बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-4 आयकर विधि एवं लेखे बीकाम सेमेस्टर-4 आयकर विधि एवं लेखेसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीकाम सेमेस्टर-4 आयकर विधि एवं लेखे - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय 7 - व्यापार व पेशे से आय
(Income from Business and Profession)
आय का यह तृतीय शीर्षक है। इस शीर्षक के अन्तर्गत करदाता को अपने व्यवसाय या पेशे से प्राप्त लाभ एवं प्राप्तियाँ शामिल होती हैं। इस शीर्षक से भारत सरकार को अन्य शीर्षकों की तुलना में अधिक आय कर प्राप्त होता है। आयकर अधिनियम में इस शीर्षक से सम्बन्धित प्रावधान सर्वाधिक विस्तृत, जटिल एवं विवादग्रस्त है। इस शीर्षक से सम्बन्धित आयकर नियमों एवं प्रावधानों का अध्ययन करने से पूर्व व्यवसाय एवं पेशे का अर्थ समझना आवश्यक है। किसी करदाता द्वारा देयकर गतवर्ष में उसके द्वारा या उसके लिए चलाये जा रहे, किसी व्यवसाय अथवा पेशे के लाभों के सम्बन्ध में होता है। "व्यवसाय" शब्द की परिभाषा धारा 2 (13) में दी गई है, "यह किसी व्यापार, वाणिज्य या उत्पादन अथवा व्यापार, वाणिज्य, या उत्पादन की प्रकृति के किसी उपक्रम या सम्बन्ध का समावेश करता है।" लेकिन 'पेशा' शब्द की अधिनियम में कहीं भी परिभाषा नहीं दी गई है। इसका अर्थ है एक ऐसा धंधा जिसमें किसी प्रकार के शिक्षण की आवश्यकता होती है। अतः एक चित्रकार, मूर्तिकार, लेखक, अंकेक्षक, वकील, डॉक्टर आर्किटेक्ट यहाँ तक कि एक ज्योतिषी ऐसे व्यक्ति कहलाएंगे। जिनको एक पेशा चलाते हुए जा सकता है। 'पेशे' शब्द में धंधे का भी समावेश होता है। [धारा 2 ( 36 )] लेकिन यह महत्वहीन है कि क्या एक व्यक्ति 'व्यवसाय' कर रहा है या 'पेशा' अथवा 'धंधा चला रहा है क्योंकि कर निर्धारण उद्देश्यों हेतु इन सभी स्रोतों से लाभ एक समान ही माना तथा करारोपित किया जाता है।
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