लोगों की राय

प्राचीन भारतीय और पुरातत्व इतिहास >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 प्राचीन भारतीय इतिहास

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 प्राचीन भारतीय इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2794
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 प्राचीन भारतीय इतिहास - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 2

भारत में पुरातत्व अध्ययन
की उत्पत्ति एवं विकास

(Origin and Development of
Archaeological Studies in India)

प्रश्न- भारत में पुरातत्व पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।

अथवा
पुरातत्व के क्षेत्र में पहले व्यवस्थित अनुसंधान के विषय में बताइये। उसकी स्थापना कब और किसके द्वारा की गयी?
अथवा

कनिंघम कौन था? पुरातत्व के क्षेत्र में उनके योगदान को बताइये।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. पुरातत्व विभाग के संचालन में आने वाली कठिनाइयों से अवगत कराइये।
2. मार्शल के कार्यों से अवगत कराइये।

उत्तर -

भारत में पुरातत्व - इस विभाग की स्थापना सन् 1861 में अलेक्जेंडर कनिंघम ने की थी जो इसके पहले महानिदेशक भी बने। इस क्षेत्र में पहला व्यवस्थित अनुसंधान "एशियाटिक सोसाइटी' द्वारा किया गया था, जिसकी स्थापना 15 जनवरी 1784 को ब्रिटिश इंडोलॉजिस्ट विलियम जोन्स द्वारा की गयी थी। बंगाल की पृष्ठभूमि ने प्राचीन संस्कृत और फारसी ग्रंथों के अध्ययन को बढ़ावा दिया। इसके शुरुआती सदस्यों में उल्लेखनीय चार्ल्स बिल्किस थे जिन्होंने 1785 में तत्कालीन संरक्षण के बाद भगवद्गीता का पहला अंग्रेजी अनुवाद प्रकाशित किया था। सन् 1837 में जेम्स प्रिंसेप द्वारा ब्राह्मी लिपि की व्याख्या की गयी।

ब्राह्मी के ज्ञान के साथ, जेम्स प्रिंसेप के एक नायक, अलेक्जेंडर कनिंघम ने बौद्ध स्मारकों का एक विस्तृत सर्वेक्षण किया जो आधी शताब्दी से अधिक समय तक चला। कनिंघम ने अपने कई शुरुआती उत्खनन स्वयं किये, लंबे समय तक उसमें संलग्न रहने के पश्चात् उन्हें पुरातात्विक खुदाई और भारतीय स्मारकों के संरक्षण की देखरेख के लिये एक स्थायी निकाय की आवश्यकता का अनुभव किया और एक पुरातात्विक सर्वेक्षण की पैरवी करने के लिये उन्होंने अपने पद और प्रभाव का पूरा इस्तेमाल किया। परन्तु 1848 में उनका प्रयास सफल न हो सका। जिसे बाद में 1861 में लॉर्ड कैनिंग द्वारा कनिंघम के पुरातात्विक सर्वेक्षणकर्ता के रूप में पारित एक कानून द्वारा किया गया था। 1871 में, सर्वेक्षण को एक अलग विभाग के रूप में पुनर्जीवित किया गया और कनिंघम को इसका पहला महानिदेशक नियुक्त किया गया। कनिंघम 1885 में सेवानिवृत्त हुये उस दौरान एक वार्षिक पत्रिका द इंडियन एंटिकरी (1872) और एक वार्षिक एपिग्राफिकल प्रकाशन 'एपिग्राफिया इंडिका (1882) को भारतीय पुरातन के पूरक के रूप में लॉन्च किया गया।

महानिदेशक के पद को 1889 में एक फंड क्रंच के कारण स्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया था और 1902 तक अंतरिम अवधि में संरक्षण कार्य व्यक्तिगत सर्कल के अधीक्षकों द्वारा किये गये थे। 1888 से, सरकारी खर्ची को कम करने के उद्देश्य से, लिबरल एडवर्ड बक के बाद "बक संकट" के रूप में जानने वाला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का बजट घटता गया। इसके प्रभाव ने ए. सस.आई. आई के कर्मचारियों जैसे कि एलोइस एंटन फ्यूहरर के रोजगार को गंभीर रूप से खतरे में डाल दिया। 1892 में, एडवर्क बक ने घोषणा की कि सरकार के बजट के लिये बजट उत्पन्न करने के लिये, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को बंद कर दिया जायेगा और 1895 तक सभी एएसआई कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया जाएगा। 1902 में कर्जन ने कैंब्रिज में एक 26 वर्षीय शास्त्रीय अध्ययन के प्रोफेसर का चयन किया, जिसका नाम जॉन मार्शल था। मार्शल ने एक सदी के चौथाई के लिये महानिदेशक के रूप में कार्य किया और अपने लंबे कार्यकाल के दौरान, उन्होंने पुनः सर्वेक्षण किया।

