बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-4 आयकर विधि एवं लेखे बीकाम सेमेस्टर-4 आयकर विधि एवं लेखेसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीकाम सेमेस्टर-4 आयकर विधि एवं लेखे - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय 2 - निवास स्थान तथा कर दायित्व
(Residence and Tax Liability)
किसी भी करदाता की निवासीय स्थिति या तो व्यक्ति, हिन्दू अविभाजित परिवार, फर्म, कम्पनी या व्यक्तियों का समुदाय के रूप में होगी इसका निर्धारण आयकर अधिनियम की धारा 6(1) तथा 6(6) में दी गई शर्तों के अनुसार किया जाता है। आयकर अधिनियम, 1961 के अन्तर्गत निवासीय स्थिति तथा भारत की नागरिकता का आपस में कोई सम्बन्ध नहीं है। कोई भी करदाता किसी भी श्रेणी की निवासीय स्थित में भारत में नागरिक हो भी सकता है या नहीं भी हो सकता है।
करदाता पर कर-प्रकार उसकी निवासीय स्थिति पर निर्भर करता है। उदाहरण के तौर पर, किसी व्यक्ति की भारत से बाहर उपार्जित हुई आय, भारत में कर योग्य है अथवा नहीं, यह उसकी निवासीय स्थिति पर निर्भर करेगा। इसी प्रकार किसी विदेशी नागरिक द्वारा भारत में (अथवा भारत से बाहर) अर्जित की गई आय भारत में कर योग्य है अथवा नहीं, यह उसकी नागरिकता की बजाए निवासीय स्थिति पर निर्भर करेगा। अतः किसी व्यक्ति के कर दायित्व का पता लगाने के लिए उसकी निवासीय स्थिति का निर्धारण करना अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य
एक व्यक्ति निवासी एवं साधारण निवासी कहलाता है। यदि वह आधार शर्तों में से एक और दोनों अतिरिक्त शर्तें पूरी कर देता है।
एक व्यक्ति निवासी परन्तु साधारण निवासी नहीं कहलाता है। जब वह आधार शर्तों में से कोई एक शर्त पूरी कर भी देता है। लेकिन दोनों अतिरिक्त शर्तें पूरी नहीं करता, यदि वह दोनों अतिरिक्त शर्तों में से कोई एक शर्त पूरी कर भी देता है, तो भी वह निवासी परन्तु साधारण निवासी नहीं कहलायेगा।
एक व्यक्ति उस समय अनिवासी कहलाता है। जब वह आधार शर्तों में कोई एक शर्त पूरी नहीं करता है।
यदि किसी व्यक्ति की अनेक स्रोतों से आय है तो प्रत्येक स्रोत के लिए एक गत वर्ष में निवासीय स्थिति एक जैसी रहेगी, बदलेगी नहीं। उदाहरण के लिए, रमेश अपनी आय के किसी एक स्रोत के लिए किसी गत वर्ष में निवासी है, तो वह अपनी आय अन्य स्रोतों के लिए भी उस गत वर्ष में निवासी ही माना जायेगा।
एक भारतीय नागरिक गत वर्ष में रोजगार हेतु विदेश जाता है अथवा किसी भारतीय जहाज के कर्मचारी के रूप में भारत से बाहर जाता है, तो उसे निवासी होने के लिए उस गत वर्ष में रोजगार हेतु विदेश जाता है अथवा किसी भारतीय जहाज के कर्मचारी के रूप में भारत से बाहर जाता है, तो उसे निवासी होने के लिए उस गत वर्ष में 60 दिन के स्थान पर कुल मिलाकर कम से कम 182 दिन भारत में रहना अनिवार्य है।
यदि कर दाता भारतीय नागरिक है अथवा भारतीय मूल का व्यक्ति है एवं विदेश में रह रहा गत वर्ष में किसी भी कार्य से भारत भ्रमण पर आता है तो उसे निवासी होने के लिए गत वर्ष 60 दिन के स्थान पर कुल मिलाकर कम से कम 182 दिन भारत में रहना अनिवाय है।
भारतीय मूल के व्यक्ति का आशय आय-कर अधिनियम की धारा 115c(e) के अनुसार उस व्यक्ति से होता है, जिसके माता-पिता, दादा-दादी या नाना-नानी या वह स्वयं अविभाजित भारत में पैदा हुआ हो।
'भारत भ्रमण पर आने का आशय है कि व्यक्ति भारत में किसी भी कार्य से आ सकता है। जैसे - व्यापार के लिए, रिश्तेदारों से मिलने के लिए अथवा अन्य किसी व्यक्तिगत कार्य के लिये भारत आना।
भारत में प्राप्त अथवा प्राप्त समझे जाने वाली आयों पर सभी करदाताओं को कर देना पड़ता है।
'भारत में उपार्जित अथवा उपार्जित समझी जाने वाली' आयों पर भी सभी करदाताओं को कर देना पड़ता है।
भारत के बाहर उपार्जित एवं प्राप्त होने वाली (भारत के बाहर नियन्त्रित व्यापार से अथवा भारत के बाहर स्थापित पेशे से) आयों पर केवल निवासी करदाताओं को ही कर देना पड़ता है।
निवासी करदाताओं को गत वर्ष से सम्बन्धित सभी प्रकार की देशी एवं विदेशी आयों पर कर देना पड़ता है चाहे वह आय कहीं भी उपार्जित या प्राप्त हुई हो।
असाधारण निवासी को भारत के बाहर उपार्जित तथा प्राप्त व्यापारिक आय पर तभी कर देना पड़ता है, जब व्यापार नियन्त्रण भारत से होता हो अथवा विदेश में हुई आय ऐसे पेशे से हो जिसकी स्थापना भारत में हुई है।
अनिवासी को केवल भारत में प्राप्त या भारत में उपार्जित आयों पर ही कर देना पड़ता है, शेष आयों पर कर नहीं देना पड़ता।
दिनों की गणना के लिए भारत में आने-जाने वाले दोनों दिनों को ध्यान में रखा जायेगा।
हिन्दू अविभाजित परिवार का सम्पूर्ण प्रबन्ध एवं नियन्त्रण यदि पूर्णतः भारत के बाहर स्थित हो तो हिन्दू अविभाजित परिवार भारत में अनिवासी माना जायेगा।
कर्म या व्यक्तियों का संघ/समुदाय असाधारण निवासी नहीं होते हैं।
कम्पनी कभी असाधारण निवासी नहीं होती हैं।
प्रबन्ध एवं नियन्त्रण वहाँ स्थित माना जायेगा जहाँ संचालक मण्डल की बैठकें होती हैं।
अन्य व्यक्ति कभी भी असाधारण निवासी नहीं होते हैं।
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