बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B अर्थशास्त्र - अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B अर्थशास्त्र - अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B अर्थशास्त्र - अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- एडम स्मिथ के लागतों के निरपेक्ष लाभ सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
अथवा
एडम स्मिथ के निरपेक्ष लागत सिद्धान्त की मान्याताएँ बताइये।
उत्तर -
(Adam Smith's Theory of Absolute Cost Advantage)
एडम स्मिथ ने व्यक्तिवादी विचारधारा के आधार पर वणिकवादियों द्वारा प्रतिपादित 'अनुकूल व्यापार सन्तुलन के सिद्धान्त' की कटु आलोचना की एक स्वतन्त्र व्यापार के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। इन्होंने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “The Wealth of Nations” में वणिकवादियों की राज्य शक्ति की विचारधारा पर तीव्र प्रहार किया और यह कहा कि प्रत्येक विवेकशील व्यक्ति अपने हित को अच्छी तरह जानता है, उसके हित से सामाजिक कल्याण में वृद्धि होती है। इनके अनुसार सरकारी नियंत्रण को लागू किये बिना आर्थिक प्रणाली को सम्पन्न करने की बात कही थी लेकिन एडम स्मिथ का मानना है कि उपभोक्ताओं का हित सर्वोपरि होता है। इस प्रकार स्वतन्त्र व्यापार सिद्धान्त में अनुकूल व्यापार सन्तुलन आयातों पर प्रतिबन्ध तथा निर्यात प्रोत्साहन होने की तीव्र आलोचना की गयी।
एडम स्मिथ अहस्तक्षेप की नीति के समर्थक थे। इन्होंने श्रम विभाजन के महत्व का प्रतिपादन करते हुए यह बताया कि अन्तर्राष्ट्रीय श्रम विभाजन के कारण ही विदेशी व्यापार से लाभ होता है। इनके मतानुसार यदि एक देश किसी वस्तु को कम लागत पर अन्य देश से आयात कर सकता है तो उसे उस वस्तु का आयात करना ही अच्छा होगा। इसके विपरीत यह देश अन्य देशों की तुलना में जिस वस्तु को कम लागत पर उत्पन्न कर सकता है तो वह उपलब्ध साधनों का उपयोग केवल उसी दिशा में करेगा। उन्होंने स्पष्ट किया है कि प्रत्येक देश को उन्हीं वस्तुओं का उत्पादन करना चाहिए जिनके लिए जलवायु, मिट्टी की प्रकृति, अन्य साधनों की प्रकृति व मात्रा, मानव निर्मित क्षमताएँ आदि विशेष रूप से उपयुक्त हों।
विदेशी व्यापार के प्रमुख लाभ की चर्चा करते हुए इन्होंने लिखा है कि- "इससे एक देश के उत्पादन का अतिरिक्त अंश उसकी देश में माँग नहीं होती है, विदेशों को भेजा जा सकता है और इनके बदले में उन वस्तुओं का क्रय किया जा सकता है जिनकी देश में माँग होती है। इससे उनके अतिरिक्त उत्पादन का मूल्य प्राप्त होता है, जिसका विनिमय उन मूल्यों से किया जाता है जो उनकी आवश्यकताओं के एक अंश को पूर्ण करती हैं तथा आनन्द को बढ़ाती हैं।'
इस प्रकार विदेशी व्यापार का आधार निरपेक्ष लाभ होता है क्योंकि जब एक देश को एक वस्तु के उत्पादन में निरपेक्ष लाभ प्राप्त होता है तो विदेशी व्यापार की प्रक्रिया प्रारम्भ होती है। इन्होंने केवल श्रम को ही उत्पादन का एकमात्र साधने माना था। इनका कहना था कि दो वस्तुओं का विनिमय इन वस्तुओं के निर्माण में प्रयुक्त श्रम की मात्राओं के आधार पर किया जाता है।
(Assumptions of the Theory)
यह सिद्धान्त निम्नलिखित मान्यताओं पर आधारित है -
(i) उत्पादन का एकमात्र साधन श्रम है।
(ii) यह सिद्धान्त केवल दो राष्ट्रों व दो वस्तुओं पर ही लागू होता है।
