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बीकाम सेमेस्टर-4 पर्यटन एवं यात्रा प्रबन्ध

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2755
आईएसबीएन :0

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बीकाम सेमेस्टर-4 पर्यटन एवं यात्रा प्रबन्ध - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- पर्यटन के साथ सम्बद्ध सेवाओं का वर्णन कीजिये। अथवा पर्यटन व्यवस्था के घटकों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।

उत्तर-

पर्यटन के साथ सम्बद्ध सेवाएँ

पर्यटन के अनेक घटक हैं। पर्यटन के प्रमुख घटकों को उत्पादक, प्रचालक, ट्रेवल -एजेन्ट और पर्यटकों के रूप में रखा जा सकता है। उत्पादक पर्यटन की आवश्यकताओं के अनुसार विभिन्न संसाधन निर्मित करता है। इन संसाधनों को सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में बाँटा जा सकता है। पर्यटन के साथ सम्बद्ध सेवाओं को निम्न प्रकार विभाजित किया जा सकता है-

(1) निवास - निवास, पर्यटन उद्योग का तेजी से बढ़ता क्षेत्र है। इसकी भूमिका अति महत्वपूर्ण है और यह उद्योग का आधरभूत घटक है। होटलों की माँग लगभग पूरे वर्ष रहती है। पर्यटकों के लिए निवास को भिन्न-भिन्न तरीकों से वर्गीकृत किया जाता है, जैसे-स्टार देकर, आकार, स्थान, अतिथियों के प्रकार, वैकल्पिक प्रबन्ध इत्यादि द्वारा।

पर्यटकों/अतिथियों को प्रदान की गई सेवाओं और सुविधाओं के आधर पर स्टार दिए जाते हैं। यह वर्गीकरण केन्द्रीय सरकार की होटल रेस्टोरेन्ट अप्रूवल क्लासीफिकेशन कमेटी (HRACC) द्वारा किया जाता है। एक स्टार वाले होटल में स्टार वर्गीकरण के अन्तर्गत बहुत कम सुविधाएँ और सेवाएँ उपलब्ध होती हैं। जबकि पाँच सितारा में सेवाएँ और सुविधाएँ अधिकतम होती हैं। अब कुछ सात सितारा होटल भी उभर रहे हैं जहाँ आरामदायी सुविधाओं की अधिकता है। ये सुविधाएँ गुणवत्ता और स्थान की दृष्टि से उच्चतम होती हैं। स्टार देने के अतिरिक्त कुछ प्राइवेट निजी होटल और अतिथि गृह भी सस्ते वर्ग में निवास सुविधाएँ उपलब्ध करवा रहे हैं, जैसे शयनागार और बिस्तर तथा नाश्ता।.

(i) स्थान के आधार पर वर्गीकरण - होटलों का वर्गीकरण करने में स्थान भी एक महत्वपूर्ण घटक है। कुछ की माँग उनके स्थान के कारण अधिक होती है जैसे अनेक होटल हवाई अड्डा, रेलवे स्टेशन अथवा बस डिपो के निकट स्थित होते हैं। राजमार्गों पर स्थित होटल भी माँग में होते हैं क्योंकि पर्यटकों को रास्ते में एक रात रुकने की जरूरत होती है। इस वर्ग के अन्तर्गत उन्हें आगे फिर कारोबारी या वाणिज्यिक निवास के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है जो प्रायः बड़े शहरों, व्यापारिक केन्द्रों, पर्यटन केन्द्रों पर स्थित होते हैं। शहरों और कस्बों की बाहरी सीमा पर अर्द्धशहरी निवास उपलब्ध करवाया जाता है। इसी प्रकार हवाई अड्डे के निकट भी निवास उपलब्ध होता है। पहाड़ी क्षेत्रों अथवा राजमार्गों पर रिर्जाट्स और मोट्लस भी पर्यटकों की जरूरत को पूरा करते हैं।

(ii) अतिथि के प्रकार के आधार पर वर्गीकरण - सुविधाओं, स्थान और निजता के साथ-साथ अतिथियों की देय क्षमता के आधार पर निवासों को वाणिज्यिक, स्वीट, एयरपोर्ट, होटल, रिजॉर्ट और मोटल में वर्गीकृत किया जाता है। कमरे के किराये के आधार पर पहले तीन प्रकार के होटल बहुत उच्च स्तरीय होते हैं। स्वीट शायद सबसे अधिक आरामदेह उच्च स्तरीय निवास होता है जिसमें बेडरूम (शयन कक्ष) के अतिरिक्त लिविंग रूम (रहने का कमरा) और डाइनिंग रूम (खाना खाने का कक्ष) होता है। यह अमीर श्रेणी के लोगों जैसे - व्यापारी, फिल्म स्टार्स और राजनीतिज्ञों की जरूरतों को पूरा करते हैं।

