लोगों की राय

बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2786
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 3

राष्ट्रवाद के सिद्धान्त : महात्मा गाँधी और
रवीन्द्रनाथ टैगोर के विचार

(Theories of Nationalism: Views of Mahatma Gandhi
andRabindranath Tagore)

प्रश्न- महात्मा गाँधी के प्रमुख विचारों पर प्रकाश डालते हुए उनके भारतीय राजनीति में पदार्पण को 'चम्पारण सत्याग्रह' के विशेष सन्दर्भ में उल्लिखित कीजिए।

सम्बन्धित लघु / अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. चम्पारण आंदोलन की चर्चा संक्षेप में कीजिए।

उत्तर -

महात्मा गाँधी - एक संक्षिप्त परिचय

महात्मा गाँधी को भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन का महानायक माना जाता है। इनका जन्म 2 अक्टूबर, 1869 ई. को गुजरात के काठियावाड़ के पोरबन्दर नामक स्थान पर हुआ था। 1887 ई. में वे उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिये इंग्लैण्ड गए और 1891 ई. में बैरिस्ट्री पास करके लौटे। 1893 ई. में वे एक मुकदमे की पैरवी हेतु दक्षिण अफ्रीका गए। यहाँ वे एक वर्ष के लिए गए थे परन्तु वहाँ भी रंगभेद नीति व अन्य शोषणकारी नीतियों को देखकर उन्होंने वहाँ रहकर संघर्ष करने का निर्णय किया। दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गाँधी ने 1893 ई. से 1914 ई. तक रंगभेद नीति के खिलाफ संघर्ष किया। इस संघर्ष में उन्हें उल्लेखनीय सफलताएँ भी प्राप्त हुईं।

महात्मा गाँधी के प्रमुख विचार - गाँधी जी के राजनीतिक विचार धर्म, नैतिकता और अहिंसा से प्रेरित थे। उन्हें 1909 ई. में अपने विचारों का विधिवत प्रतिपादन 'हिन्द स्वराज्य' नामक कृति में किया। इसके अन्तर्गत उनके निम्नलिखित प्रमुख विचार उल्लिखित हैं

1. सत्य एवं सत्याग्रह - गाँधी जी की 'सत्य' पर अटूट निष्ठा थी। वह राजनीति में भी 'सत्य' के समावेश को अपरिहार्य मानते थे। 'सत्य' से प्रेरित होकर ही उन्होंने अहिंसात्मक प्रतिकार के शस्त्र के रूप में 'सत्याग्रह' का प्रतिपादन किया। उनके अनुसार सत्याग्रह का अर्थ है - "सत्य का प्रयोग केवल नीति के रूप में नहीं अपितु सिद्धान्त के रूप में करते थे। गाँधी जी ने सत्याग्रही के लिए चार आवश्यक शर्तें की बताई-

(i) ब्रह्मचर्य का पालन,
(ii) अभय बनना,
(iii) निर्धनता को स्वीकार करना
(iv) सत्य का पालनकरना।

2. अहिंसा - गाँधी जी का सत्य के समान ही अहिंसा पर भी अटूट विश्वास था। उन्होंने अहिंसा को कायरता का नहीं, अपितु वीरता का प्रतीक माना। 11 अगस्त, 1946 ई. के यंग इंडिया के अंक में उन्होंने अहिंसा के सन्दर्भ में लिखा कि "यद्यपि अहिंसा का अर्थ क्रियात्मक रूप से जानबूझ कर कष्ट उठाना है, तथापि यह सिद्धान्त दुराचारियों के सामने हथियार डालने का समर्थन नहीं करता।' उनका मानना था कि यह सिद्धान्त दुराचारी का पूर्ण आत्मबल से सामना करने की प्रेरणा देता है।

