बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 वाणिज्य शिक्षण बीएड सेमेस्टर-2 वाणिज्य शिक्षणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 वाणिज्य शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- भूमिका अभिनय पद्धति व इसके प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
भूमिका अभिनय पद्धति - जैसा कि नाम से प्रतीत होता है कि इस विधि में अध्यापक वृ छात्र अभिनय करते हैं। वाणिज्य एक व्यावहारिक विषय है और छात्रों को इसका ज्ञान देने के लिए अध्यापक व छात्रों को विभिन्न प्रकार की भूमिका निभानी पड़ती है ताकि छात्र जल्दी से जल्दी व ज्यादा से ज्यादा सीख सकें। छात्र व अध्यापक विभिन्न प्रकार का अभिनय जैसे—बैंक व डाकघर, जीवन बीमा, व्यापार आदि में काम करने वाले व्यक्तियों का अभिनय कर सकते हैं। टोपकिन्स के अनुसार- अभिनय यद्धति वह पद्धति है जिसमें काल्पनिक स्थिति में मानव के वास्तविक व्यवहार की परस्पर क्रिया को दर्शाया जाता है।” अभिनय एक कला है और इसको सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए अध्यापक को योजना बनानी पड़ती है कि किस पात्र की भूमिका कौन छात्र निभायेगा।वाणिज्य के विभिन्न क्षेत्रों जैसे शेयर बाजार, ऋण पत्रों, क्षमता अंशों आदि की खरीद व बेच को अभिनय पद्धति द्वारा आसानी से सीखा जा सकता है। इसी प्रकार बैंक, बीमा कम्पनी, शेयर हाऊस, सहकारी भण्डार, पुस्तक भण्डार आदि के बारे में भूमिका अभिनय पद्धति द्वारा छात्र ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं।
अभिनय पद्धति का प्रयोग तीन प्रकार से हो सकता है-
(i) नाटक अभिनय प्रणाली - इसमें छात्र नाटक की तरह अभिनय करते हैं।
(ii) आशु अभिनय - इसमें छात्रों को केवल यह बताया जाता है कि उसको किसकी भूमिका करनी है और उनकी भूमिका करने की पूरी छूट दी जाती है।
(iii) आकस्मिक अभिनय - इसमें छात्रों को एकाएक भूमिका करने के लिए कहा जाता है।
अभिनय पद्धति के लाभ
(i) इस विधि में छात्रों को सक्रिय रहना पड़ता है।
(ii) छात्रों के अन्दर उत्तर-दायित्व की भावना का विकास होता है।
(iii) इस पद्धति में छात्र करके सीखते हैं और यह ज्ञान ज्यादा स्थायी होता है।
(iv) छात्रों में स्वाध्याय की आदत का विकास होता है।
(v) छात्रों के अन्दर अभिनय सम्बन्धी गुणों का विकास होता है।
(vi) कठिन उपकरणों को अभिनय के द्वारा सरल बनाया जा सकता है।
अभिनय पद्धति की सीमाएँ व अवगुण
(i) सभी छात्र विभिन्न प्रकार की भूमिकाएँ आसानी से नहीं निभा सकते।
(ii) यह पद्धतिं सभी कक्षाओं, सभी विषयों व प्रकरणों पर लागू नहीं होती।(
iii) इस पद्धति के द्वारा पाठ्यक्रम को समय पर पूरा नहीं किया जा सकता।
(iv) अभिनय पद्धति की योजना बनाने व उन्हें कार्यान्वित करने के लिए प्रशिक्षित अध्यापकों की जरूरत होती है। हमारे यहाँ प्रशिक्षित अध्यापकों की कमी पाई जाती है।
सुझाव
(i) अभिनय में पात्रों की संख्या कम होनी चाहिए।
(ii) अभिनय करने वालों को अपनी भूमिका के बारे में पहले से पूरी जानकारी होनी चाहिए।
(iii) अभिनय समाप्त करने के बाद अध्यापक को छात्रों के साथ विचार-विमर्श करना चाहिए।
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