प्राचीन भारतीय और पुरातत्व इतिहास >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 प्राचीन भारतीय इतिहास बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 प्राचीन भारतीय इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 प्राचीन भारतीय इतिहास - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- प्राचीन भारत की प्रमुख खरोष्ठी तथा ब्राह्मी लिपियों पर प्रकाश डालिए।
अथवा
खरोष्ठी लिपि के उद्भव और विकास पर प्रकाश डालिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. सिन्धु घाटी की लिपि की उत्पत्ति को बताइये।
2. स्वदेशी उत्पत्ति के पोषक सिद्धान्त क्या हैं?
3. ब्राह्मी लिपि की उत्पत्ति समझाइये।
4. विदेशी उत्पत्ति के पोषक सिद्धान्त बताइये।
5. खरोष्ठी वर्णों की उत्पत्ति बताइये।
6. सेमिटिक लिपियों से ब्राह्मी की उत्पत्ति सम्बन्धी मतों की समीक्षा कीजिए।
7. लेखन कला के उत्पत्ति विषयक सिद्धान्त क्या हैं?
8. क्या लेखन कला की उत्पत्ति विदेशी है?
उत्तर-
भारतीय लिपि की उत्पत्ति
भारत तथा चीन की अनुश्रुतियों से जानकारी मिलती है कि प्राचीन भारत में दो प्रमुख लिपियाँ थीं-
(i) ब्राह्मी,
(ii) खरोष्ठी।
इन दोनों लिपियों का आविष्कार केवल भारत में हुआ था, किन्तु सिन्धु घाटी की लिपि के प्रकाश में आने के पूर्व भारत में ई.पू. चतुर्थ सहस्राब्दी और पंचम शताब्दी (ई.पू.) के मध्यवर्ती काल के किसी अभिलेख के उपलब्ध न होने तथा पश्चिमी एशिया में लेखन के प्रत्यक्ष प्रमाण मिलने से अनेक विद्वानों ने लेखन के 'एक मूल में विश्वास करते हुए भारतीय लिपियों की उत्पत्ति पश्चिमी एशिया के किसी देश या यूनान से मानी थी। कतिपय विद्वानों की धारणा थी और कुछ की अब भी है कि कम से कम ब्राह्मी लिपि की उत्पत्ति स्वदेश में ही हुई।
सिन्धु घाटी की लिपि की उत्पत्ति के विषय में विद्वानों में मतभेद हैं और इस सम्बन्ध में अनेक मतों का प्रतिपादन किया गया है-
(अ) सिन्धु घाटी की लिपि की उत्पत्ति - सिन्धु घाटी में हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो से प्राप्त होने वाली लिपि भारतवर्ष की सबसे प्राचीनतम लिपि है। दुर्भाग्यवश अब तक सन्तोषजनक रीति से इसे पढ़ा नहीं जा सका। इससे सिन्धु घाटी की लिपि की समस्या और भी दुस्साध्य बन गयी है। वे विद्वान जो सिन्धु घाटी की सभ्यता को द्रविड़ सभ्यता मानते हैं, सिन्धु घाटी की लिपि को भी द्रविड़ मूल वाली बताते हैं। किन्तु इस विचार को स्वीकार करने में प्रमुख आपत्ति यह है कि सिन्धु घाटी की लिपि के परवर्ती लेखन के उदाहरण उत्तर भारत में प्राप्त हुए हैं दक्षिण भारत में नहीं, जहाँ अधिकांश द्रविड जाति निवास करती है।
1. द्रविड़ उत्पत्ति का सिद्धान्त - अधिकतर विद्वानों का विश्वास है कि सिन्धु घाटी की सभ्यता आर्यों के पहले की एवं आर्येत्तर लोगों की थी तथा प्रागैतिहासिक सिन्धु घाटी के लोग, भाषा और लिपि द्रविड थे।
2. सुमेरी वा मिस्री उत्पत्ति का सिद्धान्त - एल. ए. वैडेल ने अपनी पुस्तक "दि इण्डो- सुमेरियन सील्स डिसाइफर्ड" में यह धारणा व्यक्त की है कि चतुर्थ सहस्राब्दी ई. पू. में सुमेर के लोग सिन्धु घाटी में आकर बस गये और उन्हीं में अपनी भाषा और लिपि का वहाँ प्रसार किया। इस पुस्तक में उन्होंने भारतीय आर्यों के सुमेरी मूल को सिद्ध करने का प्रयास किया है। मुद्राओं पर उन्होंने भारतीय आर्यों के प्राचीन साहित्य निर्दिष्ट राजाओं और राजधानियों के नामों को भी पढ़ा है। वेडेल का यह विचार था कि सिन्धु घाटी की लिपि सुमेर की लिपि से निकली है।
