बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्य बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्य - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- कठोर शिल्प तथा कोमल शिल्प के उपागमों के प्रयोग के सिद्धान्त की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
उत्तर-
कठोर शिल्प तथा कोमल शिल्प उपागमों के प्रभावशाली उपागम हेतु निम्नांकित सिद्धान्तों का ध्यान रखना चाहिए-
(1) इन शिल्पों के उपयोग करने से पूर्व उनके बारे में भली-भाँति जानकारी प्राप्त करनी चाहिए, उस शिल्प के सैद्धान्तिक ज्ञान से अवगत होना चाहिए तथा उसका प्रयोग करना भली-भाँति सीखना चाहिए। किसी भी उपागम के प्रदर्शन से पूर्व भली-भाँति चेक कर लेना चाहिए कि वह ठीक प्रकार से कार्य कर रहा है अथवा नहीं। यदि ठीक अवस्था में वह न हो तो ठीक करा लेना चाहिए।
(2) इन उपागमों के उपयोग से पूर्व शिक्षक को कक्षा में इनके बारे में पूरी जानकारी देकर उन्हें मानसिक रूप से तैयार कर देना चाहिए। जैसे - रेडियो या टीवी पर शैक्षिक पाठों को प्रस्तुत करने से पूर्व छात्रों को बता देना चाहिए कि प्रोग्राम कब आयेगा, प्रोग्राम में क्या-क्या विषय रहेगी, प्रोगाम में किन-किन पहलुओं पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। इस प्रकार छात्रों को मानसिक रूप से तैयार करने के पश्चात् उनके समक्ष प्रसारित विषय-वस्तु को कक्षीय शिक्षण के साथ एकीकृत करना चाहिए।
(3) कोमल तथा कठोर शिल्प उपागमों के प्रयोग के लिए शिक्षक को चाहिए कि वह कक्षा में सीखने की वांछित पर्यावरण का निर्माण करे। विषय-वस्तु के प्रसारण के समय शिक्षक को ध्यान रखना चाहिए कि प्रसारित होने वाला प्रकरण सही आवाज में, सही पिच पर कक्षा के हर छात्र तक पहुंच रहा है। प्रसारण के मध्य दिखाई जाने वाली सामग्री भली-भाँति कक्षा के प्रत्येक छात्र को दिखाई दे रही है इसके लिए उचित प्रबन्ध किये जाने अति आवश्यक कार्य हैं। शिक्षकों को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि छात्र प्रसारित होने वाले प्रकरण में रुचि ले रहे हैं अथवा नहीं।
(4) कोमल शिल्प तथा कठोर शिल्प उपागमों के पूर्व शिक्षक को भली-भाँति पूर्व समीक्षा करनी चाहिए कि कक्षा की किस परिस्थिति में कौन-सी उपागम ज्यादा उपादेय होगा - उसी का प्रयोग किया जाना चाहिए। अनावश्यक रूप से, जबरदस्ती, केवल उपागमों को दिखाने के लिए ही उपागमों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। जब आवश्यकता हो, तभी इन उपागमों का उपयोग किया जाना चाहिए।
(5) जब भी शिक्षक इन उपागमों का प्रयोग करे उसे चाहिए कि आवश्यकतानुसार समय- समय पर इनकी उपयोगिता का मूल्यांकन भी करे और तद्नुसार अपने भावी शिक्षण में उसे सुधार लाने का प्रयास करना चाहिए तथा शिक्षण की प्रभावशीलता बढ़ाने की ओर अपनी शक्ति लगानी चाहिए।
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