(iii) पूरक/वैकल्पिक निवास के आधार पर वर्गीकरण - उपरोक्त उल्लिखित वर्गों के अतिरिक्त अन्य प्रकार के निवास भी उपलब्ध होते हैं। उनमें सर्किट हाऊस, युवा हास्टल, 'यात्री निवास, फारेस्ट लॉज, डाक बंगले और फार्म हाउस होते हैं। सर्किट हाऊस उच्च श्रेणी के सरकारी अधिकारियों को निवासीय कमरे प्रदान करता है। इनको इस प्रकार बनाया जाता है कि ये अच्छा निवास और भोजन दें। दिनों और सेवा के आधर पर नकद भुगतान लिया जाता है। युवा हास्टल युवा पर्यटकों को सस्ते कमरे उपलब्ध कराते हैं। यात्री निवास प्रायः सस्ता निवास होता है जो समुद्री तटों, झीलों, रेलवे स्टेशनों, तीर्थ स्थलों इत्यादि के निकट पाए जाते हैं। फारेस्ट लॉज वन्य जीवन अभ्यारण्यों को देखने आए पर्यटकों के लिए होता है। डाक बंगले सरकारी काम पर आए सरकारी कर्मचारियों के लिए होते हैं।

(2) भोजन और पेय पदार्थ - भ्रमण पर आए पर्यटकों की बढ़ती संख्या ने भोजन और पेय पदार्थों की माँग को बढ़ा दिया है। पर्यटन के इस घटक ने युवाओं की बड़ी संख्या को रोजगार दिया है। उपभोक्ताओं की पसन्द में परिवर्तन बहुत स्पष्ट है। इससे मुकाबला बढ़ रहा है और उत्पादों को परिष्कृत और विशिष्ट बनाया जा रहा है। बहुत से रेस्तरां विशेषज्ञ बनते जा रहे हैं और उनकी अपनी चेन निर्मित हो रही है। उनके उत्पादों में विविधता है। भोजन और पेय क्षेत्र में बाजार-बल द्वारा प्रयोग की जाने वाली उपभोग की सभी वस्तुएँ शामिल होती हैं। उनकी माँग बहुत अधिक है और सड़क के किनारे उनकी दुकानें खुलती जा रही हैं। उनकी माँग होटलों, पब्स, लाउंजेस, भोजन कक्षों, कॉफी की दुकानों, फास्ट फूड केन्द्रों और मयखानों में ज्यादा होती है।

(3) यात्रा व्यापार (ट्रैवल ट्रेड) - पर्यटकों द्वारा यात्रा के दौरान किया जाने वाला व्यापार, यात्रा व्यापार (ट्रैवल ट्रेड) कहलाता है। इसमें यात्रा के लिए आरक्षण (रिजर्वेशन) बेचना/बुक करना, आवास, टूर, परिवहन, भोजन और पेय इत्यादि शामिल होते हैं। यह बुकिंग दो वर्गों में की जाती है-सभी चीजों की समग्र रूप से अथवा व्यक्तिगत स्तर पर। समग्र टूर बुकिंग वह है, जिसमें पर्यटकों को टूर ऑपरेटरों और पर्यटकों के बीच निर्धारित/ परस्पर वार्तालाप द्वारा निश्चित राशि का भुगतान करना होता है। साधारणतया, टूर ऑपरेटर, पर्यटकों के समूह के आकार और अवधि के आधार पर दर निर्धारित करते हैं। यहाँ तक कि वे शुल्क कम करने के लिए वार्तालाप भी करते हैं। पर्यटन के किसी क्षेत्र के लिए, किसी व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के समूह के लिए, टूर ऑपरेटर द्वारा रिजर्वेशन की बुकिंग अधिकतर निर्धारित दर पर होती है। इसमें यात्रा के लिए आरक्षण की बिक्री/बुकिंग, आवास, टूर, परिवहन, भोजन और पेय अथवा कुछ और भी शामिल होता है। इसे खुदरा यात्रा संचालन (रिटेल ट्रैवल ऑपरेशन) कहते हैं। संपूर्ण समग्र पैकेजों में यात्रा, आवास, दर्शनीय स्थलों की यात्रा, भोजन, मनोरंजन इत्यादि सभी कुछ का ध्यान रखना शामिल होता है। टूर ऑपरेशन के इस समूह को- कभी-कभी थोक मात्रा में यात्रा का संचालन (होलसेल टूर ऑपरेशन) कहते हैं।

