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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2786
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 4

उदारपंथी व उग्रपंथी दल : विचारधारा,
कार्यक्रम एवं नीतियाँ

(Moderate and Extremist Factions:
Ideology, Programme and Policies)

प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारपंथी चरण के विषय में बताते हुए उदारवादियों की प्रमुख नीतियों का उल्लेख कीजिये।

अथवा
1885 से 1905 के मध्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की नीतियों एवं कार्यक्रमों की विवेचना कीजिए।

सम्बन्धित लघु / अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारपंथी चरण पर प्रकाश डालिए।
2. उदारवादी कांग्रेसियों द्वारा अपनाई गई प्रमुख नीतियों का उल्लेख करें।
3. उदारवादियों के 'ब्रिटिश शासन के अधीन राजनीतिक स्वशासन' के लक्ष्य पर टिप्पणी कीजिए।

उत्तर -

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना सन् 1885 ई. में एक अवकाश प्राप्त ब्रिटिश अधिकारी सर ए. ओ. ह्यूम के प्रयासों के फलस्वरूप हुई। तत्कालीन समय में भारत में मध्यम वर्ग का उदय व विकास हो रहा था। यह मध्यम वर्ग ब्रिटिश सभ्यता व संस्कृति से अत्यधिक प्रभावित था। इसी वर्ग के नेताओं ने प्रारम्भिक वर्षों में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया। अतः प्रारम्भिक वर्षों में कांग्रेस की नीतियों व कार्यप्रणाली को उदारवादी नीतियों की संज्ञा दी जाती है। 20वीं सदी के पूर्वार्द्ध में इस स्थिति में परिवर्तन आया और कांग्रेस की नीतियों में आक्रामकता के स्वर परिलक्षित होने लगे। फलस्वरूप भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इतिहास को दो भागों में बाँटा जाता हैं-

(i) उदारवादी चरण
(ii) उग्रपंथी चरण।

कांग्रेस के उदारपंथी चरण व उदारवादियों द्वारा अपनाई गई नीतियों का विस्तृत विवेचन निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है-

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का उदारपंथी चरण - अभिप्राय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना सन् 1885 ई. हुई, तत्पश्चात् 1905 ई. तक कांग्रेस की नीतियों में उदारता हावी रही। इस चरण (1885 ई. से 1905 ई.) को ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सन्दर्भ में उदारवादी चरण कहा जाता है। इस चरण में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का नेतृत्व उन नेताओं द्वारा किया जाता रहा, जोकि विचारों व कार्यों में उदारवादी थे। इन नेताओं ने अनुनय-विनय का मार्ग अपनाया। उदारवादियों का मानना था कि यदि ब्रिटिश सरकार को भारतीय स्थितियों व समस्याओं से अवगत करा दिया जाये तो वे भारतीय जनता के हित में शासन करना प्रारम्भ कर देंगे। इस चरण में प्रमुख नेताओं में दादाभाई नौरोजी, गोपालकृष्ण गोखले, सुरेन्द्र नाथ बनर्जी, महादेव गोविन्द रानाडे, फिरोजशाह मेहता, पं. मदनमोहन मालवीय, व्योमेश चन्द्र बनर्जी इत्यादि प्रमुख थे।

उदारवादियों की प्रमुख नीतियाँ - उदारवादियों द्वारा प्रमुख रूप से निम्नलिखित नीतियों का अनुपालन किया गया-

(i) ब्रिटिश शासन के प्रति निष्ठा - उदारवादी युग में कांग्रेसी नेता ब्रिटिश सरकार के प्रति अत्यधिक निष्ठावान थे। वे ब्रिटिश शासन के अत्यधिक प्रशंसक थे। इन नेताओं के मन में ब्रिटिश राज्य के ्रति कृतज्ञता का भाव था, क्योंकि इनके अनुसार अंग्रेजी शासन के कारण ही भारत में राजनीतिक शान्ति स्थापित हुई थीं। इस सन्दर्भ में कांग्रेस के द्वितीय अधिवेशन में दादाभाई नौरोजी के अध्यक्षीय वक्तव्य का विशेष रूप से उल्लेख किया जा सकता है, जिसमें उन्होंने कहा था कि "आओ हम पुरुषों की तरह बोलें और घोषणा कर दें कि हम अटूट राजभक्त हैं।"