3. साधन और साध्य - गाँधी जी का साधनों व साध्य की पवित्रता पर भी विश्वास था। उनका मानना था कि साध्य चाहें कोई भी हो उसकी प्राप्ति हेतु सदैव पवित्र साधनों का ही प्रयोग किया जाना चाहिए। उनका मानना था कि केवल साध्य ही पवित्र होने चाहिए।

उनका मानना था कि हिंसा के मार्ग से प्राप्त साधन बाद में नष्ट हो जाएगा परन्तु अहिंसा, नैतिकता व सत्याग्रह से प्राप्त साध्य चिरस्थायी होता है।

4. स्वराज्य - गाँधी जी ने एक अहिंसक स्वराज्य की कल्पना का चित्रण किया था। उन्होंने अपने स्वराज्य सम्बन्धी चिन्तन का मुख्य उद्देश्य भविष्य में रामराज्य की स्थापना को बताया। उन्होंने ऐसे अहिंसक स्वराज्य की कल्पना की थी, जिसमें आदर्श राज्य की स्थापना होगी, जिसमें सम्पूर्ण देश छोटे- छोटे जन समूहों, ग्रामों में निवास करेगा और उनके संगठन के शान्तिपूर्ण अस्तित्व की मुख्य शर्त ऐच्छिक सहयोग की होगी। इस प्रकार गाँधी जी का स्वराज्य एक राज्यविहीन लोकतांत्रिक व्यवस्था होगी, जिसमें न कोई शासक होगा और न ही कोई शासित।

गाँधी जी का भारतीय राजनीति में पदार्पण - चम्पारण सत्याग्रह (1917 ई.)

गाँधी जी 1915 ई. में भारत वापस आये और प्रारम्भ के वर्षों में राजनीतिक गतिविधियों से दूर रहे। तत्कालीन भारतीय स्थितियों में अंग्रेजों द्वारा कठोर शोषण चक्र चलाया जा रहा था। ऐसे में वे स्वयं को राजनीति से अधिक समय तक दूर न रख सके। उनके सामने बिहार के चम्पारण के नील मजदूरों व कृषकों का मामला आया और पीड़ितों ने उनसे मदद की गुहार की तो वे भारतीय राजनीतिक क्षेत्र में उतरने से स्वयं को रोक न सके।

इस प्रकार गाँधी जी ने अपने विचारों पर आधारित सत्याग्रह का प्रथम प्रयोग 1917 ई. में बिहार के चम्पारण नामक स्थान पर किया। यहाँ पर यूरोपीय बगीचों के स्वामी नील की खेती करने वाले किसानों पर बड़ा अत्याचार करते थे। वे किसानों को नील की खेती करने और उसकी पैदावार का सस्ती दरों पर बेचने के लिये मजबूर करते थे। किसानों को अपनी जमीन के कम से कम 3/20 भाग पर नील की खेती करनी पड़ती थी और सस्ते दामों पर उसे बेचना पड़ता था।

गाँधी जी के दक्षिण अफ्रीका में किए गए संघर्षों से प्रभावित होकर यहाँ के पीड़ित किसानों ने बड़ी उम्मीद से उनसे चम्पारण आने और उनकी सहायता करने की प्रार्थना की।

फलस्वरूप गाँधी जी चम्पारण गए और वहाँ के किसानों की दयनीय दशा को देखा। उनके आगमन से चम्पारण के प्रशासनिक अधिकारियों में बेचैनी हुई और उन्हें चम्पारण छोड़ने का आदेश दिया गया। गाँधी जी ने आदेश मानने से इनकार कर दिया और संघर्ष का बिगुल फूँका। सरकार ने परिस्थितियों को भापते हुए अपना आदेश वापस ले लिया और किसानों के सहायतार्थ एक जाँच समिति बैठाने का निश्चय किया। इस समिति में गाँधी जी को भी सदस्य बनाया गया। जाँच समिति ने किसानों की दशा सुधारने के लिए कुछ कार्यवाहियाँ की। इस प्रकार चम्पारण के नील किसानों की समस्याओं का काफी हद तक निपटारा हो सका और गाँधी जी को भारतीय किसानों की दयनीय दशा और समस्याओं की व्यवहारिक जानकारी प्राप्त हुई।

यहीं से गाँधी जी को यह भी विश्वास हो गया कि 'सत्याग्रह' का प्रयोग बड़े स्तर पर किया जा सकता है। वस्तुतः चम्पारण सत्याग्रह (1917 ई.) भारत में गाँधी जी का राजनीतिक क्षेत्र में सत्याग्रह का प्रथम प्रयोग था। .

