लोगों की राय

बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2796
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान : लोक प्रशासन

प्रश्न- नौकरशाही की विशेषताएँ अथवा लक्षणों को बताइये।

अथवा
नौकरशाही की सात विशेषताएँ।
अथवा
नौकरशाही की विशेषताएँ सविस्तार लिखिए।

उत्तर -

लोक प्रशासन के प्रशासनिक शब्दावली में नौकरशाही शब्द जितना सुपरिचित तथा सामान्य प्रयोग में आने वाला शब्द है उससे कहीं अधिक बदनाम तथा अप्रिय भी है। नौकरशाही लोक सेवाओं के दोषों की ओर संकेत करता है। सामान्य तौर पर इस वाक्य का यही अर्थ निकलता है कि नागरिक सेवा के कर्मचारी लालफीताशाही के दोष से मुक्त नहीं हैं तथा वे जनता की उपेक्षा करते हैं। नियमों तथा कानूनों का अपने स्वार्थ के लिए कठोरता एवं शिथिलता से पालन करते हैं तथा कार्यों में अनावश्यक विलम्ब करते हैं। इससे भ्रष्टाचार तथा इसके जैसी अनेकों बुराइयों को बढ़ावा मिलता है। नौकरशाही एक कार्यकुशल, प्रशिक्षित तथा कर्त्तव्यनिष्ठ सरकारी कर्मचारियों का विशिष्ट संगठन है, जिसमें पदसोपान तथा आज्ञा की एकता के सिद्धान्त का सैद्धान्तिक रूप से पालन किया जाता है।

नौकरशाही की विशेषताएँ अथवा लक्षण

मैक्सवेबर ने अपने आदर्श रूप प्रतिमान में नौकरशाही की निम्न विशेषताएँ अथवा लक्षण बताए हैं-

(1) पद एवं पदाधिकारी का पृथक्ककरण
(2) योग्यताओं के आधार पर चयन
(3) अधिकारियों को निश्चित पारिश्रमिक
(4) कार्यालय के कार्यो को करते समय कार्मिकों में अनुशासन,
(5) पदों की पदसोपान व्यवस्था
(6) संगठन के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु कार्यों का विभाजन
(7) इन कार्यों के लिए अपेक्षित सत्ता का पदत्तीकरण
(8) नियमों का कठोरता से पालन।

कार्ल जे. फ्रेडरिक ने भी नौकरशाही के निम्नलिखित छः लक्षण अथवा विशेषताएँ बतलायी हैं-

(1) कार्यों का विभिन्नीकरण
(2) पद के लिए योग्यताएँ
(3) पदसोपान क्रम का संगठन तथा अनुशासन
(4) कार्य की वस्तुनिष्ठता
(5) लालफीताशाही
(6) प्रशासकीय कार्यों के सम्बन्ध में गुप्तता।

इस प्रकार नौकरशाही स्पष्ट श्रम विभाजन, पदसोपान अनुशासन, नियमबद्धता योग्यता तथा विशेषज्ञता आजीविका, निश्चित वेतन एवं पेंशन पाने वाले कुशल कार्मिकों का पर्याय मानी जाती है।

नौकरशाही के कुछ प्रमुख लक्षण अथवा विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

(1) कानून व नियम में अटूट विश्वास - नौकरशाही का कानून व नियम में अटूट विश्वास होता है। उसको प्रारम्भ से ही इस बात का प्रशिक्षण दिया जाता है कि जो भी कार्य किया जाए कानून व नियम के अन्तर्गत ही किया जाय। लोकतन्त्र में कानून को सर्वोच्च स्थान दिया जाता है क्योंकि यह समझा जाता है कि कानून सार्वजनिक इच्छा का प्रतीक है और नौकरशाही जो भी कार्य करती है वह कानून के अनुसार ही करती है। चाहे वो कार्य किसी के हित में हो या नहीं।

