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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2795
आईएसबीएन :0

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तुलनात्मक सरकार और राजनीति : यू के, यू एस ए, स्विटजरलैण्ड, चीन

प्रश्न- चीन में न्याय व्यवस्था की प्रमुख विशेषतायें बताते हुये न्यायपालिका के संगठन एवं उसकी शक्तियों का वर्णन कीजिए।

सम्बन्धित लघु / अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. जनवादी चीन की न्याय व्यवस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
2. चीन की न्यायपालिका के संगठन का वर्णन कीजिए।
3. चीन के सर्वोच्च न्यायालय पर टिप्पणी लिखिए।
4. चीन जन उच्च न्यायालय पर टिप्पणी लिखिए।
5. चीन में पीपुल्स कोर्ट की क्या शक्तियाँ व कार्य हैं?

उत्तर -

जनवादी चीन की न्याय व्यवस्था की विशेषतायें

जनवादी चीन की न्याय व्यवस्था की मुख्य विशेषताएं निम्नवत है-

1. चूँकि जनवादी चीन की शासन व्यवस्था में शक्ति पृथक्करण का सिद्धान्त प्रचलित नहीं है। अतः यहाँ न्याय व्यवस्था का वह रूप एवं प्रकृति देखने को नहीं मिलती जो अन्य लोकतांत्रिक देशों की न्याय व्यवस्था में दृष्टिगोचर होती है। चीन में न्याय व्यवस्था प्रशासन का ही एक अंग है।

2. चीन की न्याय व्यवस्था साम्यवादी सिद्धान्तों के अनुरूप है। साम्यवादी लक्ष्यों के अनुरूप ही न्याय व्यवस्था कार्य करती है। न्याय व्यवस्था में जो कानून प्रयुक्त होते हैं वे मार्क्सवादी अवधारणा से जन्म लेते हैं। इस तरह की प्रकृति के कानून स्वतन्त्र कानून के विचार की अवधारणा को अस्वीकार करते हैं। ये कानून राज्य के भौतिकवादी लक्ष्यों की पूर्ति के साधन मात्र होते हैं।

3. साम्यवादी सिद्धान्तों एवं व्यवस्था के अनुरूप चीन की न्याय व्यवस्था में व्यक्ति के हितों की अपेक्षा राज्य के हितों पर ही ध्यान दिया जाता है। राज्य के हित व्यक्ति के हितों को सीमित करते हैं। व्यक्ति राज्य के एक साधन के रूप में है। इस तरह यहाँ की न्याय व्यवस्था व्यक्तिगत स्वतन्त्रता पर वह बल नहीं देती जो लोकतंत्रात्मक देशों की न्याय व्यवस्था में है।

चीन में यद्यपि न्यायालय एवं कानून जनता के सेवार्थ है किन्तु जनता के हित का क्या है, इसका र्धार साम्यवादी दल करता है। इस तरह साम्यवादी दल की न्याय व्यवस्था पर सर्वोच्चता है। साम्यवादी दला यह प्रभाव न्याय व्यवस्था की स्वतंत्रता पर कुठाराघात है।

4. जनवादी चीन के जन न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति की विधि भी उसकी दुर्बलता एवं स्वतन्त्र कार्य न कर पाने की स्थिति की ओर पर्याप्त प्रकाश डालती है। न्यायाधीशों की नियुक्ति कांग्रेस एवं उसकी स्थायी समिति द्वारा की जाती है। स्थायी समिति इन्हें पदमुक्त भी कर सकती है। इस प्रकार कांग्रेस एवं स्थायी समिति सर्वोच्च जन न्यायालय के सभापति एवं उसके अधीनस्थ न्यायाधीशों पर अपने अंकुश की स्थापना करती है। न्यायाधीशों पर इस तरह का अंकुश उनकी स्वतन्त्र कार्य-प्रणाली पर कुठाराघात करता है। न्यायाधीशों की नियुक्ति एवं उन्हें पदमुक्त करने की उपरोक्त विधि न्यायालयों एवं न्यायाधीशों की दुर्बलता पर प्रकाश डालती है। इससे उनकी कार्य करने की स्वतन्त्रता भी अत्यन्त सीमित होती है। न्यायालय कांग्रेस एवं उसकी स्थायी समिति की इच्छानुसार कार्य करने के लिए बाध्य होते हैं। यह स्वतन्त्र तथा निष्पक्ष न्यायालय की भावना के प्रतिकूल है।

