बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- नेतृत्व प्रशिक्षण की प्रमुख प्रविधियों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
उत्तर -
नेतृत्व प्रशिक्षण की प्रविधियाँ (Techniques of Leadership Training) नेतृत्व प्रशिक्षण की कई प्रविधियाँ हैं, जिनमें निम्नांकित चार अधिक प्रमुख हैं-
1. भाषण विधि (Lecture Method) - इस विधि में प्रशिक्षण पाने वाले नेतागण एक खास जगह पर एवं एक खास समय पर एकत्रित होते हैं और कोई विशेषज्ञ (expert) उन्हें नेतृत्व संचालन से सम्बन्धित भिन्न-भिन्न पहलुओं पर भाषण देता है एवं समस्याओं के समाधान के तरीकों पर प्रकाश डालता है। प्रशिक्षण पाने वाले नेता चुपचाप बैठकर विशेषज्ञों की बात को सुनते हैं तथा बतलाये गये दिशाओं में अपने व्यवहारों एवं मनोवृत्तियों में परिवर्तन लाने की कोशिश करते हैं।
यद्यपि इस विधि द्वारा नेता को प्रशिक्षित करना काफी आसान है, फिर भी इस विधि में कुछ कठिनाइयाँ हैं। जैसे- कुछ लोगों का कहना है कि इस तरह की विधि में अधिकतर नेताओं को कोई फायदा नहीं हो पाता है और वे विशेषज्ञ की बातों को एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देते हैं। यह भी बतलाया गया है कि उच्च बुद्धि के नेता इस विधि से कोई खास लाभ नहीं उठा पाते हैं क्योंकि इनका ध्यान भाषण पर केन्द्रित हो ही नहीं पाता है। मायर (Maier, 1970) के अनुसार मात्र भाषण सुन लेने से नेताओं में व्यावहारिक कुशलता (practical skills) विकसित नहीं होती है। ऐसे प्रशिक्षित नेताओं को अपने कार्य पर लौटने पर फिर वही कंठिनाई सामने आने लगती है।
2. सम्मेलन विधि (Conference Method) - सम्मेलन विधि में प्रशिक्षण पाने वाले नेता या सर्वेक्षकगण (supervisors) एक बड़े हाल (hall) में एकत्रित होते हैं तथा नेतृत्व सम्बन्धित समस्याओं पर किसी विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में वे विचार-विमर्श करते हैं। यहाँ विशेषज्ञ भाषण नहीं देता है बल्कि सभी उपस्थित नेताओं से आपस में विचार-विमर्श कराकर नेतृत्व की कुशलता तथा प्रभावशीलता के बढ़ाने की विधियों से उन्हें अवगत कराता है। इस तरह से नेता सम्मेलन विधि द्वारा प्रशिक्षित हो जाते हैं। यह विधि भाषण विधि से थोड़ी श्रेष्ठकर इसलिए होती है क्योंकि इसमें प्रशिक्षण पाने वाले नेताओं की भूमिका अधिक सक्रिय होती है तथा इनका आवेष्टन (involvement) भी होता है। इस विधि द्वारा अधिक बुद्धि के नेताओं को प्रशिक्षण देना कठिन है क्योंकि ऐसा देखा गया है कि ऐसे नेता सम्मेलन में चुपचाप बैठे रह जाते हैं। वे किसी भी पहलू पर अपना विचार नहीं व्यक्त कर पाते हैं। इस तरह से उनमें नीरसता आने लगती है और धीरे-धीरे सम्मेलन से मानसिक रूप से वे अलग हो जाते हैं।
3. समस्या-विवेचन विधि (Case Discussion Method) - समस्या-विवेचन विधि बहुत कुछ सम्मेलन विधि के ही समान है। अन्तर सिर्फ इतना है कि इसमें नेता के प्रशिक्षण का केन्द्र बिन्दु (focal point) कुछ चुनी हुई विशिष्ट समस्याएँ होती हैं। इन समस्याओं पर बारी-बारी से कोई एक विशेषज्ञ प्रशिक्षण पाने वाले नेताओं के साथ (जिनकी संख्या प्रायः कम होती है) विचार-विमर्श करता है। इस विचार-विमर्श के दौरान उन्हें नये-नये अनुभव होते हैं और इस तरह से वे धीरे-धीरे प्रशिक्षित होने लगते हैं। फिशर (Fisher, 1982) के अनुसार यह विधि सम्मेलन विधि से अधिक प्रभावकारी दो कारणों से सिद्ध हुई है। पहला तो यह कि समस्या - विवेचन विधि में प्रशिक्षण पाने वाले व्यक्तियों का एक छोटा समूह होता है जिससे विचार-विमर्श में प्रशिक्षार्थियों की सहभागिता अधिक हो पाती है। दूसरा यह कि समस्या - विवेचन विधि में विचार विमर्श नेतृत्व के सामान्य पहलुओं पर न होकर विशिष्ट समस्याओं पर केन्द्रित होता है। फलतः प्रशिक्षार्थियों को लाभ अपेक्षाकृत अधिक होता है।
4. भूमिका निर्वाह विधि (Role Playing Method) - नेतृत्व प्रशिक्षण की इस विधि के प्रतिपादन का स्रोत मोरेनो (Moreno, 1930) 'मनोनाटक' (Psychodrama) विधि है। भूमिका निर्वाह विधि की सबसे प्रमुख पूर्वकल्पना (assumption) यह है कि हम जो चीज करके सीखते हैं वह अधिक मजबूत एवं टिकाऊ होती है। इस विधि में प्रशिक्षण पाने वाले नेताओं को कुछ विशेष भूमिका निभानी होती है। भूमिका निभाते समय उस भूमिका से सम्बन्धित नियमों एवं कर्तव्यों का भी पालन करना होता है। इस तरह से नेता भूमिका से सम्बन्धित कर्तव्यों (duties) एवं अधिकारों को निभाना सीख लेते हैं। उदाहरणार्थ, एक समूह में कुछ सर्वेक्षकों (supervisors) को मालिक (proprietor) की भूमिका निभाने के लिए कहा जा सकता है तथा कुछ को ऐसे कर्मचारी (employees) की जो मालिक का घेराव वेतन वृद्धि की माँग को पूरा करने के लिए कर रहे हों। स्वभावतः मालिक की भूमिका निभाने में उस सर्वेक्षक (supervisor) को उन कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा जो सचमुच में एक मालिक को करना पड़ता है। कर्मचारी की भूमिका में सर्वेक्षकों को उन कर्त्तव्यों का ज्ञान होगा जो एक कर्मचारी को होता है।
इस तरह से हम देखते हैं कि नेतृत्व प्रशिक्षण की कई प्रविधियाँ (techniques) हैं। इन प्रविधियों में अपनी सरलता के कारण भाषण विधि एवं सम्मेलन विधि अन्य विधियों की अपेक्षा अधिक प्रचलित हो पायी है। -
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