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बीएड सेमेस्टर-2 वाणिज्य शिक्षण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2762
आईएसबीएन :0

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बीएड सेमेस्टर-2 वाणिज्य शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय 8 - शिक्षण-अधिगम सामग्री : महत्व एवं निर्माण

(Teaching Learning Material Importance and Construction)

प्रश्न- शिक्षण सामग्री से क्या आशय है  शिक्षण सामग्री किस प्रकार शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में सहायता करती है?

उत्तर-

शिक्षण सहायक सामग्री का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Teaching Aids) अध्ययन-अध्यापन के क्षेत्र में शिक्षण सहायक सामग्री विद्यार्थियों की विषय सामग्री को शीघ्र से शीघ्र एवं स्पष्ट तथा सरल रूप से हृदयंगम कराने में सहायता करती है।

शिक्षण सहायक सामग्री का तात्पर्य शिक्षा के इन उपकरणों से है जिनका कक्षा में प्रयोग करने से विद्यार्थियों को देखने तथा सुनने वाली इन्द्रियों को ज्ञान प्राप्त करने का अवसर प्राप्त होता है।दृश्य-श्रव्य सामग्री का मनोवैज्ञानिक आधार एक इन्द्रिय के बजाय अनेक इन्द्रियों से ज्ञान प्राप्त करने का अवसर मिलता है जिससे बालक इस ज्ञान को स्थायी रूप से अपने मस्तिष्क में धारण कर सकते हैं। इसके साथ-साथ शिक्षण सहायक सामग्री के अर्थ को हम इस तरह से भी समझ सकते हैं कि वह सम्पूर्ण सामग्री जिसका प्रयोग शिक्षक अपने शिक्षण को सुगम, सहज एवं प्रभावशाली बनाने के लिए तथा विद्यार्थी द्वारा अच्छी तरह सीखने के लिए करता है।जिस सामग्री को देखकर, सुनकर एवं प्रयोग करके विद्यार्थी सीखता है एवं अध्यापक सिखाता है इसे शिक्षण सहायक सामग्री कहते हैं।

शिक्षण सहायक सामग्री के अर्थ को और अधिक स्पष्ट करने के लिए हम निम्नलिखित विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषाओं का अवलोकन करेंगे-

शिक्षा शब्दकोश (Dictionary of Education) के अनुसार- "श्रव्य दृश्य उपकरण कोई युक्ति है, जिसके द्वारा अधिगम प्रक्रिया दृष्टि और श्रवण की अनुभूति के माध्यम से अग्रसित अथवा प्रोत्साहित हो सकती है।"

थॉमस एम. रिस्क (T. M. Risk) के अनुसार- "ज्ञानेन्द्रिय अनुभव द्वारा ही किसी भी वस्तु या क्रिया का मानसिक चित्र बनता है और इस मानसिक चित्र के आधार पर ही तत् सम्बन्धी प्रत्यय बनते हैं।अतः शिक्षण द्वारा ज्ञान में प्रत्यक्षीकरण एवं इसे मूर्तता प्रदान करने के लिए ऐसे शैक्षणिक उपकरणों की आवश्यकता एवं महत्ता स्वयं सिद्ध है जिनके माध्यम से वस्तु क्रिया, भाव एवं विचार का बिम्ब ग्रहण सम्भव हो सके।"

मैकन एवं रॉबर्ट्स (Mckown and Roberts) के अनुसार-  "शिक्षक इन उपकरणों के प्रयोग द्वारा बालक की एक से अधिक इन्द्रियों को प्रयोग में लाकर पाठ्यपुस्तक को सरल, रुचिकर, प्रभावशाली तथा स्थायी बनाता है। कितने ही विषयों पर जो पाठ्यपुस्तकों में नहीं होते, इन पर प्रकाश डाला जाता है ।"

एस. के. कोचर (S. K. Kochchar) के अनुसार- "श्रव्य दृश्य साधन ऐसे सहायक उपाय है जिनके प्रयोग को बढ़ाकर एक शिक्षक विद्यार्थियों को भाव स्पष्ट कर सकता है तथा विभिन्न प्रत्ययों को समझाने, अर्थापन करने, गुण-दोषों का विमोचन करने, ज्ञानवृद्धि, रुचियों, चिन्तन शक्ति आदि को बढ़ाने में सहायता प्रदान कर सकता है।

फ्रेंसिस डब्ल्यू. नील (Francis W. Noel) के अनुसार- "शिक्षा योजना की आधारशिला अच्छा अध्यापन है।दृश्य-श्रव्य प्रशिक्षण सामग्री इस आधारशिला का अभिन्न अंग है।"

