बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्य बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्य - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- वर्णन विधि की संक्षेप में विवेचना कीजिए।
उत्तर-
वर्णन विधि
किसी घटना अथवा तथ्य को ज्यों का त्यों कहना 'वर्णन' कहलाता है। इसके लिए कथन, प्राक्कथन एवं प्रवचन जैसे शब्दों का भी प्रयोग किया जाता हैं। ठीन एवं बरचेना के अनुसार, "वर्णन का अर्थ है घटनाओं की शृंखला का क्रमबद्ध कथन।"
वर्णनों के द्वारा बच्चों के मस्तिष्क में किसी घटना, कहानी, तथ्य अथवा वस्तुस्थिति का शाब्दिक चित्र अंकित किया जाता है। इतिहास, भूगोल, नागरिकशास्त्र और अर्थशास्त्र के शिक्षण में इस युक्ति का विशेष प्रयोग किया जाता है। वर्णन करते समय भावानुसार आरोह-अवरोह के साथ बोलना चाहिए। वर्णन तार्किक क्रम में प्रस्तुत करना चाहिए। किसी घटना के वर्णन के समय सम्बन्धित व्यक्तियों के नाम, स्थान, तिथि आदि श्यामपट्ट पर लिख लेना चाहिए।
वर्णन की युक्ति दो प्रकार से अपनायी जाती है-
(1) सापेक्ष वर्णन - इस प्रविधि में अध्यापक किसी घटना या तथ्य से अपने को जोड़ लेता है तथा घटना के पात्र के रूप में अपने को कर्ता की शैली में प्रस्तुत करता है।
(2) निरपेक्ष वर्णन - इस प्रकार की युक्ति में अध्यापक घटना का वर्णन करते समय अपने को 'उत्तम पुरुष' के रूप में प्रस्तुत करता है और घटना का वर्णन आँखों देखा हाल जैसा करता है।
शिक्षण में घटना वर्णन प्रविधि में, सफल शिक्षण हेतु अध्यापक को चाहिए बीच-बीच में छात्रों से वर्णित तथ्य पर प्रश्न पूँछ ले, ताकि छात्र ध्यानपूर्वक सुनें। वर्णन में प्रारम्भ तथा समाप्ति की घटना में तारतम्यता के सम्बन्ध बनाए रखा जाए तथा बाद में उससे प्राप्त सीख, पाठ को बच्चों को स्पष्ट बता दिया जाना चाहिए।
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