5. जनवादी चीन की न्यायपालिका स्वतन्त्र एवं सर्वोच्च नहीं है। इसे वे अधिकार नहीं प्राप्त हैं जो सामान्य तौर पर लोकतांत्रिक देशों के न्यायालयों को प्राप्त होते हैं चीन में न्यायालय संविधान की व्याख्या नहीं कर सकते। इसके साथ ही साथ इसे कानूनों को अवैध घोषित करने का भी अधिकार प्राप्त नहीं है। इतना ही नहीं चीन के न्यायालयों का नागरिकों के अधिकारों के अतिक्रमण होने पर उनकी रक्षा करने का भी अधिकार नहीं प्राप्त है। इस प्रकार चीन की न्याय पुनरीक्षण के अधिकार से विहीन न्यायपालिका संविधान के संरक्षक के रूप में कार्य नहीं कर पाती। चीन में संविधान की व्याख्या करने का अधिकार कांग्रेस की स्थायी समिति को प्राप्त है।

6. जनवादी चीन में सर्वोच्च जन न्यायालय कांग्रेस या उसकी स्थायी समिति के प्रति उत्तरदायी है। स्थानीय न्यायालय उन संस्थाओं के प्रति उत्तरदायी है जिनसे उनकी उत्पत्ति हुई है। न्यायालय इस प्रकार के उत्तरदायित्व के कारण अपनी स्वतन्त्रता पूरी तरह खो बैठते हैं। चीन मं किन्हीं विशेष मामलों को छोड़कर सभी मामलों की सुनवाई सार्वजनिक होने का प्रावधान है। साथ ही साथ न्यायालयों में स्थानीय भाषा के प्रयोग की पूर्ण स्वतंत्रता है।

7. जैसाकि चीन के सभी प्रशासनिक एवं विधायी अंगों में दृष्टिगोचर होता है, न्यायपालिका भी साम्यवादी विचारधारा एवं दल के प्रभाव से मुक्त नहीं है। न्यायपालिका की सम्पूर्ण कार्यवाही में साम्यवादी दल के प्रभाव को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। न्यायालयों का उद्देश्य ही साम्यवादी हितों की रक्षा करना एवं साम्यवादी लक्ष्यों का प्राप्त करना है। इसी कारण चीन में न्यायपालिका राज्य सत्ता के एक उपकरण के रूप में प्रयुक्त होती है। यही कारण है कि आन्तरिक राजनीति का उस पर प्रभाव पड़ता है। सच्चाई यह है कि चीन में जन न्यायालय शासन के निर्णयों को लागू करते हैं। चूंकि शासन में साम्यवादी दल का पूर्ण प्रभाव होता है अतः न्याय व्यवस्था भी उसके प्रभाव में होती है। यही कारण है कि चीन में पाश्चात्य देशों या लोकतांत्रिक देशों की 'न्यायपालिका की स्वतन्त्र स्थिति जैसी स्थिति नहीं है।

न्यायपालिका का संगठन (पीपुल्स कोर्ट)

जनवादी चीन में न्यायपालिका के दो अंग हैं प्रथम, विभिन्न स्तरों के जन न्यायालय जिसमें सर्वोच्च जन न्यायालय की उच्चतम न्यायालय की स्थिति है तथा द्वितीय, विभिन्न प्रशासनिक स्तरों के लिए जन प्रोक्यूरेटर। चीन में न्यायपालिका के ये दोनों अंग अन्तिम रूप में कांग्रेस एवं उसकी स्थायी समिति के प्रति उत्तरदायी हैं। जैसाकि वहाँ पर स्पष्ट किया जा चुका है कि न में शक्ति पृथक्करण का सिद्धान्त प्रचलन में नहीं है अतः न्यायपालिका शासन के एक अंग के रूप में पूर्ण करती है एवं उसे न्यायिक पुनरीक्षण का अधिकार भी प्राप्त नहीं है। यह कार्य कांग्रेस के अधिकार क्षेः पें है। जनवादी चीन में तीन प्रकार के न्यायालय हैं

