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प्राचीन भारतीय और पुरातत्व इतिहास >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2793
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 9 

प्राचीन भारत के प्रमुख राज्य कर

(Major State Taxes of Ancient India)

प्रश्न- प्राचीन भारत में कर के स्रोतों का विवरण दीजिए।

उत्तर-

राज्य आय के मुख्य स्रोत निम्नलिखित थे-

(1) कर और शुल्क
(2) मुख्य अवसरों पर कर
(3) राज्य सम्पत्ति से आय (शुक्र का आय-कर)
(4) सामन्तों द्वारा दिये गये उपहार,
(5) दण्ड।

हम यहां प्राचीन भारत के कर की विशेषताओं का अध्ययन करेंगे।

(1) कर एवं शुल्क - भूमिकर राज्य आय का मुख्य साधन था। अभिलेखों में इसे 'भागकर ' और 'उद्रंग' कहा गया है। स्मृतियों में कर की एक दर नहीं बतायी गयी है। आठ से लेकर तैंतीस प्रतिशत तक इनमें बताया गया है। डा. अल्तेकर के अनुसार दरों में अन्तर भूमि के किस्म के कारण था। कुलोतुंग चोल ने कर के उद्देश्य से भूमि को आठ वर्गों में विभक्त किया था। स्मृतिकारों में एक मत न होने के कारण सम्भवतः यह भी था कि विभिन्न राज्यों में विभिन्न दरें सम्भवतः होंगी अथवा एक ही सरकार द्वारा विभिन्न समय में विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु विभिन्न दरें निर्धारित की जाती होंगी। अर्थशास्त्र और मेगस्थनीज अनुसार मौर्य राज्य में कृषि उत्पादन पर 25% कर वसूल किया जाता था अशोक ने लुम्बनी गांव के लोगों को कर में छूट दी थी।

भूमि कर राजा अपने अधिकारियों द्वारा वसूल करवाता था। भूमि कर नकद और वस्तु दोनों रूपों में संग्रह किया जाता था। जातकों द्वारा गत होता है कि जब फसल तैयार होती थी तो फसल कटने के समय राज्य कर्मचारी खेतों पर जाकर कर वस्तु रूप में संग्रह करते थे।

( 2 ) चुंगी - व्यापारियों द्वारा आपात की गयी वस्तुओं पर चुंगी ली जाती थी। इसमें राज्य का औचित्य था क्योंकि सड़कों और यातायात मार्गों को राज्य द्वारा सुरक्षित रखने में व्यय करना पड़ता था। चुंगी नगर अथवा गांव के प्रवेश द्वार पर स्थित शल्कगृह सौल्लिक अधिकारी द्वारा ली जाती थी। स्थानीय रीति रिवाजों के अनुसार चुंगी नकद अथवा वस्तु रूप में अदा करनी पड़ती थी। स्मृतियों द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार अदायगी वस्तु के रूप में होती थी। अभिलेखों द्वारा ज्ञात होता है कि विभिन्न स्थानों पर घी, तेल, पान आदि की निश्चित मात्रा चुंगी में देनी पड़ती थी। प्राचीन भारतीय चिन्तकों द्वारा चुंगी की निम्नलिखित दरें निर्धारित की गयी हैं।
2793_89 अधिकतर स्मृतियों में वर्णित पदार्थों पर लगाये गए कर अभिलेखों में देखने को मिलते हैं। कौटिल्य ने ऐसे पदार्थों को शुल्क मुक्त बताया है जो धार्मिक यज्ञों और विवाह-संस्कारों के लिए आयात हुए हों।

इसके अतिरिक्त दुकानों पर कर (Shop tax) लगाये जाते थे। बढ़ई, धातु कलाकार आदि राज्य . के लिए महीने में एक या दो दिन कार्य करते थे।

(3) एक्साइज ड्यूटी - मंदिरा का व्यापार राज्य नियंत्रण में था। इसका उत्पादन आंशिक राजकीय डिस्टिलरी में और आंशिक व्यक्तिगत रूप में होता था। अर्थशास्त्र के अनुसार व्यक्तिगत रूप में तैयार की गयी मदिरा पर 5% एक्साइज ड्यूटी पड़ती थी।