(2) प्रत्येक पद के लिए निर्धारित प्राधिकार - नौकरशाही में प्रत्येक नौकरशाह के अधिकार एवं सत्ता परिभाषित और निर्धारित होती है। वह सत्ता से बाहर कार्य करने की स्थिति में नहीं होता। उदाहरण के लिए एक जिले का अधिकारी दूसरे जिले में अपने अधिकारों का प्रयोग नहीं कर सकता और न ही एक विभाग का अधिकारी दूसरे विभाग में अपना हस्तक्षेप कर सकता है। नौकरशाही में कार्य अथवा उत्तरदायित्व के क्षेत्र को कठोरता के साथ परिभाषित विशेषीकृत और उप-विशेषीकृत कर दिया जाता है।

(3) प्राविधिक विशेषता - नौकरशाही के काम करने का एक विशिष्ट ढंग होता है वर्षों से जो संगठन कार्यरत रहता है उस संगठन की अपनी अलग एक विशेषता होती है उस विशेषता को वही लोग जानते हैं जो नौकरशाही के अंग हैं। एक सरकारी कर्मचारी अपना सारा जीवन एक विशिष्ट कार्य में ही बिता देता है। यह तथ्य उसमें एक विशेषता का भाव पैदा कर देता है।

(4) सत्ता का आधार - राज्य व शासन का कानून नौकरशाही जो भी कार्य करती है उस कार्य को करने का अधिकार उस शासन से प्राप्त होता है। सामान्य नागरिक यदि नौकरशाही के किसी अंग के विरुद्ध आवाज उठाता है तो यह समझा जाता है कि उस नागरिक ने देश के कानून को अपने हाथ में ले लिया है। सरकारी कर्मचारी के कार्य में बाधा डालने का अर्थ है कानून का उल्लंघन। इस स्थिति से शासकीय कर्मचारियों को सुरक्षा का एक कवच मिल जाता है जिससे वह निर्भय होकर स्वेच्छा से काम कर सकता है।

(5) आजीविका अर्जित करने वालों का समूह - नौकरशाही में लोक सेवकों का उद्देश्य आजीविका अर्जन होता है न कि लोकसेवा। उन्हें उनके कार्य के लिए ही वेतन दिया जाता है। नौकरशाही के अन्तर्गत कार्य करने वाला कार्मिक वर्ग आजीविका अर्जित करने वालों का एक ऐसा समूह होता है जो लोकहित की अपेक्षा स्वयं के हित के लिए कार्य करते हैं तथा इन कर्मचारियों को उनके कार्य के लिए वेतन दिया जाता है।

(6) राजनीतिक तटस्थता - लोकसेवा के सदस्य राजनीतिक दलबन्दी में सक्रिय रूप से भाग नहीं लेते। ये सदस्य राजनीतिक दलों के सदस्य नहीं होते, राजनीतिक आन्दोलन और निर्वाचन में भाग नहीं लेते। किसी भी दल की सरकार सत्ता में हो उनका कार्य सरकार की नीतियों का क्रियान्वयन करना होता है।

