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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2776
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- सतत विकास के सामाजिक घटकों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।

उत्तर -

सतत विकास के सामाजिक घटक

सामाजिक घटक के सततता को प्राप्त करने के लिए अपेक्षित सामाजिक और मानव घटक शामिल हैं। हम पहली इकाई में इसके बारे में पढ़ चुके हैं। इस इकाई में हम इसके बारे में और चर्चा करेंगे। सामाजिक घटक में सततता का उद्देश्य सामाजिक व सांस्कृतिक सततता का निर्माण करना है और लोगों की अलगाव जैसी सामाजिक बीमारियों को रोकना है। आम जनता, बड़े-बड़े व्यवसायों में कार्यरत है, लेकिन अपने काम के बारे में पूरी जानकारी व समझ न होने के कारण वे अपनी नौकरी से संतुष्ट नहीं है, अतः वे निराश हैं। सापेक्षतावाद (Relativism) के युग में कोई संपूर्ण मूल्य नहीं है और बीमारियों के कारण भविष्य का पूर्वानुमान भी नहीं लगाया जा सकता है। विश्व ने इबोला, जीका, सार्स, स्वाइन फ्लू और अब कोविड - 19 जैसे कई वायरसों का सामना किया है। सामाजिक सततता में सामाजिक समता, स्वास्थ्य समता, सामुदायिक विकास, मानवाधिकार, सामाजिक जिम्मेदारी और श्रम अधिकारों जैसे मुद्दे शामिल हैं। एक तरह से, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण के सभी क्षेत्र भी सामाजिक हैं, क्योंकि वे समाज को प्रभावित करते हैं। सामाजिक रूप से सतत समाज न्यायसंगत, विविध, संयोजित और लोकतांत्रिक हैं और इनका उद्देश्य अच्छा गुणवत्तापूर्ण जीवन प्रदान करना है।

सामाजिक सतत् विकास के आयाम
(Dimensions of Social Sustainable Development)

जब से सतत् विकास के तीन स्तंभों को परिभाषित किया गया है, बहुत उपलब्धियाँ रहीं हैं। संयुक्त राष्ट्र ने 2015 में 17 सतत् विकास लक्ष्यों (एस०डी०जी०) को तैयार किया, जिसमें अधिकांश उस संगत क्षेत्रों को सम्मिलित किया गया है, जिसमें 193 सदस्य देशों ने अपना समर्थन प्रदान किया। संयुक्त राष्ट्र सामाजिक विकास अनुसंधान संस्थान (United Nations Research Institute for Social Development - UNRISD) ने सतत् विकास के सामाजिक आयामों पर एक कार्यक्रम विकसित किया, जो नीतिगत बदलावों की उन प्रक्रियाओं का समझने, विश्लेषण और संलग्न करने पर केन्द्रित है, जो अस्थायी प्रचलनों, जलवायु परिवर्तन और असमानताओं से निपट सकें। इसमें सतत् विकास के 2030 एजेंडा के समर्थन में विभिन्न स्तरों पर सामाजिक, पर्यावरणीय और आर्थिक मुद्दों के पारस्परिक संबंधों पर ध्यान केन्द्रित किया गया है।

नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन (Amartya Sen) ने सामाजिक सततता के चार आयामों को निर्दिष्ट किया-

(1) जीवन की गुणवत्ता (Quality of Life) - इसमें किफायती आवास यानी की सस्ते घर, शारीरिक और मानसिक चिकित्सा सहायता, शिक्षा प्रशिक्षण के अवसर, रोजगार के अवसर, समर्थन और सुरक्षा जैसे विभिन्न तत्व शामिल हैं। जीवन की गुणवत्ता प्रत्यक्षतः एक समाज में व्यक्तियों के कल्याण का उल्लेख करती है। विकास को स्वतंत्रता का रूप माना जाता है, क्योंकि जीवन की बुनियादी सुविधाओं का अधिकार किसी को स्वतंत्रता की ओर ले जाता है, चाहे वह गरीबी, बीमारी या अशिक्षा से स्वतंत्रता की ओर ले जाता है, चाहे वह गरीबी, बीमारी या अशिक्षा से स्वतंत्रता हो। समूहों या राष्ट्रों के बीच तीव्र विरोधाभास के बिना व्यक्तियों को लंबा और अच्छा जीवन जीने का अधिकार है। विकास मूल सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक स्वतंत्रता के विस्तार की एक एकीकृत प्रक्रिया है, जो एक-दूसरे को जोड़ती है। जीवन की गुणवत्ता के कुछ पहलुओं जिन पर विचार किया जाना चाहिए, उनका उल्लेख नीचे दिया गया है-