(iii) यह सिद्धान्त लागत भिन्नता के सिद्धान्त पर आधारित है।
(iv) दो देशों के बीच श्रम की गतिशीलता असम्भव है लेकिन देश के अन्दर श्रम पूर्णतः गतिशील होता है।
(v) यह सिद्धान्त मूल्य के श्रम सिद्धान्त पर आधारित है अर्थात् वस्तु का मूल्य उसमें लगे श्रम मूल्य से निर्धारित होता है।
इन वस्तुओं के आधार पर स्मिथ ने दो देशों व दो वस्तुओं का सरलतम मॉडल लेते हुए स्पष्ट किया है कि यदि प्रत्येक देश एक वस्तु का उत्पादन कम लागत पर करने में समर्थ है तो दोनों देशों के बीच व्यापार सम्भव होगा। लागतों में निरपेक्ष अन्तर न होने पर विदेशी व्यापार भी नहीं होगा।
उदाहरण द्वारा स्पष्टीकरण - माना दो देश भारत और अमेरिका हैं। दोनों देश गेहूँ और चावल का उत्पादन कर रहे हैं। भारत 1 घण्टे के श्रम से गेहँो की 50 इकाइयाँ तथा चावल की 15 इकाइयाँ तैयार कर रहा है। अमेरिका में 1 घण्टे के श्रम से गेहूँ की 30 तथा चावल की 48 इकाइयाँ तैयार की जा रही हैं। इसे निम्न तालिका द्वारा समझा जा सकता है
एक घण्टे में श्रम का उत्पादन (इकाइयों में)
उत्पादन | भारत | अमेरिका |
गेहूँ | 50 | 30 |
चावल | 10 | 48 |
उपरोक्त तालिका से स्पष्ट होता है कि अमेरिका की तुलना में भारत को गेहूँ के उत्पादन में निरपेक्ष लाभ प्राप्त है तथा भारत की तुलना में अमेरिका को चावल के उत्पादन में निरपेक्ष लाभ प्राप्त है। अतः यदि भारत केवल गेहूँ और अमेरिका केवल चावल का उत्पादन करे और परस्पर व्यापार करें तो दोनों ही देशों को लाभ होगा।
इसे निम्न रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट किया गया है -
रेखाचित्र द्वारा स्पष्टीकरण - इस रेखाचित्र में OX अक्ष पर Y वस्तु की तथा OY अक्ष पर X की लागत प्रदर्शित की गयी है। AA1 भारत का वस्तु लागत सम्भावना वक्र है तथा BB1 अमेरिका का लागत सम्भावना वक्र है। OA OA 1 अर्थात् भारत में X वस्तु की लागत (OA) अधिक है तथा वस्तु की लागत (OA) कम है। अतः भारत Y वस्तु का उत्पादन करेगा, ठीक इसी प्रकार OB> OB अर्थात् अमेरिका में Y वस्तु की लागत (OB) अधिक है X वस्तु की लागत (OB) कम है अतः अमेरिका X वस्तु का उत्पादन करेगा। इस प्रकार विशिष्टीकरण तथा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से दोनों देशों को लाभ प्राप्त होगा।
आलोचनात्मक मूल्यांकन - एडम स्मिथ द्वारा प्रतिपादित अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सम्बन्धी सिद्धान्त व्यावहारिक दृष्टि से न तो स्पष्ट है और न ही विश्वसनीय है। इनके सिद्धान्त की प्रमुख मान्यता यह है कि एक देश को किसी न किसी वस्तु के उत्पादन में निरपेक्ष लाभ होना चाहिए, लेकिन ऐसा भी कोई देश हो सकता है जिसे किसी वस्तु के उत्पादन में निरपेक्ष लाभ न हो। जैसे, कोई अल्प विकसित देश एक अल्प- विकसित देश को निरपेक्ष लाभ नहीं प्राप्त होता है क्योंकि ऐसा देश उत्पादन करने में पिछड़ी एवं अकुशल विधियों का प्रयोग करता है। एडम स्मिथ ने अपने इस सिद्धान्त में व्यापार के कारणों एवं शर्तों को निर्धारित करने वाले तत्वों की कोई विस्तृत व्याख्या प्रस्तुत नहीं की है। ये केवल अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के आधार को प्रस्तुत कर पाये हैं जो अन्तर्राष्ट्रीय श्रम विभाजन के कारण होने वाला लाभ है।
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- प्रश्न- व्यापार की शर्तें आर्थिक विकास को किस प्रकार प्रभावित करती हैं?
