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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2786
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- राष्ट्र एवं राष्ट्रवाद पर टैगोर तथा गाँधी जी के विचारों की तुलना कीजिए।

अथवा
टैगोर के राष्ट्रवाद के विचार के संदर्भ में उनके मानववाद के दर्शन की विवेचना कीजिए।
अथवा
रवीन्द्रनाथ टैगोर के राजनीतिक विचारों की व्याख्या कीजिए।

उत्तर -

टैगोर का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण

1. रवीन्द्रनाथ टैगोर के हृदय में भारत के लिए बहुत प्रेम था। उन्हें अपनी जन्मभूमि से गहरा अनुराग था। उन्होंने भारत माता को विश्व मोहिनी कहकर सम्बोधित किया। किन्तु उनकी संवेदनशील आत्मा को क्रांतिकारी तथा अराजकतावादी कार्यों से सहानुभूति नहीं हो सकती थी। 1907 के बाद टैगोर ने स्वयं को साहित्यिक तथा शैक्षिक कार्यों तक ही सीमित रखा। उन्होंने राजनीतिक समस्याओं पर भी अपने विचार व्यक्त किए किन्तु राजनीति में सक्रिय भाग लेना बन्द कर दिया और अपनी गहरी देशभक्ति के बावजूद वे उस राजनीतिक राष्ट्रवाद को अंगीकर न कर सके।

2. रवीन्द्रनाथ टैगोर को मनुष्य के आध्यात्मिक साहचर्य में विश्वास था। उन्होंने मानव जाति के महान संघ की कल्पना की थी, इसलिए वे राष्ट्रीय राज्य के आदेशों का पालन करने के लिए तैयार नहीं थे। टैगोर के अनुसार, राष्ट्रवाद पृथकत्व का पोषण करता है और आक्रामक उग्रता विश्व की सभ्यता के लिए एक खतरा है। वह शासितों की इच्छा और सम्मति को महत्व न देकर साम्राज्यवाद तथा उग्र राष्ट्रवाद को जन्म देता है। इसीलिए टैगोर जनता के पक्षधर थे न कि राष्ट्र के।

3. राष्ट्रवाद आधुनिक पूँजीवादी, साम्राज्यवादी राज्यों का युद्धघोष है। ये राज्य मनुष्यों की संवेदन . शक्तियों को क्षीण और कुंठित कर देते हैं जिससे वे स्वेच्छा से शासक वर्गों द्वारा रचे हुए युद्धों में स्वयं को झोंकने के लिए तत्पर रहें। अतः टैगोर ने राष्ट्र पूजा के स्थान पर ईश्वरी राज्य की नागरिकता के धर्म का उपदेश दिया। उन्होंने राष्ट्रवाद को संगठित सामुदायिकता और यांत्रिक लोलुपता बताया और उसकी भर्त्सना की। विषाक्त स्वादेशिकता वसुंधरा को रक्तपंकिल बना डालती है और स्वार्थ, मोह तथा हिंसा से इतिहास को दूषित करती है और इसीलिए उन्होंने सार्वभौम मानवतावाद की शक्तियों को उन्मुक्त करने के लिए प्रचार किया। उनका कहना था कि अंतर्निहित मानवीय शक्तियों के बंधन तोड़ना आवश्यक है।

4. 1920 में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन की आलोचना की थी। यह संभवतः टैगोर गाँधी विवाद का सबसे बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण प्रकरण था। उन्हें भय था कि इससे ऐसे स्थानीय, संकीर्ण तथा सीमित दृष्टिकोण की उत्पत्ति होगी न जो विश्वराज्यीय सार्वभौमवाद का विरोधी है, जबकि सार्वभौमवाद भारतीय इतिहास की मुख्य धारा रही है। 1921-22 में उन्होंने विदेशी वस्त्रों को जलाने के कार्यक्रम का विरोध किया। उनका मानना था कि वह जानबूझकर घृणा उत्पन्न करता है।