1. सर्वोच्च जन न्यायाल - इसे चीन का सर्वोच्च न्यायालय समझा जा सकता है। विभिन्न स्तरों के जन न्यायालयों के शिखर पर यह न्यायालय स्थापित है। सर्वोच्च न्यायालय स्थानीय एवं विशेष जन न्यायालयों के कार्यों की देखरेख करता है। किन्तु चीन का यह सर्वोच्च जन न्यायालय संविधान के अनुच्छेद 128 के अनुसार राष्ट्रीय जन कांग्रेस एवं उसकी स्थायी समिति के प्रति उत्तरदायी होता है। विभिन्न स्तरों के स्थानीय न्यायालय राज्य की उन संस्थाओं के प्रति उत्तरदायी होते हैं जिनसे उनकी उत्पत्ति होती है।

सर्वोच्च जन न्यायालय के अध्यक्ष का निर्वाचन कांग्रेस के द्वारा 5 वर्ष की अवधि के लिए होता है। अध्यक्ष के परामर्श के अनुसार स्थायी समिति 5 वर्ष की अवधि के लिए सर्वोच्च जन न्यायालय के अन्य सदस्य न्यायाधीशों का चयन करती है। सर्वोच्च न्यायालय के अध्यक्ष को पदमुक्त करने का अधिकार कांग्रेस को है तथा इस न्यायालय के अन्य सदस्यों को पदमुक्त करने का अधिकार कांग्रेस की स्थानीय समिति को है। सर्वोच्च जन न्यायालय में दीवानी एवं फौजदारी विभाग के अतिरिक्त आवश्यकतानुसार अन्य विभागों की स्थापना करने की व्यवस्था है।

2. स्थानीय जन न्यायालय - जनवादी चीन में स्थानीय जन न्यायालय तीन प्रकार के होते हैं -

(i) आधारभूत न्यायालय - स्थानीय जन न्यायालय के आधारभूत न्यायालय काउण्टी, स्वायत्त क्षेत्रों, नागरपालिका स्तर एवं जिले स्तर पर स्थापित किये जाते हैं। प्रत्येक क्षेत्र की जन कांग्रेस की स्वीकृति से सम्बन्धित क्षेत्र में आधारभूत न्यायालय स्थापित किए जाते हैं। सम्बन्धित क्षेत्र का आधारभूत न्यायालय अपने क्षेत्र की कांग्रेस के प्रति उत्तरदायी होता है। उसी वह अपने समस्त क्रिया-कलापों की सूचना देता है।

(ii) मध्य श्रेणी के जन न्यायालय - इस श्रेणी के जन न्यायालय प्रान्तों, स्वायत्तशासी क्षेत्रों, केन्द्रीय सरकार के अधीन आने वाली नगरपालिकाओं एवं अन्य बड़ी नगरपालिकाओं में स्थापित होते हैं। इन न्यायालयों के न्यायाधीशों का निर्वाचन सम्बन्धित क्षेत्र की कांग्रेस द्वारा किया जाता है। अपनी सम्पूर्ण कार्य-प्रणाली में ये न्यायालय अपने क्षेत्र की कांग्रेस के प्रति उत्तरदायी होते हैं। ये न्यायालय दीवानी एवं फौजदारी प्रकृति के मुकदमों की सुनवाई करते हैं। आवश्यकता पड़ने पर दूसरे प्रकृति के मुकदमों की सुनवाई के लिए अन्य विभाग की भी स्थापना की जा सकती है।

(iii) उच्च जन न्यायालय - प्रत्येक प्रान्त में एक उच्च जन प्रान्तों के हाईकोर्ट के रूप में देखा जा सकता है। चीन में ये उच्च जन न्यायलय होता है। इसे भारत में न्यायालय अपने प्रान्त के सर्वोच्च न्यायालय होते हैं। इस न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रान्त की कांग्रेस द्वारा की जाती है। प्रान्त की कांग्रेस का अपने द्वारा नियुक्त इन न्यायाधीशों को वापस बुला लेने का भी अधिकार प्राप्त है।

