BA Semester-5 Paper-1 History - Nationalism in Bharat - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2786
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 1

प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम :
कारण, प्रभाव एवं प्रकृति

(First War of Independence :
Causes, Impact and Nature)

प्रश्न- 1857 के विद्रोह के कारणों की समीक्षा कीजिए।

सम्बन्धित लघु / अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. 1857 के विद्रोह के लिए डलहौजी की हड़पनीति का कितना उत्तरदायित्व था? स्पष्ट कीजिए।
2. कम्पनी के आर्थिक शोषण ने 1857 के विद्रोह को जन्म दिया? टिप्पणी लिखिए।
3. 1857 के विद्रोह के धार्मिक कारणों की समीक्षा कीजिए।
4. '1857 के विद्रोह का मुख्य कारण सैन्य मामले थे।" क्या आप इस कथन से सहमत हैं?
5. 1857 के विद्रोह के तात्कालिक कारण क्या थे? प्रकाश डालिए।

उत्तर -

1857 के विद्रोह के कारण

10 मई, 1857 को मेरठ छावनी में उभरा विद्रोह का स्वर न तो अकस्मात था और न ही पूर्ण या वैज्ञानिक तरीके से सुनियोजित ही था। इन सब तर्कों के बावजूद इस विद्रोह ने वह सब कर दिखाया जो ऐसे किसी भी विद्रोह से अपेक्षित होता है और सम्भव भी हो सकता हो। इसकी असली वजह विद्रोह के प्रति विद्रोहियों और आम जनमानस में उत्साह ने अभूतपूर्व सहयोग दिया। वास्तव में यदि इसके कारणों का सच्चाई से मूल्याँकन करें तो यह उन सभी घटनाओं के प्रति भारतीयों का प्रतिशोध था जो 1757 में प्लासी के युद्ध के बाद अब तक घटित हुई थीं।

(1) मुगल बादशाह के प्रति दुर्व्यवहार - 1707 ई. में मुगल बादशाह औरंगजेब की मृत्यु के बाद कमजोर होते हुए उत्तराधिकारियों का क्रम निरन्तर चलता रहा। वे सभी सैनिक, प्रशासनिक दृष्टि से कमजोर तथा कमजोर चित्त वाले थे। 1804 में अंग्रेजों के बहकावे में उन्होंने मराठों को अपने से दूर कर दिया। अब मुगल बादशाह कठपुतली मात्र रह गया था। 1837 में बादशाह बहादुर शाह जफर' को खर्चे के बदले में उसके तथा उसके खानदान के सभी अधिकार कम्पनी को सौंप देने को कहा गया जो उसने अस्वीकार कर दिया। यहाँ तक कि 1856 में उसके पुत्र को अपनी तरफ कर अंग्रेजों ने उससे समझौता कर लिया कि कम्पनी उसे तभी 'युवराज' बनाएगी जब वह बादशाहत की माँग छोड़कर आजीवन 'शाहजादे'। कहलाए व दिल्ली का लाल किला व एक लाख की पेंशन छोड़कर 15 हजार मासिक स्वीकार कर लें। इन शर्तों को मानने के तुरन्द बाद डलहौजी ने आदेश दिया कि वे सभी कुतुब पर जाकर रहें। इन समाचारों ने सैनिकों व जनमानस को उद्वेलित किया क्योंकि अभी भी जनता में बादशाहत के प्रति असीम सम्मान था।

(2) डलहौजी की हड़प-नीति - लार्ड डलहौजी की हड़पनीति ने बहुत से देशी राज्यों को किसी न किसी बहाने से कम्पनी के राज्य क्षेत्र में मिला लिया। इस वजह से कितने ही राजे-महराजे और नवाब ब्रिटिश शासन के दुश्मन हो गए, क्योंकि जिनकी रियासतें छीनी नहीं गई थीं वे भी यह सोचने लगे किं किसी न किसी दिन उनकी भी बारी आ सकती है। अवध जैसे मित्र राज्य को हड़प लेने से बंगाल की सेना में क्षोभ स्तर पर आ गया क्योंकि उस सेना के अधिकतर सिपाही अवध के निवासी थे। मराठा पेशवा बाजीराव II की मृत्यु के बाद उनके दत्तक पुत्र को पेंशन न देने के मामले ने हिन्दू राजाओं और जनता को दुःखी किया। इन परिस्थितियों में विद्रोह अवश्यंभावी हो गया क्योंकि देशी रियासतों के अपहरण ने भारतीय स्त्रियों और बच्चों तक के हृदय में अंग्रेजों को घृणा का पात्र बना दिया था।