5. राष्ट्रवाद बनाम देशभक्ति पर टैगोर का दृष्टिकोण भारत की सांस्कृतिक एकता की अवधारणा का परिणाम है। टैगोर स्वीकार करते हैं कि वेद, उपनिषद् और भगवत् गीता जैसे दार्शनिक ग्रंथ भारतीय संस्कृति के मूल में हैं लेकिन वे भारतीय एकता की आत्मा नहीं हैं। उन्नीसवीं सदी के प्रमुख चिंतकों तथा राममोहन राय, स्वामी विवेकानन्द, श्री अरबिंदो से टैगोर की राष्ट्रवाद का विचार अलग है।

6. टैगोर कबीर के समन्वयवाद, रामानुज, रामदास, नानक और चैतन्य के भक्तिवाद आदि को भारतीय सभ्यता के एकीकरण में ज्यादा महत्वपूर्ण मानते हैं। टैगोर ने राष्ट्र को राष्ट्र राज्य और समाज में वर्गीकृत किया है। उनके अनुसार, राष्ट्र अपनी भू-क्षेत्रीयता, यांत्रिक नौकरशाही और राजनीति पर आधारित है। जबकि समाज निःस्वार्थ रूप से सृजनात्मक सामाजिक जन की सहजीविता पर आधारित है। इसलिए टैगोर राष्ट्र विचारधारा को "स्वदेशी समाज" विचारधारा से प्रतिस्थापित करते हैं। टैगोर का स्वदेशी समाज प्यार व सहयोग के ताने-बाने से बुना है।

7. रवीन्द्रनाथ टैगोर के लिए भारत की परम्परा "नस्लों के आपसी समायोजन" के लिए सक्रिय रहती है और "नस्लों के बीच वास्तविक अन्तर" को स्वीकार करते हुए एकता का आधार तलाश करती है। टैगोर के अनुसार, राष्ट्र को लोगों की राजनीतिक एवं आर्थिक एकजुटता के सम्बन्धों में समझा जाता है और यह एक ऐसा पहलू है जिसमें पूरी आबादी एक यांत्रिक उद्देश्य से जुड़ जाती है।

महात्मा गाँधी और रवीन्द्रनाथ टैगोर के राष्ट्रवाद में अन्तर

जहाँ गाँधी ने पाश्चात्य सभ्यता एवं सशस्त्र राष्ट्रवाद की तीखी आलोचना की, वहीं टैगोर ने भारतीय सभ्यता के समन्वयकारी तत्वों की महत्ता को उद्धृत किया। गाँधी और टैगोर समकालीन जगत में पूर्व बनाम पश्चिम, परम्परा बनाम आधुनिकता और विगत बनाम वर्तमान के बहस की अलग-अलग व्याख्या प्रस्तुत करते हैं। रवीन्द्रनाथ की मान्यता थी कि भारत की " उच्च-भू" संस्कृति अर्थात् संस्कृत प्रधान शास्त्रीय परम्परा के दायरे में इन अंतर्विरोधों को सुलझाया जा सकता है। लेकिन गाँधी के लिए इन अंतर्विरोधों का हल मुख्यतः भारत और पश्चिम की लघु जन- परम्पराओं के जरिए ही हो सकता था।

भारत में शास्त्रीय परम्परा के दायरे में लोक संस्कृति का स्वीन्द्रनाथ जैसा सृजनशील इस्तेमाल बहुत कम लोग कर पाए हैं। दूसरी तरफ, गैर-शास्त्रीय दायरे में शास्त्रीय परम्परा का गाँधी जैसा प्रभावी इस्तेमाल किसी ने नहीं किया। आधुनिकतावादी होने के बावजूद रवीन्द्रनाथ के लिए आधुनिक दुनिया का महत्व कम होता चला गया। उधर प्रति आधुनिक होने के बावजूद गाँधी आधुनिकता के ऐसे प्रमुख आलोचक बनकर उभरे जो परम्परा के पक्ष में खड़ा होकर उत्तर-आधुनिकता को दावत देता प्रतीत होता था।