मार्शल ने सरकारी एपिग्राफिस्ट के पद की स्थापना की और एपिग्राफिकल स्टडीज को प्रोत्साहित किया। उनके कार्यकाल की सबसे महत्वपूर्ण घटना थी। सिंधु घाटी सभ्यता में हड़प्पा और मोहनजोदड़ों की खोज। इस खोज की सफलता और पैमाने ने यह सुनिश्चित किया कि मार्शल के कार्यकाल में हुई प्रगति अद्भुत थी।

प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 में पारित किया गया था। उसी दौरान अयोध्या में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद के लिये पुरातात्विक खुदाई का संचालन किया गया। इस क्रम को एम.एन. देशपांडे, बी.के. थापर ने आगे बढ़ाया। थापर के 1981 में सेवानिवृत्त होने के पश्चात् पुरातत्वविद देववाला मित्रा को उनकी जगह नियुक्त किया गया, वह ए. एस.आई. की पहली महिला महानिदेशक थीं।

अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संस्कृति मंत्रालय का एक संलग्न कार्यालय है। 1958 के ए. एम.एस. आर. अधिनियम के प्रावधानों के तहत, ए.एस.आई. 3650 से अधिक प्राचीन स्मारकों, पुरातात्विक स्थलों और राष्ट्रीय महत्व के अवशेषों का प्रशासन करता है। इनमें मंदिरों, मस्जिदों, चर्ची, कब्रों और कब्रिस्तानों से लेकर महलों, किलों, कदम-कुओं और रॉककट गुफाओं तक सब कुछ शामिल हो सकता है। सर्वेक्षण में प्राचीन टीले और अन्य समान स्थल भी हैं जो प्राचीन निवास स्थान के अवशेषों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ए.एस.आई. का नेतृत्व एक महानिदेशक करता है, जिसे एक अतिरिक्त महानिदेशक, दो संयुक्त महानिदेशक और 17 निदेशकों द्वारा सहायता प्रदान की जाती है। ए.एस.आई. को कुल 30 सर्किलों में विभाजित किया गया है जिसमें से प्रत्येक एक अध् क्षण पुरातत्वविद् के नेतृत्व में है। प्रत्येक व्रत को आगे उप-मंडलियों में विभाजित किया। ए.एस. आई. के सर्कल हैं-

आगरा,
आइजोल,
अमरावती,
औरंगाबाद,
बेंगलुरू,
भोपाल,
भुवनेश्वर,
चंडीगढ़,
चेन्नई,
देहरादून,
दिल्ली,
घाखाड़,
गोवा,
गुवाहाटी,
हैदराबाद,
जयपुर,
जोधपुर,
कलकत्ता,
लखनऊ,
मुंबई,
नागपुर,
पटना,
रायपुर,
रायगंज,
रांची,
सारनाथ,
शिमला,
श्रीनगर,
त्रिशूर,
बडोदरा।

ए.एस.आई. दिल्ली, लेह और हम्पी में तीन "मिनी-सर्कल" भी, संचालित करता है। मोर्टिमर व्हीलर द्वारा 1946 में एक समर्पित संग्रहालय शाखा की स्थापना की गई थी, जो अब देश भर में फैले कुल 50 संग्रहालयों का रख-रखाव करता है। नई दिल्ली में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मुख्यालय के भवन में एक केन्द्रीय पुरातत्व दुर्लभ पुस्तकों, प्लेटों और मूल चित्रों का भंडार भी है। इस सर्वेक्षण के दिन-प्रतिदिन के काम को समय-समय पर बुलेटिन और रिपोर्टों की एक श्रृंखला में प्रकाशित किया गया था। ए.एस.आई. द्वारा प्रकाशित अवधिक और पुरातात्विक श्रृंखलाएँ हैं-

