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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2783
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 8

नेतृत्व

(Leadership) 

प्रश्न- नेतृत्व से आप क्या समझते है? नेतृत्व की प्रमुख विशेषताओं का विश्लेषण कीजिये।

अथवा
नेतृत्व को परिभाषित करते हुए इसकी अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर -

नेतृत्व की अवधारणा

विभिन्न विद्वानों ने नेतृत्व की अवधारणा को अनेक प्रकार से स्पष्ट किया है। लोकतान्त्रिक दृष्टिकोण से नेतृत्व का अर्थ ऐसी स्थिति से समझा जाता है जिसमें कुछ व्यक्ति स्वेच्छा से किसी दूसरे व्यक्ति के आदेशों का पालन कर रहे हों। यदि किसी व्यक्ति में शक्ति के आधार पर अन्य व्यक्तियों से इच्छित व्यवहार करा लेने की क्षमता है तो इसे भी नेतृत्व की अवधारणा के अन्तर्गत सम्मिलित कर लिया जाता है। वास्तव में यह सभी अर्थ अत्यंत संकुचित हैं। व्यावहारिक रूप से नेतृत्व व्यवहार का वह ढंग है जिसमें एक व्यक्ति दूसरों के व्यवहार से प्रभावित होने की अपेक्षा अपने व्यवहार से दूसरे व्यक्तियों को अधिक प्रभावित करता हैं। यह कार्य चाहे दबाव के द्वारा किया गया हो अथवा व्यक्तिव सम्बंधी गुणों के प्रदर्शित करके।

पिगर ने नेतृत्व को परिभाषित करते हुए कहा है - "नेतृत्व व्यक्तित्व और पर्यावरण के सम्बंधों को स्पष्ट करने वाली एक धारणा है। यह उस स्थिति की विवेचना करती है जिसमें एक व्यक्ति ने एक विशष पर्यावरण के अतंर्गत इस प्रकार स्थान ग्रहण कर लिया हो कि उसकी इच्छा, भावना और अन्तर्दृष्टि किसी सामान्य लक्ष्य को पाने के लिये दूसरे व्यक्ति को अनुशासित करती है तथा उन पर नियंत्रण रखती है।"

लेपियर तथा फार्न्सवर्थ के अनुसार - "नेतृत्व वह व्यवहार है जो दूसरे लोगों के व्यवहारों को उससे अधिक प्रभावित करता है जितना कि दूसरे व्यक्तियों के व्यवहार नेता को प्रभावित . करते हैं।' इस परिभाषा के द्वारा लेपियर ने नेतृत्व को नेता और उसके अनुयायियों के बीच पाए जाने वाले सम्बंधों के आधार पर स्पष्ट किया है।'

सीमेन तथा मॉरिस के शब्दों में - "नेतृत्व का तात्पर्य एक व्यक्ति के द्वारा किये जाने वाले उन कार्यों से हैं जो दूसरे व्यक्तियों को एक विशेष दिशा में प्रभावित करते हैं।' इससे स्पष्ट है कि नेतृत्व का तात्पर्य व्यक्तियों के व्यवहारों को एक निश्चित अथवा इच्छित दिशा की ओर मोड़ना है।

टीड ने लिखा है - "नेतृत्व एक ऐसी क्रिया है जिसके द्वारा वांछित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये लोगों को सहयोग देने के लिये प्रभावित किया जा सके।" उदाहरण के लिये, ग्राम एक इकाई है जिसमें एक अथवा अनेक ऐसे व्यक्तियों की आवश्यकता होता हैं जो अन्य व्यक्तियों के सामने उसके लक्ष्यों का निर्धारण कर सकें तथा उनको प्राप्त करने के लिये सभी लोगों को मिल-जुल कर कार्य करने की प्रेरणा दे सकें। टीड. के अनुसार प्रभाव के इसी प्रतिमान को हम नेतृत्व कह सकते हैं।

नेतृत्व की प्रकृति को स्पष्ट करने के लिये यह आवश्यक है कि नेतृत्व एवं प्रभुत्व के अंतर को स्पष्ट कर लिया जाए।

