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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2776
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- भारत में तीव्र नगरीयकरण के प्रतिरूप और समस्याओं की विवेचना कीजिए।

अथवा
भारत में तीव्र नगरीयकरण पर एक भौगोलिक विश्लेषण लिखिए।
अथवा
नगरीय जीवन की मुख्य समस्याएँ क्या हैं?

उत्तर -

नगरीयकरण
(Urbanisation)

भारत में नगरीयकरण का इतिहास काफी लम्बा रहा है क्योंकि प्रारम्भ से ही देश में कृषि का निर्वाहन स्वरूप रहा है तथा उद्योगों का अत्यधिक स्थानीयकरण व परिवहन का कम विकास हुआ है साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों से नगरों की ओर स्थानातंरण भी धीमा रहा है जबकि नगरीय जनसंख्या की प्राकृतिक वृद्धि दर कम रही। सन् 1901 में देश में कुल 1851 नगरीय स्थानों में कुल 2.58 करोड़ व्यक्ति निवास करते थे, इनमें देश की तत्कालीन राजधानी कोलकाता देश का सबसे बड़ा नगर था जिसकी जनसंख्या 1488323 थी। इसके बाद मुम्बई एवं चेन्नई क्रमशः 812912 तथा 594396 के जनसंख्या के साथ दूसरे एवं तीसरे बड़े नगर थे। स्वतन्त्रता प्राप्ति से पूर्व के अधिकांश नगर राजधानी, बन्दरगाह व औद्योगिक केन्द्रों के रूप में थे। इस समय छोटे-नगरों की प्रधानता थी।

इस प्रकार देश में बीसवीं शताब्दी में हुए नगरीयकरण की प्रवृत्तियों के आधार पर भारत को निम्नलिखित कालिक भागों में विभाजित किया जा सकता है-

(1) धीमा नगरीयकरण काल (Slow Urbanisation Period) - यह काल 1901 से 1931 के मध्य रहा जब देश में महामारियों एवं प्राकृतिक आपदाओं का प्रभाव अधिक रहा, फलस्वरूप नगरीय जनसंख्या में धीमे विकास के साथ ही अनेक बार ह्रास का दौर भी रहा है। इस अवधि में 1903-08 का अकाल, 1904 का प्लेग, 1905-08 का मोतीझरा व 1908 का मलेरिया आदि प्रमुख प्रकोप प्रभावी रहे हैं। इस प्रकार 1901 से 1931 तक नगरीय जनसंख्या 10.8 प्रतिशत से बढ़कर केवल 11.9 प्रतिशत ही हो पायी थी।

(2) मध्यम नगरीयकरण काल (Moderate Urbanisation Period) - यह काल 1931 से 1961 के दौरान माना गया है। जब नगरीयकरण धीमी गति से हुआ जिसका प्रमुख कारण उद्योगों के विकास के प्रयास तथा प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा रहे हैं। इसी दौरान नवीन खनन क्षेत्रों का विकास किया गया। कृषि विकास में कपास की कृषि बढ़ने से सूती वस्त्र उद्योग का विकास हुआ।

(3) उच्च नगरीयकरण काल (High Urbanisation Period ) - यह काल 1961 से 2001 तक का रहा है जिसमें नगरीय जनसंख्या 1961 में 7.89 करोड़ से बढ़कर 2001 में 28.61 करोड़ हो गई। इसके प्रमुख कारणों में ग्रामीण क्षेत्र से नगरों की ओर बढ़ता प्रवास, मृत्यु दर में कमी से प्राकृतिक वृद्धि दर में बढ़ोतरी, तीव्र औद्योगिक विकास, परिवहन विकास आदि हैं। शहरों में बढ़ते रोजगार के अवसरों ने ग्रामीण जनता को बड़े स्तर पर आकर्षित किया है।

भारत में नगरीयकरण की प्रवृत्ति का क्षेत्रीय प्रतिरूप
(Regional Pattern of Urbanization in India)

