प्राचीन भारतीय और पुरातत्व इतिहास >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 प्राचीन भारतीय इतिहास बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 प्राचीन भारतीय इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 प्राचीन भारतीय इतिहास - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 9
भारत में प्रारम्भिक लिपियाँ एवं इनका विकास
(Early Scripts and their Development in India)
प्रश्न- प्राचीन भारत में प्रयुक्त लिपियों के प्रकार तथा नाम बताइए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. अष्टाध्यायी में लिपियों के प्राचीनतम विवरण को स्पष्ट कीजिए।
2. जैन सूत्रों में लिपियों के उल्लेख का वर्णन कीजिए।
3. ललितविस्त में लिपियों का वर्णन कीजिए।
4. प्राचीन भारतीय लिपियों का वर्गीकरण कीजिये।
उत्तर-
प्राचीन भारत में प्रसिद्ध ग्रन्थों में लिपियों का उल्लेख मिलता है जिनका निम्न प्रकार से उल्लेख दिया गया है-
1. अष्टाध्यायी में लिपियों का प्राचीनतम उल्लेख - लेखन के लिए ( लिपि या लिबि) शब्द का प्राचीनतम निर्देश 800 ई.पू. के पाणिनि प्रणीत व्याकरण ग्रन्थ अष्टाध्यायी में हुआ है, किन्तु देश में कितने प्रकार की लिपियाँ प्रचलित थीं तथा उनके क्या नाम थे? इन प्रश्नों के उत्तर के लिए अष्टाध्यायी में कुछ भी नहीं है। पाणिनि केवल एक यवनानि लिपि का निर्देश करते हैं जिसका अस्तित्व उन्हें विदित था। अपेक्षाकृत अधिक प्रचलित भारतीय लिपियों के निर्देश का उन्हें अवसर ही नहीं प्राप्त हुआ। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में भी राजकुमारों को पढ़ाये जाने वाले एक विषय के रूप में लिपि का निर्देश है, किन्तु इससे अधिक का प्रमाण वहाँ नहीं मिलता है। अशोक के अभिलेखों में 'लिपि' 'लिबि' और 'दिपि' शब्द आये हैं और सभी का अभिप्राय लेखन से है। अशोक के समय में कम से कम दो लिपियाँ ब्राह्मी और खरोष्ठी प्रचलित थीं, किन्तु अशोक के अभिलेखों में कहीं भी उनके नाम का निर्देश नहीं है।
2. जैन सूत्रों में लिपियों का उल्लेख - जैन सूत्रों पन्जवणासूत्र, समावायाङ्गसूत्र तथा भगवतीसूत्र में आकर हमें विभिन्न लिपियों के नाम उपलब्ध होते हैं। पहले दो में अठारह लिपियों की सूची है तथा अन्तिम में केवल एक ब्राह्मी का निर्देश है। अठारह लिपियों की सूची इस प्रकार है
1. बंभी (ब्राह्मी)
2. जवनालि या जवणालिय, (ग्रीक लिपि)
3. दोसपुरिया, ( दोसपुरियस)
4. खरोत्थि, (खरोष्ठी)
5. पुक्खसरसरिया,
6. भोगवैगा,
7. पहाराइय, (पहरैया)
8. उय अंतरिक्खिया, ( उयमितर करिय)
9. तेवनैया, (वेणैया )
10. गि (नि!) न्हैया, (हिणातिया)
11. अंकलिवि, (अंकलिक्ख)
12. गनितलिवि, (गनिय लिपि)
13. गंधव्य, लिवि,
14. आदंस लिवि, (आयस लिवि)
15. माहेसरि, ( महास्सरि)
16. दामिलि ( द्राविड़ ) तथा
17. पोलिम्दि, ( पौलिन्द, पुलिन्दों की )।
3. ललितविस्त में लिपियों का उल्लेख - बौद्ध ग्रन्थ ललितविस्त में जैन सूत्रों की सूची से भी बड़ी एक सूची सुरक्षित है। यह ग्रन्थ संस्कृत में लिखा गया है, जिसमें भगवान बुद्ध का जीवन चरित्र वर्णित है। इसकी ठीक तिथि निश्चित करना सम्भव नहीं है। किन्तु 308 ई. में इसका चीनी भाषा में अनुवाद किया गया था अतः इसका समय अवश्य ही इससे एक या दो शताब्दी पूरी होना चाहिए।
ललितविस्त में निर्दिष्ट लिपियों के कुछ नाम नीचे दिये गये हैं-
1. ब्राह्मी
2. खरोष्ठी
3. पुष्करसारि
4. अंगलिपि
5. बंगलिपि
6. मगध लिपि .
