बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्य बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्य - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- शिक्षण का क्या अर्थ है? इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
शिक्षण का अर्थ
शिक्षण एक सामाजिक प्रक्रिया है। इस पर प्रत्येक देश की शासन प्रणाली, सामाजिक दर्शन, सामाजिक परिस्थितियाँ तथा मूल्यों आदि का प्रभाव पड़ता है। जिस देश में जैसी शासन, प्रणाली या सामाजिक तथा दार्शनिक परिस्थितियाँ होंगी वहाँ उसी प्रकार की शिक्षण प्रक्रिया होगी। शिक्षण शब्द अंठोजी के टीचिंग शब्द का हिन्दी रूपान्तर है। शिक्षण से अभिप्राय सीखना है। व्यक्ति जन्म से लेकर मृत्यु तक कुछ न कुछ सीखता रहता है जब वह किसी भी उद्दीपक अर्थात् व्यक्ति, वस्तु, स्थान, वातावरण आदि के सम्पर्क में आता है, उससे वह सीखता रहता है। जिसके परिणामस्वरूप उसके व्यवहार में परिवर्तन होता रहता है और उसके व्यवहार में परिपक्वता आ जाती है और उसका व्यवहार समाज द्वारा वांछनीय व्यवहार में बदल जाता है।
शिक्षण की परिभाषाएँ शिक्षण की परिभाषाएँ निम्न हैं-
थॉमस एम. रिस्क के अनुसार - "सीखने के लिए दिए जाने वाले निर्देशन के रूप में शिक्षण को परिभाषित किया जा सकता है।"
एन. एल. गेज के अनुसार - "शिक्षण पारस्परिक प्रभावों का वह रूप है जिसका उद्देश्य दूसरे व्यक्ति की व्यवहार क्षमताओं में परिवर्तन लाना है।"
बी. एफ. स्किनर के अनुसार - "शिक्षण पुनर्बलन की आकस्मिकताओं का क्रम है।" बर्टन के अनुसार - "शिक्षण सीखने के लिए दी जाने वाली प्रेरणा, निर्देशन, निदेशन व प्रोत्साहन है।"
स्मिथ के अनुसार - "शिक्षण का उद्देश्य निर्देशित क्रिया से है।"
जेम्स एम. थाइन के अनुसार - "समस्त शिक्षण का अर्थ है सीखने में वृद्धि करना।" शिक्षण की विशेषताएँ- शिक्षण की विशेषताएँ निम्न प्रकार से हैं-
(1) शिक्षण सुनियोजित होना चाहिए - किसी भी व्यवस्था का अच्छा या बुरा होना उसकी योजना पर निर्भर करता है। यदि कार्य की योजना उत्तम है तो कार्य भी उत्तम होगा। ठीक उसी प्रकार शिक्षण की सफलता असफलता उसकी योजना पर निर्भर करती है। जिन शिक्षकों की योजना शिक्षण से पूर्व तैयार होती है उनका शिक्षण भी सफल होता है।
(2) शिक्षण सुझावात्मक होता है - अच्छा शिक्षक सुझावात्मक होना चाहिए इसमें बालकों को आदेश प्रदान न करके सुझाव प्रदान किया जाता है। अच्छा शिक्षण वह है जिसमें कलम स्वयं पर किसी का तनिक भी दबाव महसूस नहीं करता है। अतः शिक्षक ऐसा हो जिसे सुझावात्मक तरीके का प्रयोग करना चाहिए।
(3) शिक्षण दया एवं सहानुभूतिपूर्ण होता है - सफल शिक्षक के लिए यह परम आवश्यक होता है कि वह दया एवं सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार छात्रों के साथ करें क्योंकि इसके छात्रों की जो मूल समस्याएँ हैं उनकी जानकारी प्राप्त हो सकेगी तथा अध्यापकों के द्वारा इन समस्याओं को जानने के बाद उनका समाधान किया जाएगा।
(4) अच्छा शिक्षण प्रेरणादायक होता है - शिक्षक को चाहिए कि वह बालक को अधिक से अधिक प्रेरित कर सके क्योंकि बालक को सीखने की जितनी रूचि होती है बालक उतना ही अधिक सीखने का प्रयास करेगा।
(5) अच्छे शिक्षण में व्यक्तिगत विभिन्नताओं को ध्यान में रखा जाता है - कोई भी दो व्यक्ति एक जैसी रूचि और आदत के नहीं होते हैं। सभी में विभिन्नता पायी जाती है इसीलिए एक अच्छे अध्यापक को अच्छे शिक्षण में उनकी व्यक्तिगत विभिन्नताओं को ध्यान में रखकर शिक्षण कार्य करना चाहिए।
(6) शिक्षण प्रगतिशील होना चाहिए - शिक्षण बालक के पूर्व अनुभवों को ध्यान में रखते हुए नवीन ज्ञान प्रस्तुत करता है। अतः बालक की शिक्षा उसके निजी अनुभवों पर आधारित होनी चाहिए।
(7) शिक्षण प्रजातन्त्री होना चाहिए - अच्छा शिक्षण वही है जो बालकों में प्रजातन्त्रात्मक मनोवृत्ति को उत्पन्न कर दे और बालक अपने प्रतिदिन के व्यवहार एवं आचरण में प्रजातन्त्रीय भावनाओं द्वारा प्रेरणा ग्रहण करें तथा उनमें प्रजातन्त्रीय विचारों को जीवन में उतारने की भावना का विकास हो।
(8) शिक्षण निर्देशात्मक होना चाहिए - अच्छे शिक्षण में बालक को आदेश न देकर निर्देश दिया जाता है। कक्षा का वातावरण निर्देशात्मक होना चाहिए। कक्षा में शिक्षक को ऐसी स्थिति उत्पन्न करनी चाहिए जिनमें कार्य करके बालकों को बड़ी मात्रा में ज्ञान हो।
(9) शिक्षण निदानात्मक एवं उपचारात्मक होना चाहिए - वस्तुनिष्ठ परीक्षाओं के माध्यम से बालक की योग्यताओं, क्षमताओं तथा संवेगात्मक विशेषताओं का पता सरलतापूर्वक लगाया जा सकता है। इन साधनों के द्वारा हम शिक्षण को निदानात्मक बना सकते हैं।
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