बी ए - एम ए >> बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- "प्रभावशाली रूप से सीखने में अभिप्रेरणा सहायक है।" टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
अभिप्रेरणा सीखने की प्रक्रिया और परिणाम दोनों को प्रभावित करती है। अभिप्रेरित शिक्षार्थी सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं, उनके सीखने की गति तीव्र होती है, उनका सीखना भी अपेक्षाकृत अधिक स्थायी होता है। एन्डरसन ने इस तथ्य को बड़े संक्षिप्त रूप में अभिव्यक्त किया है। उनके शब्दों में " सीखने की प्रक्रिया सर्वोत्तम रूप में आगे बढ़ेगी यदि वह अभिप्रेरित होगी।"
स्किनर के अनुसार - "अभिप्रेरणा, सीखने का राजमार्ग है।"
हम सभी जानते हैं कि सीखने का उच्चतम लक्ष्य होता है - अधिकतम निष्पत्ति। मनोवैज्ञानिक वुडवर्थ के अनुसार, सीखने की प्रक्रिया द्वारा अधिकतम निष्पत्ति तभी संभव है जब सीखने वालों में सीखने की योग्यताओं के साथ अभिप्रेरणा भी हो। उन्होंने इस तथ्य को निम्न समीकरण द्वारा स्पष्ट किया है - निष्पत्ति = योग्यता + अभिप्रेरणा।
उपर्युक्त समीकरण से स्पष्ट है कि सीखने वाले में सीखने की जितनी अधिक योग्यता होगी और वह सीखने के लिये जितना अधिक अभिप्रेरित होगा, सीखने की प्रक्रिया का परिणाम उतना ही अधिक अच्छा होगा और स्थायी होगा। अभिप्रेरणा, सीखने की प्रक्रिया और परिणाम को किस प्रकार प्रभावित करती है, इसे निम्नलिखित रूप में क्रमबद्ध किया जा सकता है-
(i) अभिप्रेरणा शिक्षार्थी में सीखने के लिये उत्सुकता पैदा करती है। अभिप्रेरणा व्यक्ति में एक ऐसी ऊर्जा (शक्ति) उत्पन्न करती है जो उसे निर्धारित उद्देश्य सम्बन्धी लक्ष्यों की प्राप्ति की ओर अग्रसर करती है और उसे निर्धारित उद्देश्य सम्बन्धी लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु आवश्यक कार्य करने की ओर धकेलती है।
(ii) अभिप्रेरणा शिक्षार्थी को सीखने के लिये निरंतर क्रियाशील रखती है। इसका कार्य व्यक्ति को क्रिया विशेष करने की ओर धकेलना ही नहीं होता अपितु यह उसमें एक ऐसी ऊर्जा पैदा करती है कि वह निरन्तर क्रियाशील रहता है। अभिप्रेरणा द्वारा शिक्षार्थी अपनी मानसिक योग्यताओं से कहीं अधिक उपलब्धि प्राप्त करते हैं।
(iii) अभिप्रेरणा शिक्षार्थी को वह सब सीखने के लिये भी क्रियाशील रखती है जिसमें उसकी रुचि नहीं होती । उदाहरणार्थ यदि शिक्षार्थी की गणित में रुचि नहीं है परन्तु वह इंजीनियर बनने के लिए अभिप्रेरित है तो वह गणित की समस्याओं को हल करने में क्रियाशील रहेगा।
(iv) उपर्युक्त तथ्य से साफ जाहिर है कि अभिप्रेरणा शिक्षार्थी को सीखने में अवधान रखने में बहुत सहायक होती है चाहे उसकी उसमें रुचि हो अथवा न हो। रुचि के अभाव में अवधान बनाये रखना अभिप्रेरणा की सबसे बड़ी देन होती है।
(v) अभिप्रेरित शिक्षार्थी सीखने की क्रिया में तब तक क्रियाशील रहता है जब तक कि वह सब नहीं सीख लेता जो उसके उद्देश्य की प्राप्ति के लिये आवश्यक है।
(vi) अभिप्रेरणा द्वारा शिक्षार्थियों को न केवल विषयों का ज्ञान सरलता से कराया जा सकता अपितु कौशलों का प्रशिक्षण भी सरलता से दिया जा सकता है।
(vii) अच्छी आदतों के निर्माण एवं वास्तविक अनुशासन की स्थापना में भी अभिप्रेरणा की अहम् भूमिका होती है। बस आवश्यकता होती है उचित अभिप्रेरकों के प्रयोग की प्रशंसा एवं पुरस्कार जैसे अभिप्रेरकों द्वारा उन्हें अभिप्रेरित करने की।
(viii) अभिप्रेरणा द्वारा बच्चों को गलत रास्ते से हटाकर सही रास्ते पर लगाया जा सकता है और 'उनका चरित्र-निर्माण किया जा सकता है जो शिक्षा का एक उद्देश्य होता है। इस कार्य में प्रशंसा एवं निंदा तथा पुरस्कार एवं दण्ड जैसे अभिप्रेरक बड़े प्रभावी सिद्ध होते हैं।
(ix) अभिप्रेरणा द्वारा छात्रों को समाज सेवा एवं राष्ट्रहित के कार्यों की ओर अग्रसर किया जा सकता है। इस हेतु समाज-सेवक एवं देशभक्तों के प्रसंग अभिप्रेरक का कार्य करते हैं।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि अभिप्रेरणा शिक्षार्थियों को वह सब सीखने में सहायक होती है जो हम उन्हें सिखाना चाहते हैं। अभिप्रेरित शिक्षार्थी सरलता से सीखते हैं और अपनी क्षमताओं से अधिक सीखते हैं। शिक्षकों को इसका प्रयोग अवश्य करना चाहिए।
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