विशेष जन न्यायालय - जनवादी चीन में उपरोक्त न्यायालयों के अतिरिक्त चीन की राज्य परिषद अर्थात् चीन का मंत्रिमण्डल संविधान के अनुच्छेद 89 के अनुसार विशेष जन न्यायालयों की भी स्थापना कर सकता है। संविधान के अनुच्छेद 124 में इन विशिष्ट न्यायालयों के सन्दर्भ में संक्षिप्त चर्चा की गयी है। इन विशेष जन न्यायालयों के अन्तर्गत सैनिक न्यायालयों के अन्तर्गत सैनिक न्यायालय, रेल न्यायालय, जल परिवहन न्यालय आदि आते हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन क्षेत्र की विवेचना कीजिए।
  3. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति से आप क्या समझते हैं? इसकी प्रकृति को स्पष्ट कीजिए।
  4. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति और तुलनात्मक सरकार में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  5. प्रश्न- उदार लोकतन्त्र से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताएँ लिखिए।
  6. प्रश्न- पूँजीवाद से आप क्या समझते हैं, इसके गुण-दोष क्या हैं?
  7. प्रश्न- समाजवादी राज्य क्या है, इसकी कार्यप्रणाली पर प्रकाश डालिए।
  8. प्रश्न- समाजवाद की परिभाषा दीजिए। विवेचना कीजिए।
  9. प्रश्न- उपनिवेशवाद क्या है? इसकी विशेषताएँ बताइये।
  10. प्रश्न- विकासशील देशों में राज्य की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- रूढ़ियों से क्या अभिप्राय है? इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- रूढ़ियों कानून से किस प्रकार भिन्न हैं? प्रमुख अभिसमयों का वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- रूढ़ियों का पालन क्यों होता है? स्पष्ट कीजिये।
  14. प्रश्न- राजपद से आपका क्या अभिप्राय है? इसकी शक्तियों की विवेचना कीजिए।
  15. प्रश्न- राजा एवं राजपद अन्तर को स्पष्ट कीजिये।
  16. प्रश्न- मन्त्रिमण्डलात्मक प्रणाली का उद्भव एवं विकास का वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- मन्त्रिमंडल के संगठन एवं मंत्रिमण्डल व्यवस्था की विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
  18. प्रश्न- मन्त्रिमंडल के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- बिटिश प्रधानमंत्री सारे शासन तंत्र की धुरी है।' इस कथन की विवेचना कीजिए।
  20. प्रश्न- ग्रेट ब्रिटेन की सम्प्रभुता की विवेचना कीजिए तथा इस प्रभुसत्ता की सीमाओं का उल्लेख कीजिए।
  21. प्रश्न- लार्ड सभा की रचना कार्यों व उनकी शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- इंग्लैंड की समिति प्रणाली के बारे में आप क्या जानते हैं? इसके कितने प्रकार होते हैं?
  23. प्रश्न- कामन्स सभा क्या है? इसके संगठन एवं पदाधिकारियों का वर्णन कीजिए।
  24. प्रश्न- कामन्स सभा की शक्तियों, कार्यों एवं व्यावहारिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- कामन सभा के स्पीकर एवं उसकी शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- ब्रिटिश समिति व्यवस्था की विवेचना कीजिए।
  27. प्रश्न- ब्रिटेन में विधेयकों का वर्गीकरण कीजिए एवं व्यवस्थापन प्रक्रिया पर प्रकाश डालिये।
  28. प्रश्न- न्यायपालिका से आप क्या समझते हैं? इसके प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- ब्रिटिश न्यायपालिका के संगठन पर प्रकाश डालिए।
  30. प्रश्न- ब्रिटिश न्याय व्यवस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- विधि का शासन ब्रिटिश संविधान का एक विशिष्ट लक्षण है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  32. प्रश्न- राजनीतिक दलों से क्या तात्पर्य है? राजनीतिक दलों की भूमिका एवं महत्व को समझाइये।
  33. प्रश्न- राजनीतिक दल प्रणाली के विभिन्न रूपों का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- ब्रिटेन में राजनीतिक दलों के संगठन, कार्यक्रम एवं उनकी भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- ग्रेट ब्रिटेन में राजनीतिक दलों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  36. प्रश्न- ब्रिटिश दल पद्धति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- रूढ़ियों के महत्व का उल्लेख कीजिए।
