लोगों की राय

बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2786
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारपंथी चरण की सफलताओं एवं असफलताओं का उल्लेख कीजिए।

अथवा
कांग्रेस के उदारवादी नेताओं की कार्यप्रणाली का मूल्यांकन कीजिए।
अथवा
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारवादी युग का मूल्यांकन कीजिये।

सम्बन्धित लघु / अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. कांग्रेस के उदारवादी युग की प्रमुख सफलताओं का उल्लेख करें।
2. कांग्रेस के उदारवादी युग की क्या असफलताएँ रहीं?

उत्तर -

कांग्रेस का उदारवादी युग : सफलताएँ एवं असफलताएँ - सन् 1885 ई. से 1905 ई. तक कांग्रेस की कार्यप्रणाली व इसका प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं की विचारधारा एवं कार्यशैली के आधार पर इस अवधि को कांग्रेस के उदारवादी युग की संज्ञा दी जाती है। इस युग की कई सफलताएँ रहीं तो वहीं इस युग की कई असफलताएँ भी रहीं, इनका उल्लेख निम्नांकित शीर्षकों के अन्तर्गत किया जा सकता है -

उदारवादियों की असफलताएँ - सन् 1885 ई. से 1905 ई. तक जिन उदार राष्ट्रवादियों के हाथ में कांग्रेस का नेतृत्व रहा, उनकी कई आधारों पर आलोचना की जाती है। आलोचकों के अनुसार, उदारवादियों की न तो राजनीतिक विचारधारा सही थी और न उनके साधन प्रभावकारी थे। इतिहास इस बात का साक्षी है कि उदारवादियों ने भले ही छोटी से छोटी माँगे नम्र भाषा में सरकार के सामने रखीं, परन्तु शासन ने उस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। प्रारम्भिक नेता बार-बार प्रार्थना करने से थकते ही नहीं थे। इसी प्रवृत्ति के चलते आगे के उग्रपंथियों ने उनकी नीतियों एवं साधनों को राजनीतिक भिक्षावृति (Political Mendicancy) का नाम दिया। अतः उदारवादियों की निम्नलिखित प्रमुख असफलताएँ बताई जा सकती हैं -

(i) ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति गलत धारणा - आलोचकों के अनुसार, उदारवादियों की सबसे बड़ी भूल यह रही कि सदैव अंग्रेजों की न्यायप्रियता में विश्वास करते रहे। उनके द्वारा प्रस्तुत छोटी-छोटी माँगों को ब्रिटिश सरकार ने पूरा नहीं किया, फिर भी उदारवादी अपने विश्वास पर अडिग रहे कि अंग्रेज स्वतन्त्रता के पुजारी हैं और वे इंग्लैण्ड की भाँति भारत में भी लोकतंत्रात्मक व्यवस्था स्थापित करेंगें।

(ii) पाश्चात्य रंग-ढंग से अत्यधिक प्रभावित होना - उदारवादियों नेताओं की एक अन्य असफलता यह भी थी कि उदारवादी नेता पाश्चात्य रंग-ढंग से अत्यधिक प्रभावित थे और पाश्चात्यीकरण के रंग में रंग चुके थे। वे पाश्चात्य शिक्षा, पाश्चात्य संस्थाओं व संस्कृति के सबसे बड़े प्रशंसक थे। वे भारत के लिए ब्रिटिश साम्राज्य को एक वरदान मानते थे और वे भारतीयों व ब्रिटिशों के हितों को समान मानते थे। उनके दृष्टिकोण तथा मनोवृत्ति पर भारतीयता की बजाय ब्रिटेन की अभूतपूर्व छाप थी। अतः उनकी माँगे व कार्य अप्रभावी सिद्ध हुए।

(iii) दुर्बल साधनों का प्रयोग - उदारवादियों द्वारा अपनी माँगे शासन के समक्ष रखने तथा मनवाने के लिए जिन साधनों का प्रयोग किया गया वे भी अत्यन्त दुर्बल थे। उदारवादी प्रार्थना पत्रों, याचनाओं, संगोष्ठियों इत्यादि के माध्यम से अपनी माँगे ब्रिटिश सरकार के समक्ष रखते थे, जोकि ब्रिटिश सरकार पर कोई प्रभाव नहीं छोड़ पाती थी। यही कारण है कि उदारवादी आन्दोलन केवल मध्यमवर्गीय शिक्षित व्यक्तियों तक ही सीमित रहा। वे जन-आन्दोलन का प्रतीक नहीं बन सके, जिससे प्रारम्भिक वर्षों के कांग्रेस जनसाधारण का संगठन नहीं बन सकी।