(1) कॉर्पस शिलालेख इंडिकरम,
(2) भारतीय एपिग्राफी पर वार्षिक रिपोर्ट,
(3) एपिग्राफिया इंडिका,
(4) दक्षिण भारतीय शिलालेख,
(5) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की वार्षिक रिपोर्ट,
(6) प्राचीन भारत,
(7) भारतीय पुरातत्व : एक समीक्षा।

राज्य सरकार के पुरातात्विक विभागों द्वारा ए.एस.आई. के अलावा भारत में पुरातात्विक कार्य और कुछ राज्यों में स्मारकों को संरक्षण भी दिया गया है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- पुरातत्व क्या है? इसकी विषय-वस्तु का निरूपण कीजिए।
  2. प्रश्न- पुरातत्व का मानविकी तथा अन्य विज्ञानों से सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान के स्वरूप या प्रकृति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  4. प्रश्न- 'पुरातत्व के अभाव में इतिहास अपंग है। इस कथन को समझाइए।
  5. प्रश्न- इतिहास का पुरातत्व शस्त्र के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  6. प्रश्न- भारत में पुरातत्व पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  7. प्रश्न- पुरातत्व सामग्री के क्षेत्रों का विश्लेषण अध्ययन कीजिये।
  8. प्रश्न- भारत के पुरातत्व के ह्रास होने के क्या कारण हैं?
  9. प्रश्न- प्राचीन इतिहास की संरचना में पुरातात्विक स्रोतों के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
  10. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास की संरचना में पुरातत्व का महत्व बताइए।
  11. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन में अभिलेखों का क्या महत्व है?
  12. प्रश्न- स्तम्भ लेख के विषय में आप क्या जानते हैं?
  13. प्रश्न- स्मारकों से प्राचीन भारतीय इतिहास की क्या जानकारी प्रात होती है?
  14. प्रश्न- पुरातत्व के उद्देश्यों से अवगत कराइये।
  15. प्रश्न- पुरातत्व के विकास के विषय में बताइये।
  16. प्रश्न- पुरातात्विक विज्ञान के विषय में बताइये।
  17. प्रश्न- ऑगस्टस पिट, विलियम फ्लिंडर्स पेट्री व सर मोर्टिमर व्हीलर के विषय में बताइये।
  18. प्रश्न- उत्खनन के विभिन्न सिद्धान्तों तथा प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- पुरातत्व में ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज उत्खननों के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
  20. प्रश्न- डेटिंग मुख्य रूप से उत्खनन के बाद की जाती है, क्यों। कारणों का उल्लेख कीजिए।
  21. प्रश्न- डेटिंग (Dating) क्या है? विस्तृत रूप से बताइये।
  22. प्रश्न- कार्बन-14 की सीमाओं को बताइये।
  23. प्रश्न- उत्खनन व विश्लेषण (पुरातत्व के अंग) के विषय में बताइये।
  24. प्रश्न- रिमोट सेंसिंग, Lidar लेजर अल्टीमीटर के विषय में बताइये।
  25. प्रश्न- लम्बवत् और क्षैतिज उत्खनन में पारस्परिक सम्बन्धों को निरूपित कीजिए।
  26. प्रश्न- क्षैतिज उत्खनन के लाभों एवं हानियों पर प्रकाश डालिए।
  27. प्रश्न- पुरापाषाण कालीन संस्कृति का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- निम्न पुरापाषाण कालीन संस्कृति का विस्तृत विवेचन कीजिए।
  29. प्रश्न- उत्तर पुरापाषाण कालीन संस्कृति के विकास का वर्णन कीजिए।
  30. प्रश्न- भारत की मध्यपाषाणिक संस्कृति पर एक वृहद लेख लिखिए।
  31. प्रश्न- मध्यपाषाण काल की संस्कृति का महत्व पूर्ववर्ती संस्कृतियों से अधिक है? विस्तृत विवेचन कीजिए।
  32. प्रश्न- भारत में नवपाषाण कालीन संस्कृति के विस्तार का वर्णन कीजिये।
  33. प्रश्न- भारतीय पाषाणिक संस्कृति को कितने कालों में विभाजित किया गया है?
  34. प्रश्न- पुरापाषाण काल पर एक लघु लेख लिखिए।
  35. प्रश्न- पुरापाषाण कालीन मृद्भाण्डों पर टिप्पणी लिखिए।
  36. प्रश्न- पूर्व पाषाण काल के विषय में एक लघु लेख लिखिये।
