बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्य बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्य - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- कोमल शिल्प उपागम से आपका क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
कोमल शिल्प उपागम कठोर शिल्प उपागम की तरह ही शैक्षिक तकनीकी का एक महत्वपूर्ण उपागम है। इस उपागम को अनुदेशन तकनीकी, शिक्षण तकनीकी और व्यवहार तकनीकी की भी संज्ञा दी जाती है। इस उपागम में सामाजिक विज्ञान, मनोविज्ञान और विशेषकर अधिगम के मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों का प्रयोग किया जाता है। इसमें अभियंत्रण की मशीनों का प्रयोग नहीं किया जाता है। इसीलिए इसे कोमल शिल्प उपागम कहते हैं। कोमल शिल्प उपागम का संबंध शिक्षण के सिद्धान्तों, उद्देश्यों को व्यावहारिक रूप में लिखने, शिक्षण-प्रविधियों, अनुदेशन प्रणाली के पुनर्बलन, प्रतिपुष्टि की उक्तियों तथा मूल्यांकन से होता है। इस उपागम में आदा, प्रदा तथा प्रक्रिया तीनों पक्षों के विकास पर बल दिया जाता है। सिल्वरमैन ने इस उपागम को 'रचनात्मक शैक्षिक तकनीकी' के रूप में नया नाम दिया है।
स्किनर आदि ने बस उपागम वाली तकनीकी को व्यावहारिक तकनीकी पर आधारित माना है।
आर्थर मेल्टन के अनुसार - "यह शैक्षिक तकनीकी सीखने के मनोविज्ञान पर आधारित है और यह अनुभव प्रदान करके वांछित व्यवहार परिवर्तन की प्रक्रिया का शुभारंभ करती है।"
डेविस के अनुसार - "शैक्षिक तकनीकी का यह दृष्टिकोण आधुनिक अभिक्रमित अधिगम के सिद्धान्तों से घनिष्ठ रूप से संबंधित है और अपने कार्य-विश्लेषण, संक्षिप्त उद्देश्य, लेखन, उपयुक्त अनुक्रिया का चयन और सतत् मूल्यांकन की विशेषताओं को समाहित किये हुए हैं।"
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