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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2765
आईएसबीएन :0

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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- सुस्पष्टीक परीक्षा क्या है? इसके गुण एवं दोषों पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।

अथवा
सुस्पष्ट परीक्षा क्या है? सुस्पष्ट परीक्षा प्रणाली के गुण तथा दोषों का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

शिक्षा प्रणाली में समय-समय पर आवश्यकतानुसार परिवर्तन वांछनीय होता है। परीक्षा पद्धति शिक्षण प्रक्रिया पर गहरा प्रभाव डालती है। अतः इसमें बदलाव और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने हाल ही में परीक्षा सुधार प्रक्रिया के अन्तर्गत एक निर्णय को लेकर केन्द्रिय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के सहयोग से विशेषज्ञ समिति की अध्यवसाय से कुछ विदेशी देशों में प्रचलित परीक्षा प्रणाली का अध्ययन किए जाने हेतु किया। इस अध्ययन का उद्देश्य नये प्रस्तावों को प्रारम्भिक स्वीकारते तथा अन्ततः विधार्थी हितकर बनाना तथा वर्तमान की रटने वाली परीक्षा प्रणाली के स्थान पर छात्रों में उच्च स्तरीय चिन्तन का विकास करना था। आज भले ही हम आगे चलें परीक्षा परिणामों के अनुपात प्रतिशत, विद्यार्थियों के प्रतिशत प्रतिशत या फिर देश में बढ़ते हुए इंजीनियर, डॉक्टर, शिक्षक, प्रशासनिक अधिकारियों की संख्या पर गर्व कर लें परन्तु वर्तमान शिक्षण प्रणाली में रटने की प्रवृति के अध्यधिक प्रचलन को देखकर यह निर्णय उचित प्रतीत हो रहा निष्कर्ष से इंकार नहीं किया जा सकता।

यदि हम शैक्षिक स्तर पर देश के शिक्षा स्तर पर दृष्टि डालें तो हाल ही के विश्व के 73 देशों में Programme for International Student Assessment द्वारा किए गए अध्ययन से पता चलता है कि शिक्षा के स्तर पर हमारा स्थान नीचे के दूसरे से। केवल किर्गिस्तान ही एकमात्र देश ऐसा है जो शिक्षा स्तर में हमसे नीचे है। विषय के बदलते परिवेश में हमें हमारी शिक्षा को अधिक रचनात्मक, तार्किक तथा मानसिक रूप से आनन्ददायक बनाना होगा।

सुस्पष्ट परीक्षा प्रणाली या खुली किताब परीक्षा प्रणाली

 

परम्परागत परीक्षा प्रणाली के बदलाव पर शिक्षाविदों, शिक्षा विभागों तथा सरकारों का यह मानना है कि शिक्षा प्रणाली में सकारात्मक सुधार किए जाने की नितांत आवश्यकता है और इसके लिये परीक्षा प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन किए जाने की आवश्यकता है। केन्द्रिय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड खुली किताब परीक्षा प्रणाली को लागू करने पर विचार कर रहा है।

खुली किताब परीक्षा प्रणाली का तात्पर्य परीक्षा में किताब अथवा नोट्स को ले जाने की अनुमति प्रदान किए जाने से है अर्थात् परीक्षार्थी परीक्षा के दौरान अपने साथ पाठ्य-सामग्री से सम्बन्धित किताब अथवा अन्य सामग्री अपने साथ रख कर परीक्षा में सम्मिलित हों और उन्हें ऐसे प्रश्न करें जो औपचारिक अनुभव आधारित हों। इस प्रकार की खुली परीक्षा प्रणाली का उद्देश्य छात्रों में इस प्रकार प्रश्न पूछे जाने हैं जिनमें उत्तर सीधे-सीधे पाठ्य-पुस्तक में नहीं मिलते हैं। पाठ्य-पुस्तकें एक मार्गदर्शक सामग्री होती हैं। परीक्षा प्रश्नपत्र कक्ष में प्रवेश करते ही विद्यार्थियों को प्रश्न मिलते हैं और परीक्षार्थी पाठ्य-पुस्तक की विषय-वस्तु को ढूँढ कर उत्तर समझता है न कि वह पहले पढ़ी हुई जानकारी को कण्ठस्थ करके लिखता है। इस परीक्षा प्रणाली में रटकर अध्ययन या अध्ययन किसी काम नहीं आ सकता है।