(3) आर्थिक शोषण - भारत में अंग्रेजी राज का सबसे बड़ा अभिशाप था देश का आर्थिक शोषण। मुगल बादशाह भी बाहर से आए थे परन्तु वे यहीं के होकर रह गए थे। उस समय भारतीयों से उनका धर्म भी भिन्न था किन्तु वे एक-दूसरे के साथ समन्वय के साथ रहते थे और किसी दूसरे देश को मालामाल करने का कार्य नहीं करते थे जबकि इसके विपरीत अंग्रेजों के भारत में आगमन ही मात्र आर्थिक शोषण के उद्देश्य से हुआ था। भारत के धन से जितना इंग्लैण्ड का अधिक उद्योगीकरण हुआ, भारत के परम्परागत उद्योगों का उतना ही अधिक विनाश हुआ। भारत के बुनकरों, कारीगरों व पूँजीपति वर्ग का आर्थिक चक्र को तोड़कर उन्होंने भारत में अनौद्योगीकरण की प्रक्रिया तीव्र की।

इस आर्थिक शोषण की शुरुआत शिल्प और उद्योगों के स्थान पर कृषि जन्य उत्पादों से हुई। बम्बई, बंगाल और अवध में कितने ही किसानों तथा जमींदारों की जमीनें छीन ली गई। कम्पनी के राज्यक्षेत्र में अकाल व भुखमरी ने जनता को त्रस्त कर दिया था और उनकी मौतों की जिम्मेदार कम्पनी थी। लगान की ऊँची दरों ने कृषकों के पास बचने वाले अधिशेष को काफी कम कर दिया। संकट के समय उनके पास धन व अन्न की कमी हो जाती थी। दूसरी तरफ ब्रिटिश कम्पनी को मात्र राजस्व से ही मतलब रह गया था और वे कृषकों की इस दशा को सुधारने की ओर कोई ध्यान नहीं देते थे। कृषि के सुधार में निवेश होना समाप्त हो गया था। यदि कृषक नगरों में जाकर श्रमिक ही बन पाता तो स्थिति न बिगड़ती। शहरों में अनौद्योगीकरण ने बुनकरों व कारीगरों को पुश्तैनी कार्यों से विमुख कर दिया था। इस प्रकार भारतीय कारीगरी, उद्योग-धन्धों और व्यापार को जिस क्रूरता के साथ नष्ट किया गया था तथा कृषि के क्षेत्र में जिस नीति का पालन किया जा रहा था उस सबसे कारीगर, मजदूर, किसान, जमींदार, व्यापारी सभी असंतुष्ट और दुःखी थे।

(4) धार्मिक कारण - ईसाई धर्म को राजकीय आश्रय दिया गया और उसका प्रचार जोरों से किया गया। हिन्दू और मुसलमान दोनों को बलात् धर्म परिवर्तन का डर समा गया। लार्ड मैकाले ने अंग्रेजी शिक्षा का प्रारंभ करते समय 1836 में यह आशा व्यक्त की थी, "आगामी 30 वर्षों में भारत में एक भी मूर्ति-पूजक नहीं बचेगा।" असल में अंग्रेज भारत के रूढ़िवादी समाज की इस सोच के विरोधी थे। बंगाल के एक सैनिक अफसर ने अपने प्रतिवेदन में लिखा था कि, "मैं निरंतर 28 वर्षों से भारतीय सिपाहियों को ईसाई बनाने की नीति का पालन करता रहा हूँ।" किन्तु कुछ लेखकों ने इसे दूसरे रूप में देखा है। उनके अनुसार भारत में अंग्रेजी सरकार की कुछ प्रगतिशील और सुधारवादी नीतियाँ और कार्यक्रम भारतीयों के पिछड़ेपन व अंधविश्वास के कारण उन्हें पसन्द नहीं आए। भारतीय समाज धार्मिक और सामाजिक मामले में अतिसंवेदनशील था, जो इन मामलों में हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं कर पाया। मिशनरियों की स्थापना, रेलवे व तार पद्धति के प्रारम्भ को भी भारतीयों ने भारतीयों को यूरोपीय बनाने के रूप में लिया। डाक- पद्धति के सम्बन्ध में भी सन्देह की यही भावना प्रकट की गई। नए स्कूलों में सब जातियों तथा धर्मों के बालक इकट्ठे बैठते थे तथा इसे लोगों के धर्म के साथ खिलवाड़ के प्रयत्न के रूप में समझा गया। जनता ने तात्कालिक रूप से तो तब कुछ नहीं कहा व किया किन्तु विद्रोह के समय वे अपनी सद्भावना सैनिकों के पक्ष में व्यक्त की।

