेन के अनुसार, “प्रशासनिक नीतियाँ उस रूप की ओर संदर्भित करती हैं, जिसमें मंत्रिमण्डल का प्रशासक अथवा समिति सरकारी इच्छा को कार्यान्वित करता है।"
(ii) संगठन को विस्तृत अधिकार देना - मुख्य प्रशासनिक अधिकारी संगठन को अधिकार देता है। जिसके द्वारा प्रशासन का संचालन होता है। मुख्य प्रशासनिक अधिकारी नए विभागों, कार्यपीठ खण्ड, न्यायपीठ आदि गठित कर सकता है और वर्तमान विभागों को पुनः संगठित कर सकता है। यह संगठन के दूसरे रूपों पर भी निर्णय लेता है। जिनमें से कुछ विधानमण्डल द्वारा अनुमोदन के पश्चात् निरुपित हो सकते हैं। यद्यपि अध्यक्ष प्रणाली की सरकारों में संगठन के सम्बन्ध में अध्यक्ष की शक्तियाँ अति सीमित फिर भी वह छोटे-छोटे अभिकरणों को बना अथवा समाप्त भी कर सकता है। इतना ही नहीं वह न्हक विभाग के दूसरे विभाग में हस्तांतरित कर सकता है।
(iii) समन्वय करना - समन्वय, मुख्य अधिकारी का एक और आवश्यक कार्य है। विभिन्न कमचारियों तथा विभिन्न अभिकरणों तथा संगठनीय स्तर पर विवाद तथा दृष्टिकोणों के अन्तर उठ सकते हैं। मुख्य प्रशासनिक द्विगणन, अधिव्यापन, विवाद तथा मतभेद यदि कोई है तो समाप्त करने के लिए उत्तरदायी है। वह यह भी देखता है कि विभिन्न इकाइयों तथा अधिकारियों में उचित सहयोग तथा सामूहिक कार्य हों। ऐसी समस्याएँ निस्संदेह सभी स्तरों पर निपटाई जाती हैं, परन्तु कुछ ऐसी भी हो सकती हैं जो निर्णय हेतु मुख्य अधिकारी के पास पहुँचती हैं। प्रशासन के उच्चतम पदों के बीच समन्वय स्थापित करना मुख्य अधिकारी की मूल चिन्ता है।
(iv) निर्देश जारी करना - मुख्य अधिकारी कुछ निर्देश विभिन्न विभागीय अधिकारियों तथा अन्य कर्मचारियों को भेजता है। यह प्रशासनिक अधिकारी का उत्तरदायित्व है कि वह इन आदेशों का क्रियान्वयन कराए।
(v) कार्मिकों का चयन तथा पदच्यूति - मुख्य प्रशासनिक अधिकारी को कुछ सरकारी कर्मचारी चुनने होते हैं। कुछ अवस्थाओं में उसे कर्मचारियों को हटाने का भी अधिकार होता है। मुख्य अधिकारी के इस अधिकार के क्षेत्र सभी देशों में एक से नहीं होते। यह एक देश से दूसरे में भिन्न होते हैं। बड़ी-बड़ी पदवियाँ मुख्य अधिकारी के कहने पर होती हैं। उदाहरण के लिए गवर्नर, राजदूत, उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश, मुख्य अधिकारियों द्वारा नियुक्त होते हैं। यह गवर्नरों को निकाल भी सकता है और अपनी इच्छा से राजदूतों को वापस बुला भी सकता है। अमेरिका में अध्यक्ष, कार्मिकों को नियुक्त करने की शक्ति रखता है। यद्यपि उसे कुछ अवस्थाओं में सीनेट की पुष्टि भी प्राप्त करनी पड़ती है।
(vi) वित्तीय प्रशासन पर नियंत्रण - वित्तीय प्रशासन में मुख्य अधिकारी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। संसदीय प्रणाली में वह विस्तृत अधिकार भी रखता है। वह सरकारी बजट को तैयार करता है और विभिन्न कार्यक्रमों तथा योजनाओं का अनुमोदन करता है। यह कर नीति को भी संसद के अनुमोदन के लिए भेजने से पूर्व उसका स्वयं अनुमोदन करता है। बजट को व्यय करना भी मुख्य कार्यकारी अधिकारी का उत्तरदायित्व होता है, क्योंकि विधानमण्डल उसे अधिकार देता है कि वह धन एकत्रित करे तथा कर लगाए। मुख्य अधिकारी को यह देखने के लिए बजट पर नियंत्रण रखना पड़ता है कि करों को एकत्रित करने का कार्य तथा धन का प्रयोग ठीक-ठाक विधानमण्डल द्वारा किए गए अधिकारी के अनुसार होता है अथवा नहीं। अमेरिका में राष्ट्रपति ही बजट समिति का अध्यक्ष होता है। जो बजट तैयार करता है।
