बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 मनोविज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 मनोविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 मनोविज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- वृद्धावस्था में नाड़ी सम्बन्धी योग्यता, मानसिक योग्यता एवं रुचियों के विभिन्न परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
(Physical Changes During Old Age)
वृद्धावस्था में होने वाले प्रमुख शारीरिक परिवर्तन निम्नलिखित हैं-
(1) नाड़ी संस्थान में परिवर्तन (Changes in Nervous System) - वृद्धावस्था में नाड़ी संस्थान में परिवर्तन हो जाते हैं। तंत्रिकाएँ कमजोर हो जाती हैं। परिणामस्वरूप दृष्टि क्षमता, श्रवण क्षमता तथा घ्राण क्षमता में कमी आ जाती है। वृद्धावस्था में मस्तिष्क का भार कम हो जाता है। पार्श्व केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र में परिवर्तन जरणावस्था में प्रारम्भ में होने लगते हैं जो गति एवं बौद्धिक ह्रास के रूप में प्रकट होता है।
(2) पाचन संस्थान में परिवर्तन (Changes in Digestive System) - वृद्धावस्था पाचन संस्थान भी कमजोर हो जाता है। भोजन देरी से पचता है, लार रसों का दावण कम होने लगता है। आमाशयिक रस का दावण कम होने लगता है जिसके कारण भोजन का पाचन जीक प्रकार से नहीं हो पाता। पाचक रसों के ङ्घीक प्रकार से काम न कर पाने के कारण कैल्शियम एवं लौह लवणों का अवशोषण ङ्खीक प्रकार से नहीं हो पाता है। आँतों की क्रियाशीलता में कमी आती है। इसके कारण कब्ज रहने लगता है। छोटी आँतों की दीवारों की पेशियाँ कमजोर हो जाती हैं जिसके कारण भोजन का अवशोषण भली-भाँति नहीं हो पाता है। अतः शरीर में विभिन्न पौष्टिक तत्वों की कमी हो जाती है।
(3) हड्डियों एवं दाँतों में परिवर्तन (Changes in Bones and Teeth) - वृद्धावस्था में हड्डियाँ भुरभुरी (Brittle) हो जाती हैं जिसके कारण जरा-सी चोट लगने या गिरने पर आसानी से टूट जाती हैं। इस अवस्था में हड्डियाँ आसानी से जुड़ती भी नहीं हैं। कुछ लोगों में हड्डियों की एक अन्य बीमारी अस्थि विकृति (Osteoporosis) होती है। इसमें हड्डियों से कैल्शियम तथा फॉस्फोरस लवण धीरे-धीरे कम होने लगता है। जिनके कारण हड्डियाँ कमजोर एवं निर्बल हो जाती हैं।
वृद्धावस्था में दाँत एवं मसूढें भी कमजोर हो जाते हैं। मसूढों के कमजोर होने से दाँत टूटने लगते हैं। दाँतों के टूटने से मुँह की आकृति परिवर्तित हो जाती है। दाँतों के कमजोर होने के कारण भोजन चबाने एवं निगलने में परेशानी होती है।
(4) त्वचा एवं बालों में परिवर्तन (Changes in Skin and Hair) - वृद्धावस्था में त्वचा एवं बालों में परिवर्तन आ जाता है। बाह्य त्वचा का पतला होना, तैलीय एवं स्वेद ग्रंथियों के. अपक्षय से त्वचा का शुष्क एवं खुरदुरा होना, शरीर से पसीने की कमी, शरीर के खुले भागों में काले धब्बों का पड़ना, आयु वृद्धि के साथ-साथ त्वचा के ऊपर तिल मस्से एवं अन्य दोष दिखने लगते हैं। चेहरे पर झुर्रियाँ अधिक दिखाई देती हैं। बाल सफेद हो जाते हैं। नाखून कड़े, भुरभुरे एवं चमकहीन हो जाते हैं।
(5) आधारीय चयापचय दर में कमी होना (Reduced Basal Metabolic Rate) - वृद्धावस्था में शारीरिक क्रियाशीलता में कमी आ जाती है। साथ ही इस अवस्था में नई कोशिकाओं एवं तंतुओं का निर्माण भी नहीं होता है। फलस्वरूप वृद्धावस्था में आधारीय चयापचय दर कम हो जाती है, जिससे ऊर्जा की माँग कम हो जाती है।
(6) अन्तः दावी ग्रंथियों से कम मात्रा में हार्मोन का दागावण (Reduced Harmone Secretion from Endocrine Glands) - वृद्धावस्था में अन्तः दावी ग्रंथियों से कम मात्रा में हार्मोनों का दागवण होता है जिसके कारण शरीर में हार्मोन की मात्रा असंतुलित हो जाती है। इस अवस्था में थॉयराइड एवं पैराथॉयराइड ग्रंथियों से निकलने वाले हार्मोन के असंतुलन के कारण वृद्धों में अस्थि - विकृति रोग (Osteoporosis) हो जाता है, क्योंकि इसके कारण कैल्शियम का चयापचय जीक प्रकार से नहीं हो पाता है।
(7) हृदय एवं रक्त परिसंचरण तंत्र में परिवर्तन (Changes in Heart and Blood Circulatory System) - वृद्धावस्था में हृदय एवं रक्त परिसंचरण तन्त्र में भी परिवर्तन आ जाता है।
वृद्धावस्था में सर्वाधिक व्यापक परिवर्तन हृदय में होता है। हृदय की पेशियाँ कमजोर हो जाती जिसके कारण उसकी क्रियाशीलता में कमी आ जाती है। रक्त नलिकाओं (Cholesterol) का जमाव हो जाता है जिसके कारण हृदय रोग एवं एथेरोस्कलेरोसिस (Atherosclerosis) होने की संभावना बढ़ जाती है।
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