(5) सैनिक कारण - भारतीय सैनिकों का सम्मान कदम-कदम पर कुचला जाता था। उन्हें परेड के समय गालियों से बुलाया जाता था। भारतीय सैनिकों की कोई प्रोन्नति नहीं होती थी। उसका वेतन अपने अवकाश प्राप्ति के समय भी उतना नहीं होता था जितना एक रंगरूट का नौकरी के शुरू में ही होता था। जब कोई भारतीय सैनिक योग्यता के आधार पर सराहनीय कार्य करता तो उसे कार्यमुक्त कर दिया जाता था क्योंकि इसे ब्रिटिश सरकार की तौहीन माना जाता था। हिन्दू सैनिक समुद्र पार करने से अपने धर्मभ्रष्ट होने की आशंका से भयभीत रहते थे। 1856 में कैनिंग ने भारतीय सैनिक सेवा में यह शर्त अनिवार्य कर दी कि प्रत्येक भारतीय को किसी भी स्थान पर चाहे वह भारत से बाहर ही क्यों न हो युद्ध करने जाना पड़ेगा। कैनिंग के इस कदम व खान-पान सम्बन्धी आचार विचारों से सैनिक क्षुब्ध थे।

अवध के सैन्य संगठन को समाप्त कर दिया गया क्योंकि अवध को विलय कर लिया गया था। इससे 60000 सैनिक बेकार हो गए। दूसरी तरफ अंग्रेजों की बंगाल सेना में अवध के काफी संख्या में सैनिक थे। अवध के ये सैनिक वर्दी पहने हुए किसान थे। कृषक-असन्तोष ने इन्हें ही प्रभावित किया क्योंकि सरकार लगान निरन्तर बढ़ाती जा रही थी। इस क्षेत्र में सैनिकों का विद्रोह में भाग लेने का एक कारण ब्रिटिश सेना में अंग्रेज सैनिकों की कम संख्या थी जिससे वे विद्रोह का साहस कर सके। वास्तव में अंग्रेजों ने सैनिकों की राष्ट्रीय भावनाओं को ठेस पहुँचाई थी।

(6) तात्कालिक कारण - कैनिंग के विदेश समुद्र पार जाने व नई राइफलों के लिए प्रयोग में आने वाले कारतूसों के एक कोने को मुँह से काटने के प्रावधान ने उपरोक्त उल्लिखित प्रत्येक कारण से ज्यादा प्रभावी असर दिखाया। एक अफवाह फैली कि इन प्रयोग किए जाने वाले कारतूसों में गाय व सुअर की चरबी ग्रीस की तरह प्रयोग की जा रही है। हिन्दू व मुसलमान सैनिक इससे नाराज हो गए, क्योंकि उन्हें यह लगा कि यह तो सीधे तौर पर उन्हें अपने धर्म से विमुख करने की चाल है। बंगाल की सेना में अशान्ति फैल गई। अप्रैल, 1857 में कुछ स्थानों पर फौजों ने इन कारतूसों को प्रयोग करने से मना कर दिया। उन पर फौजी मुकदमे चलाए गए और फौजों को तोड़ दिया गया। 9 मई 1857 को उन्हें सार्वजनिक रूप से पदच्युत किया गया, उनकी वर्दियाँ छीन ली गई तथा उन्हें दस वर्ष का कारावास घोषित किया गया।

