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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2786
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- राष्ट्रीय आन्दोलन में महात्मा गाँधी की भूमिका पर प्रकाश डालिए।

अथवा
राष्ट्रीय आन्दोलन में महात्मा गाँधी के योगदान की व्याख्या कीजिए।
अथवा
स्वतंत्रता आंदोलन में एक जन नेता के रूप में महात्मा गाँधी की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।

उत्तर -

महात्मा गाँधी जिन्हें लोग प्यार से बापू (राष्ट्रपिता) कहते हैं, भारतीय राजनीतिक मंच पर 1919 से 1948 तक इस प्रकार छाये रहे कि इस युग को भारतीय इतिहास का गाँधी युग कहा जाता है। शान्ति, सत्य एवं अहिंसा के पुजारी गाँधी का सन्देश समस्त विश्व के लिए है और उससे सम्पूर्ण मानवता प्रभावित हुई है।

महात्मा गाँधी 1893 में दक्षिण अफ्रीका की एक व्यापारिक कम्पनी से निमन्त्रण मिला और वह वहाँ चले गये। वहाँ उन्होंने गोरों द्वारा काले ( अफ्रीकी तथा भारतीय) लोगों से रंगभेद की नीति के विरुद्ध विरोध प्रकट किया फिर नेशनल भारतीय कांग्रेस बनाई और जेल गये। उन्होंने एशियाटिक अधिनियम, ट्रांसवाल देशान्तर वास अधिनियम के विरुद्ध भी विरोध प्रकट किया और अपना अहिंसात्मक सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ किया। दक्षिण अफ्रीका की सरकार को तर्क की आवाज सुननी पड़ी और उन्होंने 1914 में भारतीयों के विरुद्ध अधिकतर कानून रद्द कर दिये। 1914 में गाँधी जी भारत लौटे और अपनी सेवाओं की मान्यता के फलस्वरूप अब महात्मा कहलाने लगे। आने वाले कुछ समय तक वह भारतीय स्थिति का अध्ययन करते रहे। 1917 में उन्होंने बिहार के चम्पारण जिले में नील के बगीचों के यूरोपीय मालिकों के विरुद्ध भारतीय मजदूरों को एकत्रित किया। 1919 की जलियावाला बाग में हुई दुर्घटना और रौलेट एक्ट (1919) के पारित होने पर गाँधी जी बहुत खिन्न हुए और और उन्होंने भारत की राजनीति में सक्रिय भाग लेना प्रारम्भ कर दिया। उन्होंने अंग्रेजों को 'शैतानी लोग' कहा और उनके साथ असहयोग की नीति अपनायी। 1920 में उन्होंने असहयोग आन्दोलन आरम्भ किया। यह आन्दोलन 1930 में सविनय अवज्ञा आन्दोलन के नाम से पुनः प्रारम्भ किया और 1940 में निजी रूप में भी। 1942 में उन्होंने अंग्रेजों को 'भारत छोड़ो' का सुझाव दिया। वह तुरन्त बन्दी बना लिये गये।

सत्य के सच्चे पुजारी के रूप में उनका विश्वास था कि सत्य ईश्वर है और ईश्वर सत्य है और ईश्वर (मानवता का ) प्रेम है और प्रेम ही ईश्वर है। कुछ लोगों का विश्वास है कि गाँधी जी की सत्यप्रियता हिन्दू धर्म से और अहिंसा बौद्ध, जैन और ईसाई मत द्वारा प्रभावित थी।

महात्मा गाँधी ने सत्य और अहिंसा को अपने स्वप्नों के नवीन समाजं का आधार बनाया। वह समस्त संसार के लिए स्वतन्त्रता माँगते थे अर्थात् अहिंसा-लोभ, आक्रमण, वासनाओं और आकांक्षाओं जिन्होंने राष्ट्रों को नष्ट कर दिया है, इत्यादि से भी स्वतन्त्रता। भारत की स्वतन्त्रता भी पापी के प्रति अहिंसा और असहयोग द्वारा ही प्राप्त करनी होगी। उन्होंने Young India' नामक पत्रिका में लिखा था "जिन ऋषियों ने हिंसा के बीच अहिंसा के सिद्धान्त को खोज निकाला, वे न्यूटन से अधिक वीर योद्धा थे। स्वयं हथियारों का प्रयोग जानते हुए भी उन्होंने इसकी व्यर्थता को अनुभव किया और उन्होंने युद्ध से दुःखी संसार को बतलाया कि इसकी मुक्ति हिंसा द्वारा नहीं अपितु अहिंसा द्वारा ही है।" निर्भीकता उनकी सत्याग्रह का आवश्यक अंग था। वह लोगों के दिल से सरकार, पुलिस, सी.आई.डी. जेल और अधिकारियों का भय निकाल देना चाहते थे। उनके अनुसार सत्याग्रह और असहयोग गरजने वाले और डींग मारने वालों के अस्त्र नहीं हैं। यह तो आपके ईमानदारी की कसौटी है। इसमें ठोस और मूक आत्म बलिदान की आवश्यकता है। अहिंसा इसका परम आवश्यक अंग था। इसका अर्थ अन्यायी के आगे चुपचाप झुक जाना नहीं है अपितु अपनी आत्मा को अन्यायी की इच्छा के विरुद्ध लड़ाना है। उसके प्रति घृणा नहीं, प्रेम, अहिंसा तथा दया की भावना से जिससे उसकी आत्मा प्रभावित हो जाय और उसका मन ही बदल जाय। वह अंग्रेजों के निजी और सामूहिक रूप से विरुद्ध नहीं थे, वह थे अंग्रेजों के साम्राज्यवाद के विरुद्ध। इसकी जड़ में मुख्यतः यह विश्वास कि मानव प्रकृति मूलतः अच्छी है और एक अन्यायकारी का मन सत्याग्रहियों के आत्म बलिदान से बदल जायेगा और अंत में न्याय की ही विजय होगी।