(7) पद सोपान - लोक सेवाओं का संगठन पदसोपान के सिद्धान्त पर आधारित होता है। पदसोपान का अर्थ है उच्चतर अधिकारियों द्वारा निम्नतर कर्मचारियों पर शासन या आदेश-निर्देश का प्रेषण। यह एक क्रमिक संगठन है जिसमें निम्न स्तरीय कार्मिक उच्च-स्तरीय पदाधिकारी के प्रति उत्तरदायी रहते हैं।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- 'लोक प्रशासन' के अर्थ और परिभाषाओं की विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- लोक प्रशासन की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
  3. प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- लोकतांत्रिक प्रशासन की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  5. प्रश्न- प्रशासन' शब्द का प्रयोग सामान्य रूप से किन प्रमुख अर्थों में किया जाता है?
  6. प्रश्न- "लोक प्रशासन एक नीति विज्ञान है" यह किन आधारों पर कहा जा सकता है?
  7. प्रश्न- लोक प्रशासन का महत्व बताइए।
  8. प्रश्न- प्रशासन के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
  9. प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र का 'पोस्डकोर्ब दृष्टिकोण' की व्यख्या कीजिये।
  10. प्रश्न- लोक प्रशासन को विज्ञान न मानने के क्या कारण हैं?
  11. प्रश्न- एक अच्छे प्रशासन के गुण बताइए।
  12. प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की चुनौतियाँ बताइये।
  13. प्रश्न- 'लोक प्रशासन में सैद्धान्तीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति', टिप्पणी कीजिए।
  14. प्रश्न- कार्मिक प्रशासन के मूल तत्व क्या हैं?
  15. प्रश्न- राजनीतिज्ञ एवं प्रशासक के मध्य अन्तर लिखिए।
  16. प्रश्न- शासन एवम् प्रशासन में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  17. प्रश्न- अनुशासन से क्या तात्पर्य है? लोक प्रशासन में अनुशासन के महत्व को दर्शाइए।
  18. प्रश्न- भारत में लोक सेवकों के आचरण को अनुशासित बनाने के लिए किए गए प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- लोक सेवकों को अनुशासन में बनाए रखने के लिए उन पर लगाए गए प्रतिबन्धों का वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- किसी संगठन में अनुशासन के योगदान पर टिप्पणी लिखिए।
  21. प्रश्न- प्रशासन में अनुशासनहीनता को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारण कौन-कौन से हैं?
  22. प्रश्न- "अनुशासन में गिरावट लोक प्रशासन के लिए चुनौती" इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  23. प्रश्न- लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? निजी प्रशासन लोक प्रशासन से किस प्रकार भिन्न है?
  24. प्रश्न- "लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन में अनेकों असमानताएँ होने के बावजूद कुछ ऐसे बिन्दू भी हैं जो उनके बीच समानताएँ प्रदर्शित करते हैं।' कथन का परीक्षण कीजिए।
  25. प्रश्न- निजी प्रशासन में लोक प्रशासन की अपेक्षा भ्रष्टाचार की सम्भावनाएँ कम है, कैसे?
  26. प्रश्न- निजी प्रशासन के नकारात्मक पक्षों पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  27. प्रश्न- लोक प्रशासन की तुलना में निजी प्रशासन में राजनीतिकरण की सम्भावनाएँ न्यूनतम हैं, कैसे?-
  28. प्रश्न- निजी प्रशासन के दो प्रमुख लाभ बताइए।
  29. प्रश्न- लोक प्रशासन के महत्व पर विवेचना कीजिए।
  30. प्रश्न- आधुनिक राज्यों में लोक प्रशासन के विभिन्न रूपों को स्पष्ट कीजिए।
  31. प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- संगठन का अर्थ स्पष्ट करते हुए, इसके आधारों को स्पष्ट कीजिए।
  33. प्रश्न- संगठन के आधारों को स्पष्ट कीजिए।
  34. प्रश्न- संगठन के प्रकारों को स्पष्ट कीजिए। औपचारिक संगठन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  35. प्रश्न- औपचारिक संगठन की विशेषताएँ बताइये।
  36. प्रश्न- अनौपचारिक संगठन से आप क्या समझते हैं? इनकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  37. प्रश्न- औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  38. प्रश्न- संगठन की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- संगठन के यान्त्रिक अथवा शास्त्रीय दृष्टिकोण (उपागम) को स्पष्ट कीजिए।
  40. प्रश्न- पदसोपान प्रणाली के गुण व दोष बताते हुए इसका मूल्यांकन कीजिए।