मूल्याँकन - इन सभी कारणों को विस्तार से मूल्यांकन करने पर मात्र चरबी वाले कारतूसों को ही संघर्ष का मुख्य कारण नहीं माना जा सकता, यद्यपि यह तात्कालिक कारण अवश्य था। निस्संदेह इस आन्दोलन की शुरूआत करने वाले व संघर्ष की मूल शक्ति सैनिक ही थे, न कि राजे महराजे, बादशाह या आम जनता। यद्यपि समस्याएं सभी की थी, किन्तु सभी कुछ सतह के नीचे था। सैनिकों के द्वारा ही खासकर बंगाल सेना और उत्तर भारत के क्षेत्र में अवध से ही 60-70 हजार सेना में सैनिक थे। अवध की रियासत का अपहरण और जमींदारों की भूमि का अधिग्रहण व उच्च लगान दर से उन्हें परेशान कर रखा था क्योंकि वे वर्दी में किसान थे, जो अवध के किसी न किसी परिवार से जुड़े अवश्य थे। ऐसी परिस्थिति में वे शान्त नहीं रह सकते थे।

अंग्रेज लेखक मैल्कम लुई का कथन सत्य के अति करीब है कि, "जो कुछ भी भारतीयों को ऊपर उठा सकता था, उनकी उन्नति कर सकता था, वह सब हमने उससे छीन लिया. उनके मन्दिरों की जायदादें हमने जब्त कर लीं, अपने सरकारी प्रलेखों में हमने उन्हें काफिर कहकर कलंकित किया। उनके देशी नरेशों के राज्य हमने छीन लिए और उनके अमीरों और रईसों की जायदादें जब्त कर लीं, अपनी लूट-खसोट से हमने देश को बरबाद कर दिया और लोगों को संता-सताकर उनसे मालगुजारी वसूल की।"

