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बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2760
आईएसबीएन :0

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बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- वाक्य कितने प्रकार के होते हैं? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-

वाक्यों के प्रकार

हिन्दी भाषा में वाक्यों के भेद कई प्रकार से किए गये हैं-

1. व्याकरण की दृष्टि से,
2. अर्थ की दृष्टि से,
3. क्रिया की दृष्टि से,
4. साहित्य की दृष्टि से

हिन्दी में वाक्य के दो खण्ड होते हैं- उद्देश्य तथा विधेय। उदाहरण के लिए, "छात्र पुस्तक पढ़ते हैं।" यहाँ ' छात्र' - उद्देश्य तथा 'पुस्तक पढ़ते हैं' - विधेय है। वाक्यों में मुख्य भेद पाँच होते हैं-

(1) व्याकरण की दृष्टि से,
(2) अर्थ की दृष्टि से,
(3) साहित्य की दृष्टि से,
(4) क्रिया न होने की दृष्टि से,
(5) क्रिया की दृष्टि से।

(1) व्याकरण की दृष्टि से- वाक्य के तीन भेद होते हैं-

1. साधारण वाक्य,
2. संयुक्त वाक्य,
3. मिश्रित वाक्य।

1. साधारण वाक्य - साधारण वाक्यों में एक उद्देश्य तथा एक विधेय होता है। जैसे वह घर गया।

2. संयुक्त वाक्य - संयुक्त वाक्य में दो या दो से अधिक उपवाक्य होते हैं। उद्देश्य तथा विधेय भी एक से अधिक होतें हैं।

3. मिश्रित वाक्य - इसमें एक प्रधान, एक प्रधान उपवाक्य तथा अन्य उपवाक्य होते हैं- वह छात्र जिसने अनुशासनहीनता की थी, घर चला गया है। 

(2) अर्थ की दृष्टि से - यह वाक्य निम्न प्रकार के होते हैं-

1. विविध वाचक,
2. इच्छा बोधक,
3. आज्ञा सूचक,
4. सन्देह सूचक,
5. निषेध वाचक,
6. विस्मयादि बोधक,
7. प्रश्न वाचक,
8. संकेत वाचक वाक्य आदि।

(3) साहित्य की दृष्टि से - इन वाक्यों के भेद तीन प्रकार से किये गये हैं-

1. संयत वाक्य,
2. शिथिल वाक्य,
3. सन्तुलित वाक्य।

1. संयत वाक्य - इसमें पाठक को अन्त तक जिज्ञासा रखने का भाव एवं विचार रहता है।

2. शिथिल वाक्य - शिथिल वाक्य में भाव तथ्य विचार अंश पहले ही आ जाता है और बाद में उसकी व्याख्या की जाती है जिससे पाठक में जिज्ञासा नहीं रहती है।

3. सन्तुलित वाक्य - इसमें आन्तरिक क्रमबद्धता होती है। किसी एक वाक्य या शब्द को निकाल देने से वाक्य निरर्थक हो जाता है।

(4) क्रिया न होने की दृष्टि से - क्रियाविहीन वाक्य भी काव्य में विज्ञापनों में प्रयुक्त किये जाते हैं। जिससे अर्थपूर्ण होता है परन्तु व्याकरण की दृष्टि से अशुद्ध होता है। जैसे- "नौ दो ग्यारह" तथा "एक और एक ग्यारह" आदि।

(5) क्रिया की दृष्टि से- वाक्य तीन प्रकार के होते हैं-

1. कर्तृ प्रधान वाक्य,
2. कर्मवाचक वाक्य,
3. भाव प्रधान वाक्य।

1. कर्त्तृ प्रधान वाक्य - कर्त्तृ प्रधान वाक्य में कर्त्ता की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। अर्थात् मुख्य होती है, जैसे- 'रमेश स्कूल जा रहा है। '

2. कर्मवाचक वाक्य - कर्मवाचक वाक्य में कर्म प्रधान होता है, कर्त्ता का लोप होता है, जैसे- पत्र लिखा जा रहा है। पुस्तक पढ़ी जा रही है।

3. भावप्रधान वाक्य - भावप्रधान वाक्य में भाव तत्त्वं मुख्य होता है, जैसे- भाई को अधिक बीमार देखकर वह रोने लगा, आदि।

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