गाँधी जी के नेतृत्व में कांग्रेस राजनैतिक स्वतन्त्रता ही नहीं चाहते थे अपितु जनता की आर्थिक, सामाजिक और आत्मिक उन्नति चाहते थे। इस भावना से उन्होंने 'ग्राम उद्योग संघ', 'तालीमी संघ और 'गोरक्षा संघ' बनाये। उन्होंने समाज में शोषण समाप्त करने के लिए भूमि एवं पूँजी का समाजीकरण नहीं माना अपितु आर्थिक क्षेत्र के विकेन्द्रीकरण (Decontralization) द्वारा इस प्रश्न को हल करना चाहा। उन्होंने कुटीर उद्योगों के प्रोत्साहन के लिए काम किया। खादी उनके आर्थिक कार्यक्रम का प्रतीक थी। गाँधी जी ने जनता के सामाजिक सुधार के लिए भी प्रयत्न किया। उन्होंने सभी प्रकार की असमानताओं (जन्म, जाति, धर्म और धन की) को समाप्त करने का प्रयत्न किया। अछूतों के उद्धार के लिए कार्य किया और उन्हें हरिजन ( ईश्वर के लोग ) की संज्ञा दी। नशाबन्दी के लिए और हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए भी प्रयत्न किया। 