खानों से प्राप्त द्रवों पर भी एक्साइज ड्यूटी लगायी जाती थी। शुक्र के अनुसार स्वर्ण और रत्नों पर 50%, चांदी और तांबे पर 33 1/3% और अन्य धातुओं पर 16 से 25% आयकर लिया जाता था।

लवण पर भी एक्साइज ड्यूटी लगती थी। ताम्र-दान पात्रों से ज्ञात होता है कि दान से प्राप्त ग्रामों को यह अधिकार दिया जाता था कि वे बिना शुल्क दिये लवण और धातुएं खोद सकते थे।

पशुपालन पर भी कर लिया जाता था।

(4) विष्टि - निर्धन व्यक्ति न तो नकद और न ही वस्तु रूप में कर दे पाता। परन्तु वह राज्य द्वारा सुरक्षा पाता था। अतः उससे राजा परिश्रम में कर लेता था, अर्थात राज्य की वह व्यक्ति बिना मजदूरी लिए, एक या दो दिन महीने में अपने शारीरिक परिश्रम द्वारा सेवा करता था।

(5) अतिरिक्त कर - राज्य के पास यह शक्ति थी कि अज्ञात आपत्ति का मुकाबला करने के लिए अथवा बड़ी योजनाओं को सफल बनाने के लिए अतिरिक्त कर लगा सकता था। महाभारत में बताया गया है कि राजा अपने विशेष दूत भेजकर प्रजा को परिस्थिति से अवगत कराये और उसका हृदय जीते। अर्थशास्त्र में अतिरिक्त कर को 'प्रणय' बताया गया है। कृषक से 25% और व्यापारी से 5% से 50% तक कर वसूल किया जाता था।