(vii) निरीक्षण तथा छानबीन करना - मुख्य अधिकारी को समस्त प्रशासन का निरीक्षण करना होता है। वह आवश्यक निर्देश देता है और यदि कार्य ठीक ढंग से नहीं किया जा रहा, तो चेतावनी भी देता है। मुख्य अधिकारी का सरकारी कर्मचारियों को निरीक्षण करना ही, उनको सतर्क तथा अनुक्रियाशील बनाए रखता है। वह किसी प्रशासन कार्य के लिए जाँच पड़ताल कर सकता है। वह इस उद्देश्य के लिए आयोग अथवा समितियाँ स्थापित कर सकता है। साधारणतया ऐसी समिति तथा आयोग तब नियुक्त किये जाते हैं। जब गम्भीर अनियमितताओं की शिकायतें सरकारी अधिकारियाँ द्वारा सामने आती हैं।
(viii) सार्वजनिक - लोक सम्पर्क मुख्य अधिकारी का एक अन्य महत्वपूर्ण कार्य हैं, क्योंकि प्रशासन अन्ततः जनता के प्रति उत्तरदायी होता है। यह आवश्यक है कि लोगों को प्रशासन द्वारा की गई उन गतिविधियों के स्वभाव तथा उद्देश्य के प्रति सूचित किया जाए, जो की जा रही हैं अथवा की जानी हैं। मुख्य अधिकारी लोगों को सूचित करने का कार्य भी करता है।
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- प्रश्न- 'लोक प्रशासन' के अर्थ और परिभाषाओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लोकतांत्रिक प्रशासन की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रशासन' शब्द का प्रयोग सामान्य रूप से किन प्रमुख अर्थों में किया जाता है?
- प्रश्न- "लोक प्रशासन एक नीति विज्ञान है" यह किन आधारों पर कहा जा सकता है?
- प्रश्न- लोक प्रशासन का महत्व बताइए।
- प्रश्न- प्रशासन के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र का 'पोस्डकोर्ब दृष्टिकोण' की व्यख्या कीजिये।
- प्रश्न- लोक प्रशासन को विज्ञान न मानने के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- एक अच्छे प्रशासन के गुण बताइए।
- प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की चुनौतियाँ बताइये।
- प्रश्न- 'लोक प्रशासन में सैद्धान्तीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति', टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- कार्मिक प्रशासन के मूल तत्व क्या हैं?
- प्रश्न- राजनीतिज्ञ एवं प्रशासक के मध्य अन्तर लिखिए।
- प्रश्न- शासन एवम् प्रशासन में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- अनुशासन से क्या तात्पर्य है? लोक प्रशासन में अनुशासन के महत्व को दर्शाइए।
- प्रश्न- भारत में लोक सेवकों के आचरण को अनुशासित बनाने के लिए किए गए प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोक सेवकों को अनुशासन में बनाए रखने के लिए उन पर लगाए गए प्रतिबन्धों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- किसी संगठन में अनुशासन के योगदान पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रशासन में अनुशासनहीनता को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारण कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- "अनुशासन में गिरावट लोक प्रशासन के लिए चुनौती" इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? निजी प्रशासन लोक प्रशासन से किस प्रकार भिन्न है?
