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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2796
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान : लोक प्रशासन

प्रश्न- विकास प्रशासन के विभिन्न तत्वों की विवेचना कीजिए।

उत्तर -

विकास प्रशासन के विभिन्न तत्व - वर्तमान युग लोकतान्त्रिक व्यवस्थाओं का युग है और राज्य की भूमिका एवं कार्यक्षेत्र में कल्याणकारी राज्य के रूप में अत्यधिक वृद्धि हुई है। ऐसे में राज्य के विविध कार्यों योजनाओं व नीतियों के क्रियान्वयन में प्रशासन की भूमिका महत्वपूर्ण होती जा रही है। इन्हीं नवीन भूमिकाओं और कार्यों के सन्दर्भ में विकास प्रशासन की धारणा का अभ्युदय हुआ है। विकास प्रशासन, प्रशासन का वह रूप है, जोकि प्रशासनिक कार्यों का संचालन विकास के सन्दर्भों में करता है। विकास प्रशासन का सम्बन्ध केवल कानून व व्यवस्था तक सीमित नहीं है, यह सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक सन्दर्भों में भी महत्वपूर्ण भूमिका में दृष्टिगोचर होता है।

अतः उक्त परिप्रेक्ष्य में विकास प्रशासन के निम्नलिखित महत्वपूर्ण तत्वों का उल्लेख किया जा सकता है-

1. प्रबन्धकीय तत्व - विकास प्रशासन को विभिन्न कार्यों व योजनाओं का प्रबन्धन करना होता है। अतः प्रबन्धकीय तत्व' विकास प्रशासन का महत्वपूर्ण तत्व है। विकास प्रशासन का सरोकार विभिन्न विकास सम्बन्धी योजनाओं के विकास के प्रबन्धन से है। इसे विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं एवं विकासपरक कार्यक्रमों के प्रबन्धन के साथ-साथ पूर्व स्थापित दिशा-निर्देशों को भी मानना होता है तथा उन्हें क्रियान्वित करना होता है। इसके साथ-साथ विकास प्रशासन को विभिन्न विकासपरक कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में आने वाली कानूनी अपरिहार्यताओं व आवश्यकताओं का भी आवश्यक रूप से पालन करना पड़ता है, ताकि विकासपरक योजनाओं व कार्यक्रमों को सरलतापूर्वक पूर्वनियोजित कार्यक्रम के तहत पर्याप्त व प्रभावी रूप से क्रियान्वित किया जा सके। विभिन्न दिशा-निर्देशों का पालन करना विकास प्रशासन के लिये इसलिये भी आवश्यक है, ताकि कार्यक्रम या योजना में रुकावट, भ्रष्टाचार, त्रुटियाँ एवं वित्तीय अनियमितता जैसी समस्याओं का आविर्भाव न हो और कार्यक्रम को प्रभावकारी ढंग से संचालित किया जा सके।

इस प्रकार स्पष्ट है कि विकास प्रशासन को एक साथ विभिन्न दिशा-निर्देशों व अपरिहार्यताओं का पालन करना होता है और इन सबके साथ विकासपरक योजनाओं के संचालन हेतु कुशल प्रबन्धन करना होता है। अतः 'प्रबन्धकीय तत्व' विकास प्रशासन का महत्वपूर्ण तत्व है।

2. व्यापकता सम्बन्धी तत्व - इस तत्व का सम्बन्ध सरकार के व्यापक नियोजन संसाधनों के उपभोग और नीतियों पर केन्द्रित होने से है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में सरकार को समाज के बड़े हिस्से तक संसाधनों के समान वितरण का उत्तरदायित्व निभाना होता है। विकास का लाभ प्रत्येक स्तर तक पहुँचाना होता है। ऐसे में सरकार की नीतियों व योजनाओं को क्रियान्वित करने वाले उपकरण के रूप में प्रशासन का भी सम्बन्ध इन व्यापक कार्ययोजनाओं व नीतियों से गहरा सम्बन्ध है। इस तत्व के अन्तर्गत जनता सरकार के इरादों व नीतियों का परीक्षण करती है। सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं कार्यक्रमों का जनता द्वारा आंकलन किया जाता है। ऐसे में प्रशासन को तत्परता व दक्षता के साथ तीव्र गति से इनका क्रियान्वयन करना होता है, जिसके चलते प्रशासन के कार्यक्षेत्र में अति व्यापकता आ जाती है और विकास प्रशासन को अति कार्यदक्ष व कार्यकुशल बनना होता है। तमाम योजनाओं और कार्यक्रमों का लाभ जनता तक प्रशासन द्वारा ही पहुँचाया जा सकता है। ऐसे में यदि प्रशासन का नजरिया व्यापक नहीं है तो यह योजनाएँ व कार्यक्रम मजाक का विषय बनकर रह जाते हैं और सरकार को आलोचना व जन-विरोध का सामना करना पड़ता है। 'रिग्स' ने व्यापक तत्व की व्याख्या करते हुए यह उल्लिखित किया है कि विकास प्रशासन को महज औपचारिकताओं व विधिक निर्देशों के अनुपालन तक सीमित नहीं रहना होता, अपितु इसे व्यापक दृष्टिकोण अपनाते हुए बहुआयामी व व्यापक स्तर पर विविध रचनात्मक कार्यों को कुशलतापूर्वक करना होता है।