2011 की जनगणना के आँकड़ों के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या का 31.16 प्रतिशत भाग नगरीय क्षेत्र में निवास करती है। लेकिन प्रदेश विशेष में इसमें तीव्र असमानता पायी जाती है। अतः नगरीयकरण के आधार पर भारत को निम्नांकित भागों में विभाजित किया गया है-

(1) उच्च नगरीयकृत क्षेत्र (High Urbanized Regions) - भारत के जिन राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेशों की कुल जनसंख्या का 50 प्रतिशत तथा इससे अधिक भाग नगरीय क्षेत्र में निवास करते हैं। उनको इस वर्ग में सम्मिलित किया जाता है। दिल्ली (93.02%), चण्डीगढ़ (89.78%), पांडिचेरी (66.57%) आदि तीन केन्द्रशासित प्रदेशों की अधिकतम जनसंख्या नगरीय क्षेत्र में निवास करती है।

(2) सामान्य नगरीयकृत क्षेत्र (Normal Urbanized Regions ) - जिन राज्यों की कुल जनसंख्या का 25 से 50 प्रतिशत भाग नगरीय क्षेत्र में निवास करती हैं, उन्हें सामान्य नगरीय प्रदेशों में सम्मिलित किया गया है। इसके अन्तर्गत गोआ (49.77), मिजोरम (49.50), तमिलनाडु (44.0), महाराष्ट्र (42.40), गुजरात (37.35), कर्नाटक (33.98), पंजाब (34.0), पश्चिमी बंगाल (28.03), केरल (26.0) आदि राज्यों को सम्मिलित किया जाता है। इसके अतिरिक्त दमन एवं द्वीव केन्द्रशासित प्रदेश की भी 36.25 प्रतिशत जनसंख्या नगरों में निवास करती है।

(3) निम्न नगरीयकृत क्षेत्र (Low Urbanized Regions ) - जिन राज्यों की कुल जनसंख्या का 15 से 25 प्रतिशत भाग नगरीय क्षेत्रों में निवास करता है, उन्हें निम्न नगरीय क्षेत्र में सम्मिलित किया जाता है। जम्मू तथा कश्मीर (24.88), मणिपुर (26.6), राजस्थान (23.4), झारखण्ड (22.25), उत्तर प्रदेश (20.78), मेघालय (19.63), त्रिपुरा (17.02) स वर्ग के अन्तर्गत आते हैं।

(4) अति निम्न नगरीयकृत क्षेत्र (Very Low Urbanized Regions ) - जिन राज्यों की कुल जनसंख्या की 15 प्रतिशत से कम जनसंख्या नगरों में निवास करती है, उन्हें इस श्रेणी में सम्मिलित किया जाता है। हिमाचल प्रदेश (9.79), सिक्किम (11.10), बिहार (10.47) उड़ीसा (15.0) आदि राज्यों में अति निम्न नगरीय जनसंख्या पायी जाती है। भारत में सर्वाधिक नगरीय जनसंख्या का प्रतिशत गोआ में 49.77 प्रतिशत तथा सबसे कम हिमाचल प्रदेश में 9.79 प्रतिशत है जबकि कुल नगरीय जनसंख्या सर्वाधिक महाराष्ट्र में 4, 10, 19, 734 है तथा सबसे कम सिक्किम में 60,005 है।

2001 की जनगणना के अनुसार भारत में सर्वाधिक नगरीय जनसंख्या प्रतिशतता वाला राज्य गोवा (49.77 प्रतिशत) है। इसी प्रकार केन्द्र शासित प्रदेशों में सर्वाधिक नगरीय जनसंख्या प्रतिशतता दिल्ली में है जहाँ 93.21 प्रतिशत जनसंख्या नगरीय है। जबकि सबसे कम प्रतिशतता दादरा एवं नागर हवेली (22.9 प्रतिशत) है जबकि कुल नगरीय जनसंख्या वाला बड़ा राज्य महाराष्ट्र है जहाँ 41100980 लोग नगरों में रहते हैं। वर्ष 2001 की नगरीय जनगणना में जिलों की संख्या 593 तथा उपजिलों की संख्या 5470 थी। उपजिलों के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नाम पद्धति (Nomenclature ) है इसे उत्तर प्रदेश में तहसील, बिहार में सामुदायिक विकास खण्ड (Community development Block) नागालैण्ड में सर्किल मणिपुर में उपखण्ड (Sub Division ), मिजोरम में ग्रामीण विकास खण्ड ( Rural Devlopment Block) उड़ीसा में पुलिस स्टेशन व गुजरात में तालुक कहते हैं।