(4) परिवहन - परिवहन, पर्यटन की गतिविधियों के अत्यावश्यक घटकों में से एक है। पारंपरिक रूप से परिवहन और पर्यटन विकास में परस्पर 'चूजे और अंडे' जैसा अभिन्न रिश्ता माना जाता है। परिवहन, संबंधित क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक विकास को पूरा करने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान करता है। इससे दूरी की भौतिक बाधा को दूर किया जाता है और किसी दूसरे स्थान पर मनुष्यों के जाने के लिए संचलन की जरूरतों को परिवहन ही पूरा करता है। पर्यटन के शुरू होने के स्थल और गंतव्य स्थल के बीच परिवहन ही संबंध जोड़ता है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जो भी मानवीय संचलन संभव हो रहा है, वह सब परिवहन के विविध साधनों के कारण ही संभव हो रहा है। लाखों की संख्या में पर्यटक यह अपेक्षा रखते हैं कि उन्हें समुचित दरों पर सुरक्षित, शीघ्र और आरामदेह तरीके से उनके गंतव्यों तक ले जाया जाएगा। वास्तव में, परिवहन और इससे जुड़े सहायक ढाँचे के कारण ही इतने बड़े स्तर पर और बहुत कम समस्याओं के साथ, मानवीय संचलन सुलभ हो सका है। परिवहन क्षेत्र को चार प्रकारों में विभाजित किया गया है। यह है हवाई, रेल, सड़क और जल परिवहन। प्रत्येक की अपनी विशेषताएँ और एक-दूसरे की तुलना में लाभ हैं। यह विभिन्न आर्थिक स्थिति वाले वर्गों के सभी यात्रियों/पर्यटकों की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। इन सभी की विशेषताओं का एक अति संक्षिप्त विवरण नीचे दिया गया है-

(i) रेलवे - किसी भी देश अथवा राष्ट्र के समूह में, जहाँ रेलवे की सुविधा उपलब्ध हो, किसी लंबी दूरी की यात्रा के लिए रेलवे बहुत लाभदायक है। यह परिवहन का सबसे सस्ता साधन है और प्रत्येक वर्ग के यात्रियों की सेवा करता है। लोगों की बड़ी संख्या इससे एक साथ यात्रा कर सकती है। यदि लंबी दूरी की यात्रा करनी हो तो सड़क की तुलना में रेलवे परिवहन का बहुत ही सुविधाजनक माध्यम है। यह सड़क की तुलना में तेज और सुरक्षित है। भारत में पर्यटकों के लिए विशेष गाड़ियाँ शुरू की गई हैं। इनमें यात्रा करने के दौरान हर प्रकार की सुविधा प्रदान की जाती है। रेल परिवहन (रेलवेज ट्रांसपोर्ट) और इसकी विशेषताओं के संबंध में आप इन्टरनेट से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

(ii) हवाई मार्ग - विदेशी पर्यटकों के लिए हवाई मार्गों का बहुत महत्व है, क्योंकि अनेक देश रेल अथवा सड़क मार्ग से जुड़े हुए नहीं होते। यह सर्वाधिक तेज गति से चलने वाला परिवहन है, परंतु बहुत महँगा है। अनेक देश हवाई मार्ग से जुड़े हैं और इससे यात्रा की दूरी में कमी आती है। हवाई परिवहन ने पर्यटन को बहुत अधिक बढ़ाया है, विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन को।

(iii) सड़क मार्ग - सड़कें घर से घर तक परिवहन सेवाएँ उपलब्ध करवाती हैं और यह एक-दूसरे को जोड़ने वाली सभी परिवहन प्रणालियों को परस्पर जोड़ती हैं। इसने पर्यटकों के लिए गंतव्यों तक पहुँचने को संभव बनाया है। हवाई परिवहन ने संपूर्ण विश्व को आपके दरवाजे तक ला खड़ा किया है, परंतु सड़क परिवहन ने दरवाजे के भीतर के सुविधा कक्षों को परस्पर जोड़ा है।

(iv) जलमार्ग - जलमार्गों में फैरी, क्रूज, वाटर टैक्सी और अन्य प्रकार के जल परिवहन शामिल हैं। ये खुले सागरों अथवा अन्तर्देशीय परिवहन भी हो सकते हैं। मोटरचालित, वाहनों से पहले जल परिवहन बहुत लोकप्रिय था। प्राचीनकाल में, जल मार्ग को परिवहन का एक महत्वपूर्ण साधन माना जाता था। सड़क, रेल और हवाई सेवाओं का महत्व बढ़ने के कारण यात्रियों द्वारा जल परिवहन की सेवाओं का लाभ लेने में अत्यधिक कमी आई है।