  37. प्रश्न- पुरापाषाण कालीन शवाशेष पद्धति पर टिप्पणी लिखिए।
  38. प्रश्न- मध्यपाषाण काल से आप क्या समझते हैं?
  39. प्रश्न- मध्यपाषाण कालीन संस्कृति की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।।
  40. प्रश्न- मध्यपाषाणकालीन संस्कृति का विस्तार या प्रसार क्षेत्र स्पष्ट कीजिए।
  41. प्रश्न- विन्ध्य क्षेत्र के मध्यपाषाणिक उपकरणों पर प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- गंगा घाटी की मध्यपाषाण कालीन संस्कृति पर प्रकाश डालिए।
  43. प्रश्न- नवपाषाणिक संस्कृति पर टिप्पणी लिखिये।
  44. प्रश्न- विन्ध्य क्षेत्र की नवपाषाण कालीन संस्कृति पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- दक्षिण भारत की नवपाषाण कालीन संस्कृति के विषय में बताइए।
  46. प्रश्न- मध्य गंगा घाटी की नवपाषाण कालीन संस्कृति पर टिप्पणी लिखिए।
  47. प्रश्न- ताम्रपाषाणिक संस्कृति से आप क्या समझते हैं? भारत में इसके विस्तार का उल्लेख कीजिए।
  48. प्रश्न- जोर्वे-ताम्रपाषाणिक संस्कृति की विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
  49. प्रश्न- मालवा की ताम्रपाषाणिक संस्कृति का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- ताम्रपाषाणिक संस्कृति पर टिप्पणी लिखिए।
  51. प्रश्न- आहार संस्कृति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- मालवा की ताम्रपाषाणिक संस्कृति पर प्रकाश डालिए।
  53. प्रश्न- जोर्वे संस्कृति की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  54. प्रश्न- ताम्रपाषाणिक संस्कृति के औजार क्या थे?
  55. प्रश्न- ताम्रपाषाणिक संस्कृति के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  56. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता / हड़प्पा सभ्यता के नामकरण और उसके भौगोलिक विस्तार की विवेचना कीजिए।
  57. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की नगर योजना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  58. प्रश्न- हड़प्पा सभ्यता के नगरों के नगर- विन्यास पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  59. प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोगों की शारीरिक विशेषताओं का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
  60. प्रश्न- पाषाण प्रौद्योगिकी पर टिप्पणी लिखिए।
  61. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के सामाजिक संगठन पर टिप्पणी कीजिए।
  62. प्रश्न- सिंधु सभ्यता के कला और धर्म पर टिप्पणी कीजिए।
  63. प्रश्न- सिंधु सभ्यता के व्यापार का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  64. प्रश्न- सिंधु सभ्यता की लिपि पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के पतन के कारणों पर प्रकाश डालिए।
  66. प्रश्न- लौह उत्पत्ति के सम्बन्ध में पुरैतिहासिक व ऐतिहासिक काल के विचारों से अवगत कराइये?
  67. प्रश्न- लोहे की उत्पत्ति (भारत में) के विषय में विभिन्न चर्चाओं से अवगत कराइये।
  68. प्रश्न- "ताम्र की अपेक्षा, लोहे की महत्ता उसकी कठोरता न होकर उसकी प्रचुरता में है" कथन को समझाइये।
  69. प्रश्न- महापाषाण संस्कृति के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  70. प्रश्न- लौह युग की भारत में प्राचीनता से अवगत कराइये।
  71. प्रश्न- बलूचिस्तान में लौह की उत्पत्ति से सम्बन्धित मतों से अवगत कराइये?
  72. प्रश्न- भारत में लौह-प्रयोक्ता संस्कृति पर टिप्पणी लिखिए।
  73. प्रश्न- प्राचीन मृद्भाण्ड परम्परा से आप क्या समझते हैं? गैरिक मृद्भाण्ड (OCP) संस्कृति का विस्तृत विवेचन कीजिए।
  74. प्रश्न- चित्रित धूसर मृद्भाण्ड (PGW) के विषय में विस्तार से समझाइए।
  75. प्रश्न- उत्तरी काले चमकदार मृद्भाण्ड (NBPW) के विषय में संक्षेप में बताइए।