  38. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के ऐतिहासिक कारणों का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के राजनैतिक कारणों का उल्लेख कीजिए।
  40. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के मनोवैज्ञानिक कारणों को स्पष्ट कीजिए।
  41. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के अन्तर्राष्ट्रीय कारणों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- मंत्रिमण्डल की कानूनी स्थिति का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- मंत्रिमण्डल की व्यावहारिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  44. प्रश्न- मंत्रिमण्डल एवं क्राउन के सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
  45. प्रश्न- मन्त्रिमंडल का ब्रिटिश की संवैधानिक व्यवस्था में क्या महत्व है?
  46. प्रश्न- मंत्रिमंडल की महत्ता के औचित्य को स्पष्ट कीजिए।
  47. प्रश्न- मंत्रिमण्डल की महत्ता के कारण बताइये।
  48. प्रश्न- लार्ड सभा ने सुधार के क्या प्रयास किये?
  49. प्रश्न- क्या ग्रेट ब्रिटेन में संसद संप्रभु है?
  50. प्रश्न- 'संसदीय प्रभुता' के सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  51. प्रश्न- विपक्षी दल की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- प्रिवी काउन्सिल की न्यायिक समिति का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- लार्ड सभा एवं प्रिवी काउन्सिल की न्यायिक समिति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  54. प्रश्न- ब्रिटिश कानून कितने प्रकार से प्रयोग में लाये जाते हैं?
  55. प्रश्न- राजनीतिक दलों के कार्यों का विवेचनात्मक वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- राजनीतिक दल मतदाताओं में अपना समर्थन बढाने के लिये कौन-कौन से साधनों का प्रयोग करते हैं।
  57. प्रश्न- ब्रिटेन तथा फ्राँस की दलीय प्रणाली का तुलनात्मक विश्लेषण कीजिए।
  58. प्रश्न- अमेरिका के राष्ट्रपति के कार्यों, शक्तियों की विवेचना कीजिए।
  59. प्रश्न- अमेरिकी राष्ट्रपति की वृद्धि एवं उसके कारणों की विवेचना कीजिये।
  60. प्रश्न- अमेरिकी व ब्रिटिश मंत्रिमंडल की तुलना कीजिए।
  61. प्रश्न- ब्रिटिश संप्रभु (क्राउन) प्रधानमंत्री तथा अमेरिकी राष्ट्रपति की तुलनात्मक विवेचना कीजिए।
  62. प्रश्न- अमेरिका के सीनेट के गठन, उसकी शक्ति एवं कार्यों की विवेचना कीजिए।
  63. प्रश्न- प्रतिनिधि सभा के संगठन, शक्ति एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  64. प्रश्न- अमेरिकी कांग्रेस की शक्ति एवं कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  65. प्रश्न- अमेरिका का उच्चतम न्यायालय व्यवस्थापिका का तृतीय सदन बनता जा रहा है। स्पष्ट कीजिए।
  66. प्रश्न- सर्वोच्च के महत्व का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- न्यायिक पुनर्निरीक्षण से आप क्या समझते हैं? अमेरिका के उच्चतम न्यायालय के संदर्भ में इसकी व्याख्या कीजिए।
  68. प्रश्न- सर्वोच्च न्यायालय की कार्य-प्रणाली का विवेचना कीजिए।
  69. प्रश्न- अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय के गठन का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति तथा भारत के सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति में क्या अन्तर है?
  70. प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों के उद्भव एवं विकास का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- अमेरिका की राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक दलों की क्या भूमिका है?
  72. प्रश्न- अमेरिका तथा ब्रिटेन के राजनीतिक दलों की समानता और असमानताओं का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- दबाव अथवा हित समूह से आप क्या समझते हैं? दबाव समूह के प्रमुख लक्षण एवं साधनों पर प्रकाश डालिए।
