बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 वाणिज्य शिक्षण बीएड सेमेस्टर-2 वाणिज्य शिक्षणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 वाणिज्य शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- समस्या विधि की सीमाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
समस्या विधि की सीमाएँ इस प्रकार हैं-
(i) समस्याओं के बारे में गलत धारणाएँ - विद्यार्थी विद्यालयों में प्रस्तुत की गई समस्याओं का समाधान ढूँढ़ते रहते हैं और वे समस्यों भी अधिक कठिन नहीं होतीं। उनका समाधान तलाश करने में कोई बड़ी कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ता। इससे छात्रों के मन में इस भाव के उत्पन्न होने का डर रहता है कि वे सब प्रकार की समस्याओं का हल ढूँढ़ सकते हैं। किसी भी प्रकार की समस्या को वे सुगमता से सुलझा लेंगे। परन्तु विद्यालयों में अध्यापक के द्वारा प्रस्तुत की गई समस्याएं प्रौढ़ जीवन की आर्थिक, राजनैतिक और सामाजिक समस्याओं जितनी जटिल नहीं होतीं और बालकों में इस प्रकार का दृष्टिकोण हानिकारक हो सकता है।
(ii) विद्यार्थियों में यांत्रिक व्यवहार उत्पन्न होना - यह विधि विद्यार्थियों में यांत्रिक व्यवहार उत्पन्न करती है। 'समस्या को पहचानना', 'उपकल्पना को स्थापित करना', 'व्प्रत्येक की जाँच करना' तथा 'निर्णय लेना' यह व्यवहार छात्र का स्वभाव बन जाता है। उसमें पहुँच की मौलिकता रहती ही नहीं।
(iii) सहायक सामग्री का अभाव - कुछ समस्याओं के समाधान के लिए पुस्तकों तथा पत्रिकाओं की आवश्यकता पड़ती है। भारत जैसे निर्धन देश में प्रायः इस प्रकार की सामग्री आसानी से नहीं मिल सकती।
(iv) अधिक समय खर्च करने वाली विधि - अध्यापकों तथा विद्यार्थियों दोनों को समस्या की तैयारी तथा उसे प्रस्तुत करने में काफी समय लगाना पड़ता है। कई बार तो केवल एक समस्या के समाधान में महीने लग जाते हैं। इसलिए यह विधि शिक्षा में एकमात्र विधि के रूप में सफल नहीं हो सकती।
(v) नीरसता - यदि एक ही समस्या कई सप्ताहों से चल रही है तो पाठ में कोई विविधता नहीं रहती और पाठ नीरस बन जाता है। छात्र पाठ में रुचि खो बैठते हैं।
(vi) असफल होने पर असन्तोष - यदि किसी कारण छात्र किसी समस्या का सफल तथा सन्तोषजनक समाधान ढूँढ़ने में सफल नहीं होते तो उन्हें असन्तोष होता है और वे हीन भावना महसूस करने लग जाते हैं।
इसलिए निष्कर्ष में यह कहा जा सकता है कि उत्तम विधि होने के बावजूद समस्या विधि वाणिज्य अध्यापन में अकेली विधि नहीं हो सकती। इस विधि को दूसरी विधियों के साथ प्रयोग किया जाना चाहिए।
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