इस प्रकार उपर्युक्त विशेषतायें प्राचीन भारतीय कर - व्यवस्था की दिखाई देती हैं। स्मृतियों में बतलाये गये सामान्य सिद्धान्तों का जैसा कि हम बता चुके हैं, क्या अनुसरण होता था? हमारे पास कुछ ऐतिहासिक प्रमाण है जो प्रदर्शित करते हैं कि प्राचीन भारतीय राजा कर वसूलवायी में निरंकुशता बरतते थे। एक जातक में एक गांव के लोगों की बड़ी दयनीय दशा को बताया गया है। इसके अनुसार उस गांव के रहने वाले अधिकारी के भय से भाग कर जंगल में छिप गये थे। काश्मीर के राजा ललितादित्य अपने उत्तराधिकारियों को यह सलाह दी की वे प्रजा से इतना कर वसूल करें कि उनके पास केवल वर्ष भर के लिए खाने को शेष रहे। इसी वंश के राजा शंकरवर्मा ने प्रजा से इतना कर वसूला कि प्रजा के पास जीवन निर्वाह के लिए केवल हवा शेष रह गई। कुलोत्तुंग तृतीय के सामन्त ने अवैध कर वसूल किया था और इसके न दे सकने पर लोगों की जमीनें क्रय कर ली गयी थी। क्या इन कुछ उदाहरणों पर धारणा बनाई जा सकती है कि प्राचीन भारत में सभी राजा अवैध कर लेकर निरंकुशता का बोलबाला स्थापित करते थे? ऐसी धारणा हम नहीं बना सकते हैं। उदाहरण केवल अपवाद मात्र हैं। दक्षिणी भारत के अभिलेखों से दूसरी ओर ज्ञात होता है कि प्रजा गांव सभा अथवा पंचायत के माध्यम से केन्द्र की निरंकुशता से अपने हितों और अधिकारों की सुरक्षा करती थी। तंजौर जिले के नाडुओं की कुछ सभाओं ने प्रस्ताव पारित किया कि वे केवल वैधानिक कर अदा करेंगे और राज्य की अन्य मांगों को नहीं मानेंगे। यद्यपि वैदिक युग की समितियां अब नहीं रह गयी थी। अतः केन्द्र की निरंकुशता बढ़ने लगी थी। परन्तु फिर भी ग्राम सभाओं की कार्यपालिकायें इतनी शक्तिशाली थी कि अपने वैधानिक हितों और अधिकारों पर केन्द्र के अतिक्रमणों का प्रतिरोध करती थी।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- वर्ण व्यवस्था से आप क्या समझते हैं? भारतीय दर्शन में इसका क्या महत्व है?
  2. प्रश्न- जाति प्रथा की उत्पत्ति एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  3. प्रश्न- जाति व्यवस्था के गुण-दोषों का विवेचन कीजिए। इसने भारतीय
  4. प्रश्न- ऋग्वैदिक और उत्तर वैदिक काल की भारतीय जाति प्रथा के लक्षणों की विवेचना कीजिए।
  5. प्रश्न- प्राचीन काल में शूद्रों की स्थिति निर्धारित कीजिए।
  6. प्रश्न- मौर्यकालीन वर्ण व्यवस्था पर प्रकाश डालिए। .
  7. प्रश्न- वर्णाश्रम धर्म से आप क्या समझते हैं? इसकी मुख्य विशेषताएं बताइये।
  8. प्रश्न- पुरुषार्थ क्या है? इनका क्या सामाजिक महत्व है?
  9. प्रश्न- संस्कार शब्द से आप क्या समझते हैं? उसका अर्थ एवं परिभाषा लिखते हुए संस्कारों का विस्तार तथा उनकी संख्या लिखिए।
  10. प्रश्न- सोलह संस्कारों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- प्राचीन भारतीय समाज में संस्कारों के प्रयोजन पर अपने विचार संक्षेप में लिखिए।
  12. प्रश्न- प्राचीन भारत में विवाह के प्रकारों को बताइये।
  13. प्रश्न- प्राचीन भारत में विवाह के अर्थ तथा उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए तथा प्राचीन भारतीय विवाह एक धार्मिक संस्कार है। इस कथन पर भी प्रकाश डालिए।
  14. प्रश्न- परिवार संस्था के विकास के बारे में लिखिए।
  15. प्रश्न- प्राचीन काल में प्रचलित विधवा विवाह पर टिप्पणी लिखिए।
  16. प्रश्न- प्राचीन भारतीय समाज में नारी की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  17. प्रश्न- प्राचीन भारत में नारी शिक्षा का इतिहास प्रस्तुत कीजिए।
  18. प्रश्न- स्त्री के धन सम्बन्धी अधिकारों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- वैदिक काल में नारी की स्थिति का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- ऋग्वैदिक काल में पुत्री की सामाजिक स्थिति बताइए।
  21. प्रश्न- वैदिक काल में सती-प्रथा पर टिप्पणी लिखिए।
  22. प्रश्न- उत्तर वैदिक में स्त्रियों की दशा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  23. प्रश्न- ऋग्वैदिक विदुषी स्त्रियों के बारे में आप क्या जानते हैं?
  24. प्रश्न- राज्य के सम्बन्ध में हिन्दू विचारधारा का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- महाभारत काल के राजतन्त्र की व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- प्राचीन भारत में राज्य के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  27. प्रश्न- राजा और राज्याभिषेक के बारे में बताइये।