  41. प्रश्न- संगठन के आदेश की एकता सिद्धान्त की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  42. प्रश्न- आदेश की एकता सिद्धान्त के गुण बताते हुए इसकी समालोचनाओं पर भी प्रकाश डालिए।
  43. प्रश्न- 'प्रत्यायोजन' से आप क्या समझते हैं? प्रत्यायोजन को परिभाषित करते हुए इसकी आवश्यकता एवं महत्व को बताइए।
  44. प्रश्न- प्रत्यायोजन के विभिन्न सिद्धान्तों एवं प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
  45. प्रश्न- संगठन के सिद्धान्तों के विशेष सन्दर्भ में प्रशासन को लूथर गुलिक एवं लिंडल उर्विक के योगदान की विवेचना कीजिए।
  46. प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र में एल्टन मेयो द्वारा प्रस्तुत मानव सम्बन्ध उपागम पर प्रकाश डालिए।
  47. प्रश्न- हरबर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सम्बन्धी मॉडल की व्याख्या कीजिए।
  48. प्रश्न- हर्बर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सिद्धान्त का लोक प्रशासन में महत्व पर प्रकाश डालिए।
  49. प्रश्न- नौकरशाही का अर्थ बताइये और परिभाषाएँ दीजिए।
  50. प्रश्न- नौकरशाही की विशेषताएँ अथवा लक्षणों को बताइये।
  51. प्रश्न- निर्णयन का क्या अर्थ है? प्रशासन में निर्णयन प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- हेनरी फेयाफल द्वारा उल्लिखित किये गये संगठन के सिद्धान्तों को बताइए।
  53. प्रश्न- 'गेंगप्लांक' पर टिप्पणी कीजिये।
  54. प्रश्न- हरबर्ट साइमन द्वारा 'प्रशासन की कहावत' किन्हें कहा गया है और क्यों?
  55. प्रश्न- ऐल्टन मेयो को मानव सम्बन्ध उपागम के प्रवर्तकों में शामिल किया जाता है, क्यों?
  56. प्रश्न- निर्णयन के अवसरों का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- निर्णयन के लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- प्रतिबद्ध नौकरशाही की विवेचना कीजिए।
  59. प्रश्न- सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण का आशय स्पष्ट कीजिए। सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण में अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  60. प्रश्न- सूत्र या पंक्ति अभिकरण से क्या आशय है एवं सूत्र (लाइन) या पंक्ति अभिकरणों की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- प्रशासन में स्टाफ अभिकरण के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- स्टाफ अभिकरणों के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  63. प्रश्न- स्टाफ अभिकरण के विभिन्न रूपों पर प्रकाश डालिए।
  64. प्रश्न- सहायक अभिकरण का अर्थ स्पष्ट कीजिए एवं स्टाफ अभिकरण से इनकी भिन्नता पर प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- मुख्य प्रशासक की प्रशासन में क्या स्थिति है? स्पष्ट कीजिए।
  66. प्रश्न- बजट से आप क्या समझते हैं? इसे परिभाषित कीजिए। भारत में बजट कैसे तैयार किया जाता है?
  67. प्रश्न- बजट किसे कहते है? एक स्वस्थ बजट के महत्वपूर्ण सिद्धान्त बताइए।
  68. प्रश्न- भारत में केन्द्रीय बजट का निर्माण किस प्रकार होता है?
  69. प्रश्न- वित्त विधेयक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  70. प्रश्न- वित्त विधेयक के सम्बन्ध में राष्ट्रपति के विशेषाधिकार को स्पष्ट कीजिए।
  71. प्रश्न- बजट का महत्व बताइए।
  72. प्रश्न- भारत में बजट के क्रियान्वयन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  73. प्रश्न- बजट के कार्य बताइये।
  74. प्रश्न- बजट के प्रकार लिखिए।
  75. प्रश्न- वित्त आयोग के कार्य बताइए।
  76. प्रश्न- योजना आयोग का प्रशासनिक ढाँचा क्या है?
  77. प्रश्न- शून्य आधारित बजट का वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? नवीन लोक प्रशासन के उदय के कारण बताते हुए इसकी दार्शनिक पृष्ठभूमि का वर्णन कीजिए तथा नवीन लोक प्रशासन एवं दार्शनिक पृष्ठभूमि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  79. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के लक्ष्य को स्पष्ट करते हुए इसके लक्षणों का परीक्षण कीजिए।
  81. प्रश्न- नवीन लोक प्रबन्ध के अभ्युदय कैसे हुआ? नवीन लोक प्रबन्ध की मुख्य विशेषताएँ बताते हुए इसके अंतर्गत सरकार की भूमिका में आए बदलावों पर प्रकाश डालिए।