नगरीय क्षेत्रों की समस्याएँ
(Problems of Urban Regions)

नगर वर्तमान समय में आधुनिक सुविधाओं एवं रोजगार की दृष्टि से सुख सुविधापूर्ण माने जाते हैं। लेकिन अति नगरीयकरण की प्रवृत्ति के कारण नगर धीरे-धीरे एक समस्या क्षेत्र के रूप में परिवर्तित होते जा रहे हैं। नगरीय क्षेत्रों की प्रमुख समस्याएँ निम्नांकित हैं-

(1) आवासीय समस्याएँ - नगरीय क्षेत्रों की सुविधाओं के कारण ग्रामीण क्षेत्र के लोग नगरीय क्षेत्र में आकर बसने लगते हैं। इसके अतिरिक्त तीव्र जनसंख्या वृद्धि तथा मजदूरों केआगमन के कारण नगरों में आवासीय स्थलों की कमी होती जा रही है। यही कारण है कि नगरों में गन्दी बस्तियों का तीव्रता से विकास हो रहा है।

(2) स्वास्थ्य तथा चिकित्सा सम्बन्धी समस्याएँ - यद्यपि नगरों में गाँवों के विपरीत चिकित्सा सम्बन्धी सुविधाएँ अधिक पायी जाती हैं। लेकिन अत्यधिक जनसंख्या होने के कारण अधिकतर विकासशील देशों में वर्तमान समय में भी जनसंख्या के अनुपात में नगरीय क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाएँ बहुत कम पायी गई हैं। इसके अतिरिक्त मलिन एवं गन्दी बस्तियों का विकास, जल तथा वायु प्रदूषण का उच्च स्तर, पेयजल सम्बन्धी समस्याएँ, निर्धनता, बेरोजगारी, आर्थिक तथा अन्य सामाजिक कमियों के कारण गाँवों की अपेक्षा नगरों में विभिन्न बीमारियों का स्तर उच्च पाया जाता है।

(3) जलापूर्ति की समस्या -  नगरीय क्षेत्र में उच्च जनसंख्या घनत्व के कारण पेयजल की आवश्यकता भी अधिक रहती है। इसके अतिरिक्त विभिन्न उद्योगों के लिए भी विभिन्न वस्तुओं की निर्माण की प्रकृति के अनुसार जल की आवश्यकता रहती है। वर्तमान समय में प्राकृतिक जल स्रोतों में जलीय स्तर के गिरते जाने के कारण नगरों में पेयजल की सुव्यवस्थित व्यवस्था नहीं पायी जाती है। कभी-कभी जल में अनेक कृत्रिम अपद्रव्यताएँ होती हैं, जिनके कारण पीलिया, हैजा आदि कई प्रकार की बीमारियाँ हो जाती हैं।

(4) नगरीय क्षेत्र से प्राप्त अपशिष्ट पदार्थों की समस्या - नगरीय क्षेत्रों से विभिन्न उद्योगों तथा घरेलू कार्यों में काम आने वाले गन्दे जल, कूड़ा-करकट तथा मलमूत्र आदि के निकास की उत्तम व्यवस्था नहीं पायी जाती है। इसके कारण कई बीमारियों का कारण बनता है।

(5) परिवहन सम्बन्धी समस्याएँ - नगरीय जनसंख्या के तीव्र वृद्धि के कारण नगरीय यातायात मार्गों की चौड़ाई कम तथा वाहनों की संख्या अत्यधिक होने के कारण कभी-कभी यातायात मार्ग घण्टों तक अवरुद्ध रहते हैं। नगरीय व्यापारिक क्षेत्र में तीव्र जनसंख्या तथा उपभोक्ता वस्तुओं की दुकानों आदि के कारण वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबन्ध रहता है।