(ii) अंग्रेजों की न्यायप्रियता में विश्वास - उदारवादी युग में कांग्रेसी नेताओं को अंग्रेजों की न्यायप्रियता और ईमानदारी पर पूर्ण विश्वास था। उनकी यह धारणा थी कि अंग्रेज स्वभाव से सच्चे व न्यायप्रिय होते हैं। उनके विचार में अंग्रेज लोग स्वतंत्रता प्रेमी होते हैं और जब उन्हें यह विश्वास हो जायेगा कि भारतीय स्वशासन के योग्य हो गये हैं, तब वे भारतीयों को निश्चित ही इससे वंचित नहीं रखेंगे। यही कारण था कि कांग्रेस अपने प्रारम्भिक वर्षों में सरकार की सहानुभूति तथा ब्रिटिश जनमत के सर्मथन को जीतने का प्रयास करती रही। इस सन्दर्भ में श्री सुरेन्द्रनाथ बनर्जी का अभिमत विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं, जिसमें उन्होने कहा था कि "अंग्रेजों के न्याय, बुद्धि तथा दया की भावना में हमारा दृढ़ विश्वास है। संसार की महानतम् प्रतिनिधि सभा, संसदों की जननी ब्रिटिश कॉमन्स सभा के प्रति हमारे हृदय में श्रद्धा है।"

(iii) भारत-ब्रिटेन सम्बन्धों को भारतीय हित में मानना - उदारवादी नेता किसी भी प्रकार ब्रिटेन से सम्बन्ध विच्छेद करने के पक्ष में नहीं थे। वे ब्रिटेन के साथ सम्बन्धों को भारतीयों के लिये वरदानस्वरूप मानते थे। उनका मानना था कि इसी के परिणामस्वरूप भारत में प्रगतिशील सभ्यता का उदय हुआ। अंग्रेजी साहित्य, शिक्षा पद्धति, आवागमन के साधन, न्याय प्रणाली, स्थानीय स्वशासन इत्यादि अंग्रेजों की ओर से भारतीयों की अमूल्य देन हैं। भारत की एकता शक्ति और राजनीतिक विकास उन्हीं प्रयत्नों का परिणाम है। जैसाकि कांग्रेस के छठवें अधिवेशन में अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में 'फिरोजशाह मेहता' ने कहा था कि- "इंग्लैण्ड और भारत का सम्बन्ध इन दोनों देशों और समस्त विश्व की ओर आने वाली पीढियों के लिये वरदान होगा।" इस प्रकार उदारवादी नेता कांग्रेस के मंच से सदैव ब्रिटिश सम्बन्ध को स्थापित करने के विषय में बोलते थे। सन् 1905 में इसी सन्दर्भ में गोपालकृष्ण गोखले ने कहा था कि "हमारा भाग्य अंग्रेजों के साथ मिला हुआ है चाहे वह अच्छे के लिये हो या बुरे के लिये।"

(iv) पाश्चात्य सभ्यता तथा संस्थाओं में अटूट विश्वास - उदारवादियों का ब्रिटिश लोकतंत्र और वहाँ की लोकतांत्रिक संस्थाओं में अटूट विश्वास था। वे लोग पाश्चात्य सभ्यता और संस्थाओं के पुजारी थे। उनका विश्वास था कि पाश्चात्य शिक्षा द्वारा ही भारत की उन्नति सम्भव है। भारतीयों को पाश्चात्य शिक्षा और संस्थाओं का अनुसरण करना चाहिए। उदारवादी युग के प्रमुख नेताओं पर पाश्चात्य सभ्यता और संस्कृति का गहरा प्रभाव था। इन नेताओं में दादाभाई नौरोजी, व्योमेशचन्द्र बनर्जी, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, फिरोजशाह मेहता, गोपालकृष्ण गोखले, इत्यादि प्रमुख थे। सुरेन्द्रनाथ बनर्जी का तो यहाँ तक मानना था कि "इंग्लैण्ड हमारा राजनीतिक पथप्रदर्शक है।" ब्रिटिशों द्वारा विकसित व्यापक मताधिकार, प्रतिनिधित्व, सरकार, संसदीय सर्वोच्चता, विधि का शासन इत्यादि के प्रति इन नेताओं की गहरी आस्था थी।