(iv) जन-सम्पर्क स्थापित न कर पाना - उदारवादी बुद्धिजीवी अवश्य थे परन्तु सामान्य जनता पर वे अधिक प्रभाव नही डाल पाये। इनका देश की सामान्य जनता के साथ सम्पर्क ही नहीं था। इसी कारण उनका आन्दोलन शिक्षित वर्ग तक ही सीमित होकर रह गया था। वे जन-आन्दोलन के प्रतीक नहीं बन सके। इन नेताओं का भारत की सामान्य जनता से कोई सीधा संवाद स्थापित नहीं हो सका। यह नेता केवल सभाकक्षों व पुस्तकालाओं तक ही सीमित रहें। इनके द्वारा व्यवहारिकता के धरातल पर उतरकर आम जनता के दुःख-दर्द समझने का कोई प्रयास नहीं किया गया। फलस्वरूप इनके आन्दोलन में सामान्य जनता की सहभागिता नगण्य रही।

(v) स्वतन्त्र-भारत के दृष्टिकोण का अभाव - उदारवादी नेता न तो स्वतन्त्र भारत का सपना दे सके और न ही उनके विचार जनता में प्रसार प्राप्त कर सके। वे तो भारत और ब्रिटेन के हित समान समझते थे, वे भारत में सुधार चाहते थे। पराधीनता की बेड़ियाँ काटना उनका उद्देश्य नही था। इस प्रकार यह भी उदारवादियों की एक बड़ी असफलता सिद्ध हुई।

उदारवादियों की सफलताएँ -यद्यपि उदारवादियों को अपने उद्देश्य में पूर्ण सफलता नहीं मिली, परन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि सन् 1885 ई. से 1905 ई. तक उदार राष्ट्रीयता का काल निरर्थक रहा। उन परिस्थितियों में उदारवादियों द्वारा अपनाया गया मार्ग नितान्त औचित्यपूर्ण और व्यवहारिक था। उनके द्वारा अपनाये गये साधन दूरदर्शिता व बुद्धिमत्ता पूर्ण थे। अतः उदारवादियों की निम्नलिखित सफलताओं का उल्लेख किया जा सकता हैं -

(i) सन् 1892 ई. का भारतीय परिषद् अधिनियम - कांग्रेस के उदारवादी नेताओं के प्रयत्नों के फलस्वरूप ब्रिटिश सरकार ने सन् 1892 ई. में भारतीय परिषद् अधिनियम पारित करके प्रान्तीय परिषदों की संख्या में वृद्धि की एवं इनके अधिकारों में भी वृद्धि की। यह उदारवादी नेताओं की एक बड़ी उपलब्धि थी।

(ii) राजनीतिक शिक्षा - उदारवादियों की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि यह भी रही कि उन्होंने जनता को राजनीतिक शिक्षा देकर राष्ट्रीय आन्दोलन की गति और अधिक तीव्र कर दी। इस शिक्षा द्वारा ही यह सम्भव हो सका कि जनता ने लोकतन्त्र का महत्व समझा। परिणामस्वरूप जनता स्वशासन और आगे जाकर पूर्ण स्वराज्य की माँग करने लगी।

(iii) राष्ट्रीय जागरण का शुभारम्भ - उदारवादियों ने ब्रिटिश सरकार के प्रति राजभक्ति की प्रतिज्ञाओं एवं अनुनय-विनय का मार्ग अपनाकर जनता को राजनीतिक शिक्षा प्रदान की और भारतीय जनमानस को एकता के सूत्र में बाँधने तथा राष्ट्रीयता की भावना का निर्माण करने में महत्वपूर्ण सहयोग दिया। सर्वप्रथम इन उदारवादियों ने ही देशवासियों को यह अनुभूति करायी कि सम्प्रदायिकता और प्रान्तीयता जैसी संकीर्ण भावनाओं से ऊपर उठकर राष्ट्रीयता की भावना को अपने हृदय में विकसित करना होगा। परिणामस्वरूप भारत में राष्ट्रीयता की लहर दौड़ गयी। इस दृष्टि से उदारवादियों को भारतीय राष्ट्रीयता का जनक भी कहा जा सकता है।