यद्यपि कुछ आलोचकों ने उन्हें राजनैतिक अराजकता फैलाने वाला कहा क्योंकि उन्होंने संवैधानिक प्रभुसत्ता को चुनौती दी और लार्ड लिनलिथगो ने उनके दंगों को 'राजनैतिक फिरौती' (Political Blackmail) कहा, परन्तु गाँधी जी ने केवल सत्य का मार्ग ही अपनाया। उन्होंने साध्य एवं साधन की शुचिता का ध्यान दिया। उन्होंने कहा कि 300 वर्ष तक स्वतन्त्रता की प्रतीक्षा करने को उद्यत हूँ परन्तु असत्य ढंग नहीं अपनाऊँगा। वास्तव में यह उन्हीं के प्रयत्नों का फल था कि आतंकवाद सीमित रहा और भारत ने बिना रक्तपात के स्वतन्त्रता प्राप्त कर ली।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के कारणों की समीक्षा कीजिए।
  2. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के स्वरूप पर एक निबन्ध लिखिए। उनके परिणाम क्या रहे?
  3. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति के प्रभावों की व्याख्या कीजिए।
  4. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह का दमन करने में अंग्रेज किस प्रकार सफल हुए, वर्णन कीजिये?
  5. प्रश्न- सन् 1857 ई० की क्रान्ति के परिणामों की विवेचना कीजिये।
  6. प्रश्न- 1857 ई० के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख घटनाओं का वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- 1857 के विद्रोह की असफलता के क्या कारण थे?
  8. प्रश्न- 1857 के विद्रोह में प्रशासनिक और आर्थिक कारण कहाँ तक उत्तरदायी थे? स्पष्ट कीजिए।
  9. प्रश्न- 1857 ई० के विद्रोह के राजनीतिक एवं सामाजिक कारणों का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- 1857 के विद्रोह ने राष्ट्रीय एकता को किस प्रकार पुष्ट किया?
  11. प्रश्न- बंगाल में 1857 की क्रान्ति की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के लिए लार्ड डलहौजी कहां तक उत्तरदायी था? स्पष्ट कीजिए।
  13. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह के राजनीतिक कारण बताइये।
  14. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति के किन्हीं तीन आर्थिक कारणों का उल्लेख कीजिये।
  15. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति में तात्याटोपे के योगदान का विवेचन कीजिये।
  16. प्रश्न- सन् 1857 ई. के महान विद्रोह में जमींदारों की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
  17. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह के यथार्थ स्वरूप को संक्षिप्त में बताइये।
  18. प्रश्न- सन् 1857 ई. के झाँसी के विद्रोह का अंग्रेजों ने किस प्रकार दमन किया, वर्णन कीजिये?
  19. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विप्लव में नाना साहब की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
  20. प्रश्न- प्रथम स्वाधीनता संग्राम के परिणामों एवं महत्व पर प्रकाश डालिए।
  21. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवाद के प्रारम्भिक चरण में जनजातीय विद्रोहों की भूमिका का परीक्षण कीजिए।
  22. प्रश्न- भारत में मध्यम वर्ग के उदय के कारणों पर प्रकाश डालिए। भारतीय राष्ट्रवाद के प्रसार में मध्यम वर्ग की क्या भूमिका रही?
  23. प्रश्न- भारत में कांग्रेस के पूर्ववर्ती संगठनों व इसके कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  24. प्रश्न- भारत में क्रान्तिकारी राष्ट्रवाद के उदय में 'बंगाल विभाजन' की घटना का क्या योगदान रहा? भारत में क्रान्तिकारी आन्दोलन के प्रारम्भिक इतिहास का उल्लेख कीजिए।
  25. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदय की परिस्थितियों पर प्रकाश डालते हुए कांग्रेस की स्थापना के उद्देश्यों की विवेचना कीजिए।
  26. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के प्रारम्भिक वर्षों में कांग्रेस की नीतियाँ क्या थी? सविस्तार उल्लेख कीजिए।
  27. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उग्रपंथियों के उदय के क्या कारण थे?
  28. प्रश्न- उग्रपंथियों द्वारा किन साधनों को अपनाया गया? सविस्तार समझाइए।
  29. प्रश्न- भारत में मध्यमवर्गीय चेतना के अग्रदूतों में किन महापुरुषों को माना जाता है? इनका भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन व राष्ट्रवाद में क्या योगदान रहा?
  30. प्रश्न- गदर पार्टी आन्दोलन (1915 ई.) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में कांग्रेस के द्वारा घोषित किये गये उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- कांग्रेस सच्चे अर्थों में राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व करती थी, स्पष्ट कीजिये।
  33. प्रश्न- जनजातियों में ब्रिटिश शासन के प्रति असन्तोष का सर्वप्रमुख कारण क्या था?
  34. प्रश्न- महात्मा गाँधी के प्रमुख विचारों पर प्रकाश डालते हुए उनके भारतीय राजनीति में पदार्पण को 'चम्पारण सत्याग्रह' के विशेष सन्दर्भ में उल्लिखित कीजिए।
  35. प्रश्न- राष्ट्रीय आन्दोलन में महात्मा गाँधी की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के प्रारम्भ होने प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।
  37. प्रश्न- 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन का प्रारम्भ कब और किस प्रकार हुआ? सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कार्यक्रम पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- 'भारत छोड़ो आन्दोलन' के प्रारम्भ होने के प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।
  39. प्रश्न- राष्ट्रीय आन्दोलन में टैगोर की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  40. प्रश्न- राष्ट्र एवं राष्ट्रवाद पर टैगोर तथा गाँधी जी के विचारों की तुलना कीजिए।
  41. प्रश्न- 1885 से 1905 के की भारतीय राष्ट्रवाद के विकास का पुनरावलोकन कीजिए।
  42. प्रश्न- महात्मा गाँधी द्वारा 'खिलाफत' जैसे धार्मिक आन्दोलन का समर्थन किन आधारों पर किया गया था?
  43. प्रश्न- 'बारडोली सत्याग्रह' पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  44. प्रश्न- गाँधी-इरविन समझौता (1931 ई.) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- 'खेड़ा सत्याग्रह' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारपंथी चरण के विषय में बताते हुए उदारवादियों की प्रमुख नीतियों का उल्लेख कीजिये।