(v) क्रमिक सुधारों में विश्वास - उदारवादी नेता राजनीतिक क्षेत्र में धीरे-धीरे सुधारों लाने में विश्वास करते थे। उन्होने कभी भी अपनी माँगों को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत नहीं किया, क्योंकि वे इस तथ्य से भली-भाँति परिचित थे कि एकदम प्रतिनिध्यात्मक शासन के लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सकता। इसीलिए वे उदारवादी नेताओं ने सर्वप्रथम छोटे-छोटे सुधारों की माँगे प्रारम्भ कीं। इस सन्दर्भ में महादेव गोविन्द रानाडे का विचार था कि - "राजनीतिक सुधारों के लिए बातचीत करते समय यह समझ लेना चाहिए कि क्या सम्भव है और क्या असम्भव?" इस प्रकार क्रमिक सुधारों में विश्वास रखते हुए एक लम्बी अवधि के बाद सन् 1906 ई. में कांग्रेस ने स्वशासन और स्वराज्य की माँग ब्रिटिश साम्राज्य की छत्रछाया में की।

(vi) ब्रिटिश शासन के अधीन राजनीतिक स्वशासन का लक्ष्य - उदारवादी नेताओं का अन्तिम लक्ष्य ब्रिटिश शासन के अधीन राजनीतिक स्वशासन की प्राप्ति था। कांग्रेस के द्वितीय अधिवेशन में श्री सुरेन्द्र नाथ बनर्जी ने इस सन्दर्भ में कहा था कि - "स्वशासन प्रकृति की व्यवस्था है, विधि का विधान है, प्रत्येक राज्य को स्वयं अपने भाग्य का निर्णयाक होना चाहिए, ऐसा प्रकृति का सार्वभौम शाश्वत लेख है।"