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के कारणों की समीक्षा कीजिए।
  2. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के स्वरूप पर एक निबन्ध लिखिए। उनके परिणाम क्या रहे?
  3. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति के प्रभावों की व्याख्या कीजिए।
  4. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह का दमन करने में अंग्रेज किस प्रकार सफल हुए, वर्णन कीजिये?
  5. प्रश्न- सन् 1857 ई० की क्रान्ति के परिणामों की विवेचना कीजिये।
  6. प्रश्न- 1857 ई० के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख घटनाओं का वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- 1857 के विद्रोह की असफलता के क्या कारण थे?
  8. प्रश्न- 1857 के विद्रोह में प्रशासनिक और आर्थिक कारण कहाँ तक उत्तरदायी थे? स्पष्ट कीजिए।
  9. प्रश्न- 1857 ई० के विद्रोह के राजनीतिक एवं सामाजिक कारणों का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- 1857 के विद्रोह ने राष्ट्रीय एकता को किस प्रकार पुष्ट किया?
  11. प्रश्न- बंगाल में 1857 की क्रान्ति की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के लिए लार्ड डलहौजी कहां तक उत्तरदायी था? स्पष्ट कीजिए।
  13. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह के राजनीतिक कारण बताइये।
  14. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति के किन्हीं तीन आर्थिक कारणों का उल्लेख कीजिये।
  15. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति में तात्याटोपे के योगदान का विवेचन कीजिये।
  16. प्रश्न- सन् 1857 ई. के महान विद्रोह में जमींदारों की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
  17. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह के यथार्थ स्वरूप को संक्षिप्त में बताइये।
  18. प्रश्न- सन् 1857 ई. के झाँसी के विद्रोह का अंग्रेजों ने किस प्रकार दमन किया, वर्णन कीजिये?
  19. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विप्लव में नाना साहब की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
  20. प्रश्न- प्रथम स्वाधीनता संग्राम के परिणामों एवं महत्व पर प्रकाश डालिए।
  21. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवाद के प्रारम्भिक चरण में जनजातीय विद्रोहों की भूमिका का परीक्षण कीजिए।
  22. प्रश्न- भारत में मध्यम वर्ग के उदय के कारणों पर प्रकाश डालिए। भारतीय राष्ट्रवाद के प्रसार में मध्यम वर्ग की क्या भूमिका रही?
  23. प्रश्न- भारत में कांग्रेस के पूर्ववर्ती संगठनों व इसके कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  24. प्रश्न- भारत में क्रान्तिकारी राष्ट्रवाद के उदय में 'बंगाल विभाजन' की घटना का क्या योगदान रहा? भारत में क्रान्तिकारी आन्दोलन के प्रारम्भिक इतिहास का उल्लेख कीजिए।
  25. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदय की परिस्थितियों पर प्रकाश डालते हुए कांग्रेस की स्थापना के उद्देश्यों की विवेचना कीजिए।
  26. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के प्रारम्भिक वर्षों में कांग्रेस की नीतियाँ क्या थी? सविस्तार उल्लेख कीजिए।
  27. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उग्रपंथियों के उदय के क्या कारण थे?
  28. प्रश्न- उग्रपंथियों द्वारा किन साधनों को अपनाया गया? सविस्तार समझाइए।
  29. प्रश्न- भारत में मध्यमवर्गीय चेतना के अग्रदूतों में किन महापुरुषों को माना जाता है? इनका भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन व राष्ट्रवाद में क्या योगदान रहा?
  30. प्रश्न- गदर पार्टी आन्दोलन (1915 ई.) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में कांग्रेस के द्वारा घोषित किये गये उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- कांग्रेस सच्चे अर्थों में राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व करती थी, स्पष्ट कीजिये।
