बी ए - एम ए >> बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- दुश्चिंता किस प्रकार खेल प्रदर्शन को प्रभावित करती है?
अथवा
क्या दुश्चिंता से खेल प्रदर्शन प्रभावित होता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
महत्वपूर्ण खेल आयोजनों में बेहतर प्रदर्शन की चिंता खिलाड़ियों में पाया जाना आम बात 'है कुछ हद तक प्रदर्शन की चिंता खिलाड़ी में उत्साह व एकाग्रता पैदा करती है जब कोई खिलाड़ी प्रदर्शन के सम्बन्ध में नकारात्मक दृष्टिकोण अपना लेता है तो दुश्चिंता भय में बदल जाती हैं और इससे खिलाड़ी के दिल की धड़कने तेज हो जाती है। वह एकाग्रता खो देता है। वह अनावश्यक हरकते करने लगता है जैसे- नाखून चबाना, जमीन पर पैर से ठोकर मारना, अनावश्यक चहलकदमी तथा वह अपने को बहुत कमजोर, थका महसूस करता है। वह जीत के प्रति अपने विश्वास को खो बैठता है। चिंता से खिलाड़ी शारीरिक, संज्ञानात्मक तथा व्यावहारिक रूप से प्रभावित होता है। यदि खिलाड़ी महत्त्वपूर्ण खेल से पहले दुश्चिंता से प्रभावित है तो उसका प्रदर्शन निश्चित रूप से प्रभावित होगा। जब खिलाड़ी का ब्लड प्रेशर अधिक तथा शरीर अंकडा होगा तो अपने शरीर को घुमाने तथा शरीर के विभिन्न अंगों को समायोजित करने में परेशानी होगी। खिलाड़ी अपने को बंधा-2 महसूस करेगा तथा प्रदर्शन में अधिक गलतियाँ करेगा जिसका नकारात्मक प्रभाव उसके प्रदर्शन पर पड़ेगा। दुश्चिंता के प्रभाव को निम्नलिखित स्थितियों से समझा जा सकता है-
1. भय - जब एथलीट एक निश्चित स्थिति से डरता है और वह स्थिति उसके सामने होती है तो वह अपने आप को असहाय पाता है। यह दुश्चिंता की सबसे गंभीर स्थिति होती है। उदाहरण के लिए यदि कोई खिलाड़ी अधिक शोर का आदी नहीं है और खेल के दौरान अत्यधिक शोर होता है तो उसके साथ भय व तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है इससे उसके खेल प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
2. एकाग्र न हो पाना - खेल प्रतियोगिता के दौरान एकाग्रता न हो पाने की अक्षमता खिलाड़ी में पूर्व प्रतिस्पर्धी चिंता को विकसित करती है। यदि खिलाड़ी अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्र नहीं हो पा रहा है तो वह खेल में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं कर पायेगा। एकाग्र न हो पाने का मूल कारण है आशंका की भावना। कई बार खिलाड़ी को यह आशंका हो जाती है कि वह विफल हो जायेगा जिससे उसमें आत्मविश्वास कम हो जाता है तथा दुश्चिंता घेर लेती है। जिससे उसका खेल प्रदर्शन प्रभावित होता है।
3. पसीना आना - प्रतियोगिता के दौरान खिलाड़ी को पसीना आना आम बात है परन्तु यदि चेहरे और हाथों में अत्यधिक पसीना आ रहा है तो यह दुश्चिंता का परिणाम हो सकता है। कई बार दुश्चिंता खिलाड़ी को अत्यधिक सतर्क कर देती है, इस स्थिति में खिलाड़ी अपने आपको असहज महसूस करने लगता है। इससे खिलाड़ी अपने शरीर को अत्यधिक गर्म महसूस करता है। खिलाड़ी का शरीर फटने लगता है इस स्थिति में भी उसके खेल प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
4. दिल की धड़कन बढ़ जाना - दुश्चिंता के कारण खिलाड़ी के दिल की धड़कन कई गुना तक बढ़ जाती है। खिलाड़ी के शरीर में एड्रेनालिन हारमोन अधिक मात्रा में बनने लगता है। चिंता की वजह से दिल की धड़कन बढ़ जाती है। इससे खिलाड़ी की खेल क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
5. श्वास का छोटा होना - दुश्चिंता का एक लक्षण श्वास गति का बढ़ जाना या तेजी से छोटी- छोटी सांसे लेना। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब खिलाड़ी शरीर में आवश्यक ऑक्सीजन आपूर्ति के लिए संघर्ष कर रहा होता है। शरीर और मस्तिष्क को आवश्यक ऑक्सीजन न मिल पाने की स्थिति में खिलाड़ी का प्रदर्शन प्रभावित होता है।
6. चक्कर आना - जब कोई खिलाड़ी गम्भीर चिंता और घबराहट से पीड़ित होता है तो उसके मस्तिष्क में उतनी ऑक्सीजन और खून नहीं पहुँच पाता है जितने की उसे आवश्यकता होती है। इस स्थिति में खिलाड़ी को चक्कर आने लगते है तथा कई बार खिलाड़ी खेल मैदान से ही बाहर हो जाता है।
7. शरीर में कंपन - एक महत्वपूर्ण प्रतियोगिता के पहले खिलाड़ी हाथ और पैरो में अधिक कंपन महसूस करता है उसका कारण चिंता के कारण शरीर में एड्रेनालाइन हारमोन का बढ़ जाना होता है इस स्थिति में खिलाड़ी अपना वास्तविक प्रदर्शन नहीं कर पाता है जिससे उसके प्रदर्शन पर प्रभाव पड़ता है।
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