3. सामाजिक तत्व - एक अच्छे राष्ट्र के निर्माण का एक अति महत्वपूर्ण तत्व सामाजिक तत्व है। विकास प्रशासन का भी इस तत्व से गहरा सरोकार है। 'सामाजिक तत्व' की यह मांग है कि विकास में सभी लोगों की सक्रियता व सम्बद्धता होनी चाहिए। जन सहयोग व सहभागिता को विकास में समान रूप से जोड़ने हेतु सरकार को भी इस ओर पूर्ण ध्यान देना होता है। 'रिग्स' ने सामाजिक तत्व की उपयोगिता को विकास के सन्दर्भों से जोड़ते हुए एक सूत्र दिया है। यह सूत्र राष्ट्र निर्माण हेतु राज्य की दक्षता व क्षमता को दर्शाता है, जोकि सामाजिक तत्व के सदुपयोग पर आधारित है। रिग्स का सूत्र है - विविधता + समन्वय = क्षमता, यहाँ विविधता से तात्पर्य समाज के विविध वर्गों व समुदायों से है और समन्वय से तात्पर्य इन तमाम वर्गों व समुदायों के निर्दिष्ट उद्देश्यों की पूर्ति हेतु परस्पर मिलकर कार्य करने से है। जब किसी राष्ट्र में समाज के विविध वर्ग व समुदाय मिलकर एकजुटता के साथ विकास की ओर अग्रसर होते हैं तो उस राष्ट्र की क्षमता में अभिवृद्धि होती है और अच्छे राष्ट्र का निर्माण होता है। अतः विकास प्रशासन को विविधता व समन्वय को साथ-साथ लाने में महत्वपूर्ण योगदान करना होता है।

4. राजनीतिक तत्व - विकास प्रशासन का एक अन्य महत्वपूर्ण तत्व राजनीतिक तत्व है। राजनीतिक तत्व का सम्बन्ध राजनीतिक दलों और सत्ता से है। विकास प्रशासन तभी कार्यकुशल हो सकता है जबकि राजनीतिक हस्तक्षेप व पक्षपात की स्थितियाँ न हो। जिन व्यक्तियों के पास शक्ति व सत्ता हो उन्हें जनता के मध्य से प्रतिनिधित्व के आधार पर आना चाहिए। सत्ता को समाज के सभी वर्गों की आवाज को समान रूप से सुनना चाहिए और राष्ट्र संचालन के लिए अच्छे नेताओं का आगे आना आवश्यक है। राष्ट्र में राजनीतिक स्थिरता का माहौल होना चाहिए। इस प्रकार राजनीतिक तत्व की विकास प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विकास प्रशासन अपने उद्देश्यों में तभी सफल हो सकता है जबकि राजनीतिक पर्यावरण पारदर्शी व अच्छा हो। राजनेता पक्षपाती न होकर ईमानदार व कार्यकुशल हों। प्रशासन के कार्यों में अनुचित राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।

अतः विकास प्रशासन के एक महत्वपूर्ण तत्त्व के रूप में राजनीतिक तत्व अत्यधिक महत्वपूर्ण तत्व है।