  47. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारपंथी चरण की सफलताओं एवं असफलताओं का उल्लेख कीजिए।
  48. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उग्रपंथियों के उदय के क्या कारण थे?
  49. प्रश्न- उग्रपंथियों द्वारा पूर्ण स्वराज्य के लिए किन साधनों को अपनाया गया? सविस्तार समझाइए।
  50. प्रश्न- उग्रवादी तथा उदारवादी विचारधारा में अंतर बताइए।
  51. प्रश्न- बाल -गंगाधर तिलक के स्वराज और राज्य संबंधी विचारों का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- प्रारम्भ में कांग्रेस के क्या उद्देश्य थे? इसकी प्रारम्भिक नीति को उदारवादी नीति क्यों कहा जाता है? इसका परित्याग करके उग्र राष्ट्रवाद की नीति क्यों अपनायी गयी?
  53. प्रश्न- उदारवादी युग में कांग्रेस के प्रति सरकार का दृष्टिकोण क्या था?
  54. प्रश्न- भारत में लॉर्ड कर्जन की प्रतिक्रियावादी नीतियों ने किस प्रकार उग्रपंथी आन्दोलन के उदय व विकास को प्रेरित किया?
  55. प्रश्न- उदारवादियों की सीमाएँ एवं दुर्बलताएँ संक्षेप में लिखिए।
  56. प्रश्न- उग्रवादी आन्दोलन का मूल्यांकन कीजिए।
  57. प्रश्न- भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के 'नरमपन्थियों' और 'गरमपन्थियों' में अन्तर लिखिए।
  58. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन पर विस्तृत विवेचना कीजिए।
  59. प्रश्न- कांग्रेस के सूरत विभाजन पर प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- अखिल भारतीय काँग्रेस (1907 ई.) में 'सूरत की फूट' के कारणों एवं परिस्थितियों का विवरण दीजिए।
  61. प्रश्न- कांग्रेस में 'सूरत फूट' की घटना पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  63. प्रश्न- कांग्रेस की स्थापना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  64. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- स्वदेशी विचार के विकास का वर्णन कीजिए।
  66. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- स्वराज्य पार्टी की स्थापना किन कारणों से हुई?
  68. प्रश्न- स्वराज्य पार्टी के पतन के प्रमुख कारणों को बताइए।
  69. प्रश्न- कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में कांग्रेस के द्वारा घोषित किये गये उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
  70. प्रश्न- कांग्रेस सच्चे अर्थों में राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व करती थी, स्पष्ट कीजिये।
  71. प्रश्न- दाण्डी यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  72. प्रश्न- मुस्लिम लीग की स्थापना एवं नीतियों पर प्रकाश डालिए।
  73. प्रश्न- मुस्लिम लीग साम्प्रदायिकता फैलाने के लिए कहाँ तक उत्तरदायी थी? स्पष्ट कीजिए।
  74. प्रश्न- साम्प्रदायिक राजनीति के उत्पत्ति में ब्रिट्रिश एवं मुस्लिम लीग की भूमिका की विवेचना कीजिये।
  75. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना द्वारा मुस्लिम लीग को किस प्रकार संगठित किया गया?
  76. प्रश्न- लाहौर प्रस्ताव' क्या था? भारत के विभाजन में इसकी क्या भूमिका रही?
  77. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना ने किस प्रकार भारत विभाजन की पृष्ठभूमि तैयार की?
  78. प्रश्न- मुस्लिम लीग के उद्देश्य बताइये। इसका भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम पर क्या प्रभाव पड़ा?
  79. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना के राजनीतिक विचारों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- मुस्लिम लीग तथा हिन्दू महासभा जैसे राजनैतिक दलों ने खिलाफत आन्दोलन का विरोध क्यों किया था?
  81. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के क्या कारण थे?
  82. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के क्या परिणाम हुए?
  83. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन पर प्रथम विश्व युद्ध का क्या प्रभाव पड़ा, संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
  84. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान उत्पन्न हुए होमरूल आन्दोलन पर प्रकाश डालिए। इसकी क्या उपलब्धियाँ रहीं?
  85. प्रश्न- गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन क्यों प्रारम्भ किया? वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- लखनऊ समझौते के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
  87. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध का उत्तरदायित्व किस देश का था?
  88. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध में रोमानिया का क्या योगदान था?
  89. प्रश्न- 'लखनऊ समझौता, पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  90. प्रश्न- 'रॉलेक्ट एक्ट' पर संक्षित टिपणी कीजिए।
  91. प्रश्न- राष्ट्रीय जागृति के क्या कारण थे?
  92. प्रश्न- होमरूल आन्दोलन पर संक्षित टिपणी दीजिए।
  93. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवादी और प्रथम विश्वयुद्ध पर संक्षित टिपणी लिखिए।
  94. प्रश्न- अमेरिका के प्रथम विश्व युद्ध में शामिल होने के कारणों की व्याख्या कीजिए।
  95. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के बाद की गई किसी एक शान्ति सन्धि का विवरण दीजिए।
  96. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध का पराजित होने वाले देशों पर क्या प्रभाव पड़ा?
  97. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध का उत्तरदायित्व किस देश का था? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- गदर पार्टी आन्दोलन (1915 ई.) पर संक्षित प्रकाश डालिए।
  99. प्रश्न- 1919 का रौलट अधिनियम क्या था?
  100. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के सिद्धान्त, कार्यक्रमों का संक्षित वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- श्रीमती ऐनी बेसेन्ट के कार्यों का मूल्यांकन व महत्व समझाइये |
  102. प्रश्न- थियोसोफिकल सोसायटी का उद्देश्य बताइये।

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