  76. प्रश्न- एन. बी. पी. मृद्भाण्ड संस्कृति का कालानुक्रम बताइए।
  77. प्रश्न- मालवा की मृद्भाण्ड परम्परा के विषय में बताइए।
  78. प्रश्न- पी. जी. डब्ल्यू. मृद्भाण्ड के विषय में एक लघु लेख लिखिये।
  79. प्रश्न- प्राचीन भारत में प्रयुक्त लिपियों के प्रकार तथा नाम बताइए।
  80. प्रश्न- मौर्यकालीन ब्राह्मी लिपि पर प्रकाश डालिए।
  81. प्रश्न- प्राचीन भारत की प्रमुख खरोष्ठी तथा ब्राह्मी लिपियों पर प्रकाश डालिए।
  82. प्रश्न- अक्षरों की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  83. प्रश्न- अशोक के अभिलेख की लिपि बताइए।
  84. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास की संरचना में अभिलेखों के महत्व का उल्लेख कीजिए।
  85. प्रश्न- अभिलेख किसे कहते हैं? और प्रालेख से किस प्रकार भिन्न हैं?
  86. प्रश्न- प्राचीन भारतीय अभिलेखों से सामाजिक जीवन पर क्या प्रकाश पड़ता है?
  87. प्रश्न- अशोक के स्तम्भ लेखों के विषय में बताइये।
  88. प्रश्न- अशोक के रूमेन्देई स्तम्भ लेख का सार बताइए।
  89. प्रश्न- अभिलेख के प्रकार बताइए।
  90. प्रश्न- समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति के विषय में बताइए।
  91. प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख से किस राजा के विषय में जानकारी मिलती है उसके विषय में आप सूक्ष्म में बताइए।
  92. प्रश्न- मुद्रा बनाने की रीतियों का उल्लेख करते हुए उनकी वैज्ञानिकता को सिद्ध कीजिए।
  93. प्रश्न- भारत में मुद्रा की प्राचीनता पर प्रकाश डालिए।
  94. प्रश्न- प्राचीन भारत में मुद्रा निर्माण की साँचा विधि का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- मुद्रा निर्माण की ठप्पा विधि का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- आहत मुद्राओं (पंचमार्क सिक्कों) की मुख्य विशेषताओं एवं तिथिक्रम का वर्णन कीजिए।
  97. प्रश्न- मौर्यकालीन सिक्कों की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत कीजिए।
  98. प्रश्न- आहत मुद्राओं (पंचमार्क सिक्के) से आप क्या समझते हैं?
  99. प्रश्न- आहत सिक्कों के प्रकार बताइये।
  100. प्रश्न- पंचमार्क सिक्कों का महत्व बताइए।
  101. प्रश्न- कुषाणकालीन सिक्कों के इतिहास का विस्तृत विवेचन कीजिए।
  102. प्रश्न- भारतीय यूनानी सिक्कों की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
  103. प्रश्न- कुषाण कालीन सिक्कों के उद्भव एवं प्राचीनता को संक्षेप में बताइए।
  104. प्रश्न- गुप्तकालीन सिक्कों का परिचय दीजिए।
  105. प्रश्न- गुप्तकालीन ताम्र सिक्कों पर टिप्पणी लिखिए।
  106. प्रश्न- उत्तर गुप्तकालीन मुद्रा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  107. प्रश्न- समुद्रगुप्त के स्वर्ण सिक्कों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  108. प्रश्न- गुप्त सिक्कों की बनावट पर टिप्पणी लिखिए।
  109. प्रश्न- गुप्तकालीन सिक्कों का ऐतिहासिक महत्व बताइए।
  110. प्रश्न- इतिहास के अध्ययन हेतु अभिलेख अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। विवेचना कीजिए।
  111. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन में सिक्कों के महत्व की विवेचना कीजिए।
  112. प्रश्न- प्राचीन सिक्कों से शासकों की धार्मिक अभिरुचियों का ज्ञान किस प्रकार प्राप्त होता है?
  113. प्रश्न- हड़प्पा की मुद्राओं के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
  114. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन में अभिलेखों का क्या महत्व है?
  115. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत के रूप में सिक्कों का महत्व बताइए।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book