- प्रश्न- "लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन में अनेकों असमानताएँ होने के बावजूद कुछ ऐसे बिन्दू भी हैं जो उनके बीच समानताएँ प्रदर्शित करते हैं।' कथन का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- निजी प्रशासन में लोक प्रशासन की अपेक्षा भ्रष्टाचार की सम्भावनाएँ कम है, कैसे?
- प्रश्न- निजी प्रशासन के नकारात्मक पक्षों पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन की तुलना में निजी प्रशासन में राजनीतिकरण की सम्भावनाएँ न्यूनतम हैं, कैसे?-
- प्रश्न- निजी प्रशासन के दो प्रमुख लाभ बताइए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के महत्व पर विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक राज्यों में लोक प्रशासन के विभिन्न रूपों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन का अर्थ स्पष्ट करते हुए, इसके आधारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के आधारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के प्रकारों को स्पष्ट कीजिए। औपचारिक संगठन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- औपचारिक संगठन की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- अनौपचारिक संगठन से आप क्या समझते हैं? इनकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संगठन के यान्त्रिक अथवा शास्त्रीय दृष्टिकोण (उपागम) को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पदसोपान प्रणाली के गुण व दोष बताते हुए इसका मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के आदेश की एकता सिद्धान्त की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आदेश की एकता सिद्धान्त के गुण बताते हुए इसकी समालोचनाओं पर भी प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'प्रत्यायोजन' से आप क्या समझते हैं? प्रत्यायोजन को परिभाषित करते हुए इसकी आवश्यकता एवं महत्व को बताइए।
- प्रश्न- प्रत्यायोजन के विभिन्न सिद्धान्तों एवं प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के सिद्धान्तों के विशेष सन्दर्भ में प्रशासन को लूथर गुलिक एवं लिंडल उर्विक के योगदान की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र में एल्टन मेयो द्वारा प्रस्तुत मानव सम्बन्ध उपागम पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हरबर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सम्बन्धी मॉडल की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- हर्बर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सिद्धान्त का लोक प्रशासन में महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नौकरशाही का अर्थ बताइये और परिभाषाएँ दीजिए।
- प्रश्न- नौकरशाही की विशेषताएँ अथवा लक्षणों को बताइये।
- प्रश्न- निर्णयन का क्या अर्थ है? प्रशासन में निर्णयन प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हेनरी फेयाफल द्वारा उल्लिखित किये गये संगठन के सिद्धान्तों को बताइए।
- प्रश्न- 'गेंगप्लांक' पर टिप्पणी कीजिये।
- प्रश्न- हरबर्ट साइमन द्वारा 'प्रशासन की कहावत' किन्हें कहा गया है और क्यों?
- प्रश्न- ऐल्टन मेयो को मानव सम्बन्ध उपागम के प्रवर्तकों में शामिल किया जाता है, क्यों?
- प्रश्न- निर्णयन के अवसरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निर्णयन के लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रतिबद्ध नौकरशाही की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण का आशय स्पष्ट कीजिए। सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण में अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सूत्र या पंक्ति अभिकरण से क्या आशय है एवं सूत्र (लाइन) या पंक्ति अभिकरणों की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रशासन में स्टाफ अभिकरण के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्टाफ अभिकरणों के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्टाफ अभिकरण के विभिन्न रूपों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सहायक अभिकरण का अर्थ स्पष्ट कीजिए एवं स्टाफ अभिकरण से इनकी भिन्नता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मुख्य प्रशासक की प्रशासन में क्या स्थिति है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बजट से आप क्या समझते हैं? इसे परिभाषित कीजिए। भारत में बजट कैसे तैयार किया जाता है?
- प्रश्न- बजट किसे कहते है? एक स्वस्थ बजट के महत्वपूर्ण सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- भारत में केन्द्रीय बजट का निर्माण किस प्रकार होता है?