7. मंगल्य लिपि
8. मनुष्य लिपि
9. अंगुलिय लिपि
10. शकारि लिपि
11. ब्रह्म वल्लि लिपि
12. द्रविड़ लिपि
13. कनारि लिपि
14. दक्षिण लिपि
15. उग्र लिपि
16. संख्या लिपि
17. अनुलोम लिपि
18. ऊर्ध्वधनुर्लिपि
19. दरद लिपि
20. खस्य लिपि
21. चीन लिपि
22. हूण लिपि
23. मध्यक्षर विस्तार लिपि
24. पुष्प लिपि
25. देवलिपि
26. नाग लिपि
27. गन्धर्व लिपि
28. किन्जर लिपि
29. महोरग लिपि
30. असुर लिपि
31. गरुद लिपि
32. मृगचक्र लिपि
33. चक्र लिपि
34. वायुयरु लिपि
35. भौमदेव लिपि
36 : अन्तरिक्ष
37. उत्तर कुरुद्वीप लिपि
38. उत्तर गौड लिपि
39. पूर्ण विदेह लिपि
40. उत्क्षेप लिपि
41. विक्षेप लिपि
42. निक्षेप लिपि
43. प्रक्षेप लिपि
44. सागर लिपि।
उपरोक्त सूचियों में भारतीय और अभारतीय लिपियों के नाम सम्मिलित हैं। इस सम्पूर्ण समुदाय में से अस्ति प्रमाण के आधर पर केवल दो लिपियों की पहचान हो सकती है, जो ब्राह्मी तथा खरोष्ठी हैं। इस सम्बन्ध में चीनी विश्वकोश फा-वान-सु-लिन ( रचनाकाल 618 ई.) हमारी सहायता करता है। इसके अनुसार लेखन का आविष्कार तीन दैवी शक्तियों द्वारा हुआ। इनमें से प्रथम फान (ब्रह्मा) था, जिसने बायें से दायंद लिखी जाने वाली ब्राह्मी लिपि का आविष्कार किया। दूसरी दैवी शक्ति क्या -लु ( खरोष्ठ ) था, जिसने दायें से बायें को चलने वाली खरोष्ठी लिपि का आविष्कार किया और तीसरी सबसे कम महत्व का त्सम् कि था, जिसके द्वारा आविष्कृत लिपि ऊपर से नीचे को चलती थी।
लिपियों का वर्गीकरण
सूक्ष्म निरीक्षण से अधिकांश लिपियों को निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जा सकता है। यद्यपि उनमें से कुछ की जानकारी और पहचान अब भी नहीं हो सकी है-
(1) भारत की सर्वप्रचलित लिपि : ब्राह्मी - यह अक्षर सम्बन्धी लेखन प्रणाली थी।
(2) भारत के उत्तर पश्चिम में सीमित लिपि : खरोष्ठी - इसमें ब्राह्मी के वर्गों का ही प्रयोग होता था किन्तु उनका रूप भिन्न था।
(3) भारत में ज्ञात विदेशी लिपियाँ - ये निम्नलिखित हैं-
(क) यवनालि ( यवनानि = ग्रीक, व्यापार के माध्यम से भारतीय इससे परिचित थे। इण्डो- बैक्ट्रियन और कुषाणों के सिक्कों के विरुदों में भी इसका प्रयोग होता था।
(ख) दरद लिपि ( दरद लोगों की लिपि)।
(ग) स्वस्य लिपि (खसों-यानेशकों की लिपि )।
(घ) चीनी लिपि (चीन देश की लिपि )।
(ङ) हूण लिपि ( हूणों की लिपि )।
(च) असुर लिपि (पश्चिमी एशिया के आर्यों के बन्धु असुरों की लिपि)।
(छ) उत्तर कुरुद्वी लिपि (हिमालय के परे उत्तर कुरु के लोगों की लिपि)।
(ज) सागर लिपि (सागर सम्बन्धी लिपियाँ)।
(4) भारत की प्रान्तीय लिपियाँ - भारतवर्ष की आधुनिक प्रान्तीय भाषाओं के समान ब्राह्मी लिपि के साथ-साथ इसी के विभिन्न रूप या इससे निकली हुई या ब्राह्मी के पूर्व रूप या किसी स्तम्भ लिपि से निकली हुई अन्य प्रान्तीय लिपियाँ निश्चित ही प्रचलित रहती होंगी। ब्राह्मी के प्रकारों के अतिरिक्त अन्य सभी लिपियाँ समय के प्रवाह में नष्ट हो गयीं। फिर भी निम्नलिखित भाषाओं के नाम में इनमें से कुछ शेष हैं-
1. पुखरसारिय (पुष्कर सारिय),
2. पहारैय (उत्तरी पर्वतीय प्रदेशों की लिपि),
3. अंग लिपि (अंग-उत्तरी पूर्वी विहार की लिपि),
4. बंग लिपि (बंगाल की प्रचलिति लिपि),
5. मगध लिपि (मगध में प्रचलिति लिपि),
6. द्रविड़ लिपि (दामिल द्रविड़ प्रदेश की लिपि)।