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- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के उद्देश्य बताइये।
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- प्रश्न- विश्व बैंक की असफलतायें बताइये।
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- प्रश्न- एशियाई विकास बैंक के मुख्य उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- एशियाई विकास बैंक की सदस्यता पूँजी व प्रबन्ध को बताइये।
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- प्रश्न- विश्व बैंक पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
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- प्रश्न- भारत को विश्व व्यापार संगठन से होने वाले सम्भावित लाभों एवं हानियों का विवेचन कीजिए।
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- प्रश्न- गैट तथा अर्द्ध-विकसित राष्ट्रों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विश्व व्यापार संगठन के समझौते बताइये।
- प्रश्न- विश्व व्यापार संगठन का संगठनात्मक ढाँचा प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- बौद्धिक सम्पदा अधिकार से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- "विश्व व्यापार संगठन गैट (GATT) की तुलना में कहीं अधिक विस्तृत एवं व्यापक वैधानिक अधिकार वाला संगठन है।' विवेचना कीजिए।
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- प्रश्न- बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अंकटाड के उद्देश्य एवं स्वीकृत सिद्धान्तों को बताइये।
- प्रश्न- अंकटाड के कार्य बताइये।
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- प्रश्न- विदेशी व्यापार में विविधता लाने की दृष्टि से अंकटाड की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- उत्तर-दक्षिण व्यापार संवाद क्या है?
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- प्रश्न- आयात अभ्यंशों के विभिन्न प्रकार बताइये।
- प्रश्न- आयात अभ्यंश के विभिन्न प्रभावों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आयांत अभ्यंश के उद्देश्य बताइये।
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- प्रश्न- आयात प्रतिस्थापन से लाभ बताइये।
- प्रश्न- आयाल अभ्यंश एवं प्रशुल्क की तुलना कीजिए।
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- प्रश्न- स्वतन्त्र व्यापार से आप क्या समझते हैं? इसके पक्ष में तर्क प्रस्तुत कीजिए।
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- प्रश्न- गैर-प्रशुल्क बाधाएँ (Non-tariff Barriers) किसे कहते हैं? इनके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- प्रशुल्क युद्ध से क्या आशय है?
- प्रश्न- प्रशुल्क युद्ध को चित्र द्वारा स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत सरकार की प्रशुल्क नीतियाँ।
- प्रश्न- "अनुकूलतम प्रशुल्क की धारणा यह बताती है कि प्रशुल्क कितनी मात्रा में लगाये जायें ताकि देश का अधिकतम कल्याण हो।' इस कथन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अनुकूलतम प्रशुल्क तथा कल्याण निहितार्थ पर टिप्पणी लिखिए।
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- प्रश्न- विनिमय दर क्या है? विदेशी विनिमय दरों में परिवर्तन लाने वाले विभिन्न घटकों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- विनिमय दर को प्रकाशित करने वाले घटकों की विवेचना कीजिए।
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- प्रश्न- क्रय शक्ति समता सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
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- प्रश्न- विनिमय नियंत्रण के उद्देश्यों को बताइये।
- प्रश्न- परिवर्तनशील विनिमय दरों के पक्ष में तर्क दीजिए।
- प्रश्न- परिवर्तनशील विनिमय दर के विपक्ष में तर्क दीजिए।
- प्रश्न- अग्रिम विनिमय तथा तैयार सौदों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- हेजिंग (Hedging) से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- अन्तर्पणन क्रियाएँ क्या हैं?
- प्रश्न- मुद्रा की परिवर्तनीयता से आप क्या समझते हैं?