मेसोपोटामिया की ऐतिहासिक अनुश्रुतियों के अनुसार सुमेरी सभ्यता के जन्मदाता बाहर से आये थे तथा अपने साथ वे कृषि, धातु कर्म एवं लेखन कला को लाये थे। सुमेर में लेखन कला के प्रसार के लिए उत्तरदायी देवताओं ओर महापुरुषों के नाम सेमेटिक की अपेक्षा भारतीय हैं। ऐसी परिस्थिति में वैडेल का मत काल्पनिक है। अतएव वह किसी भी प्रकार मान्य नहीं हो सकता है।
3. स्वदेशी उत्पत्ति का सिद्धान्त - कुछ इतिहासकारों का विश्वास है कि सिन्धु घाटी के . लोग या तो आर्य थे या असुर, जो जाति और संस्कृति की दृष्टि से आर्यों से सम्बन्धित थे, किन्तु बाद में मेसोपोटामिया और पश्चिम की ओर चले गये। उनके मतानुसार सिन्धु घाटी की लिपि का जन्म इसी देश में हुआ था। पूर्व एलाम-सुमेर तथा मिस्र की लिपियों से इनकी समानता यह नहीं सिद्ध करती कि सिन्धु घाटी की लिपि इनमें से किसी एक से निकली है। सिन्धु घाटी की लिपि ही सम्भवतः मौलिक थी जो असुरों और पणियों के द्वारा दूसरे देशों में फैली।
सिन्धु घाटी की लिपि जो प्राप्त लेखों में अपेक्षाकृत अधिक योजनाबद्ध और पंक्तिबद्ध है, आरम्भ में चित्र- लिपिपरक थी, किन्तु यह निर्णय करना असम्भव है कि वास्तव में यह स्वदेशी थी या विदेशी। कीलाक्षर (क्यूनीफॉर्म) लेखन एवं प्राचीन एलाम के पूर्व रूप में इस लिपि का क्या स्वरूप था। इस सम्बन्ध में कुछ समाधान जो निर्णायक नहीं समझे जा सकते, प्रस्तुत किये जाते हैं
(i) सम्भवतः सिन्धु घाटी की लिपि एक प्राचीन लिपि से निकली है।
(ii) तीनों स्थानीय सृष्टि हो सकती हैं। कीलाक्षर या प्राचीन एलाम लिपि का पूर्व रूप सम्भवतः एक मौलिक आविष्कार था तथा अन्य दोनों लेखनों के अस्तित्व के ज्ञान से प्रेरित उपज में निम्नलिखित ऐतिहासिक परम्परायें हमारी सहायता करेंगी-
(a) प्राचीन मिश्र की सभ्यता को जन्म देने वाले लोग पश्चिमी एशिया से मिस्र गये थे।
(b) ग्रीक लेखकों के अनुसार प्राचीनकाल के महान सामुद्रिक तथा संस्कृति प्रसारक फोनिसियन लोग पश्चिमी एशिया के विशाल बन्दरगाह टायर के उपनिवेशी थे।
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- प्रश्न- पुरातत्व क्या है? इसकी विषय-वस्तु का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- पुरातत्व का मानविकी तथा अन्य विज्ञानों से सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान के स्वरूप या प्रकृति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 'पुरातत्व के अभाव में इतिहास अपंग है। इस कथन को समझाइए।
- प्रश्न- इतिहास का पुरातत्व शस्त्र के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में पुरातत्व पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पुरातत्व सामग्री के क्षेत्रों का विश्लेषण अध्ययन कीजिये।
- प्रश्न- भारत के पुरातत्व के ह्रास होने के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- प्राचीन इतिहास की संरचना में पुरातात्विक स्रोतों के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास की संरचना में पुरातत्व का महत्व बताइए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन में अभिलेखों का क्या महत्व है?