किम्बाल यंग के शब्दों मे - "प्रभुत्व को शक्ति के एक ऐसे साधन के रूप में देखा जा सकता है जिसका उपभोग एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति की मनोवृत्तियों और क्रियाओं को नियंत्रित करने तथा उन्हें परिवर्तित करने के लिये किया जाता है।" इस दृष्टिकोण से प्रभुत्व में शक्ति अथवा सत्ता का तत्व आवश्यकता रूप से जुड़ा रहता है। प्रभुत्व द्वारा व्यक्तियों के व्यवहारों में जो परिवर्तन लाये जाते हैं वह साधारणतया दबाव के द्वारा होते हैं। इसके विपरीत नेतृत्व व्यक्तियों के व्यवहारों में जो परिवर्तन उत्पन्न करता है वह ऐच्छिक होता है। उदाहरण के लिये, यदि एक अधिकारी अपने कार्यालय में दूसरे कर्मचारियों के व्यवहारों में इच्छित परिवर्तन करता है तो इसे प्रभुत्व कहा जाएगा, नेतृत्व नहीं। इसके अतिरिक्त नेतृत्व की सफलता के लिये नेता और उसके अनुयायियों में पारस्परिक त्याग का होना आवश्यक है जबकि प्रभुत्व को बिना किसी घनिष्ठता और त्याग के भी बनाए रखा जा सकता है।

एण्डरसन का कथन है - कि नेतृत्व से सम्बंधित व्यवहार साधारणतया प्रगतिशील होते हैं जबकि प्रभुत्व में रूढ़िवादी तत्व अधिक होते हैं। इसके उपरांत भी यह स्वीकार करना होगा कि नेतृत्व और प्रभुत्व को पूरी तरह एक-दूसरे से पृथक नहीं किया जा सकता। इसका कारण यह है कि नेतृत्व में भी कुछ व्यक्ति नेता के अनुयायी होते हैं और प्रभुत्व में भी कुछ व्यक्तियों को किसी व्यक्ति के अधीन रहकर कार्य करना पड़ता है। किम्बाल यंग ने लिखा है - "जिसे हम साधारणतया नेतृत्व कहते हैं उसकी विवेचना सही तौर पर प्रभुत्व के रूप में ही की जानी चाहिये।

उपयुक्त विश्लेषण के आधार पर नेतृत्व की विशेषताओं को निम्नांकित रूप से समझा जा सकता है-

1. नेतृत्व एक प्रकार की क्रिया अथवा व्यवहार है जिसमें निर्देश, सुझाव, आग्रह तथा प्रभुत्व जैसे तत्वों का समावेश होता है।

2. नेतृत्व नेता तथा अनुयायियों के सम्बंधों की एक विशेष अभिव्यक्ति है। जब एक नेता अपने अनुयायियों के व्यवहारों से प्रभावित होने की अपेक्षा उनके व्यवहारों को अधिक सीमा तक प्रभावित करता है, केवल तभी हम इस स्थिति को नेतृत्व कहते हैं।

3. नेतृत्व से सम्बंधित प्रभाव की प्रक्रिया में दबाव का अधिक समावेश नहीं होता। यदि कुछ दबाव होता भी है तो केवल नेता के नैतिक प्रभाव का। नेतृत्व को साधारणतया स्वेच्छा से ग्रहण किया जाता है।

4. नेतृत्व कभी अनियोजित नहीं होता बल्कि इसके द्वारा विचारपूर्वक अनुयायियों के व्यवहारों को एक निश्चित दिशा में मोड़ दिया जाता है।

5. पीगर्स का कथन है कि नेतृत्व पारस्परिक उत्तेजना की एक प्रक्रिया है। इससे स्पष्ट होता है कि नेतृत्व के द्वारा व्यक्तियों के व्यवहारों में किया जाने वाला परिवर्तन साधारणतया उत्तेजना के माध्यम से प्रभावपूर्ण बनता है।

6. प्रत्येक नेतृत्व की एक विशेष परिस्थिति होती है। परिस्थिति का तात्पर्य एक विशेष क्षेत्र से है। इस दृष्टिकोण से एक ही व्यक्ति भिन्न-भिन्न प्रकार के नेतृत्व से प्रभावित हो सकता है।

7. नेतृत्व एक ऐसा शब्द है जिससे किसी व्यक्ति की श्रेष्ठता का बोध होता है

8. नेतृत्व के लिये दो पक्ष अर्थात् नेता और अनुयायी दोनों का होना अनिवार्य है। नेता अनुयायियों के व्यवहार को अधिक सीमा तक प्रभावित करता है।