इसी प्रकार सन् 1906 ई. में कांग्रेस के अधिवेशन में दादाभाई नौरोजी की अध्यक्षता में कांग्रेस द्वारा स्वशासन के लक्ष्य की घोषणा की गयी।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के कारणों की समीक्षा कीजिए।
  2. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के स्वरूप पर एक निबन्ध लिखिए। उनके परिणाम क्या रहे?
  3. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति के प्रभावों की व्याख्या कीजिए।
  4. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह का दमन करने में अंग्रेज किस प्रकार सफल हुए, वर्णन कीजिये?
  5. प्रश्न- सन् 1857 ई० की क्रान्ति के परिणामों की विवेचना कीजिये।
  6. प्रश्न- 1857 ई० के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख घटनाओं का वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- 1857 के विद्रोह की असफलता के क्या कारण थे?
  8. प्रश्न- 1857 के विद्रोह में प्रशासनिक और आर्थिक कारण कहाँ तक उत्तरदायी थे? स्पष्ट कीजिए।
  9. प्रश्न- 1857 ई० के विद्रोह के राजनीतिक एवं सामाजिक कारणों का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- 1857 के विद्रोह ने राष्ट्रीय एकता को किस प्रकार पुष्ट किया?
  11. प्रश्न- बंगाल में 1857 की क्रान्ति की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के लिए लार्ड डलहौजी कहां तक उत्तरदायी था? स्पष्ट कीजिए।
  13. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह के राजनीतिक कारण बताइये।
  14. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति के किन्हीं तीन आर्थिक कारणों का उल्लेख कीजिये।
  15. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति में तात्याटोपे के योगदान का विवेचन कीजिये।
  16. प्रश्न- सन् 1857 ई. के महान विद्रोह में जमींदारों की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
  17. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह के यथार्थ स्वरूप को संक्षिप्त में बताइये।
  18. प्रश्न- सन् 1857 ई. के झाँसी के विद्रोह का अंग्रेजों ने किस प्रकार दमन किया, वर्णन कीजिये?
  19. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विप्लव में नाना साहब की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
  20. प्रश्न- प्रथम स्वाधीनता संग्राम के परिणामों एवं महत्व पर प्रकाश डालिए।
  21. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवाद के प्रारम्भिक चरण में जनजातीय विद्रोहों की भूमिका का परीक्षण कीजिए।
  22. प्रश्न- भारत में मध्यम वर्ग के उदय के कारणों पर प्रकाश डालिए। भारतीय राष्ट्रवाद के प्रसार में मध्यम वर्ग की क्या भूमिका रही?
  23. प्रश्न- भारत में कांग्रेस के पूर्ववर्ती संगठनों व इसके कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  24. प्रश्न- भारत में क्रान्तिकारी राष्ट्रवाद के उदय में 'बंगाल विभाजन' की घटना का क्या योगदान रहा? भारत में क्रान्तिकारी आन्दोलन के प्रारम्भिक इतिहास का उल्लेख कीजिए।
  25. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदय की परिस्थितियों पर प्रकाश डालते हुए कांग्रेस की स्थापना के उद्देश्यों की विवेचना कीजिए।
  26. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के प्रारम्भिक वर्षों में कांग्रेस की नीतियाँ क्या थी? सविस्तार उल्लेख कीजिए।
  27. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उग्रपंथियों के उदय के क्या कारण थे?
  28. प्रश्न- उग्रपंथियों द्वारा किन साधनों को अपनाया गया? सविस्तार समझाइए।
  29. प्रश्न- भारत में मध्यमवर्गीय चेतना के अग्रदूतों में किन महापुरुषों को माना जाता है? इनका भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन व राष्ट्रवाद में क्या योगदान रहा?
  30. प्रश्न- गदर पार्टी आन्दोलन (1915 ई.) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में कांग्रेस के द्वारा घोषित किये गये उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- कांग्रेस सच्चे अर्थों में राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व करती थी, स्पष्ट कीजिये।
  33. प्रश्न- जनजातियों में ब्रिटिश शासन के प्रति असन्तोष का सर्वप्रमुख कारण क्या था?
  34. प्रश्न- महात्मा गाँधी के प्रमुख विचारों पर प्रकाश डालते हुए उनके भारतीय राजनीति में पदार्पण को 'चम्पारण सत्याग्रह' के विशेष सन्दर्भ में उल्लिखित कीजिए।
  35. प्रश्न- राष्ट्रीय आन्दोलन में महात्मा गाँधी की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के प्रारम्भ होने प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।
  37. प्रश्न- 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन का प्रारम्भ कब और किस प्रकार हुआ? सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कार्यक्रम पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- 'भारत छोड़ो आन्दोलन' के प्रारम्भ होने के प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।
  39. प्रश्न- राष्ट्रीय आन्दोलन में टैगोर की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  40. प्रश्न- राष्ट्र एवं राष्ट्रवाद पर टैगोर तथा गाँधी जी के विचारों की तुलना कीजिए।
  41. प्रश्न- 1885 से 1905 के की भारतीय राष्ट्रवाद के विकास का पुनरावलोकन कीजिए।
  42. प्रश्न- महात्मा गाँधी द्वारा 'खिलाफत' जैसे धार्मिक आन्दोलन का समर्थन किन आधारों पर किया गया था?
  43. प्रश्न- 'बारडोली सत्याग्रह' पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  44. प्रश्न- गाँधी-इरविन समझौता (1931 ई.) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- 'खेड़ा सत्याग्रह' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारपंथी चरण के विषय में बताते हुए उदारवादियों की प्रमुख नीतियों का उल्लेख कीजिये।
  47. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारपंथी चरण की सफलताओं एवं असफलताओं का उल्लेख कीजिए।