निष्कर्ष - उपर्युक्त सम्पूर्ण विवेचन के आधार पर स्पष्ट होता है कि विकास प्रशासन बहुआयामी व बहुपक्षीय है। इसे विकास के सन्दर्भ में प्रशासनिक कार्यों के संचालन करना होता है। अतः इसमें प्रबन्धकीय व्यापक राजनीतिक एवं सामाजिक तत्वों सहित विविध तत्वों का समावेश होता है। विकास प्रशासन को इन सभी तत्वों से प्रेरित व चालित होना पड़ता है। विकास प्रशासन की सफलता या असफलता के निर्धारण में इन तत्वों की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- 'लोक प्रशासन' के अर्थ और परिभाषाओं की विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- लोक प्रशासन की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
  3. प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- लोकतांत्रिक प्रशासन की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  5. प्रश्न- प्रशासन' शब्द का प्रयोग सामान्य रूप से किन प्रमुख अर्थों में किया जाता है?
  6. प्रश्न- "लोक प्रशासन एक नीति विज्ञान है" यह किन आधारों पर कहा जा सकता है?
  7. प्रश्न- लोक प्रशासन का महत्व बताइए।
  8. प्रश्न- प्रशासन के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
  9. प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र का 'पोस्डकोर्ब दृष्टिकोण' की व्यख्या कीजिये।
  10. प्रश्न- लोक प्रशासन को विज्ञान न मानने के क्या कारण हैं?
  11. प्रश्न- एक अच्छे प्रशासन के गुण बताइए।
  12. प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की चुनौतियाँ बताइये।
  13. प्रश्न- 'लोक प्रशासन में सैद्धान्तीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति', टिप्पणी कीजिए।
  14. प्रश्न- कार्मिक प्रशासन के मूल तत्व क्या हैं?
  15. प्रश्न- राजनीतिज्ञ एवं प्रशासक के मध्य अन्तर लिखिए।
  16. प्रश्न- शासन एवम् प्रशासन में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  17. प्रश्न- अनुशासन से क्या तात्पर्य है? लोक प्रशासन में अनुशासन के महत्व को दर्शाइए।
  18. प्रश्न- भारत में लोक सेवकों के आचरण को अनुशासित बनाने के लिए किए गए प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- लोक सेवकों को अनुशासन में बनाए रखने के लिए उन पर लगाए गए प्रतिबन्धों का वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- किसी संगठन में अनुशासन के योगदान पर टिप्पणी लिखिए।
  21. प्रश्न- प्रशासन में अनुशासनहीनता को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारण कौन-कौन से हैं?
  22. प्रश्न- "अनुशासन में गिरावट लोक प्रशासन के लिए चुनौती" इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  23. प्रश्न- लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? निजी प्रशासन लोक प्रशासन से किस प्रकार भिन्न है?
  24. प्रश्न- "लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन में अनेकों असमानताएँ होने के बावजूद कुछ ऐसे बिन्दू भी हैं जो उनके बीच समानताएँ प्रदर्शित करते हैं।' कथन का परीक्षण कीजिए।
  25. प्रश्न- निजी प्रशासन में लोक प्रशासन की अपेक्षा भ्रष्टाचार की सम्भावनाएँ कम है, कैसे?
  26. प्रश्न- निजी प्रशासन के नकारात्मक पक्षों पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  27. प्रश्न- लोक प्रशासन की तुलना में निजी प्रशासन में राजनीतिकरण की सम्भावनाएँ न्यूनतम हैं, कैसे?-
  28. प्रश्न- निजी प्रशासन के दो प्रमुख लाभ बताइए।
  29. प्रश्न- लोक प्रशासन के महत्व पर विवेचना कीजिए।
  30. प्रश्न- आधुनिक राज्यों में लोक प्रशासन के विभिन्न रूपों को स्पष्ट कीजिए।
  31. प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- संगठन का अर्थ स्पष्ट करते हुए, इसके आधारों को स्पष्ट कीजिए।
  33. प्रश्न- संगठन के आधारों को स्पष्ट कीजिए।
  34. प्रश्न- संगठन के प्रकारों को स्पष्ट कीजिए। औपचारिक संगठन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  35. प्रश्न- औपचारिक संगठन की विशेषताएँ बताइये।
  36. प्रश्न- अनौपचारिक संगठन से आप क्या समझते हैं? इनकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  37. प्रश्न- औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  38. प्रश्न- संगठन की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- संगठन के यान्त्रिक अथवा शास्त्रीय दृष्टिकोण (उपागम) को स्पष्ट कीजिए।