9. समय तथा परिस्थिति के अनुसार नेतृत्व के स्वरूप में बदलाव होता रहता है।

10. नेता तथा अनुयायियों में ज्यादा परस्पर सहयोगात्मक सम्बंध होता है। यही कारण हैं कि नेता अपने अनुयायियों को कभी आदेश देता है, कभी सुझाव देता है एवं कभी अनुनय विनय भी करता है।

11. सामाजिक जीवन के विभिन्न पक्षों में विभिन्न तरह का नेतृत्व पाया जाता है। इतनी ही नहीं, विभिन्न परिस्थितियों में भी विभिन्न प्रकार का नेतृत्व पाया जाता है। यही कारण है कि कोई राजनीतिक क्षेत्र का नेता होता है तथा कोई धार्मिक क्षेत्र का नेता होता है कोई शिक्षा क्षेत्र का नेता होता है तथा कोई संगीत क्षेत्र का नेता होता है अर्थात् विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग नेतृत्व पाया जाता है।

12. इसमें नेता तथा अनुयायी दोनों परस्पर एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं।

13. यह एक विशिष्ट तरह का व्यवहार है जो प्रभुत्व एवं अनुनय-विनय के संबंधों पर आधारित होता है।

14. नेतृत्व समूह, संगठन, राज्य, समाज के व्यवहार को निर्धारित करता है।
15. समूह के सभी लोग नेतृत्व के सुझावों तथा जिज्ञासाओं का अनुसरण करते हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- सामुदायिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामुदायिक विकास कार्यक्रम की विशेषताएँ बताइये।
  2. प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना का क्षेत्र एवं उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के उद्देश्यों को विस्तारपूर्वक समझाइए।
  4. प्रश्न- सामुदायिक विकास की विधियों को समझाइये।
  5. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  6. प्रश्न- सामुदायिक विकास की विशेषताएँ बताओ।
  7. प्रश्न- सामुदायिक विकास के मूल तत्व क्या हैं?
  8. प्रश्न- सामुदायिक विकास के सिद्धान्त बताओ।
  9. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम की सफलता हेतु सुझाव दीजिए।
  10. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है?
  11. प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना संगठन को विस्तार से समझाइए।
  12. प्रश्न- सामुदायिक संगठन से आप क्या समझते हैं? सामुदायिक संगठन को परिभाषित करते हुए इसकी विभिन्न परिभाषाओं का वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- सामुदायिक संगठन की विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- सामुदायिक संगठन के विभिन्न प्रकारों को स्पष्ट कीजिए।
  15. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन की सैद्धान्तिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिये।
  16. प्रश्न- सामुदायिक संगठन के विभिन्न उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- सामुदायिक संगठन की आवश्यकता क्यों है?
  18. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन के दर्शन पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  19. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  20. प्रश्न- सामुदायिक विकास प्रक्रिया के अन्तर्गत सामुदायिक विकास संगठन कितनी अवस्थाओं से गुजरता है?
  21. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन की विशेषताएँ बताइये।
  22. प्रश्न- सामुदायिक संगठन और सामुदायिक विकास में अंतर स्पष्ट कीजिए।
  23. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन और सामुदायिक क्रिया में अंतर बताइये।
  24. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन के प्रशासनिक ढांचे का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- सामुदायिक विकास में सामुदायिक विकास संगठन की सार्थकता एवं भूमिका का वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा से आप क्या समझते हैं? गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का क्षेत्र समझाइये।
  27. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के उद्देश्यों का विस्तार से वर्णन कीजिये।
  28. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा की विशेषताएँ समझाइयें।
  29. प्रश्न- ग्रामीण विकास में गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का महत्व समझाइये।
  30. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के क्षेत्र, आवश्यकता एवं परिकल्पना के विषय में विस्तार से लिखिए।
  31. प्रश्न- समेकित बाल विकास सेवा (ICDS) कार्यक्रम को विस्तार से समझाइए।
  32. प्रश्न- स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना के बारे में बताइए।