इस प्रकार महात्मा गाँधी और रवीन्द्रनाथ टैगोर दोनों के अलग-अलग विचार थे कि राष्ट्रवाद का मूल्यांकन और अभ्यास कैसे किया जाना चाहिए। गाँधी के राष्ट्रवाद का विचार समाज के सभी स्तरों पर आत्मनिर्भर होना है जबकि टैगोर का राष्ट्रवाद का विचार यह है कि यह एक मृगतृष्णा के रूप में है, जिसके पीछे एक राष्ट्र को हमेशा नहीं चलना चाहिए।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के कारणों की समीक्षा कीजिए।
  2. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के स्वरूप पर एक निबन्ध लिखिए। उनके परिणाम क्या रहे?
  3. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति के प्रभावों की व्याख्या कीजिए।
  4. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह का दमन करने में अंग्रेज किस प्रकार सफल हुए, वर्णन कीजिये?
  5. प्रश्न- सन् 1857 ई० की क्रान्ति के परिणामों की विवेचना कीजिये।
  6. प्रश्न- 1857 ई० के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख घटनाओं का वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- 1857 के विद्रोह की असफलता के क्या कारण थे?
  8. प्रश्न- 1857 के विद्रोह में प्रशासनिक और आर्थिक कारण कहाँ तक उत्तरदायी थे? स्पष्ट कीजिए।
  9. प्रश्न- 1857 ई० के विद्रोह के राजनीतिक एवं सामाजिक कारणों का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- 1857 के विद्रोह ने राष्ट्रीय एकता को किस प्रकार पुष्ट किया?
  11. प्रश्न- बंगाल में 1857 की क्रान्ति की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के लिए लार्ड डलहौजी कहां तक उत्तरदायी था? स्पष्ट कीजिए।
  13. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह के राजनीतिक कारण बताइये।
  14. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति के किन्हीं तीन आर्थिक कारणों का उल्लेख कीजिये।
  15. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति में तात्याटोपे के योगदान का विवेचन कीजिये।
  16. प्रश्न- सन् 1857 ई. के महान विद्रोह में जमींदारों की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
  17. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह के यथार्थ स्वरूप को संक्षिप्त में बताइये।
  18. प्रश्न- सन् 1857 ई. के झाँसी के विद्रोह का अंग्रेजों ने किस प्रकार दमन किया, वर्णन कीजिये?
  19. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विप्लव में नाना साहब की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
  20. प्रश्न- प्रथम स्वाधीनता संग्राम के परिणामों एवं महत्व पर प्रकाश डालिए।
  21. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवाद के प्रारम्भिक चरण में जनजातीय विद्रोहों की भूमिका का परीक्षण कीजिए।
  22. प्रश्न- भारत में मध्यम वर्ग के उदय के कारणों पर प्रकाश डालिए। भारतीय राष्ट्रवाद के प्रसार में मध्यम वर्ग की क्या भूमिका रही?
  23. प्रश्न- भारत में कांग्रेस के पूर्ववर्ती संगठनों व इसके कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  24. प्रश्न- भारत में क्रान्तिकारी राष्ट्रवाद के उदय में 'बंगाल विभाजन' की घटना का क्या योगदान रहा? भारत में क्रान्तिकारी आन्दोलन के प्रारम्भिक इतिहास का उल्लेख कीजिए।
  25. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदय की परिस्थितियों पर प्रकाश डालते हुए कांग्रेस की स्थापना के उद्देश्यों की विवेचना कीजिए।
  26. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के प्रारम्भिक वर्षों में कांग्रेस की नीतियाँ क्या थी? सविस्तार उल्लेख कीजिए।
  27. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उग्रपंथियों के उदय के क्या कारण थे?
  28. प्रश्न- उग्रपंथियों द्वारा किन साधनों को अपनाया गया? सविस्तार समझाइए।
  29. प्रश्न- भारत में मध्यमवर्गीय चेतना के अग्रदूतों में किन महापुरुषों को माना जाता है? इनका भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन व राष्ट्रवाद में क्या योगदान रहा?