  33. प्रश्न- जनजातियों में ब्रिटिश शासन के प्रति असन्तोष का सर्वप्रमुख कारण क्या था?
  34. प्रश्न- महात्मा गाँधी के प्रमुख विचारों पर प्रकाश डालते हुए उनके भारतीय राजनीति में पदार्पण को 'चम्पारण सत्याग्रह' के विशेष सन्दर्भ में उल्लिखित कीजिए।
  35. प्रश्न- राष्ट्रीय आन्दोलन में महात्मा गाँधी की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के प्रारम्भ होने प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।
  37. प्रश्न- 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन का प्रारम्भ कब और किस प्रकार हुआ? सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कार्यक्रम पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- 'भारत छोड़ो आन्दोलन' के प्रारम्भ होने के प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।
  39. प्रश्न- राष्ट्रीय आन्दोलन में टैगोर की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  40. प्रश्न- राष्ट्र एवं राष्ट्रवाद पर टैगोर तथा गाँधी जी के विचारों की तुलना कीजिए।
  41. प्रश्न- 1885 से 1905 के की भारतीय राष्ट्रवाद के विकास का पुनरावलोकन कीजिए।
  42. प्रश्न- महात्मा गाँधी द्वारा 'खिलाफत' जैसे धार्मिक आन्दोलन का समर्थन किन आधारों पर किया गया था?
  43. प्रश्न- 'बारडोली सत्याग्रह' पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  44. प्रश्न- गाँधी-इरविन समझौता (1931 ई.) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- 'खेड़ा सत्याग्रह' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारपंथी चरण के विषय में बताते हुए उदारवादियों की प्रमुख नीतियों का उल्लेख कीजिये।
  47. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारपंथी चरण की सफलताओं एवं असफलताओं का उल्लेख कीजिए।
  48. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उग्रपंथियों के उदय के क्या कारण थे?
  49. प्रश्न- उग्रपंथियों द्वारा पूर्ण स्वराज्य के लिए किन साधनों को अपनाया गया? सविस्तार समझाइए।
  50. प्रश्न- उग्रवादी तथा उदारवादी विचारधारा में अंतर बताइए।
  51. प्रश्न- बाल -गंगाधर तिलक के स्वराज और राज्य संबंधी विचारों का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- प्रारम्भ में कांग्रेस के क्या उद्देश्य थे? इसकी प्रारम्भिक नीति को उदारवादी नीति क्यों कहा जाता है? इसका परित्याग करके उग्र राष्ट्रवाद की नीति क्यों अपनायी गयी?
  53. प्रश्न- उदारवादी युग में कांग्रेस के प्रति सरकार का दृष्टिकोण क्या था?
  54. प्रश्न- भारत में लॉर्ड कर्जन की प्रतिक्रियावादी नीतियों ने किस प्रकार उग्रपंथी आन्दोलन के उदय व विकास को प्रेरित किया?
  55. प्रश्न- उदारवादियों की सीमाएँ एवं दुर्बलताएँ संक्षेप में लिखिए।
  56. प्रश्न- उग्रवादी आन्दोलन का मूल्यांकन कीजिए।
  57. प्रश्न- भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के 'नरमपन्थियों' और 'गरमपन्थियों' में अन्तर लिखिए।
  58. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन पर विस्तृत विवेचना कीजिए।
  59. प्रश्न- कांग्रेस के सूरत विभाजन पर प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- अखिल भारतीय काँग्रेस (1907 ई.) में 'सूरत की फूट' के कारणों एवं परिस्थितियों का विवरण दीजिए।
  61. प्रश्न- कांग्रेस में 'सूरत फूट' की घटना पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  63. प्रश्न- कांग्रेस की स्थापना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  64. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- स्वदेशी विचार के विकास का वर्णन कीजिए।
  66. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- स्वराज्य पार्टी की स्थापना किन कारणों से हुई?
  68. प्रश्न- स्वराज्य पार्टी के पतन के प्रमुख कारणों को बताइए।