  48. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उग्रपंथियों के उदय के क्या कारण थे?
  49. प्रश्न- उग्रपंथियों द्वारा पूर्ण स्वराज्य के लिए किन साधनों को अपनाया गया? सविस्तार समझाइए।
  50. प्रश्न- उग्रवादी तथा उदारवादी विचारधारा में अंतर बताइए।
  51. प्रश्न- बाल -गंगाधर तिलक के स्वराज और राज्य संबंधी विचारों का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- प्रारम्भ में कांग्रेस के क्या उद्देश्य थे? इसकी प्रारम्भिक नीति को उदारवादी नीति क्यों कहा जाता है? इसका परित्याग करके उग्र राष्ट्रवाद की नीति क्यों अपनायी गयी?
  53. प्रश्न- उदारवादी युग में कांग्रेस के प्रति सरकार का दृष्टिकोण क्या था?
  54. प्रश्न- भारत में लॉर्ड कर्जन की प्रतिक्रियावादी नीतियों ने किस प्रकार उग्रपंथी आन्दोलन के उदय व विकास को प्रेरित किया?
  55. प्रश्न- उदारवादियों की सीमाएँ एवं दुर्बलताएँ संक्षेप में लिखिए।
  56. प्रश्न- उग्रवादी आन्दोलन का मूल्यांकन कीजिए।
  57. प्रश्न- भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के 'नरमपन्थियों' और 'गरमपन्थियों' में अन्तर लिखिए।
  58. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन पर विस्तृत विवेचना कीजिए।
  59. प्रश्न- कांग्रेस के सूरत विभाजन पर प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- अखिल भारतीय काँग्रेस (1907 ई.) में 'सूरत की फूट' के कारणों एवं परिस्थितियों का विवरण दीजिए।
  61. प्रश्न- कांग्रेस में 'सूरत फूट' की घटना पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  63. प्रश्न- कांग्रेस की स्थापना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  64. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- स्वदेशी विचार के विकास का वर्णन कीजिए।
  66. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- स्वराज्य पार्टी की स्थापना किन कारणों से हुई?
  68. प्रश्न- स्वराज्य पार्टी के पतन के प्रमुख कारणों को बताइए।
  69. प्रश्न- कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में कांग्रेस के द्वारा घोषित किये गये उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
  70. प्रश्न- कांग्रेस सच्चे अर्थों में राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व करती थी, स्पष्ट कीजिये।
  71. प्रश्न- दाण्डी यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  72. प्रश्न- मुस्लिम लीग की स्थापना एवं नीतियों पर प्रकाश डालिए।
  73. प्रश्न- मुस्लिम लीग साम्प्रदायिकता फैलाने के लिए कहाँ तक उत्तरदायी थी? स्पष्ट कीजिए।
  74. प्रश्न- साम्प्रदायिक राजनीति के उत्पत्ति में ब्रिट्रिश एवं मुस्लिम लीग की भूमिका की विवेचना कीजिये।
  75. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना द्वारा मुस्लिम लीग को किस प्रकार संगठित किया गया?
  76. प्रश्न- लाहौर प्रस्ताव' क्या था? भारत के विभाजन में इसकी क्या भूमिका रही?
  77. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना ने किस प्रकार भारत विभाजन की पृष्ठभूमि तैयार की?
  78. प्रश्न- मुस्लिम लीग के उद्देश्य बताइये। इसका भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम पर क्या प्रभाव पड़ा?
  79. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना के राजनीतिक विचारों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- मुस्लिम लीग तथा हिन्दू महासभा जैसे राजनैतिक दलों ने खिलाफत आन्दोलन का विरोध क्यों किया था?
  81. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के क्या कारण थे?
  82. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के क्या परिणाम हुए?
  83. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन पर प्रथम विश्व युद्ध का क्या प्रभाव पड़ा, संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
  84. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान उत्पन्न हुए होमरूल आन्दोलन पर प्रकाश डालिए। इसकी क्या उपलब्धियाँ रहीं?
  85. प्रश्न- गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन क्यों प्रारम्भ किया? वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- लखनऊ समझौते के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
  87. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध का उत्तरदायित्व किस देश का था?
  88. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध में रोमानिया का क्या योगदान था?
  89. प्रश्न- 'लखनऊ समझौता, पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  90. प्रश्न- 'रॉलेक्ट एक्ट' पर संक्षित टिपणी कीजिए।
  91. प्रश्न- राष्ट्रीय जागृति के क्या कारण थे?
  92. प्रश्न- होमरूल आन्दोलन पर संक्षित टिपणी दीजिए।
  93. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवादी और प्रथम विश्वयुद्ध पर संक्षित टिपणी लिखिए।
  94. प्रश्न- अमेरिका के प्रथम विश्व युद्ध में शामिल होने के कारणों की व्याख्या कीजिए।
  95. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के बाद की गई किसी एक शान्ति सन्धि का विवरण दीजिए।
  96. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध का पराजित होने वाले देशों पर क्या प्रभाव पड़ा?
  97. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध का उत्तरदायित्व किस देश का था? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- गदर पार्टी आन्दोलन (1915 ई.) पर संक्षित प्रकाश डालिए।
  99. प्रश्न- 1919 का रौलट अधिनियम क्या था?
  100. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के सिद्धान्त, कार्यक्रमों का संक्षित वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- श्रीमती ऐनी बेसेन्ट के कार्यों का मूल्यांकन व महत्व समझाइये |
  102. प्रश्न- थियोसोफिकल सोसायटी का उद्देश्य बताइये।

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