बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 मनोविज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 मनोविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 मनोविज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से आप क्या समझते हैं? किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास किस प्रकार होता है एवं किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का उल्लेख कीजिए?
अथवा
किशोरावस्था में होने वाले संज्ञानात्मक विकास का वर्णन कीजिए एवं विकास को कौन-कौन से मुख्य कारक प्रभावित करते हैं? विवेचना कीजिए।
उत्तर -
संज्ञानात्मक विकास से तात्पर्य बालक की उन सभी मानसिक योग्यताओं और क्षमताओं में वृद्धि और विकास से है जिसके परिणामस्वरूप वह अपने निरन्तर बदलते हुए वातावरण में ठीक प्रकार से समायोजन करता है और बड़ी-बड़ी कठिन तथा उलझनपूर्ण समस्याओं को सुलझाने में अपनी मानसिक शक्तियों को पूरी तरह समर्थ पाता है। वास्तव में संवेदना, प्रत्यक्षीकरण, कल्पना, स्मरण शक्ति, तर्क शक्ति, विचार शक्ति, निरीक्षण, परीक्षण और सामान्यीकरण शक्ति, बुद्धि और भाषा सम्बन्धी, योग्यता, समस्या समाधान योग्यता और निर्णय लेने की शक्ति आदि सभी प्रकार की मानसिक और बौद्धिक शक्तियाँ, योग्यताएँ और क्षमताएँ हमारी मानसिक वृद्धि और विकास की प्रक्रिया द्वारा ही नियन्त्रित होती हैं।
किशोरावस्था की अवधि में बालकों का चिन्तन और तार्किक क्षमता में वृद्धि होती है तथा वे अमूर्त चिन्तन की ओर अग्रसर होते हैं। औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था की प्रमुख विशेषता अमूर्त संप्रत्ययों के रूप में चिन्तन करने की योग्यता है जो मूर्त वस्तुओं अथवा क्रियाओं को एक साथ जोड़ती है। इस अवधि में किशोर और किशोरियाँ औपचारिक संक्रियाओं के साथ वास्तविक संसार से काल्पनिक संसार की ओर गतिशील होते हैं। इस काल में वे कार्य-कारण सम्बन्धों को समझाने लगते है और उपकल्पनात्मक परिस्थिति में भी चिन्तन करते हैं। उपकल्पनात्मक और अमूर्त चिन्तन द्वारा उनके निगमनात्मक एवं आगमनात्मक चिन्तन में परिमार्जन होता है । मूर्त वस्तुओं के अभाव में भी चिन्तन की प्रक्रिया चलती रहती है। इस अवधि में सामाजिक वातावरण एवं शिक्षा का संज्ञानात्मक विकास पर अधिक प्रभाव पड़ता है। इसी अवधि में विचारशील चिन्तन विकसित हो जाता है। जिसके अन्तर्गत व्यक्ति अपने तर्क का परीक्षण और मूल्यांकन करता । विचारशील चिन्तन में औपचारिक संक्रियात्मक व्यक्ति स्वयं आलोचक होता हैं विचारशील चिन्तन से व्यक्ति का दृष्टिकोण प्रभावशाली एवं शक्तिशाली हो जाता है।
किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारक - किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारकों के सन्दर्भ में क्रो एवं क्रो ने लिखा है- " संज्ञानात्मक विकास अनेक तत्वों से प्रभावित होता है। यद्यपि वंशानुक्रम, स्नायुतन्त्र की संरचना इसे सर्वाधिक प्रभावित करती हैं परन्तु अन्य भौतिक पर्यावरण सम्बन्धी तत्व इस संज्ञानात्मक प्रगति में काफी मात्रा में तीव्रता तथा मन्दता लाते हैं। "
किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारक निम्न हैं-
1. वंशानुक्रम - समस्त विकासों की आधारशिला वंशानुक्रम है। वंशानुक्रम जिस तरह की स्नायुतन्त्र सम्बन्धी कुल संरचना जुटाती हैं उसी के अनुरूप संज्ञानात्मक विकास हो पाता है जिसमें उससे अधिक की सम्भावना नहीं होती ।
2. पारिवारिक वातावरण - किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास पर पारिवारिक वातावरण का भी प्रभाव पड़ता है; अच्छे परिवार, जहाँ माता-पिता और किशोर के मध्य श्रेष्ठ सम्बन्ध होता है उसी परिवार में प्रसन्नता और सौहार्द्र का वातावरण रहता है, जो किशोर के संज्ञानात्मक व्यवहार को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
3. परिवार की सामाजिक स्थिति - उच्च सामाजिक परिस्थितियों में किशोर को संज्ञानात्मक विकास के अधिक अवसर प्राप्त होते हैं और वह संज्ञानात्मक दृष्टि से अधिक उन्नति करता है।
4. परिवार की आर्थिक स्थिति - उच्च आर्थिक स्थिति वाले परिवार बालकों के लिए उच्च सुविधाएँ, शिक्षण सामग्री आदि प्रदान करते हैं जो किशोर के संज्ञानात्मक विकास पर अनुकूल प्रभाव डालते है। इसके विपरीत निर्धन परिवारों के किशोर बालक अवसरों से वंचित रहने के फलस्वरूप संज्ञानात्मक रूप से कुण्ठित हो जाते है।
5. माता-पिता की शिक्षा - शिक्षित माता-पिता की किशोर सन्तानें उच्च संज्ञानात्मक क्षमताओं से सम्पन्न होती हैं, परन्तु अशिक्षित माता-पिता के किशोर बालक इस तरह के वातावरण से वंचित रह जाते है।
6. शारीरिक स्वास्थ्य - किशोर का उचित शारीरिक स्वास्थ्य ही उसके उत्तम संज्ञानात्मक विकास का परिचायक है । जो किशोर गम्भीर बीमारी, चोट, दुर्बलता अपौष्टिक आहार के शिकार हो जाते हैं, वे उत्तम शारीरिक और संज्ञानात्मक क्षमताओं से वंचित हो जाते हैं।
7. विद्यालय और शिक्षा व्यवस्था - किशोर के संज्ञानात्मक विकास को समुन्नत करने में विद्यालय का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। जो किशोर उत्तम विद्यालयों में अध्ययन करते हैं और जहाँ का शैक्षिक वातावरण समृद्ध एवं संवर्धित होता है, उनका संज्ञानात्मक विकास तीव्रगति से होता : है । किशोर के संज्ञानात्मक विकास में शिक्षक, खेल-कूद के मैदान, पुस्तकालय और प्रयोगशालाओं का योगदान रहता है।
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