बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-4 आयकर विधि एवं लेखे बीकाम सेमेस्टर-4 आयकर विधि एवं लेखेसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीकाम सेमेस्टर-4 आयकर विधि एवं लेखे - सरल प्रश्नोत्तर
स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य
जिस अंशधारी का नाम कम्पनी के सदस्यों के रजिस्टर में अंकित है वही अंशधारी लाभांश पर आयकर चुकाता है।
अंश को प्रतिभूत नहीं माना जाता क्योंकि ये ऋण की स्वीकृति के सबूत नहीं होते।
केन्द्रीय अथवा राज्य सरकारों द्वारा निर्गमित प्रतिभूतियाँ केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार या राज्य सरकारें अपनी प्रतिभूतियों को विभिन्न नामों से सरकारी ऋण, सरकारी पत्र, सरकारी नोट्स, सरकारी बाण्डस, प्रतिज्ञा-पत्र, टेजरी बिल, प्रमाण-पत्र आदि से जारी करती है।
'जब कोई कर दाता अपने धन को निवेश करने के उद्देश्य से प्रतिभूतियों को क्रय करता है तो इन पर ब्याज अन्य साधनों की आय शीर्षकों में कर योग्य होता है।
धारा 10 (15) के अनतर्गत प्रतिभूतियाँ बॉण्डस एवं जमाओं पर पूर्णरूप से ब्याज कर मुक्त होता है।
कर मुक्त गैर सरकारी प्रतिभूतियों के ब्याज को सदैव सकल बनाया जाता है।
यदि प्रश्न में सूचीयत होने की सूचना नहीं है तो गैर सरकारी प्रतिभूतियाँ असूचीयत मानते हैं। अर्द्धसरकारी प्रतिभूतियाँ सूचना न होने पर भी सूचीयत मानी जाती है।
यदि कर योग्य गैर सरकारी प्रतिभूतियों में ब्याज का प्रतिशत दिया हो तो उसे सकल नहीं बनता बल्कि करदाता की आय में जोड़ देते हैं।
यदि कर निर्धारण अधिकारी इस बात में सन्तुष्ट है कि दिखावटी लेन देन नहीं हुआ है तो हस्तान्तरिती की ऐसी आय को हस्तान्तरिती की कुल आय में जोड़ा जायेगा।
यदि बैंक में स्थायी जमा पर ब्याज 10,000 रु० से अधिक है तो सकल बनाया जायेगा।
ईनाम की राशि में से लॉटरी विक्रेता को कुछ भाग कमीशन के रूप में दिया गया है तो ऐसी राशि को ईनाम की राशि में से घटा दिया जायेगा।
यदि लॉटरी, वर्ग पहेली, ताश के खेल, जुऑ अथवा शर्तों से जीती गई राशि 10,000 रुपये से अधिक नहीं है तथा घुड़दौड़ से जीती गई राशि 5,000 रु० से अधिक नहीं है तो उद्गम स्थान पर आय कर की कोई कटौती नहीं की जायेगी। एवं ऐसी आयों के सम्बन्ध में प्रश्न में प्रदत्त प्राप्त राशि को ही कर योग्य आय माना जायेगा।
कर योग्य गैर सरकारी प्रतिभूतियों का ब्याज यदि प्राप्त दिया हो तो उसे सकल किया जाता है तथा यदि ब्याज की प्रतिशत दर दी गई है तो ब्याज सकल नहीं किया जाता है।
गैर सरकारी प्रतिभूतियों का ब्याज हमेशा सकल बनाया जायेगा चाहे ब्याज की दर दी गई हो अथवा प्राप्त राशि।
कर मुक्त सरकारी प्रतिभूतियां ये वे प्रतिभूतियां है जिनका ब्याज धारा 10 (15) के अन्तर्गत पूर्ण तथ्य कर मुक्त है। इन प्रतिभूतियों का ब्याज न कुल आय में शामिल होता है और न उस पर कर लगता है।
कर मुक्त प्रतिभूतियों के ब्याज पर चुकाया गया संग्रह व्यय कर योग्य ब्याज से कटौती योग्य नहीं है।
हास की कटौती का दावा केवल तभी किया जा सकता है जब कर दाता सम्पत्ति का स्वामी हो।
ब्याज के संग्रह के लिए बैंक को देय कमीशन की राशि की गणना करते समय सकल ब्याज में से उद्गम के स्थान पर की गई कटौती घटा देनी चाहिये।
भारतीय कम्पनी से प्राप्त लाभांश कर योग्य नहीं होता है क्योंकि यह धारा 10(34) के अन्तर्गत कर मुक्त है।
ब्याज सहित अथवा ब्याज रहित क्रय विक्रय की स्पष्ट सूचना प्रश्न में न दी हुई होने पर ब्याज सहित क्रय विक्रय माना जाता है।
आकस्मिक आय में कोई कटौती नहीं होते हैं।
यदि कर दाता वर्ष के दौरान कोई प्रतिभूति खरीदता है या बेचता है तो उस प्रतिभूति के ब्याज को सम्बन्धित कर दाता की आय में तभी शामिल करेंगे जब ब्याज की देय तिथि पर वह उसका स्वामी हो। ब्याज रहित ब्याज सहित क्रय विक्रय का भी ध्यान रखना होगा।
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