- प्रश्न- स्तम्भ लेख के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- स्मारकों से प्राचीन भारतीय इतिहास की क्या जानकारी प्रात होती है?
- प्रश्न- पुरातत्व के उद्देश्यों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- पुरातत्व के विकास के विषय में बताइये।
- प्रश्न- पुरातात्विक विज्ञान के विषय में बताइये।
- प्रश्न- ऑगस्टस पिट, विलियम फ्लिंडर्स पेट्री व सर मोर्टिमर व्हीलर के विषय में बताइये।
- प्रश्न- उत्खनन के विभिन्न सिद्धान्तों तथा प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पुरातत्व में ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज उत्खननों के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- डेटिंग मुख्य रूप से उत्खनन के बाद की जाती है, क्यों। कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- डेटिंग (Dating) क्या है? विस्तृत रूप से बताइये।
- प्रश्न- कार्बन-14 की सीमाओं को बताइये।
- प्रश्न- उत्खनन व विश्लेषण (पुरातत्व के अंग) के विषय में बताइये।
- प्रश्न- रिमोट सेंसिंग, Lidar लेजर अल्टीमीटर के विषय में बताइये।
- प्रश्न- लम्बवत् और क्षैतिज उत्खनन में पारस्परिक सम्बन्धों को निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- क्षैतिज उत्खनन के लाभों एवं हानियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पुरापाषाण कालीन संस्कृति का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निम्न पुरापाषाण कालीन संस्कृति का विस्तृत विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर पुरापाषाण कालीन संस्कृति के विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत की मध्यपाषाणिक संस्कृति पर एक वृहद लेख लिखिए।
- प्रश्न- मध्यपाषाण काल की संस्कृति का महत्व पूर्ववर्ती संस्कृतियों से अधिक है? विस्तृत विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में नवपाषाण कालीन संस्कृति के विस्तार का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- भारतीय पाषाणिक संस्कृति को कितने कालों में विभाजित किया गया है?
- प्रश्न- पुरापाषाण काल पर एक लघु लेख लिखिए।
- प्रश्न- पुरापाषाण कालीन मृद्भाण्डों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पूर्व पाषाण काल के विषय में एक लघु लेख लिखिये।
- प्रश्न- पुरापाषाण कालीन शवाशेष पद्धति पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मध्यपाषाण काल से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- मध्यपाषाण कालीन संस्कृति की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।।
- प्रश्न- मध्यपाषाणकालीन संस्कृति का विस्तार या प्रसार क्षेत्र स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विन्ध्य क्षेत्र के मध्यपाषाणिक उपकरणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गंगा घाटी की मध्यपाषाण कालीन संस्कृति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नवपाषाणिक संस्कृति पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- विन्ध्य क्षेत्र की नवपाषाण कालीन संस्कृति पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- दक्षिण भारत की नवपाषाण कालीन संस्कृति के विषय में बताइए।
- प्रश्न- मध्य गंगा घाटी की नवपाषाण कालीन संस्कृति पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ताम्रपाषाणिक संस्कृति से आप क्या समझते हैं? भारत में इसके विस्तार का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- जोर्वे-ताम्रपाषाणिक संस्कृति की विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मालवा की ताम्रपाषाणिक संस्कृति का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ताम्रपाषाणिक संस्कृति पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- आहार संस्कृति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मालवा की ताम्रपाषाणिक संस्कृति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जोर्वे संस्कृति की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- ताम्रपाषाणिक संस्कृति के औजार क्या थे?
- प्रश्न- ताम्रपाषाणिक संस्कृति के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता / हड़प्पा सभ्यता के नामकरण और उसके भौगोलिक विस्तार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की नगर योजना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हड़प्पा सभ्यता के नगरों के नगर- विन्यास पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोगों की शारीरिक विशेषताओं का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- पाषाण प्रौद्योगिकी पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के सामाजिक संगठन पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता के कला और धर्म पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता के व्यापार का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता की लिपि पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के पतन के कारणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लौह उत्पत्ति के सम्बन्ध में पुरैतिहासिक व ऐतिहासिक काल के विचारों से अवगत कराइये?