(6) शिक्षा एवं मनोरंजन सम्बन्धी समस्याएँ - नगरीय क्षेत्रों में तीव्र जनसंख्या वृद्धि तथा उच्च जनसंख्या घनत्व पाये जाने के कारण शैक्षिक संस्थाओं, जैसे- विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय, प्रशिक्षण संस्थान आदि की अधिक आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त शैक्षणिक कार्यों के लिए ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों के आने के कारण शैक्षणिक एवं मनोरंजन सम्बन्धी सुविधाओं की अधिक आवश्यकता होती है। इनका विकासं धन की कमी तथा अन्य समस्याओं के कारण जनसंख्या के अनुपात में नहीं हो पाता है।

(7) स्थान सम्बन्धी समस्याएँ - दिन-प्रतिदिन नगरीय जनसंख्या में होने वाली तीव्र वृद्धि के कारण विभिन्न औद्योगिक संस्थानों की स्थापना, दुकानों, आवासीय क्षेत्र आदि के लिए स्थान विशेष कम होते जा रहे हैं। नगरों का ग्रामीण क्षेत्रों की ओर तेजी से विस्तार हो रहा है, जिसके कारण कृषि भूमि में कमी होती जा रही है। जहाँ भूमि उपलब्ध है उसकी कीमत बहुत अधिक पायी जाती हैं।

(8) विद्युत की समस्या - नगरों के विकास एवं समृद्धि का आधार विद्युत को ही माना जाता है। अत विद्युत आपूर्ति ही वर्तमान नगरीय क्षेत्रों के विकास का आधारभूत कारक है। लेकिन नगरीय जनसंख्या के तेजी से बढ़ने के कारण वर्तमान समय में विभिन्न घरेलू कार्यों तथा औद्योगिक एवं व्यापारिक संस्थानों में विद्युत सम्बन्धी समस्याएँ आती रहती हैं।

(9) पर्यावरणीय प्रदूषण सम्बन्धी समस्याएँ - नगरीय क्षेत्रों में उच्च जनसंख्या घनत्व, तीव्र जनसंख्या वृद्धि, भूमि का अभाव, पेड़-पौधों की कमी, विभिन्न प्रकार के कूड़ा-करकट का पाया जाना, अत्यधिक औद्योगिक संस्थानों के स्थापित होने, विभिन्न परिवहन साधनों से निकलने वाली हानिकारक गैस कार्बन डाई ऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड आदि के कारण जलवायु तथा ध्वनि प्रदूषण का उच्च स्तर पाया जाता है।