  30. प्रश्न- गदर पार्टी आन्दोलन (1915 ई.) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में कांग्रेस के द्वारा घोषित किये गये उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- कांग्रेस सच्चे अर्थों में राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व करती थी, स्पष्ट कीजिये।
  33. प्रश्न- जनजातियों में ब्रिटिश शासन के प्रति असन्तोष का सर्वप्रमुख कारण क्या था?
  34. प्रश्न- महात्मा गाँधी के प्रमुख विचारों पर प्रकाश डालते हुए उनके भारतीय राजनीति में पदार्पण को 'चम्पारण सत्याग्रह' के विशेष सन्दर्भ में उल्लिखित कीजिए।
  35. प्रश्न- राष्ट्रीय आन्दोलन में महात्मा गाँधी की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के प्रारम्भ होने प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।
  37. प्रश्न- 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन का प्रारम्भ कब और किस प्रकार हुआ? सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कार्यक्रम पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- 'भारत छोड़ो आन्दोलन' के प्रारम्भ होने के प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।
  39. प्रश्न- राष्ट्रीय आन्दोलन में टैगोर की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  40. प्रश्न- राष्ट्र एवं राष्ट्रवाद पर टैगोर तथा गाँधी जी के विचारों की तुलना कीजिए।
  41. प्रश्न- 1885 से 1905 के की भारतीय राष्ट्रवाद के विकास का पुनरावलोकन कीजिए।
  42. प्रश्न- महात्मा गाँधी द्वारा 'खिलाफत' जैसे धार्मिक आन्दोलन का समर्थन किन आधारों पर किया गया था?
  43. प्रश्न- 'बारडोली सत्याग्रह' पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  44. प्रश्न- गाँधी-इरविन समझौता (1931 ई.) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- 'खेड़ा सत्याग्रह' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारपंथी चरण के विषय में बताते हुए उदारवादियों की प्रमुख नीतियों का उल्लेख कीजिये।
  47. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारपंथी चरण की सफलताओं एवं असफलताओं का उल्लेख कीजिए।
  48. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उग्रपंथियों के उदय के क्या कारण थे?
  49. प्रश्न- उग्रपंथियों द्वारा पूर्ण स्वराज्य के लिए किन साधनों को अपनाया गया? सविस्तार समझाइए।
  50. प्रश्न- उग्रवादी तथा उदारवादी विचारधारा में अंतर बताइए।
  51. प्रश्न- बाल -गंगाधर तिलक के स्वराज और राज्य संबंधी विचारों का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- प्रारम्भ में कांग्रेस के क्या उद्देश्य थे? इसकी प्रारम्भिक नीति को उदारवादी नीति क्यों कहा जाता है? इसका परित्याग करके उग्र राष्ट्रवाद की नीति क्यों अपनायी गयी?
  53. प्रश्न- उदारवादी युग में कांग्रेस के प्रति सरकार का दृष्टिकोण क्या था?
  54. प्रश्न- भारत में लॉर्ड कर्जन की प्रतिक्रियावादी नीतियों ने किस प्रकार उग्रपंथी आन्दोलन के उदय व विकास को प्रेरित किया?
  55. प्रश्न- उदारवादियों की सीमाएँ एवं दुर्बलताएँ संक्षेप में लिखिए।
  56. प्रश्न- उग्रवादी आन्दोलन का मूल्यांकन कीजिए।
  57. प्रश्न- भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के 'नरमपन्थियों' और 'गरमपन्थियों' में अन्तर लिखिए।
  58. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन पर विस्तृत विवेचना कीजिए।
  59. प्रश्न- कांग्रेस के सूरत विभाजन पर प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- अखिल भारतीय काँग्रेस (1907 ई.) में 'सूरत की फूट' के कारणों एवं परिस्थितियों का विवरण दीजिए।
  61. प्रश्न- कांग्रेस में 'सूरत फूट' की घटना पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  63. प्रश्न- कांग्रेस की स्थापना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  64. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- स्वदेशी विचार के विकास का वर्णन कीजिए।
  66. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- स्वराज्य पार्टी की स्थापना किन कारणों से हुई?