(i) व्यक्तिगत विषमताएँ - भिन्नताएँ (Personal Heterogeneities Differences) - प्रत्येक व्यक्ति की विशेषताएँ भिन्न होती हैं- चाहे वे उम्र हो, जेंडर हो, बीमारी हो या दिव्यांगता हो। व्यक्तियों की यही भिन्नताएँ उनकी आवश्यकताओं को अद्वितीय बनाती हैं। बनाई गई योजना का अनुसरण करके, कुछ समस्याओं पर समान रूप से विचार कर पाना संभव है।

(ii) पर्यावरणीय विविधता (Environmental Diversity ) - व्यक्तियों की आवश्यकताएँ पर्यावरणीय परिस्थितियों के कारण भिन्न-भिन्न होती हैं, अर्थात् व्यक्ति की आवश्यकताएँ ठंड के मौसम, गर्म परिस्थितियों या वर्षा, प्रदूषण से प्रभावित होता हैं। पर्यावरणीय स्थिति लोगों के जीवन की गुणवत्ता को बदल देती है।

(iii) सामाजिक जलवायु (Social Climate) - अपराध, हिंसा, शैक्षिक सुविधाएँ, सामुदायिक संबंध और सार्वजनिक या लोक सुविधाएँ सामाजिक पूँजी का स्तर निर्मित करती हैं, जो कि जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है।

(iv) संबंधपरक पहलु (Relational Aspect ) - जीवन की गुणवत्ता समुदाय में प्रचलित रिश्तों से प्रभावित होती है, जो संस्कृति, रीति-रिवाजों और मानदंडों पर आधारित होती है। वस्त्र, व्यवहार, स्वाभिमान कुछ ऐसे सूचक हैं, जो यह निर्धारित करते हैं कि कोई व्यक्ति किसी समुदाय में कैसे रहता है।

(v) आय वितरण ( Income Distribution ) - एक परिवार के भीतर आय वितरण परिवार के सदस्यों की भलाई या स्वतंत्रताओं को प्रभावित करता है।

ऐसे कई कारक हैं, जो एक समाज में जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं, लेकिन इसे बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास करना बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि मानव विकास हो सके। ऐसा करने में जिन मुद्दों का सामना करना पड़ रहा हे, वे हैं वित्तीय रूढ़िवादिता, यानी सामाजिक लाभ के लिए धन मुहैया कराने की इच्छा शक्ति। सरकारी बजट में अधिकांश हिस्सा साक्षरता या स्वास्थ्य पर अधिक खर्च करने के बजाय सैन्य खर्च की सुविधा प्रदान करने के लिए आवंटित किया जाता है।

(2) समानता और विविधता (Equality and Diversity ) - सतत् विकास ने संयुक्त राष्ट्र जैसी अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा प्रत्येक देश के क्षेत्रवार सतत् विकास को मापने के लिए तैयार किए गए सूचना स्तरों को उन्नत किया गया है, लेकिन इसने अमीर और गरीबों के बीच असमानताओं के स्तर को भी बढ़ा दिया है। पूरी दुनिया में वंचितों और गरीबों की संख्या में वृद्धि हुई है। एजेंडा 21 में विकसित देशों को अपने सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product-GDP) का 0.15% विकासशील और अल्पविकसित (कम विकसित अर्थव्यवस्थाओं) को देने का प्रावधान किया गया है। हालाँकि, वे जो अधिकतम दे रहे हैं वह उनके सकल घरेलू उत्पाद का 0.7% है। यदि सहायता का प्रतिशत बढ़ाया जाता है, तो यह माना जाता है कि यह विश्व स्तर पर गरीबी को काफी कम कर देगा।

समानता आयाम विविधता के अगले सामाजिक आयाम की ओर ले जाता है, क्योंकि समाज के वंचित वर्ग आबादी के विभिन्न समूहों से संबंधित हैं। राष्ट्रों को कमजोर लोगों की सहायता के लिए विभिन्न समूहों के बीच असंतुलन को कम करने के लिए समाधानों का निर्धारण करना चाहिए। उदाहरण के लिए, भारत में आरक्षण कोटा प्रणाली हैं, जो सभी को शिक्षित करने और रोजगार प्रदान करने में मदद करता है।

(3) सामाजिक सामंजस्य (Social Cohesion) - एक समाज में सामाजिक सामंजस्य का अर्थ है कि समाज लोगों की भलाई के लिए काम करता है। लाभ प्राप्त करने के लिए लोक संस्थानों तक लोगों की पहुँच को सुगम बनाकर उनका हित किया जा सकता है, ताकि वे भी समाज में योगदान कर सकें। उदाहरण के लिए, लोग सरकार के रोजगार केन्द्र में पंजीकरण कराके रोजगार के अवसरों का लाभ उठा सकते हैं। कुछ आवश्यक महत्वपूर्ण मुद्दे हैं-