- प्रश्न- लोहे की उत्पत्ति (भारत में) के विषय में विभिन्न चर्चाओं से अवगत कराइये।
- प्रश्न- "ताम्र की अपेक्षा, लोहे की महत्ता उसकी कठोरता न होकर उसकी प्रचुरता में है" कथन को समझाइये।
- प्रश्न- महापाषाण संस्कृति के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- लौह युग की भारत में प्राचीनता से अवगत कराइये।
- प्रश्न- बलूचिस्तान में लौह की उत्पत्ति से सम्बन्धित मतों से अवगत कराइये?
- प्रश्न- भारत में लौह-प्रयोक्ता संस्कृति पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्राचीन मृद्भाण्ड परम्परा से आप क्या समझते हैं? गैरिक मृद्भाण्ड (OCP) संस्कृति का विस्तृत विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- चित्रित धूसर मृद्भाण्ड (PGW) के विषय में विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- उत्तरी काले चमकदार मृद्भाण्ड (NBPW) के विषय में संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- एन. बी. पी. मृद्भाण्ड संस्कृति का कालानुक्रम बताइए।
- प्रश्न- मालवा की मृद्भाण्ड परम्परा के विषय में बताइए।
- प्रश्न- पी. जी. डब्ल्यू. मृद्भाण्ड के विषय में एक लघु लेख लिखिये।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में प्रयुक्त लिपियों के प्रकार तथा नाम बताइए।
- प्रश्न- मौर्यकालीन ब्राह्मी लिपि पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत की प्रमुख खरोष्ठी तथा ब्राह्मी लिपियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अक्षरों की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अशोक के अभिलेख की लिपि बताइए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास की संरचना में अभिलेखों के महत्व का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अभिलेख किसे कहते हैं? और प्रालेख से किस प्रकार भिन्न हैं?
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय अभिलेखों से सामाजिक जीवन पर क्या प्रकाश पड़ता है?
- प्रश्न- अशोक के स्तम्भ लेखों के विषय में बताइये।
- प्रश्न- अशोक के रूमेन्देई स्तम्भ लेख का सार बताइए।
- प्रश्न- अभिलेख के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति के विषय में बताइए।
- प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख से किस राजा के विषय में जानकारी मिलती है उसके विषय में आप सूक्ष्म में बताइए।
- प्रश्न- मुद्रा बनाने की रीतियों का उल्लेख करते हुए उनकी वैज्ञानिकता को सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- भारत में मुद्रा की प्राचीनता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में मुद्रा निर्माण की साँचा विधि का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुद्रा निर्माण की ठप्पा विधि का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आहत मुद्राओं (पंचमार्क सिक्कों) की मुख्य विशेषताओं एवं तिथिक्रम का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मौर्यकालीन सिक्कों की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- आहत मुद्राओं (पंचमार्क सिक्के) से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- आहत सिक्कों के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- पंचमार्क सिक्कों का महत्व बताइए।
- प्रश्न- कुषाणकालीन सिक्कों के इतिहास का विस्तृत विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय यूनानी सिक्कों की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- कुषाण कालीन सिक्कों के उद्भव एवं प्राचीनता को संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- गुप्तकालीन सिक्कों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- गुप्तकालीन ताम्र सिक्कों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- उत्तर गुप्तकालीन मुद्रा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- समुद्रगुप्त के स्वर्ण सिक्कों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- गुप्त सिक्कों की बनावट पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- गुप्तकालीन सिक्कों का ऐतिहासिक महत्व बताइए।
- प्रश्न- इतिहास के अध्ययन हेतु अभिलेख अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन में सिक्कों के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन सिक्कों से शासकों की धार्मिक अभिरुचियों का ज्ञान किस प्रकार प्राप्त होता है?
- प्रश्न- हड़प्पा की मुद्राओं के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन में अभिलेखों का क्या महत्व है?
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत के रूप में सिक्कों का महत्व बताइए।