वर्तमान में नगरीय क्षेत्रों का पर्यावरण ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में विषम होता जा रहा है। बड़े शहर उष्मा द्वीप (Heat Island) बनते जा रहे हैं। जहाँ ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में तापमान अधिक मिलता है। तीव्र औद्योगीकरण के कारण वायु में मिश्रित गैसों व धूल कणों से धूल गुम्बद (Dust Dome) बन रहे हैं। ये सभी पर्यावरण को प्रभावित कर रहे हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्रादेशिक भूगोल में प्रदेश (Region) की संकल्पना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- प्रदेशों के प्रकार का विस्तृत वर्णन कीजिये।
  3. प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश को परिभाषित कीजिए।
  4. प्रश्न- प्रदेश को परिभाषित कीजिए एवं उसके दो प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
  5. प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश से क्या आशय है?
  6. प्रश्न- सामान्य एवं विशिष्ट प्रदेश से क्या आशय है?
  7. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण को समझाते हुए इसके मुख्य आधारों का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के जलवायु सम्बन्धी आधार कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के कृषि जलवायु आधार कौन से हैं? इन आधारों पर क्षेत्रीयकरण की किसी एक योजना का भारत के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित मेकफारलेन एवं डडले स्टाम्प के दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के भू-राजनीति आधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  12. प्रश्न- डॉ० काजी सैयदउद्दीन अहमद का क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण क्या था?
  13. प्रश्न- प्रो० स्पेट के क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  14. प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित पूर्व दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिये।
  15. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्य भी बताइए।
  16. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन की आवश्यकता क्यों है? तर्क सहित समझाइए।
  17. प्रश्न- प्राचीन भारत में नियोजन पद्धतियों पर लेख लिखिए।
  18. प्रश्न- नियोजन तथा आर्थिक नियोजन से आपका क्या आशय है?
  19. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन में भूगोल की भूमिका पर एक निबन्ध लिखो।
  20. प्रश्न- हिमालय पर्वतीय प्रदेश को कितने मेसो प्रदेशों में बांटा जा सकता है? वर्णन कीजिए।
  21. प्रश्न- भारतीय प्रायद्वीपीय उच्च भूमि प्रदेश का मेसो विभाजन प्रस्तुत कीजिए।
  22. प्रश्न- भारतीय तट व द्वीपसमूह को किस प्रकार मेसो प्रदेशों में विभक्त किया जा सकता है? वर्णन कीजिए।
  23. प्रश्न- "हिमालय की नदियाँ और हिमनद" पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  24. प्रश्न- दक्षिणी भारत की नदियों का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- पूर्वी हिमालय प्रदेश का संसाधन प्रदेश के रूप में वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- भारत में गंगा के मध्यवर्ती मैदान भौगोलिक प्रदेश पर विस्तृत टिप्पणी कीजिए।
  27. प्रश्न- भारत के उत्तरी विशाल मैदानों की उत्पत्ति, महत्व एवं स्थलाकृति पर विस्तृत लेख लिखिए।
  28. प्रश्न- मध्य गंगा के मैदान के भौगोलिक प्रदेश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  29. प्रश्न- छोटा नागपुर का पठार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  30. प्रश्न- प्रादेशिक दृष्टिकोण के संदर्भ में थार के मरुस्थल की उत्पत्ति, महत्व एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- क्षेत्रीय दृष्टिकोण के महत्व से लद्दाख पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  32. प्रश्न- राजस्थान के मैदान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  33. प्रश्न- विकास की अवधारणा को समझाइये |
  34. प्रश्न- विकास के प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- सतत् विकास का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- सतत् विकास के स्वरूप को समझाइये |
  37. प्रश्न- सतत् विकास के क्षेत्र कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- सतत् विकास के महत्वपूर्ण सिद्धान्त एवं विशेषताओं पर विस्तृत लेख लिखिए।
  39. प्रश्न- अल्प विकास की प्रकृति के विभिन्न दृष्टिकोण समझाइए।
  40. प्रश्न- अल्प विकास और अल्पविकसित से आपका क्या आशय है? गुण्डरफ्रैंक ने अल्पविकास के क्या कारण बनाए है?
  41. प्रश्न- विकास के विभिन्न दृष्टिकोणों पर संक्षेप में टिप्पणी कीजिए।
  42. प्रश्न- सतत् विकास से आप क्या समझते हैं?
  43. प्रश्न- सतत् विकास के लक्ष्य कौन-कौन से हैं?
  44. प्रश्न- आधुनिकीकरण सिद्धान्त की आलोचना पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  45. प्रश्न- अविकसितता का विकास से क्या तात्पर्य है?
  46. प्रश्न- विकास के आधुनिकीकरण के विभिन्न दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