(iv) स्वतन्त्रता संग्राम के आधार का निर्माण - भारतीय स्वतन्त्रता की नींव तैयार करने का श्रेय उदारवादी युग के नेताओं को ही जाता है। उन्होने अपने कार्य-कलापों से एक ऐसी पृष्ठभूमि तैयार की, जिसके आधार पर ही भविष्य में स्वतन्त्रता हेतु विभिन्न आन्दोलन किये जा सके। इस सन्दर्भ में श्रीमती एनी बेसेन्ट ने लिखा है कि "उदारवादियों ने ही हमें इस योग्य बनाया कि हम स्वतन्त्रता की माँग सरकार के समक्ष रख सकें।"

निष्कर्ष - इस प्रकार उपर्युक्त सम्पूर्ण विवेचन के आधार पर निष्कर्षतया यह कहा जा सकता है कि यद्यपि उदारवादी आन्दोलन में अनेक कमियाँ थीं किन्तु उदारवदियों ने भारतीयों को प्रशासनिक, राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक सुधारों की माँग से राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रारम्भ कर उसे स्वराज्य की माँग तक पहुँचाया। उदारवादी कांग्रेसी नेताओं ने ही आधुनिक स्वतन्त्रता की नींव डाली।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के कारणों की समीक्षा कीजिए।
  2. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के स्वरूप पर एक निबन्ध लिखिए। उनके परिणाम क्या रहे?
  3. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति के प्रभावों की व्याख्या कीजिए।
  4. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह का दमन करने में अंग्रेज किस प्रकार सफल हुए, वर्णन कीजिये?
  5. प्रश्न- सन् 1857 ई० की क्रान्ति के परिणामों की विवेचना कीजिये।
  6. प्रश्न- 1857 ई० के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख घटनाओं का वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- 1857 के विद्रोह की असफलता के क्या कारण थे?
  8. प्रश्न- 1857 के विद्रोह में प्रशासनिक और आर्थिक कारण कहाँ तक उत्तरदायी थे? स्पष्ट कीजिए।
  9. प्रश्न- 1857 ई० के विद्रोह के राजनीतिक एवं सामाजिक कारणों का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- 1857 के विद्रोह ने राष्ट्रीय एकता को किस प्रकार पुष्ट किया?
  11. प्रश्न- बंगाल में 1857 की क्रान्ति की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के लिए लार्ड डलहौजी कहां तक उत्तरदायी था? स्पष्ट कीजिए।
  13. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह के राजनीतिक कारण बताइये।
  14. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति के किन्हीं तीन आर्थिक कारणों का उल्लेख कीजिये।
  15. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति में तात्याटोपे के योगदान का विवेचन कीजिये।
  16. प्रश्न- सन् 1857 ई. के महान विद्रोह में जमींदारों की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
  17. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह के यथार्थ स्वरूप को संक्षिप्त में बताइये।
  18. प्रश्न- सन् 1857 ई. के झाँसी के विद्रोह का अंग्रेजों ने किस प्रकार दमन किया, वर्णन कीजिये?
  19. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विप्लव में नाना साहब की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
  20. प्रश्न- प्रथम स्वाधीनता संग्राम के परिणामों एवं महत्व पर प्रकाश डालिए।
  21. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवाद के प्रारम्भिक चरण में जनजातीय विद्रोहों की भूमिका का परीक्षण कीजिए।
  22. प्रश्न- भारत में मध्यम वर्ग के उदय के कारणों पर प्रकाश डालिए। भारतीय राष्ट्रवाद के प्रसार में मध्यम वर्ग की क्या भूमिका रही?
  23. प्रश्न- भारत में कांग्रेस के पूर्ववर्ती संगठनों व इसके कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  24. प्रश्न- भारत में क्रान्तिकारी राष्ट्रवाद के उदय में 'बंगाल विभाजन' की घटना का क्या योगदान रहा? भारत में क्रान्तिकारी आन्दोलन के प्रारम्भिक इतिहास का उल्लेख कीजिए।
  25. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदय की परिस्थितियों पर प्रकाश डालते हुए कांग्रेस की स्थापना के उद्देश्यों की विवेचना कीजिए।
  26. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के प्रारम्भिक वर्षों में कांग्रेस की नीतियाँ क्या थी? सविस्तार उल्लेख कीजिए।
  27. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उग्रपंथियों के उदय के क्या कारण थे?