  68. प्रश्न- स्वराज्य पार्टी के पतन के प्रमुख कारणों को बताइए।
  69. प्रश्न- कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में कांग्रेस के द्वारा घोषित किये गये उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
  70. प्रश्न- कांग्रेस सच्चे अर्थों में राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व करती थी, स्पष्ट कीजिये।
  71. प्रश्न- दाण्डी यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  72. प्रश्न- मुस्लिम लीग की स्थापना एवं नीतियों पर प्रकाश डालिए।
  73. प्रश्न- मुस्लिम लीग साम्प्रदायिकता फैलाने के लिए कहाँ तक उत्तरदायी थी? स्पष्ट कीजिए।
  74. प्रश्न- साम्प्रदायिक राजनीति के उत्पत्ति में ब्रिट्रिश एवं मुस्लिम लीग की भूमिका की विवेचना कीजिये।
  75. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना द्वारा मुस्लिम लीग को किस प्रकार संगठित किया गया?
  76. प्रश्न- लाहौर प्रस्ताव' क्या था? भारत के विभाजन में इसकी क्या भूमिका रही?
  77. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना ने किस प्रकार भारत विभाजन की पृष्ठभूमि तैयार की?
  78. प्रश्न- मुस्लिम लीग के उद्देश्य बताइये। इसका भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम पर क्या प्रभाव पड़ा?
  79. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना के राजनीतिक विचारों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- मुस्लिम लीग तथा हिन्दू महासभा जैसे राजनैतिक दलों ने खिलाफत आन्दोलन का विरोध क्यों किया था?
  81. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के क्या कारण थे?
  82. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के क्या परिणाम हुए?
  83. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन पर प्रथम विश्व युद्ध का क्या प्रभाव पड़ा, संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
  84. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान उत्पन्न हुए होमरूल आन्दोलन पर प्रकाश डालिए। इसकी क्या उपलब्धियाँ रहीं?
  85. प्रश्न- गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन क्यों प्रारम्भ किया? वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- लखनऊ समझौते के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
  87. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध का उत्तरदायित्व किस देश का था?
  88. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध में रोमानिया का क्या योगदान था?
  89. प्रश्न- 'लखनऊ समझौता, पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  90. प्रश्न- 'रॉलेक्ट एक्ट' पर संक्षित टिपणी कीजिए।
  91. प्रश्न- राष्ट्रीय जागृति के क्या कारण थे?
  92. प्रश्न- होमरूल आन्दोलन पर संक्षित टिपणी दीजिए।
  93. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवादी और प्रथम विश्वयुद्ध पर संक्षित टिपणी लिखिए।
  94. प्रश्न- अमेरिका के प्रथम विश्व युद्ध में शामिल होने के कारणों की व्याख्या कीजिए।
  95. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के बाद की गई किसी एक शान्ति सन्धि का विवरण दीजिए।
  96. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध का पराजित होने वाले देशों पर क्या प्रभाव पड़ा?
  97. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध का उत्तरदायित्व किस देश का था? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- गदर पार्टी आन्दोलन (1915 ई.) पर संक्षित प्रकाश डालिए।
  99. प्रश्न- 1919 का रौलट अधिनियम क्या था?
  100. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के सिद्धान्त, कार्यक्रमों का संक्षित वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- श्रीमती ऐनी बेसेन्ट के कार्यों का मूल्यांकन व महत्व समझाइये |
  102. प्रश्न- थियोसोफिकल सोसायटी का उद्देश्य बताइये।

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