(5) जातीय लिपियाँ - ये निम्नलिखित हैं-
1. गन्धर्व लिपि (हिमालय की गन्धर्व लिपि),
2. पोलिन्द (विन्ध्याचलीय पुलिन्द जाति की लिपि),
3. उगु लिपि (उग्र जाति की लिपि),
4. नाग लिपि (नाग जाति की लिपि),
5. यक्ष लिपि (हिमालय प्रदेशीय यक्ष जाति की लिपि)।
(6) साम्प्रदायिक लिपियाँ - ये निम्नलिखित हैं-
1. महेसरी ( माहेस्सरि = महेश्वरी, शैव लोगों में प्रचलित लिपि),
2. भीमदेव लिपि (भूमि पर के देवताओं-ब्राह्मणों की लिपि )।
(7) चित्रात्मक लिपियाँ या चित्र लिपियाँ - ये निम्नलिखित हैं-
1. मङ्गल्य लिपि (एक मांगलिक लिपि),
2. मनुष्य लिपि (मानवाकृतियों का प्रदर्शन करने वाली लिपि),
3. अङ्गलीय लिपि (अंगुलियों की समानता करने वाली लिपि),
4. उर्ध्वधनु लिपि ( संहित धनुष की समानता वाली लिपि),
5. पुष्पलिपि ( फूलदार सजावटी लिपि)।
(8) काल्पनिक या अतिकृत लिपि - ये निम्नलिखित हैं-
1. देव लिपि (देवताओं की लिपि),
2. महोराग लिपि ( सर्पों की लिपि),
3. वायु मरु लिपि ( मरुद्गणों की लिपि),
4. अन्तरिक्ष देव लिपि (आकाश के देवताओं की लिपि )।
पारलौकिक या काल्पनिक लिपियों को छोड़कर लिपियों की शेष शैलियों अथवा प्रकारों के प्रतिनिधि, प्रान्तीय वर्णों तथा दूसरी रूपात्मक एवं आलंकारिक लेखन शैलियों के रूप में भारतवर्ष तथा पड़ोस के दूसरे देशों में विद्यमान है।
हड़प्पा और मोहनजोदड़ो के पुरातात्विक उत्खनन से 4000 ई.पू. में भारत में प्रचलित एक लेखन प्रणाली प्रकाश में आयी है। ठोस प्रमाणों के आधार पर भारत में प्रचलित रहने वाली यह प्राचीनतम लेखन प्रणाली है।
(9) सांकेतिक लिपि - ये निम्नलिखित हैं-
1. आंकलिपि या संख्या लिपि (वर्गों के स्थान पर अंकों का प्रयोग करने वाली लिपि),
2. गणित लिपि (गणित सम्बन्धी कोई विशिष्ट लिपि)।
(10) उत्कीर्ण या छिन्न लिपि - अदंश या आयस लिपि (लौह उपकरण से खोदी, काटी या छेदी गयी लिपि)।
(11) शैली लिपियाँ - ये निम्नलिखित हैं-
1. उत्क्षेप लिपि (ऊपर की ओर फेंकने वाली लिपि),
2. निक्षेप लिपि (नीचे की ओर फेंकने वाली लिपि),
3. विक्षेप लिपि (चारों ओर फेंकने वाली लिपि),
4. प्रक्षेप लिपि (एक विशेष और प्रकृष्ट लिपि),
5. मध्यक्षर विस्तार लिपि।
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- प्रश्न- पुरातत्व क्या है? इसकी विषय-वस्तु का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- पुरातत्व का मानविकी तथा अन्य विज्ञानों से सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान के स्वरूप या प्रकृति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 'पुरातत्व के अभाव में इतिहास अपंग है। इस कथन को समझाइए।
- प्रश्न- इतिहास का पुरातत्व शस्त्र के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में पुरातत्व पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पुरातत्व सामग्री के क्षेत्रों का विश्लेषण अध्ययन कीजिये।
- प्रश्न- भारत के पुरातत्व के ह्रास होने के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- प्राचीन इतिहास की संरचना में पुरातात्विक स्रोतों के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास की संरचना में पुरातत्व का महत्व बताइए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन में अभिलेखों का क्या महत्व है?