उपर्युक्त परिभाषाओं के अवलोकन के बाद हम यह कह सकते हैं कि विषय को स्पष्ट करने, आकर्षक एवं रुचिकर बनाने एवं जटिल विषय सामग्री को सरल, सुग्राह्य तथा प्रभावशाली बनाने के लिए जिस वस्तु का उपयोग किया जाता है, उसे शिक्षण सहायक सामग्री कहते हैं।

शिक्षण सहायक सामग्री के तत्व
(Components of Teaching Aids) 

शिक्षण सहायक सामग्री के दो प्रमुख तत्व हैं-

(1) विधा (Mode),
(2) माध्यम (Medium),

विधा उद्दीपक (Stimulus) का वह रूप है जिसे विद्यार्थियों के सम्पर्क में लाया जाता है।इस प्रकार रेखाचित्र, छायाचित्र, प्रतिमूर्ति आदि अनेक प्रकार की विधाओं का निर्माण किया जाता है। इन छायाचित्रों, रेखाचित्रों, प्रतिमूर्तियों आदि को प्रदर्शित करने के लिए अनेक प्रकार के माध्यमों का प्रयोग करते हैं; जैसे- पुस्तक, चलचित्र, प्रोजेक्टर।इस प्रकार एक सम्पूर्ण शिक्षण सामग्री में ये दोनों तत्व निहित हैं। इस प्रकार एक सम्पूर्ण शिक्षण सामग्री इन दोनों के संयोग से निर्मित होती है।

शिक्षण सहायक सामग्री का महत्व
(Importance of Teaching Aids)

अध्ययन-अध्यापन की दृष्टि से शिक्षण सहायक सामग्री शिक्षक एवं विद्यार्थी दोनों के लिए महत्वपूर्ण है जैसाकि विटिच एवं शुलर ने लिखा है कि "शिक्षण सहायक सामग्री प्रभावपूर्ण सीखने, प्रबल छात्र रुचि, उत्साह तथा विद्यालयों में सफलता के लिए अति लाभदायक आधार है ।" अतः शिक्षण सहायक सामग्री का महत्व हम निम्नलिखित बिन्दुओं से समझ सकते हैं-

1. शिक्षण सहायक सामग्री ऐसी अनुदेशनात्मक युक्तियाँ (Instructional Devices) हैं जिनको सुना एवं देखा जा सकता है।

2. इनके द्वारा विद्यार्थियों में रुचि उत्पन्न होती है।

3. इनके प्रयोग से बालकों को प्रत्यक्ष अनुभव (Direct Experience) प्राप्त होता है। 

उदाहरण के लिए जब बालक कक्षा में प्रदर्शन देखते हैं, उपकरणों का प्रयोग करते हैं, स्वयं प्रयोग करके देखते हैं तथा चार्ट, रेखाचित्र और मॉडल बनाते हैं।

4. यह सामग्री ध्यान आकर्षित करने का उत्तम साधन (Best Attention Compeller) है।

5. इनके प्रयोग से समय की बचत होती है तथा बालकों का अधिगम शुद्ध (Solid) और स्थाई (Durable) हो जाता है।

6. इनके प्रयोग से मौखिक कार्य तथा अर्थहीन शब्दों का प्रयोग कम होता है।

7. इनके द्वारा वास्तविक ज्ञान को कक्षा में ले जाना सम्भव होता है।

8. इनके प्रयोग से विद्यार्थी की सभी ज्ञानेन्द्रियों द्वारा ज्ञान प्राप्त करने का विकास सम्भव होता है। अतः यह शिक्षण प्रक्रिया का मनोवैज्ञानिक आधार है।

9. इनके प्रयोग से कक्षा में शिक्षक का एकाधिकार (Monotony ) कम होता है तथा कक्षा शिक्षण अधिगम में विविधता आती है।

10. ये विद्यार्थियों का ध्यान शिक्षण की ओर आकर्षित करती है और विद्यार्थियों की विभिन्न मानसिक क्रियाओं को उत्तेजित करती हैं।

11. यह सीखने का अत्यधिक स्वाभाविक एवं सरल तरीका है।

12. इनके प्रयोग से शिक्षण की नीरसता (Dullness) को कम करके शिक्षण को अधिक रुचिकर बनाया जा सकता है।

13. ये विद्यार्थियों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने का अवसर प्रदान करती हैं।

14. शिक्षण सहायक सामग्री के प्रयोग से विद्यार्थियों को वैज्ञानिक विधि का भी प्रशिक्षप्प मिलता है।

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