(5) आकर्षण - साधारणतया, पर्यटकों के लिए आकर्षण से तात्पर्य है किसी क्षेत्रा गंतव्य स्थल पर यात्रा करने की इच्छा में वृद्धि। अतः इसमें शामिल ऐतिहासिक और धरोहर (हैरिटेज) स्थल, संग्रहालय, कला दीर्घाएँ (आर्ट गैलरीज), वनस्पति उद्यान (बॉटेनिकल गार्डन्स), मनोरंजन पार्क्स, जलजीव शाला (एक्वेरियम), चिड़ियाघर (जू), वाटर पार्क्स, सांस्कृतिक आकर्षण, समुद्री तट (बीच), गुणवत्ता की दृष्टि से सस्ती चिकित्सा सुविधाएँ, पारंपरिक स्वास्थ पुनः ऊर्जा (रीजॉविनेटिंग) प्राप्ति केंद्र इत्यादि पर्यटकों के लिए आकर्षणों में से कुछ हैं। अत्यधिक विविधताओं के कारण, भारत में अनेक पर्यटन आकर्षण हैं।

(6) समारोह (इवेंट्स) और सम्मेलन (कान्फ्रेंसिज) - अनेक शैक्षणिक, पेशेवर (प्रोफैशनल), व्यावसायिक अथवा नौकरशाही (ब्यूरोक्रेटिक) से संबद्ध समारोह (इवेंट्स), बैठकें और सम्मेलनों इत्यादि की व्यवस्था की जाती है। इनका आयोजन इवेंट्स के लिए चुने गए विषयों के आधार पर किया जाता है। इसमें विश्व के सभी भागों से लोगों को आमंत्रित किया जाता है। इन लोगों से समारोह (इवेंट) स्थलों और इसके आस-पास के क्षेत्रों में यात्रा की अपेक्षा की जाती है। निर्धारित स्थान पर, आवास और भोजन की आवश्यकता इनके लिए अनिवार्य होती है। इनके मनोरंजन की व्यवस्था भी की जाती है। इसमें पर्यटक की ओर से धन खर्च करना भी शामिल होता है। वे अपनी जेब से धन खर्च करते हैं अथवा इसे प्रायोजित कराया जाता है। कभी-कभी जिस संगठन में वे काम कर रहे होते हैं। वे ही इसका खर्च उठाते हैं। कुछ प्रतिनिधियों की आयोजकों द्वारा वित्तीय सहायता भी की जाती है। इन आयोजकों को भी सरकार, मंत्रालयों, व्यावसायिक घरानों, शैक्षणिक संस्थाओं इत्यादि से वित्तीय सहायता प्राप्त होती है।

सम्मेलन (कॉन्फ्रेंस), सेमिनार, बैठकें (मीटिंग्स), व्यापार मेले (ट्रेड शो), प्रदर्शनियाँ और समागम (कनवेंशन) इत्यादि अनेक समुदायों के लिए बड़े व्यवसाय हैं। इस प्रकार के आयोजनों से स्थानीय लोग, पर्यटक सेवाओं और उत्पादों को उपलब्ध करवाकर और बेचकर काफी धन कमा सकते हैं। जब लोग इन स्थानों पर आते हैं तो वे नजदीक के क्षेत्र/गंतव्य स्थलों पर भ्रमण के लिए जाते हैं। इसलिए विश्व के अधिकांश शहर समय-समय पर अनेक बैठकों और सम्मेलनों को आयोजित करते हैं। विशेषतः पर्यटकों की रूचि के स्थलों, जैसे-गोवा, दिल्ली, मुम्बई, कोलकता में आयोजित करते हैं। इसके अतिरिक्त दिल्ली में प्रगति मैदान ऐसे आयोजनों के लिए राष्ट्रीय अथवा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, लगभग पूरे वर्ष ही आरक्षित (बुक) रहता है। भारत और विदेशों में अन्य शहरों और कस्बों का भी लगभग यही हाल है।

(7) पर्यटन सेवाएँ - पर्यटन सेवाओं के क्षेत्र (सेक्टर) में अनेक संगठन, संस्थाएँ, सरकारी एजेन्सियाँ और कंपनियाँ इत्यादि शामिल होती हैं। इन सभी के पास वे सभी विशिष्ट सेवाएँ उपलब्ध होती हैं, जिनकी पर्यटन उद्योग में आवश्यकता होती है। यह मूलतः एक प्रकार के विनियामक (रेगुलेटर) होते हैं, जो सेवाएँ उपलब्ध करवाते हैं। वे न सिर्फ यात्रियों और पर्यटकों की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं, बल्कि किसी विशिष्ट क्षेत्र में संवृद्धि (ग्रोथ) और विकास के उद्देश्य को भी पूरा करते हैं। अतः शोध करना भी पर्यटन का एक महत्वपूर्ण घटक बन जाता है। पर्यटन में शोध किए जाने के अतिरिक्त पर्यटन के संबंध में विज्ञापन, विपणन, शिक्षण/ सूचित करना इत्यादि भी पर्यटन सेवाओं के अन्य अच्छे घटक हैं।

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