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के कारणों की समीक्षा कीजिए।
  2. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के स्वरूप पर एक निबन्ध लिखिए। उनके परिणाम क्या रहे?
  3. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति के प्रभावों की व्याख्या कीजिए।
  4. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह का दमन करने में अंग्रेज किस प्रकार सफल हुए, वर्णन कीजिये?
  5. प्रश्न- सन् 1857 ई० की क्रान्ति के परिणामों की विवेचना कीजिये।
  6. प्रश्न- 1857 ई० के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख घटनाओं का वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- 1857 के विद्रोह की असफलता के क्या कारण थे?
  8. प्रश्न- 1857 के विद्रोह में प्रशासनिक और आर्थिक कारण कहाँ तक उत्तरदायी थे? स्पष्ट कीजिए।
  9. प्रश्न- 1857 ई० के विद्रोह के राजनीतिक एवं सामाजिक कारणों का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- 1857 के विद्रोह ने राष्ट्रीय एकता को किस प्रकार पुष्ट किया?
  11. प्रश्न- बंगाल में 1857 की क्रान्ति की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के लिए लार्ड डलहौजी कहां तक उत्तरदायी था? स्पष्ट कीजिए।
  13. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह के राजनीतिक कारण बताइये।
  14. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति के किन्हीं तीन आर्थिक कारणों का उल्लेख कीजिये।
  15. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति में तात्याटोपे के योगदान का विवेचन कीजिये।
  16. प्रश्न- सन् 1857 ई. के महान विद्रोह में जमींदारों की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
  17. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह के यथार्थ स्वरूप को संक्षिप्त में बताइये।
  18. प्रश्न- सन् 1857 ई. के झाँसी के विद्रोह का अंग्रेजों ने किस प्रकार दमन किया, वर्णन कीजिये?
  19. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विप्लव में नाना साहब की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
  20. प्रश्न- प्रथम स्वाधीनता संग्राम के परिणामों एवं महत्व पर प्रकाश डालिए।
  21. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवाद के प्रारम्भिक चरण में जनजातीय विद्रोहों की भूमिका का परीक्षण कीजिए।
  22. प्रश्न- भारत में मध्यम वर्ग के उदय के कारणों पर प्रकाश डालिए। भारतीय राष्ट्रवाद के प्रसार में मध्यम वर्ग की क्या भूमिका रही?
  23. प्रश्न- भारत में कांग्रेस के पूर्ववर्ती संगठनों व इसके कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  24. प्रश्न- भारत में क्रान्तिकारी राष्ट्रवाद के उदय में 'बंगाल विभाजन' की घटना का क्या योगदान रहा? भारत में क्रान्तिकारी आन्दोलन के प्रारम्भिक इतिहास का उल्लेख कीजिए।
  25. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदय की परिस्थितियों पर प्रकाश डालते हुए कांग्रेस की स्थापना के उद्देश्यों की विवेचना कीजिए।
  26. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के प्रारम्भिक वर्षों में कांग्रेस की नीतियाँ क्या थी? सविस्तार उल्लेख कीजिए।
  27. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उग्रपंथियों के उदय के क्या कारण थे?
  28. प्रश्न- उग्रपंथियों द्वारा किन साधनों को अपनाया गया? सविस्तार समझाइए।
  29. प्रश्न- भारत में मध्यमवर्गीय चेतना के अग्रदूतों में किन महापुरुषों को माना जाता है? इनका भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन व राष्ट्रवाद में क्या योगदान रहा?
  30. प्रश्न- गदर पार्टी आन्दोलन (1915 ई.) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में कांग्रेस के द्वारा घोषित किये गये उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- कांग्रेस सच्चे अर्थों में राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व करती थी, स्पष्ट कीजिये।
  33. प्रश्न- जनजातियों में ब्रिटिश शासन के प्रति असन्तोष का सर्वप्रमुख कारण क्या था?
  34. प्रश्न- महात्मा गाँधी के प्रमुख विचारों पर प्रकाश डालते हुए उनके भारतीय राजनीति में पदार्पण को 'चम्पारण सत्याग्रह' के विशेष सन्दर्भ में उल्लिखित कीजिए।
  35. प्रश्न- राष्ट्रीय आन्दोलन में महात्मा गाँधी की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के प्रारम्भ होने प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।
  37. प्रश्न- 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन का प्रारम्भ कब और किस प्रकार हुआ? सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कार्यक्रम पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- 'भारत छोड़ो आन्दोलन' के प्रारम्भ होने के प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।
  39. प्रश्न- राष्ट्रीय आन्दोलन में टैगोर की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  40. प्रश्न- राष्ट्र एवं राष्ट्रवाद पर टैगोर तथा गाँधी जी के विचारों की तुलना कीजिए।
  41. प्रश्न- 1885 से 1905 के की भारतीय राष्ट्रवाद के विकास का पुनरावलोकन कीजिए।
  42. प्रश्न- महात्मा गाँधी द्वारा 'खिलाफत' जैसे धार्मिक आन्दोलन का समर्थन किन आधारों पर किया गया था?
  43. प्रश्न- 'बारडोली सत्याग्रह' पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  44. प्रश्न- गाँधी-इरविन समझौता (1931 ई.) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- 'खेड़ा सत्याग्रह' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारपंथी चरण के विषय में बताते हुए उदारवादियों की प्रमुख नीतियों का उल्लेख कीजिये।
  47. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारपंथी चरण की सफलताओं एवं असफलताओं का उल्लेख कीजिए।
  48. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उग्रपंथियों के उदय के क्या कारण थे?