  28. प्रश्न- राजा का महत्व बताइए।
  29. प्रश्न- राजा के कर्त्तव्यों के विषयों में आप क्या जानते हैं?
  30. प्रश्न- वैदिक कालीन राजनीतिक जीवन पर एक निबन्ध लिखिए।
  31. प्रश्न- उत्तर वैदिक काल के प्रमुख राज्यों का वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- राज्य की सप्त प्रवृत्तियाँ अथवा सप्तांग सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिए।
  33. प्रश्न- कौटिल्य का मण्डल सिद्धांत क्या है? उसकी विस्तृत विवेचना कीजिये।
  34. प्रश्न- सामन्त पद्धति काल में राज्यों के पारस्परिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- प्राचीन भारत में राज्य के उद्देश्य अथवा राज्य के उद्देश्य।
  36. प्रश्न- प्राचीन भारत में राज्यों के कार्य बताइये।
  37. प्रश्न- क्या प्राचीन राजतन्त्र सीमित राजतन्त्र था?
  38. प्रश्न- राज्य के सप्तांग सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  39. प्रश्न- कौटिल्य के अनुसार राज्य के प्रमुख प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- क्या प्राचीन राज्य धर्म आधारित राज्य थे? वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- मौर्यों के केन्द्रीय प्रशासन पर एक लेख लिखिए।
  42. प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
  43. प्रश्न- अशोक के प्रशासनिक सुधारों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  44. प्रश्न- गुप्त प्रशासन के प्रमुख अभिकरणों का उल्लेख कीजिए।
  45. प्रश्न- गुप्त प्रशासन पर विस्तृत रूप से एक निबन्ध लिखिए।
  46. प्रश्न- चोल प्रशासन पर एक निबन्ध लिखिए।
  47. प्रश्न- चोलों के अन्तर्गत 'ग्राम- प्रशासन' पर एक निबन्ध लिखिए।
  48. प्रश्न- लोक कल्याणकारी राज्य के रूप में मौर्य प्रशासन का परीक्षण कीजिए।
  49. प्रश्न- मौर्यों के ग्रामीण प्रशासन पर एक लेख लिखिए।
  50. प्रश्न- मौर्य युगीन नगर प्रशासन पर प्रकाश डालिए।
  51. प्रश्न- गुप्तों की केन्द्रीय शासन व्यवस्था पर टिप्पणी कीजिये।
  52. प्रश्न- गुप्तों का प्रांतीय प्रशासन पर टिप्पणी कीजिये।
  53. प्रश्न- गुप्तकालीन स्थानीय प्रशासन पर टिप्पणी लिखिए।
  54. प्रश्न- प्राचीन भारत में कर के स्रोतों का विवरण दीजिए।
  55. प्रश्न- प्राचीन भारत में कराधान व्यवस्था के विषय में आप क्या जानते हैं?
  56. प्रश्न- प्राचीनकाल में भारत के राज्यों की आय के साधनों की विवेचना कीजिए।
  57. प्रश्न- प्राचीन भारत में करों के प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
  58. प्रश्न- कर की क्या आवश्यकता है?
  59. प्रश्न- कर व्यवस्था की प्राचीनता पर प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- प्रवेश्य कर पर टिप्पणी लिखिये।
  61. प्रश्न- वैदिक युग से मौर्य युग तक अर्थव्यवस्था में कृषि के महत्व की विवेचना कीजिए।
  62. प्रश्न- मौर्य काल की सिंचाई व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  63. प्रश्न- वैदिक कालीन कृषि पर टिप्पणी लिखिए।
  64. प्रश्न- वैदिक काल में सिंचाई के साधनों एवं उपायों पर एक टिप्पणी लिखिए।
  65. प्रश्न- उत्तर वैदिक कालीन कृषि व्यवस्था पर टिप्पणी लिखिए।
  66. प्रश्न- भारत में आर्थिक श्रेणियों के संगठन तथा कार्यों की विवेचना कीजिए।
  67. प्रश्न- श्रेणी तथा निगम पर टिप्पणी लिखिए।
  68. प्रश्न- श्रेणी धर्म से आप क्या समझते हैं? वर्णन कीजिए
  69. प्रश्न- श्रेणियों के क्रिया-कलापों पर प्रकाश डालिए।
  70. प्रश्न- वैदिककालीन श्रेणी संगठन पर प्रकाश डालिए।
  71. प्रश्न- वैदिक काल की शिक्षा व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  72. प्रश्न- बौद्धकालीन शिक्षा व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए वैदिक शिक्षा तथा बौद्ध शिक्षा की तुलना कीजिए।
  73. प्रश्न- प्राचीन भारतीय शिक्षा के प्रमुख उच्च शिक्षा केन्द्रों का वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- "विभिन्न भारतीय दार्शनिक सिद्धान्तों की जड़ें उपनिषद में हैं।" इस कथन की विवेचना कीजिए।
  75. प्रश्न- अथर्ववेद पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

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