(i) व्यापक समुदाय में एक समूह से संबद्धता की भावना;
(ii) सामाजिक गतिविधियों में समूह की भागीदारी का स्तर;
(iii) लोक और नागरिक संस्थानों के बारे में जानकारी ओर उन तक पहुँच;
(iv) समुदाय के प्रति समाज को समूह का योगदान।

(4) लोकतंत्र और शासन (Democracy and Governance ) - लोकतांत्रिक शासन का अनुसरण करने वाले राष्ट्र में सामाजिक स्थिरता बेहतर ढंग से हासिल की जा सकती है। सरकार द्वारा बनाए गए कार्यक्रमों के लिए उपयुक्त बजट और ऐसे संसाधनों की आवश्यकता होती है, जो लोकतांत्रिक समाज में उपलब्ध हो सकें।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्रादेशिक भूगोल में प्रदेश (Region) की संकल्पना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- प्रदेशों के प्रकार का विस्तृत वर्णन कीजिये।
  3. प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश को परिभाषित कीजिए।
  4. प्रश्न- प्रदेश को परिभाषित कीजिए एवं उसके दो प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
  5. प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश से क्या आशय है?
  6. प्रश्न- सामान्य एवं विशिष्ट प्रदेश से क्या आशय है?
  7. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण को समझाते हुए इसके मुख्य आधारों का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के जलवायु सम्बन्धी आधार कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के कृषि जलवायु आधार कौन से हैं? इन आधारों पर क्षेत्रीयकरण की किसी एक योजना का भारत के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित मेकफारलेन एवं डडले स्टाम्प के दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के भू-राजनीति आधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  12. प्रश्न- डॉ० काजी सैयदउद्दीन अहमद का क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण क्या था?
  13. प्रश्न- प्रो० स्पेट के क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  14. प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित पूर्व दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिये।
  15. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्य भी बताइए।
  16. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन की आवश्यकता क्यों है? तर्क सहित समझाइए।
  17. प्रश्न- प्राचीन भारत में नियोजन पद्धतियों पर लेख लिखिए।
  18. प्रश्न- नियोजन तथा आर्थिक नियोजन से आपका क्या आशय है?
  19. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन में भूगोल की भूमिका पर एक निबन्ध लिखो।
  20. प्रश्न- हिमालय पर्वतीय प्रदेश को कितने मेसो प्रदेशों में बांटा जा सकता है? वर्णन कीजिए।
  21. प्रश्न- भारतीय प्रायद्वीपीय उच्च भूमि प्रदेश का मेसो विभाजन प्रस्तुत कीजिए।
  22. प्रश्न- भारतीय तट व द्वीपसमूह को किस प्रकार मेसो प्रदेशों में विभक्त किया जा सकता है? वर्णन कीजिए।
  23. प्रश्न- "हिमालय की नदियाँ और हिमनद" पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  24. प्रश्न- दक्षिणी भारत की नदियों का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- पूर्वी हिमालय प्रदेश का संसाधन प्रदेश के रूप में वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- भारत में गंगा के मध्यवर्ती मैदान भौगोलिक प्रदेश पर विस्तृत टिप्पणी कीजिए।
  27. प्रश्न- भारत के उत्तरी विशाल मैदानों की उत्पत्ति, महत्व एवं स्थलाकृति पर विस्तृत लेख लिखिए।
  28. प्रश्न- मध्य गंगा के मैदान के भौगोलिक प्रदेश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  29. प्रश्न- छोटा नागपुर का पठार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  30. प्रश्न- प्रादेशिक दृष्टिकोण के संदर्भ में थार के मरुस्थल की उत्पत्ति, महत्व एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- क्षेत्रीय दृष्टिकोण के महत्व से लद्दाख पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  32. प्रश्न- राजस्थान के मैदान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  33. प्रश्न- विकास की अवधारणा को समझाइये |
  34. प्रश्न- विकास के प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- सतत् विकास का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- सतत् विकास के स्वरूप को समझाइये |
  37. प्रश्न- सतत् विकास के क्षेत्र कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- सतत् विकास के महत्वपूर्ण सिद्धान्त एवं विशेषताओं पर विस्तृत लेख लिखिए।
  39. प्रश्न- अल्प विकास की प्रकृति के विभिन्न दृष्टिकोण समझाइए।
  40. प्रश्न- अल्प विकास और अल्पविकसित से आपका क्या आशय है? गुण्डरफ्रैंक ने अल्पविकास के क्या कारण बनाए है?
  41. प्रश्न- विकास के विभिन्न दृष्टिकोणों पर संक्षेप में टिप्पणी कीजिए।
  42. प्रश्न- सतत् विकास से आप क्या समझते हैं?
  43. प्रश्न- सतत् विकास के लक्ष्य कौन-कौन से हैं?
  44. प्रश्न- आधुनिकीकरण सिद्धान्त की आलोचना पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  45. प्रश्न- अविकसितता का विकास से क्या तात्पर्य है?