  74. प्रश्न- संयुक्त राज्य अमरीका के संविधान की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
  75. प्रश्न- अमेरिकी राष्ट्रपति को दलीय अथवा राष्ट्रीय नेता के रूप में पर टिप्पणी कीजिए।
  76. प्रश्न- राष्ट्रपति एवं मन्त्रिमण्डल के सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- जैरीमैण्डरिंग पर संछिप्त टिप्पणी लिखिए।
  78. प्रश्न- सीनेट के महत्व पर प्रकाश डालिये।
  79. प्रश्न- यू. एस. ए. 'सीनेट की शिष्टता' का क्या अर्थ है?
  80. प्रश्न- प्रतिनिधि सभा की दुर्बलता के कारण बताइये।
  81. प्रश्न- संघीय न्यायपालिका कितने प्रकार की होती है?
  82. प्रश्न- संघीय न्यायलय क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  83. प्रश्न- जिला न्यायालय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- संघीय अपील न्यायालय पर प्रकाश डालिये।
  85. प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  86. प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों की कमियों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- अमरीका और इंग्लैण्ड की दल- प्रणाली की तुलना कीजिए।
  88. प्रश्न- अमेरिका के राजनीतिक दलों की कार्य प्रणाली का वर्णन कीजिए।
  89. प्रश्न- माओवाद क्या है? माओवाद के प्रमुख सिद्धान्त कौन-कौन से हैं?
  90. प्रश्न- कन्फ्यूशियसवाद क्या है? इसके प्रमुख सिद्धान्त कौन-कौन से हैं?
  91. प्रश्न- चीनी विधानमंडल राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस के गठन, शक्ति एवं कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  92. प्रश्न- जनवादी कांग्रेस की स्थायी समिति के बारे में आप क्या जानते हंत उसकी शक्ति एवं कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
  93. प्रश्न- स्थायी समिति की शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  94. प्रश्न- जनवादी चीन के राष्ट्रपति के कार्यों एवं अधिकारों की विवेचना कीजिए।
  95. प्रश्न- चीन में न्याय व्यवस्था की प्रमुख विशेषतायें बताते हुये न्यायपालिका के संगठन एवं उसकी शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- जनवादी चीन में साम्यवादी दल के संगठन का वर्णन कीजिए।
  97. प्रश्न- जनवादी चीन में साम्यवादी दल की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- एक देश दो प्रणाली नीति से आप क्या समझते हैं?
  99. प्रश्न- राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस की स्थायी समिति पर टिप्पणी लिखिए।
  100. प्रश्न- राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस की वास्तविक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- चीन में कांग्रेस के सदस्यों के अधिकारों एवं दायित्वों की विवेचना कीजिए।
  102. प्रश्न- चीन राज्य परिषद के गठन पर प्रकाश डालिये।
  103. प्रश्न- चीन के सैनिक केन्द्रीय आयोग पर टिप्पणी लिखिए।
  104. प्रश्न- चीन के राज्य परिषद की वास्तविक स्थिति की विवेचना कीजिए।
  105. प्रश्न- चीन के राज्य परिषद की शक्ति एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- जनवादी चीन में प्रोक्यूरेटोरेट पद की व्यवस्था का विवेचना कीजिए।
  107. प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड के वर्तमान संविधान की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड के संविधान की संशोधन प्रकिया का वर्णन कीजिए।
  109. प्रश्न- प्रत्यक्ष लोकतन्त्र से आप क्या समझते हैं? स्विट्जरलैण्ड में प्रत्यक्ष लोकतन्त्र की सफलता के कारणों को इंगित कीजिए।
  110. प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड में प्रत्यक्ष प्रजातन्त्र की कार्यप्रणाली का वर्णन कीजिए।
  111. प्रश्न- स्विट्जरलैंड की कार्यपालिका के बारे में बताइये।
  112. प्रश्न- स्विस व्यवस्थापिका के बारे में बताइये।

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