  40. प्रश्न- पदसोपान प्रणाली के गुण व दोष बताते हुए इसका मूल्यांकन कीजिए।
  41. प्रश्न- संगठन के आदेश की एकता सिद्धान्त की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  42. प्रश्न- आदेश की एकता सिद्धान्त के गुण बताते हुए इसकी समालोचनाओं पर भी प्रकाश डालिए।
  43. प्रश्न- 'प्रत्यायोजन' से आप क्या समझते हैं? प्रत्यायोजन को परिभाषित करते हुए इसकी आवश्यकता एवं महत्व को बताइए।
  44. प्रश्न- प्रत्यायोजन के विभिन्न सिद्धान्तों एवं प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
  45. प्रश्न- संगठन के सिद्धान्तों के विशेष सन्दर्भ में प्रशासन को लूथर गुलिक एवं लिंडल उर्विक के योगदान की विवेचना कीजिए।
  46. प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र में एल्टन मेयो द्वारा प्रस्तुत मानव सम्बन्ध उपागम पर प्रकाश डालिए।
  47. प्रश्न- हरबर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सम्बन्धी मॉडल की व्याख्या कीजिए।
  48. प्रश्न- हर्बर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सिद्धान्त का लोक प्रशासन में महत्व पर प्रकाश डालिए।
  49. प्रश्न- नौकरशाही का अर्थ बताइये और परिभाषाएँ दीजिए।
  50. प्रश्न- नौकरशाही की विशेषताएँ अथवा लक्षणों को बताइये।
  51. प्रश्न- निर्णयन का क्या अर्थ है? प्रशासन में निर्णयन प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- हेनरी फेयाफल द्वारा उल्लिखित किये गये संगठन के सिद्धान्तों को बताइए।
  53. प्रश्न- 'गेंगप्लांक' पर टिप्पणी कीजिये।
  54. प्रश्न- हरबर्ट साइमन द्वारा 'प्रशासन की कहावत' किन्हें कहा गया है और क्यों?
  55. प्रश्न- ऐल्टन मेयो को मानव सम्बन्ध उपागम के प्रवर्तकों में शामिल किया जाता है, क्यों?
  56. प्रश्न- निर्णयन के अवसरों का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- निर्णयन के लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- प्रतिबद्ध नौकरशाही की विवेचना कीजिए।
  59. प्रश्न- सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण का आशय स्पष्ट कीजिए। सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण में अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  60. प्रश्न- सूत्र या पंक्ति अभिकरण से क्या आशय है एवं सूत्र (लाइन) या पंक्ति अभिकरणों की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- प्रशासन में स्टाफ अभिकरण के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- स्टाफ अभिकरणों के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  63. प्रश्न- स्टाफ अभिकरण के विभिन्न रूपों पर प्रकाश डालिए।
  64. प्रश्न- सहायक अभिकरण का अर्थ स्पष्ट कीजिए एवं स्टाफ अभिकरण से इनकी भिन्नता पर प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- मुख्य प्रशासक की प्रशासन में क्या स्थिति है? स्पष्ट कीजिए।
  66. प्रश्न- बजट से आप क्या समझते हैं? इसे परिभाषित कीजिए। भारत में बजट कैसे तैयार किया जाता है?
  67. प्रश्न- बजट किसे कहते है? एक स्वस्थ बजट के महत्वपूर्ण सिद्धान्त बताइए।
  68. प्रश्न- भारत में केन्द्रीय बजट का निर्माण किस प्रकार होता है?
  69. प्रश्न- वित्त विधेयक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  70. प्रश्न- वित्त विधेयक के सम्बन्ध में राष्ट्रपति के विशेषाधिकार को स्पष्ट कीजिए।
  71. प्रश्न- बजट का महत्व बताइए।
  72. प्रश्न- भारत में बजट के क्रियान्वयन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  73. प्रश्न- बजट के कार्य बताइये।
  74. प्रश्न- बजट के प्रकार लिखिए।
  75. प्रश्न- वित्त आयोग के कार्य बताइए।
  76. प्रश्न- योजना आयोग का प्रशासनिक ढाँचा क्या है?
  77. प्रश्न- शून्य आधारित बजट का वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? नवीन लोक प्रशासन के उदय के कारण बताते हुए इसकी दार्शनिक पृष्ठभूमि का वर्णन कीजिए तथा नवीन लोक प्रशासन एवं दार्शनिक पृष्ठभूमि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  79. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के लक्ष्य को स्पष्ट करते हुए इसके लक्षणों का परीक्षण कीजिए।
  81. प्रश्न- नवीन लोक प्रबन्ध के अभ्युदय कैसे हुआ? नवीन लोक प्रबन्ध की मुख्य विशेषताएँ बताते हुए इसके अंतर्गत सरकार की भूमिका में आए बदलावों पर प्रकाश डालिए।