  47. प्रश्न- डॉ० गुन्नार मिर्डल के अल्प विकास मॉडल पर विस्तृत लेख लिखिए।
  48. प्रश्न- अल्प विकास मॉडल विकास ध्रुव सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए तथा प्रादेशिक नियोजन में इसकी सार्थकता को समझाइये।
  49. प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के प्रतिक्षिप्त प्रभाव सिद्धांत की व्याख्या कीजिए।
  50. प्रश्न- विकास विरोधी परिप्रेक्ष्य क्या है?
  51. प्रश्न- पेरौक्स के ध्रुव सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  52. प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिए।
  53. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता की अवधारणा को समझाइये
  54. प्रश्न- विकास के संकेतकों पर टिप्पणी लिखिए।
  55. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय असंतुलन की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता निवारण के उपाय क्या हो सकते हैं?
  57. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमताओं के कारण बताइये। .
  58. प्रश्न- संतुलित क्षेत्रीय विकास के लिए कुछ सुझाव दीजिये।
  59. प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन का मापन किस प्रकार किया जा सकता है?
  60. प्रश्न- क्षेत्रीय असमानता के सामाजिक संकेतक कौन से हैं?
  61. प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन के क्या परिणाम हो सकते हैं?
  62. प्रश्न- आर्थिक अभिवृद्धि कार्यक्रमों में सतत विकास कैसे शामिल किया जा सकता है?
  63. प्रश्न- सतत जीविका से आप क्या समझते हैं? एक राष्ट्र इस लक्ष्य को कैसे प्राप्त कर सकता है? विस्तारपूर्वक समझाइये |
  64. प्रश्न- एक देश की प्रकृति के साथ सामंजस्य से जीने की चाह के मार्ग में कौन-सी समस्याएँ आती हैं?
  65. प्रश्न- सतत विकास के सामाजिक घटकों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  66. प्रश्न- सतत विकास के आर्थिक घटकों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  67. प्रश्न- सतत् विकास के लिए यथास्थिति दृष्टिकोण के बारे में समझाइये |
  68. प्रश्न- सतत विकास के लिए एकीकृत दृष्टिकोण के बारे में लिखिए।
  69. प्रश्न- विकास और पर्यावरण के बीच क्या संबंध है?
  70. प्रश्न- सतत विकास के लिए सामुदायिक क्षमता निर्माण दृष्टिकोण के आयामों को समझाइये |
  71. प्रश्न- सतत आजीविका के लिए मानव विकास दृष्टिकोण पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
  72. प्रश्न- सतत विकास के लिए हरित लेखा दृष्टिकोण का विश्लेषण कीजिए।
  73. प्रश्न- विकास का अर्थ स्पष्ट रूप से समझाइये |
  74. प्रश्न- स्थानीय नियोजन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- भारत में नियोजन के विभिन्न स्तर कौन से है? वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- नियोजन के आधार एवं आयाम कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- भारत में विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में क्षेत्रीय उद्देश्यों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  78. प्रश्न- आर्थिक विकास में नियोजन क्यों आवश्यक है?
  79. प्रश्न- भारत में नियोजन अनुभव पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय नियोजन की विफलताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- नियोजन की चुनौतियां और आवश्यकताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  82. प्रश्न- बहुस्तरीय नियोजन क्या है? वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था के ग्रामीण जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव की विवेचना कीजिए।
  84. प्रश्न- ग्रामीण पुनर्निर्माण में ग्राम पंचायतों के योगदान की विवेचना कीजिये।
  85. प्रश्न- संविधान के 72वें संशोधन द्वारा पंचायती राज संस्थाओं में जो परिवर्तन किये गये हैं उनका उल्लेख कीजिये।
  86. प्रश्न- पंचायती राज की समस्याओं का विवेचन कीजिये। पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव भी दीजिये।
  87. प्रश्न- न्यूनतम आवश्यक उपागम की व्याख्या कीजिये।
  88. प्रश्न- साझा न्यूनतम कार्यक्रम की विस्तारपूर्वक रूपरेखा प्रस्तुत कीजिये।
  89. प्रश्न- भारत में अनुसूचित जनजातियों के विकास हेतु क्या उपाय किये गये हैं?
  90. प्रश्न- भारत में तीव्र नगरीयकरण के प्रतिरूप और समस्याओं की विवेचना कीजिए।
  91. प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था की समस्याओं की विवेचना कीजिये।
  92. प्रश्न- प्राचीन व आधुनिक पंचायतों में क्या समानता और अन्तर है?
  93. प्रश्न- पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव दीजिये।
  94. प्रश्न- भारत में प्रादेशिक नियोजन के लिए न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के महत्व का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के सम्मिलित कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- भारत के नगरीय क्षेत्रों के प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं?

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