  28. प्रश्न- उग्रपंथियों द्वारा किन साधनों को अपनाया गया? सविस्तार समझाइए।
  29. प्रश्न- भारत में मध्यमवर्गीय चेतना के अग्रदूतों में किन महापुरुषों को माना जाता है? इनका भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन व राष्ट्रवाद में क्या योगदान रहा?
  30. प्रश्न- गदर पार्टी आन्दोलन (1915 ई.) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में कांग्रेस के द्वारा घोषित किये गये उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- कांग्रेस सच्चे अर्थों में राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व करती थी, स्पष्ट कीजिये।
  33. प्रश्न- जनजातियों में ब्रिटिश शासन के प्रति असन्तोष का सर्वप्रमुख कारण क्या था?
  34. प्रश्न- महात्मा गाँधी के प्रमुख विचारों पर प्रकाश डालते हुए उनके भारतीय राजनीति में पदार्पण को 'चम्पारण सत्याग्रह' के विशेष सन्दर्भ में उल्लिखित कीजिए।
  35. प्रश्न- राष्ट्रीय आन्दोलन में महात्मा गाँधी की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के प्रारम्भ होने प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।
  37. प्रश्न- 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन का प्रारम्भ कब और किस प्रकार हुआ? सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कार्यक्रम पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- 'भारत छोड़ो आन्दोलन' के प्रारम्भ होने के प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।
  39. प्रश्न- राष्ट्रीय आन्दोलन में टैगोर की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  40. प्रश्न- राष्ट्र एवं राष्ट्रवाद पर टैगोर तथा गाँधी जी के विचारों की तुलना कीजिए।
  41. प्रश्न- 1885 से 1905 के की भारतीय राष्ट्रवाद के विकास का पुनरावलोकन कीजिए।
  42. प्रश्न- महात्मा गाँधी द्वारा 'खिलाफत' जैसे धार्मिक आन्दोलन का समर्थन किन आधारों पर किया गया था?
  43. प्रश्न- 'बारडोली सत्याग्रह' पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  44. प्रश्न- गाँधी-इरविन समझौता (1931 ई.) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- 'खेड़ा सत्याग्रह' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारपंथी चरण के विषय में बताते हुए उदारवादियों की प्रमुख नीतियों का उल्लेख कीजिये।
  47. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारपंथी चरण की सफलताओं एवं असफलताओं का उल्लेख कीजिए।
  48. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उग्रपंथियों के उदय के क्या कारण थे?
  49. प्रश्न- उग्रपंथियों द्वारा पूर्ण स्वराज्य के लिए किन साधनों को अपनाया गया? सविस्तार समझाइए।
  50. प्रश्न- उग्रवादी तथा उदारवादी विचारधारा में अंतर बताइए।
  51. प्रश्न- बाल -गंगाधर तिलक के स्वराज और राज्य संबंधी विचारों का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- प्रारम्भ में कांग्रेस के क्या उद्देश्य थे? इसकी प्रारम्भिक नीति को उदारवादी नीति क्यों कहा जाता है? इसका परित्याग करके उग्र राष्ट्रवाद की नीति क्यों अपनायी गयी?
  53. प्रश्न- उदारवादी युग में कांग्रेस के प्रति सरकार का दृष्टिकोण क्या था?
  54. प्रश्न- भारत में लॉर्ड कर्जन की प्रतिक्रियावादी नीतियों ने किस प्रकार उग्रपंथी आन्दोलन के उदय व विकास को प्रेरित किया?
  55. प्रश्न- उदारवादियों की सीमाएँ एवं दुर्बलताएँ संक्षेप में लिखिए।
  56. प्रश्न- उग्रवादी आन्दोलन का मूल्यांकन कीजिए।
  57. प्रश्न- भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के 'नरमपन्थियों' और 'गरमपन्थियों' में अन्तर लिखिए।
  58. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन पर विस्तृत विवेचना कीजिए।
  59. प्रश्न- कांग्रेस के सूरत विभाजन पर प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- अखिल भारतीय काँग्रेस (1907 ई.) में 'सूरत की फूट' के कारणों एवं परिस्थितियों का विवरण दीजिए।
  61. प्रश्न- कांग्रेस में 'सूरत फूट' की घटना पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  63. प्रश्न- कांग्रेस की स्थापना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  64. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- स्वदेशी विचार के विकास का वर्णन कीजिए।
