बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्य बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्य - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- शिक्षण तकनीकी, अनुदेशन तकनीकी एवं व्यवहार तकनीकी में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
शिक्षण तकनीकी, अनुदेशन तकनीकी एवं व्यवहार तकनीकी में निम्नलिखित अंतर है-
क्र. सं. | शिक्षण तकनीकी | अनुदेशन तकनीकी | व्यवहार तकनीकी |
---|---|---|---|
1. | प्रवर्तक - आई. के. डेविस, हावर्ट, मॉरिसन, हंट, लेस्टर, बूनर आदि। | आयुषल, लेस्टर, लुम्सडन, बी. एफ. स्किनर आदि। | बी. एफ. स्किनर, फिल्डर एमीडन आदि। |
2. | अर्थ - मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, वैज्ञानिक आदि सिद्धान्त तथा अधिगमों की शिक्षण प्रक्रिया में किसी विशेष उद्देश्य की प्राप्त करने के प्रयोग को ही शिक्षण तकनीकी कहा जाता है। | अनुदेशन तकनीकी शिक्षण और निर्देशन सम्बन्धी प्रक्रिया की विशेष उद्देश्यों के अनुसार रूपरेखा तैयार करने, चलाने तथा नियन्त्रण करने की एक क्रियाशील विधि है। | व्यवहार तकनीकी का सम्बन्ध वैज्ञानिक ढंग से शिक्षक के व्यवहार को निर्देशित, नियंत्रण तथा मूल्यांकन करना है। |
3. | पक्ष - ज्ञानात्मक, भावात्मक तथा क्रियात्मक पक्षों का विकास। | मात्र ज्ञानात्मक पक्ष का विकास। | ज्ञानात्मक तथा भावात्मक पक्षों के साथ क्रियात्मक पक्ष के विकास पर विशेष बल। |
4. | उद्देश्य - शिक्षण को प्रभावपूर्ण बनाना। | सूचना देना, अनुदेशन की रूपरेखा तैयार करना। | शिक्षक के व्यवहार में सुधार, छात्रों के व्यवहार परिवर्तन पर बल, सीखने की प्रक्रिया को प्रभावशाली बनाना शिक्षक द्वारा। |
5. | व्यवस्था - शिक्षक व छात्र दोनों के सहयोग से। | दृश्य-श्रव्य सामग्री तथा अन्य युक्तियों द्वारा। |
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