बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्य बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्य - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- वाद-विवाद विधि का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर-
वाद-विवाद विधि का मूल्यांकन
(Evaluation of Discussion Method)
इस विधि में शिक्षक एवं छात्र परस्पर विचार-विमर्श तथा तर्क करके विषयों से जुड़े विभिन्न प्रकरणों, समस्याओं तथा प्रश्नों का स्पष्टीकरण करते हैं।
वाद-विवाद पद्धति अध्ययन पर केन्द्रित होती है। इस विधि से विचार, तर्क, कल्पना, अभिव्यक्ति क्षमता का विकास होता है किन्तु इस विधि में प्रायः विषय से भटकाव होने लगता है तथा तर्क-वितर्क के कारण असहमति तथा तकरार जैसी परिस्थितियों के उत्पन्न होने की पूरी सम्भावना रहती है। वाद-विवाद का मुख्य उद्देश्य छात्रों में वांछनीय परिवर्तन लाना होता है। यदि वाद-विवाद से कोई वांछनीय परिवर्तन प्राप्त नहीं होता तो यह निरर्थक माना जाता है और यदि परिवर्तन आता है तो उसका मूल्यांकन करना इस दृष्टि से आवश्यक होता है कि वह परिवर्तन कितना है तथा किस प्रकार का है। यद्यपि वाद-विवाद पद्धति को मनोवैज्ञानिक पद्धति माना जाता है किन्तु अपनी प्रक्रिया के दौरान यह मनोवैज्ञानिक कम और अमनोवैज्ञानिक अधिक हो जाती है। इस विधि में सभी छात्रों को सहभागिता की स्वतन्त्रता होती है किन्तु प्रायः अधिकांश छात्र संकोचवश या बाध्यता न होने के कारण इसमें भाग नहीं लेते हैं। वाद-विवाद में कुशल संचालन के लिए योग्य तथा कुशल अध्यापकों की आवश्यकता होती है।
यह पद्धति सामूहिक निर्णय करना सिखाती है तथा सामाजिक सामंजस्य के लिए प्रेरित करती है। यह छात्रों में सहयोगपूर्ण एवं स्वस्थ प्रतियोगिता की भावना का विकास करती है।
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