  46. प्रश्न- विकास के आधुनिकीकरण के विभिन्न दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
  47. प्रश्न- डॉ० गुन्नार मिर्डल के अल्प विकास मॉडल पर विस्तृत लेख लिखिए।
  48. प्रश्न- अल्प विकास मॉडल विकास ध्रुव सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए तथा प्रादेशिक नियोजन में इसकी सार्थकता को समझाइये।
  49. प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के प्रतिक्षिप्त प्रभाव सिद्धांत की व्याख्या कीजिए।
  50. प्रश्न- विकास विरोधी परिप्रेक्ष्य क्या है?
  51. प्रश्न- पेरौक्स के ध्रुव सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  52. प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिए।
  53. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता की अवधारणा को समझाइये
  54. प्रश्न- विकास के संकेतकों पर टिप्पणी लिखिए।
  55. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय असंतुलन की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता निवारण के उपाय क्या हो सकते हैं?
  57. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमताओं के कारण बताइये। .
  58. प्रश्न- संतुलित क्षेत्रीय विकास के लिए कुछ सुझाव दीजिये।
  59. प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन का मापन किस प्रकार किया जा सकता है?
  60. प्रश्न- क्षेत्रीय असमानता के सामाजिक संकेतक कौन से हैं?
  61. प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन के क्या परिणाम हो सकते हैं?
  62. प्रश्न- आर्थिक अभिवृद्धि कार्यक्रमों में सतत विकास कैसे शामिल किया जा सकता है?
  63. प्रश्न- सतत जीविका से आप क्या समझते हैं? एक राष्ट्र इस लक्ष्य को कैसे प्राप्त कर सकता है? विस्तारपूर्वक समझाइये |
  64. प्रश्न- एक देश की प्रकृति के साथ सामंजस्य से जीने की चाह के मार्ग में कौन-सी समस्याएँ आती हैं?
  65. प्रश्न- सतत विकास के सामाजिक घटकों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  66. प्रश्न- सतत विकास के आर्थिक घटकों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  67. प्रश्न- सतत् विकास के लिए यथास्थिति दृष्टिकोण के बारे में समझाइये |
  68. प्रश्न- सतत विकास के लिए एकीकृत दृष्टिकोण के बारे में लिखिए।
  69. प्रश्न- विकास और पर्यावरण के बीच क्या संबंध है?
  70. प्रश्न- सतत विकास के लिए सामुदायिक क्षमता निर्माण दृष्टिकोण के आयामों को समझाइये |
  71. प्रश्न- सतत आजीविका के लिए मानव विकास दृष्टिकोण पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
  72. प्रश्न- सतत विकास के लिए हरित लेखा दृष्टिकोण का विश्लेषण कीजिए।
  73. प्रश्न- विकास का अर्थ स्पष्ट रूप से समझाइये |
  74. प्रश्न- स्थानीय नियोजन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- भारत में नियोजन के विभिन्न स्तर कौन से है? वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- नियोजन के आधार एवं आयाम कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- भारत में विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में क्षेत्रीय उद्देश्यों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  78. प्रश्न- आर्थिक विकास में नियोजन क्यों आवश्यक है?
  79. प्रश्न- भारत में नियोजन अनुभव पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय नियोजन की विफलताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- नियोजन की चुनौतियां और आवश्यकताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  82. प्रश्न- बहुस्तरीय नियोजन क्या है? वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था के ग्रामीण जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव की विवेचना कीजिए।
  84. प्रश्न- ग्रामीण पुनर्निर्माण में ग्राम पंचायतों के योगदान की विवेचना कीजिये।
  85. प्रश्न- संविधान के 72वें संशोधन द्वारा पंचायती राज संस्थाओं में जो परिवर्तन किये गये हैं उनका उल्लेख कीजिये।
  86. प्रश्न- पंचायती राज की समस्याओं का विवेचन कीजिये। पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव भी दीजिये।
  87. प्रश्न- न्यूनतम आवश्यक उपागम की व्याख्या कीजिये।
  88. प्रश्न- साझा न्यूनतम कार्यक्रम की विस्तारपूर्वक रूपरेखा प्रस्तुत कीजिये।
  89. प्रश्न- भारत में अनुसूचित जनजातियों के विकास हेतु क्या उपाय किये गये हैं?
  90. प्रश्न- भारत में तीव्र नगरीयकरण के प्रतिरूप और समस्याओं की विवेचना कीजिए।
  91. प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था की समस्याओं की विवेचना कीजिये।
  92. प्रश्न- प्राचीन व आधुनिक पंचायतों में क्या समानता और अन्तर है?
  93. प्रश्न- पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव दीजिये।
  94. प्रश्न- भारत में प्रादेशिक नियोजन के लिए न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के महत्व का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के सम्मिलित कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- भारत के नगरीय क्षेत्रों के प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं?

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