  33. प्रश्न- राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) पर एक टिप्पणी लिखिये।
  34. प्रश्न- राष्ट्रीय सेवा योजना (N.S.S.) पर टिप्पणी लिखिये।
  35. प्रश्न- नेहरू युवा केन्द्र संगठन का परिचय देते हुए इसके विभिन्न कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- नेहरू युवा केन्द्र पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  37. प्रश्न- कपार्ट एवं गैर-सरकारी संगठन की विकास कार्यक्रम में महत्वपूर्ण घटक की भूमिका निभाते हैं? विस्तृत टिप्पणी कीजिए।
  38. प्रश्न- बाल कल्याण से सम्बन्ध रखने वाली प्रमुख संस्थाओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- हेल्प एज इण्डिया के विषय में आप क्या जानते हैं? यह बुजुर्गों के लिए किस प्रकार महत्वपूर्ण है? प्रकाश डालिए।
  40. प्रश्न- संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) से आप क्या समझते हैं? इसके कार्यों व महत्व पर प्रकाश डालिये।
  41. प्रश्न- बाल विकास एवं आप (CRY) से आप क्या समझते हैं? इसके कार्यों एवं मूल सिद्धान्तों पर प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- CRY को मिली मान्यता एवं पुरस्कारों के विषय में बताइए।
  43. प्रश्न- बाल अधिकार का अर्थ क्या है?
  44. प्रश्न- बच्चों के लिए सबसे अच्छा एनजीओ कौन-सा है?
  45. प्रश्न- राष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस कब मनाया जाता है?
  46. प्रश्न- नेतृत्व से आप क्या समझते है? नेतृत्व की प्रमुख विशेषताओं का विश्लेषण कीजिये।
  47. प्रश्न- नेतृत्व के विभिन्न प्रारूपों (प्रकारों) की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  48. प्रश्न- नेतृत्व प्रशिक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके महत्व पर प्रकाश डालिए।
  49. प्रश्न- नेतृत्व प्रशिक्षण की प्रमुख प्रविधियों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- कार्यस्थल पर नेताओं की पहचान करने की विधियों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  51. प्रश्न- ग्रामीण क्षेत्रों में कितने प्रकार के नेतृत्व पाए जाते हैं?
  52. प्रश्न- परम्परागत ग्रामीण नेतृत्व की विशेषताएँ बताइये।
  53. प्रश्न- नेतृत्व प्रशिक्षण को किन बाधाओं का सामना करना पड़ता है?
  54. प्रश्न- नेतृत्व की प्रमुख विशेषताओं को बताइए।
  55. प्रश्न- नेतृत्व का क्या महत्व है? साथ ही नेतृत्व के स्तर को बताइए।
  56. प्रश्न- नेतृत्व प्रशिक्षक से आप क्या समझते हैं? एक नेतृत्व प्रशिक्षक में कौन-से गुण होने चाहिए? संक्षेप में बताइए।
  57. प्रश्न- एक अच्छा नेता कैसा होता है या उसमें कौन-से गुण होने चाहिए?
  58. प्रश्न- एक अच्छा नेता कैसा होता है या उसमें कौन-से गुण होने चाहिए?
  59. प्रश्न- विकास कार्यक्रम का अर्थ स्पष्ट करते हुए विकास कार्यक्रम के मूल्यांकन में विभिन्न भागीदारों के महत्व का वर्णन कीजिए।
  60. प्रश्न- विकास कार्यक्रम चक्र को विस्तृत रूप से समझाइये | इसके मूल्यांकन पर भी प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- विकास कार्यक्रम तथा उसके मूल्यांकन के महत्व का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के प्रमुख घटक क्या हैं?
  63. प्रश्न- कार्यक्रम नियोजन से आप क्या समझते हैं?
  64. प्रश्न- कार्यक्रम नियोजन की प्रक्रिया का उदाहरण सहित विस्तृत वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- अनुवीक्षण / निगरानी की विकास कार्यक्रमों में क्या भूमिका है? टिप्पणी कीजिए।
  66. प्रश्न- निगरानी में बुनियादी अवधारणाएँ और तत्वों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  67. प्रश्न- निगरानी के साधन और तकनीकों का तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
  68. प्रश्न- मूल्यांकन डिजाइन (मूल्यांकन कैसे करें) को समझाइये |
  69. प्रश्न- मूल्यांकन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा कीजिए।
  70. प्रश्न- मूल्यांकन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- निगरानी का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  72. प्रश्न- निगरानी के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- निगरानी में कितने प्रकार के सूचकों का प्रयोग किया जाता है?
  74. प्रश्न- मूल्यांकन का अर्थ और विशेषताएँ बताइये।
  75. प्रश्न- निगरानी और मूल्यांकन के बीच अंतर लिखिए।
  76. प्रश्न- मूल्यांकन के विभिन्न प्रकारों को समझाइये।

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