  66. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- स्वराज्य पार्टी की स्थापना किन कारणों से हुई?
  68. प्रश्न- स्वराज्य पार्टी के पतन के प्रमुख कारणों को बताइए।
  69. प्रश्न- कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में कांग्रेस के द्वारा घोषित किये गये उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
  70. प्रश्न- कांग्रेस सच्चे अर्थों में राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व करती थी, स्पष्ट कीजिये।
  71. प्रश्न- दाण्डी यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  72. प्रश्न- मुस्लिम लीग की स्थापना एवं नीतियों पर प्रकाश डालिए।
  73. प्रश्न- मुस्लिम लीग साम्प्रदायिकता फैलाने के लिए कहाँ तक उत्तरदायी थी? स्पष्ट कीजिए।
  74. प्रश्न- साम्प्रदायिक राजनीति के उत्पत्ति में ब्रिट्रिश एवं मुस्लिम लीग की भूमिका की विवेचना कीजिये।
  75. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना द्वारा मुस्लिम लीग को किस प्रकार संगठित किया गया?
  76. प्रश्न- लाहौर प्रस्ताव' क्या था? भारत के विभाजन में इसकी क्या भूमिका रही?
  77. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना ने किस प्रकार भारत विभाजन की पृष्ठभूमि तैयार की?
  78. प्रश्न- मुस्लिम लीग के उद्देश्य बताइये। इसका भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम पर क्या प्रभाव पड़ा?
  79. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना के राजनीतिक विचारों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- मुस्लिम लीग तथा हिन्दू महासभा जैसे राजनैतिक दलों ने खिलाफत आन्दोलन का विरोध क्यों किया था?
  81. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के क्या कारण थे?
  82. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के क्या परिणाम हुए?
  83. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन पर प्रथम विश्व युद्ध का क्या प्रभाव पड़ा, संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
  84. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान उत्पन्न हुए होमरूल आन्दोलन पर प्रकाश डालिए। इसकी क्या उपलब्धियाँ रहीं?
  85. प्रश्न- गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन क्यों प्रारम्भ किया? वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- लखनऊ समझौते के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
  87. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध का उत्तरदायित्व किस देश का था?
  88. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध में रोमानिया का क्या योगदान था?
  89. प्रश्न- 'लखनऊ समझौता, पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  90. प्रश्न- 'रॉलेक्ट एक्ट' पर संक्षित टिपणी कीजिए।
  91. प्रश्न- राष्ट्रीय जागृति के क्या कारण थे?
  92. प्रश्न- होमरूल आन्दोलन पर संक्षित टिपणी दीजिए।
  93. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवादी और प्रथम विश्वयुद्ध पर संक्षित टिपणी लिखिए।
  94. प्रश्न- अमेरिका के प्रथम विश्व युद्ध में शामिल होने के कारणों की व्याख्या कीजिए।
  95. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के बाद की गई किसी एक शान्ति सन्धि का विवरण दीजिए।
  96. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध का पराजित होने वाले देशों पर क्या प्रभाव पड़ा?
  97. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध का उत्तरदायित्व किस देश का था? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- गदर पार्टी आन्दोलन (1915 ई.) पर संक्षित प्रकाश डालिए।
  99. प्रश्न- 1919 का रौलट अधिनियम क्या था?
  100. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के सिद्धान्त, कार्यक्रमों का संक्षित वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- श्रीमती ऐनी बेसेन्ट के कार्यों का मूल्यांकन व महत्व समझाइये |
  102. प्रश्न- थियोसोफिकल सोसायटी का उद्देश्य बताइये।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book