- प्रश्न- स्तम्भ लेख के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- स्मारकों से प्राचीन भारतीय इतिहास की क्या जानकारी प्रात होती है?
- प्रश्न- पुरातत्व के उद्देश्यों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- पुरातत्व के विकास के विषय में बताइये।
- प्रश्न- पुरातात्विक विज्ञान के विषय में बताइये।
- प्रश्न- ऑगस्टस पिट, विलियम फ्लिंडर्स पेट्री व सर मोर्टिमर व्हीलर के विषय में बताइये।
- प्रश्न- उत्खनन के विभिन्न सिद्धान्तों तथा प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पुरातत्व में ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज उत्खननों के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- डेटिंग मुख्य रूप से उत्खनन के बाद की जाती है, क्यों। कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- डेटिंग (Dating) क्या है? विस्तृत रूप से बताइये।
- प्रश्न- कार्बन-14 की सीमाओं को बताइये।
- प्रश्न- उत्खनन व विश्लेषण (पुरातत्व के अंग) के विषय में बताइये।
- प्रश्न- रिमोट सेंसिंग, Lidar लेजर अल्टीमीटर के विषय में बताइये।
- प्रश्न- लम्बवत् और क्षैतिज उत्खनन में पारस्परिक सम्बन्धों को निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- क्षैतिज उत्खनन के लाभों एवं हानियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पुरापाषाण कालीन संस्कृति का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निम्न पुरापाषाण कालीन संस्कृति का विस्तृत विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर पुरापाषाण कालीन संस्कृति के विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत की मध्यपाषाणिक संस्कृति पर एक वृहद लेख लिखिए।
- प्रश्न- मध्यपाषाण काल की संस्कृति का महत्व पूर्ववर्ती संस्कृतियों से अधिक है? विस्तृत विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में नवपाषाण कालीन संस्कृति के विस्तार का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- भारतीय पाषाणिक संस्कृति को कितने कालों में विभाजित किया गया है?
- प्रश्न- पुरापाषाण काल पर एक लघु लेख लिखिए।
- प्रश्न- पुरापाषाण कालीन मृद्भाण्डों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पूर्व पाषाण काल के विषय में एक लघु लेख लिखिये।
- प्रश्न- पुरापाषाण कालीन शवाशेष पद्धति पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मध्यपाषाण काल से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- मध्यपाषाण कालीन संस्कृति की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।।
- प्रश्न- मध्यपाषाणकालीन संस्कृति का विस्तार या प्रसार क्षेत्र स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विन्ध्य क्षेत्र के मध्यपाषाणिक उपकरणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गंगा घाटी की मध्यपाषाण कालीन संस्कृति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नवपाषाणिक संस्कृति पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- विन्ध्य क्षेत्र की नवपाषाण कालीन संस्कृति पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- दक्षिण भारत की नवपाषाण कालीन संस्कृति के विषय में बताइए।
- प्रश्न- मध्य गंगा घाटी की नवपाषाण कालीन संस्कृति पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ताम्रपाषाणिक संस्कृति से आप क्या समझते हैं? भारत में इसके विस्तार का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- जोर्वे-ताम्रपाषाणिक संस्कृति की विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मालवा की ताम्रपाषाणिक संस्कृति का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ताम्रपाषाणिक संस्कृति पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- आहार संस्कृति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मालवा की ताम्रपाषाणिक संस्कृति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जोर्वे संस्कृति की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- ताम्रपाषाणिक संस्कृति के औजार क्या थे?