सामाजिक अध्ययन के सन्दर्भ में खुली पुस्तक परीक्षा के दो प्रमुख उद्देश्य हैं - (i) परीक्षार्थियों में पाठ नक्शों, तालिकाओं आदि से उत्तर ढूँढ पाने की क्षमता का विकास करना (ii) एक पाठ या कई पाठों में दी गई जानकारी को समझकर अपने शब्दों में लिख पाने की क्षमता का विकास करना। इसे शिक्षा में नवाचार के रूप में देखा जाना चाहिए। इसके लिये पाठ्य-सामग्री को नए तरीके से मुद्रण, शिक्षक-शिक्षण, अनुकरण, परीक्षण, मूल्यांकन तथा प्रशासन आदि में व्यापक बदलाव जरूरी है। “राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद”, मध्य प्रदेश में एकलव्य योजना के अन्तर्गत तथा कई अन्य राज्यों में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद खुली किताब परीक्षा प्रणाली लागू करने पर प्रयासरत है।

खुली पुस्तक परीक्षा प्रणाली के लाभ/गुण -
खुली पुस्तक परीक्षा प्रणाली के निम्नलिखित लाभ हैं -
(1) यह परम्परागत शिक्षा प्रणाली में बदलाव का प्रमुख आधार है।
(2) यह परीक्षा प्रणाली शिक्षा में नवाचार को बढ़ावा देने वाली है।
(3) यह रटकर अध्ययन-अध्यापन के परिपाटी में बदलाव में सहायक है।
(4) यह परीक्षा प्रणाली शिक्षा में सृजनशीलता के अवसर बढ़ाने में सहायक है।
(5) यह परीक्षा प्रणाली छात्रों को पाठ्य-पुस्तक की कैद से मुक्त करने वाली है।
(6) खुली पुस्तक परीक्षा प्रणाली का मतलब सृजनशील शिक्षा को किताबी ज्ञान से बाहर निकालना है।
(7) यह परीक्षा प्रणाली नक़ल करने एवं कराने की प्रवृत्ति को जड़ से दूर करने में सहायक है।
(8) यह परीक्षा प्रणाली रटने की क्षमता के बजाय विद्यार्थियों में तथ्यों को समझने, उनका उपयोग करने और विश्लेषण करने की क्षमता को बढ़ाने में सहायक है।
(9) इस परीक्षा प्रणाली के प्रयोग से छात्रों में उच्चस्तरीय चिन्तन शक्ति का विकास करने में सहायता प्राप्त होती है।
(10) यह परीक्षा प्रणाली परीक्षार्थियों में रटने का दबाव व परीक्षा का दबाव कम करेगी।

सुस्पष्ट परीक्षा प्रणाली के दोष/दोष -
सुस्पष्ट या खुली परीक्षा प्रणाली के निम्नलिखित दोष हैं -
(1) इस परीक्षा प्रणाली को लागू करने से पहले शिक्षा व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन करने होंगे जो शायद प्रत्येक राज्य या प्रदेश स्तर पर किया जा सकना सम्भव नहीं है।
(2) बिना तैयारी के इस परीक्षा प्रणाली को लागू किए जाने से शिक्षा व्यवस्था तथा शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित दयनीय हो सकती है।
(3) इस परीक्षा प्रणाली से अधिकांश छात्रों में अध्ययन करने व अध्यापकों में अध्यापन की प्रवृत्ति की गम्भीर कमी होगी।
(4) इस परीक्षा प्रणाली ज्ञानार्जन के बजाय परीक्षा उत्तीर्ण करने पर आधारित होगी।
(5) इस परीक्षा प्रणाली से स्मृति क्षमता का निरन्तर पतन होगा।
(6) इस परीक्षा प्रणाली से नक़ल की प्रवृत्तियों को कम करने के स्थान पर बढ़ाने पर बल देगी।
(7) इस परीक्षा प्रणाली से शिक्षक-छात्र सम्बन्ध कमजोर होंगे।
(8) इस परीक्षा प्रणाली विद्यालयों, शिक्षकों, तथा अध्ययन को महत्व का दृष्टि को कमजोर करेगी।
(9) यह परीक्षा प्रणाली उत्तर ढूँढने की प्रवृत्ति को बढ़ाने वाली होगी जिसके कारण ज्ञान वृद्धि तथा ज्ञान के महत्व को कम करने वाली होगी।
(10) यह परीक्षा प्रणाली ज्ञानार्जन के स्थान पर इस बात पर बल देगी कि कौन परीक्षार्थी कितनी शीघ्रता से प्रश्न का उत्तर ढूँढने में सफल होगा।
(11) इस परीक्षा प्रणाली में परीक्षा के दौरान परीक्षा कक्ष में अनुशासन पूरी तरह से ध्वस्त हो जाएगा जोकि शैक्षिक मूल्यों के पतन का अहम कारण होगा।
(12) इस परीक्षा प्रणाली को लागू करने के लिए शिक्षक-प्रशिक्षण कार्यक्रम की नए सिरे से रूपरेखा बनाने की आवश्यकता होगी।
(13) प्रश्नपत्रों में बदलाव और उसे खुली पुस्तक परीक्षा प्रणाली के अनुरूप बनाना, जिसमें अधिक धन तथा समय व्यय होगा।

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