- प्रश्न- वित्त विधेयक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वित्त विधेयक के सम्बन्ध में राष्ट्रपति के विशेषाधिकार को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बजट का महत्व बताइए।
- प्रश्न- भारत में बजट के क्रियान्वयन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बजट के कार्य बताइये।
- प्रश्न- बजट के प्रकार लिखिए।
- प्रश्न- वित्त आयोग के कार्य बताइए।
- प्रश्न- योजना आयोग का प्रशासनिक ढाँचा क्या है?
- प्रश्न- शून्य आधारित बजट का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? नवीन लोक प्रशासन के उदय के कारण बताते हुए इसकी दार्शनिक पृष्ठभूमि का वर्णन कीजिए तथा नवीन लोक प्रशासन एवं दार्शनिक पृष्ठभूमि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के लक्ष्य को स्पष्ट करते हुए इसके लक्षणों का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रबन्ध के अभ्युदय कैसे हुआ? नवीन लोक प्रबन्ध की मुख्य विशेषताएँ बताते हुए इसके अंतर्गत सरकार की भूमिका में आए बदलावों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन की भावी सम्भावनाओं को व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- नव लोक प्रशासन का उदय किन परिस्थितियों में हुआ?
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के प्रमुख तत्व कौन से हैं?
- प्रश्न- 'नवीन लोक प्रबन्ध' दृष्टिकोण के हानिकारक पक्षों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण के समर्थक क्या आलोचना करते हैं?
- प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की हरबर्ट साइमन द्वारा प्रस्तुत आलोचना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रशासकीय कानून का क्या अर्थ है? प्रशासकीय कानून के विकास के प्रमुख कारण बतलाइए।
- प्रश्न- प्रशासकीय अधिनिर्णय का क्या अर्थ है? इसके विकास के प्रमुख कारणों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में जन शिकायतों के निस्तारण हेतु ओम्बड्समैन की स्थापना हेतु किए गए प्रयासों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण से क्या तात्पर्य है? कोई न्यायालय प्रशासन के कार्यों को किस प्रकार अवैध घोषित कर सकता है?
- प्रश्न- भारत में प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण के विभिन्न साधनों का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- भारत में प्रशासकीय न्यायाधिकरणों को कितने वर्गों में विभाजित किया गया है?
- प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों से क्या लाभ हैं?
- प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों की हानियाँ बताइए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के आधुनिक उपागमों को बताइये तथा व्यवहारवादी उपागमन को सविस्तार समझाइये।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के व्यवस्था उपागम का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के संरचनात्मक कार्यात्मक उपागम की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के पारिस्थितिकी उपागम का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सुशासन से आप का क्या आशय है? सुशासन की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय क्षेत्र में सुशासन स्थापित करने की प्रमुख चुनौतियाँ कौन-कौन सी हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सुशासन की स्थापना हेतु किये गये प्रयासों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन से क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन से आप क्या समझते हैं? विकास प्रशासन के विभिन्न सन्दर्भों का उल्लेख करें।
- प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के उद्भव व विकास को समझाते हुए विकास की विभिन्न रणनीतियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन के विभिन्न तत्वों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रकृति एवं साधन बताइए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन के सामान्य अभिप्राय के सम्बन्ध में प्रमुख विवादों (भ्रमों) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकासात्मक नीतियों को लागू करने में विकास प्रशासन कहाँ तक उपयोगी है?
- प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन के 'स्थानिक आयाम' को समझाइए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के विकास के दूसरे चरण में विकास सम्बन्धी कि मान्यताओं का उदय हुआ?
- प्रश्न- विकास प्रशासन के समय अभिमुखी आयाम पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन और प्रशासनिक विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- राजनीतिक और स्थायी कार्यपालिका से आप क्या समझते हैं और उनके मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय प्रशासन के विकास का विश्लेषणात्मक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजनीति क्या है? मानव सामाजिकता में राजनीतिक भूमिका लिखिए।
- प्रश्न- वर्तमान भारतीय प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।