  49. प्रश्न- उग्रपंथियों द्वारा पूर्ण स्वराज्य के लिए किन साधनों को अपनाया गया? सविस्तार समझाइए।
  50. प्रश्न- उग्रवादी तथा उदारवादी विचारधारा में अंतर बताइए।
  51. प्रश्न- बाल -गंगाधर तिलक के स्वराज और राज्य संबंधी विचारों का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- प्रारम्भ में कांग्रेस के क्या उद्देश्य थे? इसकी प्रारम्भिक नीति को उदारवादी नीति क्यों कहा जाता है? इसका परित्याग करके उग्र राष्ट्रवाद की नीति क्यों अपनायी गयी?
  53. प्रश्न- उदारवादी युग में कांग्रेस के प्रति सरकार का दृष्टिकोण क्या था?
  54. प्रश्न- भारत में लॉर्ड कर्जन की प्रतिक्रियावादी नीतियों ने किस प्रकार उग्रपंथी आन्दोलन के उदय व विकास को प्रेरित किया?
  55. प्रश्न- उदारवादियों की सीमाएँ एवं दुर्बलताएँ संक्षेप में लिखिए।
  56. प्रश्न- उग्रवादी आन्दोलन का मूल्यांकन कीजिए।
  57. प्रश्न- भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के 'नरमपन्थियों' और 'गरमपन्थियों' में अन्तर लिखिए।
  58. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन पर विस्तृत विवेचना कीजिए।
  59. प्रश्न- कांग्रेस के सूरत विभाजन पर प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- अखिल भारतीय काँग्रेस (1907 ई.) में 'सूरत की फूट' के कारणों एवं परिस्थितियों का विवरण दीजिए।
  61. प्रश्न- कांग्रेस में 'सूरत फूट' की घटना पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  63. प्रश्न- कांग्रेस की स्थापना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  64. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- स्वदेशी विचार के विकास का वर्णन कीजिए।
  66. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- स्वराज्य पार्टी की स्थापना किन कारणों से हुई?
  68. प्रश्न- स्वराज्य पार्टी के पतन के प्रमुख कारणों को बताइए।
  69. प्रश्न- कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में कांग्रेस के द्वारा घोषित किये गये उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
  70. प्रश्न- कांग्रेस सच्चे अर्थों में राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व करती थी, स्पष्ट कीजिये।
  71. प्रश्न- दाण्डी यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  72. प्रश्न- मुस्लिम लीग की स्थापना एवं नीतियों पर प्रकाश डालिए।
  73. प्रश्न- मुस्लिम लीग साम्प्रदायिकता फैलाने के लिए कहाँ तक उत्तरदायी थी? स्पष्ट कीजिए।
  74. प्रश्न- साम्प्रदायिक राजनीति के उत्पत्ति में ब्रिट्रिश एवं मुस्लिम लीग की भूमिका की विवेचना कीजिये।
  75. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना द्वारा मुस्लिम लीग को किस प्रकार संगठित किया गया?
  76. प्रश्न- लाहौर प्रस्ताव' क्या था? भारत के विभाजन में इसकी क्या भूमिका रही?
  77. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना ने किस प्रकार भारत विभाजन की पृष्ठभूमि तैयार की?
  78. प्रश्न- मुस्लिम लीग के उद्देश्य बताइये। इसका भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम पर क्या प्रभाव पड़ा?
  79. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना के राजनीतिक विचारों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- मुस्लिम लीग तथा हिन्दू महासभा जैसे राजनैतिक दलों ने खिलाफत आन्दोलन का विरोध क्यों किया था?
  81. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के क्या कारण थे?
  82. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के क्या परिणाम हुए?
  83. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन पर प्रथम विश्व युद्ध का क्या प्रभाव पड़ा, संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
  84. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान उत्पन्न हुए होमरूल आन्दोलन पर प्रकाश डालिए। इसकी क्या उपलब्धियाँ रहीं?
  85. प्रश्न- गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन क्यों प्रारम्भ किया? वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- लखनऊ समझौते के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
  87. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध का उत्तरदायित्व किस देश का था?
  88. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध में रोमानिया का क्या योगदान था?
  89. प्रश्न- 'लखनऊ समझौता, पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  90. प्रश्न- 'रॉलेक्ट एक्ट' पर संक्षित टिपणी कीजिए।
  91. प्रश्न- राष्ट्रीय जागृति के क्या कारण थे?
  92. प्रश्न- होमरूल आन्दोलन पर संक्षित टिपणी दीजिए।
  93. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवादी और प्रथम विश्वयुद्ध पर संक्षित टिपणी लिखिए।
  94. प्रश्न- अमेरिका के प्रथम विश्व युद्ध में शामिल होने के कारणों की व्याख्या कीजिए।
  95. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के बाद की गई किसी एक शान्ति सन्धि का विवरण दीजिए।
  96. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध का पराजित होने वाले देशों पर क्या प्रभाव पड़ा?
  97. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध का उत्तरदायित्व किस देश का था? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- गदर पार्टी आन्दोलन (1915 ई.) पर संक्षित प्रकाश डालिए।
  99. प्रश्न- 1919 का रौलट अधिनियम क्या था?
  100. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के सिद्धान्त, कार्यक्रमों का संक्षित वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- श्रीमती ऐनी बेसेन्ट के कार्यों का मूल्यांकन व महत्व समझाइये |
  102. प्रश्न- थियोसोफिकल सोसायटी का उद्देश्य बताइये।

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