  69. प्रश्न- कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में कांग्रेस के द्वारा घोषित किये गये उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
  70. प्रश्न- कांग्रेस सच्चे अर्थों में राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व करती थी, स्पष्ट कीजिये।
  71. प्रश्न- दाण्डी यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  72. प्रश्न- मुस्लिम लीग की स्थापना एवं नीतियों पर प्रकाश डालिए।
  73. प्रश्न- मुस्लिम लीग साम्प्रदायिकता फैलाने के लिए कहाँ तक उत्तरदायी थी? स्पष्ट कीजिए।
  74. प्रश्न- साम्प्रदायिक राजनीति के उत्पत्ति में ब्रिट्रिश एवं मुस्लिम लीग की भूमिका की विवेचना कीजिये।
  75. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना द्वारा मुस्लिम लीग को किस प्रकार संगठित किया गया?
  76. प्रश्न- लाहौर प्रस्ताव' क्या था? भारत के विभाजन में इसकी क्या भूमिका रही?
  77. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना ने किस प्रकार भारत विभाजन की पृष्ठभूमि तैयार की?
  78. प्रश्न- मुस्लिम लीग के उद्देश्य बताइये। इसका भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम पर क्या प्रभाव पड़ा?
  79. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना के राजनीतिक विचारों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- मुस्लिम लीग तथा हिन्दू महासभा जैसे राजनैतिक दलों ने खिलाफत आन्दोलन का विरोध क्यों किया था?
  81. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के क्या कारण थे?
  82. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के क्या परिणाम हुए?
  83. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन पर प्रथम विश्व युद्ध का क्या प्रभाव पड़ा, संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
  84. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान उत्पन्न हुए होमरूल आन्दोलन पर प्रकाश डालिए। इसकी क्या उपलब्धियाँ रहीं?
  85. प्रश्न- गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन क्यों प्रारम्भ किया? वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- लखनऊ समझौते के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
  87. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध का उत्तरदायित्व किस देश का था?
  88. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध में रोमानिया का क्या योगदान था?
  89. प्रश्न- 'लखनऊ समझौता, पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  90. प्रश्न- 'रॉलेक्ट एक्ट' पर संक्षित टिपणी कीजिए।
  91. प्रश्न- राष्ट्रीय जागृति के क्या कारण थे?
  92. प्रश्न- होमरूल आन्दोलन पर संक्षित टिपणी दीजिए।
  93. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवादी और प्रथम विश्वयुद्ध पर संक्षित टिपणी लिखिए।
  94. प्रश्न- अमेरिका के प्रथम विश्व युद्ध में शामिल होने के कारणों की व्याख्या कीजिए।
  95. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के बाद की गई किसी एक शान्ति सन्धि का विवरण दीजिए।
  96. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध का पराजित होने वाले देशों पर क्या प्रभाव पड़ा?
  97. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध का उत्तरदायित्व किस देश का था? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- गदर पार्टी आन्दोलन (1915 ई.) पर संक्षित प्रकाश डालिए।
  99. प्रश्न- 1919 का रौलट अधिनियम क्या था?
  100. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के सिद्धान्त, कार्यक्रमों का संक्षित वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- श्रीमती ऐनी बेसेन्ट के कार्यों का मूल्यांकन व महत्व समझाइये |
  102. प्रश्न- थियोसोफिकल सोसायटी का उद्देश्य बताइये।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book