  82. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन की भावी सम्भावनाओं को व्यक्त कीजिए।
  83. प्रश्न- नव लोक प्रशासन का उदय किन परिस्थितियों में हुआ?
  84. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के प्रमुख तत्व कौन से हैं?
  85. प्रश्न- 'नवीन लोक प्रबन्ध' दृष्टिकोण के हानिकारक पक्षों पर प्रकाश डालिए।
  86. प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण के समर्थक क्या आलोचना करते हैं?
  87. प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की हरबर्ट साइमन द्वारा प्रस्तुत आलोचना पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- प्रशासकीय कानून का क्या अर्थ है? प्रशासकीय कानून के विकास के प्रमुख कारण बतलाइए।
  89. प्रश्न- प्रशासकीय अधिनिर्णय का क्या अर्थ है? इसके विकास के प्रमुख कारणों का विवेचन कीजिए।
  90. प्रश्न- भारत में जन शिकायतों के निस्तारण हेतु ओम्बड्समैन की स्थापना हेतु किए गए प्रयासों की विवेचना कीजिए।
  91. प्रश्न- प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण से क्या तात्पर्य है? कोई न्यायालय प्रशासन के कार्यों को किस प्रकार अवैध घोषित कर सकता है?
  92. प्रश्न- भारत में प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण के विभिन्न साधनों का परीक्षण कीजिए।
  93. प्रश्न- भारत में प्रशासकीय न्यायाधिकरणों को कितने वर्गों में विभाजित किया गया है?
  94. प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों से क्या लाभ हैं?
  95. प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों की हानियाँ बताइए।
  96. प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के आधुनिक उपागमों को बताइये तथा व्यवहारवादी उपागमन को सविस्तार समझाइये।
  97. प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के व्यवस्था उपागम का वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- लोक प्रशासन के संरचनात्मक कार्यात्मक उपागम की व्याख्या कीजिए।
  99. प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के पारिस्थितिकी उपागम का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- सुशासन से आप का क्या आशय है? सुशासन की विशेषताएँ लिखिए।
  101. प्रश्न- भारतीय क्षेत्र में सुशासन स्थापित करने की प्रमुख चुनौतियाँ कौन-कौन सी हैं? स्पष्ट कीजिए।
  102. प्रश्न- भारत में सुशासन की स्थापना हेतु किये गये प्रयासों पर प्रकाश डालिए।
  103. प्रश्न- विकास प्रशासन से क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
  104. प्रश्न- विकास प्रशासन से आप क्या समझते हैं? विकास प्रशासन के विभिन्न सन्दर्भों का उल्लेख करें।
  105. प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के उद्भव व विकास को समझाते हुए विकास की विभिन्न रणनीतियों की विवेचना कीजिए।
  106. प्रश्न- विकास प्रशासन के विभिन्न तत्वों की विवेचना कीजिए।
  107. प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रकृति एवं साधन बताइए।
  108. प्रश्न- विकास प्रशासन के सामान्य अभिप्राय के सम्बन्ध में प्रमुख विवादों (भ्रमों) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  109. प्रश्न- विकासात्मक नीतियों को लागू करने में विकास प्रशासन कहाँ तक उपयोगी है?
  110. प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
  111. प्रश्न- विकास प्रशासन के 'स्थानिक आयाम' को समझाइए।
  112. प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के विकास के दूसरे चरण में विकास सम्बन्धी कि मान्यताओं का उदय हुआ?
  113. प्रश्न- विकास प्रशासन के समय अभिमुखी आयाम पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  114. प्रश्न- विकास प्रशासन और प्रशासनिक विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  115. प्रश्न- राजनीतिक और स्थायी कार्यपालिका से आप क्या समझते हैं और उनके मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  116. प्रश्न- भारतीय प्रशासन के विकास का विश्लेषणात्मक वर्णन कीजिए।
  117. प्रश्न- राजनीति क्या है? मानव सामाजिकता में राजनीतिक भूमिका लिखिए।
  118. प्रश्न- वर्तमान भारतीय प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।

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