- प्रश्न- ताम्रपाषाणिक संस्कृति के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता / हड़प्पा सभ्यता के नामकरण और उसके भौगोलिक विस्तार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की नगर योजना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हड़प्पा सभ्यता के नगरों के नगर- विन्यास पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोगों की शारीरिक विशेषताओं का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- पाषाण प्रौद्योगिकी पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के सामाजिक संगठन पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता के कला और धर्म पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता के व्यापार का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता की लिपि पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के पतन के कारणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लौह उत्पत्ति के सम्बन्ध में पुरैतिहासिक व ऐतिहासिक काल के विचारों से अवगत कराइये?
- प्रश्न- लोहे की उत्पत्ति (भारत में) के विषय में विभिन्न चर्चाओं से अवगत कराइये।
- प्रश्न- "ताम्र की अपेक्षा, लोहे की महत्ता उसकी कठोरता न होकर उसकी प्रचुरता में है" कथन को समझाइये।
- प्रश्न- महापाषाण संस्कृति के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- लौह युग की भारत में प्राचीनता से अवगत कराइये।
- प्रश्न- बलूचिस्तान में लौह की उत्पत्ति से सम्बन्धित मतों से अवगत कराइये?
- प्रश्न- भारत में लौह-प्रयोक्ता संस्कृति पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्राचीन मृद्भाण्ड परम्परा से आप क्या समझते हैं? गैरिक मृद्भाण्ड (OCP) संस्कृति का विस्तृत विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- चित्रित धूसर मृद्भाण्ड (PGW) के विषय में विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- उत्तरी काले चमकदार मृद्भाण्ड (NBPW) के विषय में संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- एन. बी. पी. मृद्भाण्ड संस्कृति का कालानुक्रम बताइए।
- प्रश्न- मालवा की मृद्भाण्ड परम्परा के विषय में बताइए।
- प्रश्न- पी. जी. डब्ल्यू. मृद्भाण्ड के विषय में एक लघु लेख लिखिये।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में प्रयुक्त लिपियों के प्रकार तथा नाम बताइए।
- प्रश्न- मौर्यकालीन ब्राह्मी लिपि पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत की प्रमुख खरोष्ठी तथा ब्राह्मी लिपियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अक्षरों की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अशोक के अभिलेख की लिपि बताइए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास की संरचना में अभिलेखों के महत्व का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अभिलेख किसे कहते हैं? और प्रालेख से किस प्रकार भिन्न हैं?
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय अभिलेखों से सामाजिक जीवन पर क्या प्रकाश पड़ता है?
- प्रश्न- अशोक के स्तम्भ लेखों के विषय में बताइये।
- प्रश्न- अशोक के रूमेन्देई स्तम्भ लेख का सार बताइए।
- प्रश्न- अभिलेख के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति के विषय में बताइए।
- प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख से किस राजा के विषय में जानकारी मिलती है उसके विषय में आप सूक्ष्म में बताइए।
- प्रश्न- मुद्रा बनाने की रीतियों का उल्लेख करते हुए उनकी वैज्ञानिकता को सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- भारत में मुद्रा की प्राचीनता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में मुद्रा निर्माण की साँचा विधि का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुद्रा निर्माण की ठप्पा विधि का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आहत मुद्राओं (पंचमार्क सिक्कों) की मुख्य विशेषताओं एवं तिथिक्रम का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मौर्यकालीन सिक्कों की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- आहत मुद्राओं (पंचमार्क सिक्के) से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- आहत सिक्कों के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- पंचमार्क सिक्कों का महत्व बताइए।
- प्रश्न- कुषाणकालीन सिक्कों के इतिहास का विस्तृत विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय यूनानी सिक्कों की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- कुषाण कालीन सिक्कों के उद्भव एवं प्राचीनता को संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- गुप्तकालीन सिक्कों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- गुप्तकालीन ताम्र सिक्कों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- उत्तर गुप्तकालीन मुद्रा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- समुद्रगुप्त के स्वर्ण सिक्कों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- गुप्त सिक्कों की बनावट पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- गुप्तकालीन सिक्कों का ऐतिहासिक महत्व बताइए।
- प्रश्न- इतिहास के अध्ययन हेतु अभिलेख अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन में सिक्कों के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन सिक्कों से शासकों की धार्मिक अभिरुचियों का ज्ञान किस प्रकार प्राप्त होता है?
- प्रश्न- हड़प्पा की मुद्राओं के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन में अभिलेखों का क्या महत्व है?
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत के रूप में सिक्कों का महत्व बताइए।