  82. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन की भावी सम्भावनाओं को व्यक्त कीजिए।
  83. प्रश्न- नव लोक प्रशासन का उदय किन परिस्थितियों में हुआ?
  84. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के प्रमुख तत्व कौन से हैं?
  85. प्रश्न- 'नवीन लोक प्रबन्ध' दृष्टिकोण के हानिकारक पक्षों पर प्रकाश डालिए।
  86. प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण के समर्थक क्या आलोचना करते हैं?
  87. प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की हरबर्ट साइमन द्वारा प्रस्तुत आलोचना पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- प्रशासकीय कानून का क्या अर्थ है? प्रशासकीय कानून के विकास के प्रमुख कारण बतलाइए।
  89. प्रश्न- प्रशासकीय अधिनिर्णय का क्या अर्थ है? इसके विकास के प्रमुख कारणों का विवेचन कीजिए।
  90. प्रश्न- भारत में जन शिकायतों के निस्तारण हेतु ओम्बड्समैन की स्थापना हेतु किए गए प्रयासों की विवेचना कीजिए।
  91. प्रश्न- प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण से क्या तात्पर्य है? कोई न्यायालय प्रशासन के कार्यों को किस प्रकार अवैध घोषित कर सकता है?
  92. प्रश्न- भारत में प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण के विभिन्न साधनों का परीक्षण कीजिए।
  93. प्रश्न- भारत में प्रशासकीय न्यायाधिकरणों को कितने वर्गों में विभाजित किया गया है?
  94. प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों से क्या लाभ हैं?
  95. प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों की हानियाँ बताइए।
  96. प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के आधुनिक उपागमों को बताइये तथा व्यवहारवादी उपागमन को सविस्तार समझाइये।
  97. प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के व्यवस्था उपागम का वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- लोक प्रशासन के संरचनात्मक कार्यात्मक उपागम की व्याख्या कीजिए।
  99. प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के पारिस्थितिकी उपागम का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- सुशासन से आप का क्या आशय है? सुशासन की विशेषताएँ लिखिए।
  101. प्रश्न- भारतीय क्षेत्र में सुशासन स्थापित करने की प्रमुख चुनौतियाँ कौन-कौन सी हैं? स्पष्ट कीजिए।
  102. प्रश्न- भारत में सुशासन की स्थापना हेतु किये गये प्रयासों पर प्रकाश डालिए।
  103. प्रश्न- विकास प्रशासन से क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
  104. प्रश्न- विकास प्रशासन से आप क्या समझते हैं? विकास प्रशासन के विभिन्न सन्दर्भों का उल्लेख करें।
  105. प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के उद्भव व विकास को समझाते हुए विकास की विभिन्न रणनीतियों की विवेचना कीजिए।
  106. प्रश्न- विकास प्रशासन के विभिन्न तत्वों की विवेचना कीजिए।
  107. प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रकृति एवं साधन बताइए।
  108. प्रश्न- विकास प्रशासन के सामान्य अभिप्राय के सम्बन्ध में प्रमुख विवादों (भ्रमों) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  109. प्रश्न- विकासात्मक नीतियों को लागू करने में विकास प्रशासन कहाँ तक उपयोगी है?
  110. प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
  111. प्रश्न- विकास प्रशासन के 'स्थानिक आयाम' को समझाइए।
  112. प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के विकास के दूसरे चरण में विकास सम्बन्धी कि मान्यताओं का उदय हुआ?
  113. प्रश्न- विकास प्रशासन के समय अभिमुखी आयाम पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  114. प्रश्न- विकास प्रशासन और प्रशासनिक विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  115. प्रश्न- राजनीतिक और स्थायी कार्यपालिका से आप क्या समझते हैं और उनके मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  116. प्रश्न- भारतीय प्रशासन के विकास का विश्लेषणात्मक वर्णन कीजिए।
  117. प्रश्न- राजनीति क्या है? मानव सामाजिकता में राजनीतिक भूमिका लिखिए।
  118. प्रश्न- वर्तमान भारतीय प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book