बी ए - एम ए >> बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- भारत में खेल मनोविज्ञान के विकास पर टिप्पणी लिखिये।
उत्तर-
खेल मनोविज्ञान एक व्यवहृत मनोविज्ञान है। भारत में सर्वप्रथम सन् 1961 में पटियाला में राष्ट्रीय खेल संस्थान की स्थापना हुई। खेल विज्ञान और खेल मनोविज्ञान के सम्प्रत्यय को विकसित करने में इसकी बहुत बड़ी भूमिका रही है। इस संस्थान का भारत तथा भारत से बाहर होने वाली खेल गतिविधियों से सीधा सम्बन्ध रहा है।
ऐसा माना जाता है कि रोम ओलंपिक 1960 के बाद खेल मनोविज्ञान का विकास वैश्विक आन्दोलन बन गया। अब खेल प्रशिक्षकों तथा शारीरिक शिक्षा से जुड़े शिक्षाविदों को यह आभास हो चला था कि खिलाड़ी की मानसिक स्थिति और उसके प्रदर्शन में सीधा सम्बन्ध होता है। अतः खिलाड़ी पर पड़ने वाले मनोवैज्ञानिक प्रभाव को समझे बिना अन्तर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन नहीं किया जा सकता है। एन.आई.एस. का उद्देश्य भारत में विभिन्न प्रकार के उच्च क्षमता वाले खेल प्रशिक्षकों को तैयार करना है इसके लिए भारतीय खेल प्राधिकरण ने बैंगलोर, कोलकता, गाँधीनगर और त्रिवेंद्रम में अपने क्षेत्रीय कार्यालय खोले। 70 के दशक में लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान (LNCPE) ग्वालियर और नेता जी सुभाष राष्ट्रीय क्रीड़ा संस्थान (NSNIS) पटियाला ने विदेशी विशेषज्ञों के मार्गदर्शन से उत्कृष्ट अनुसंधान प्रयोगाशालाओं की स्थापना की। पूरे भारत में स्नातक तथा परास्नातक कक्षाओं के पाठ्यक्रम में खेल मनोविज्ञान को विषय के रूप में शामिल किया गया। एन.आई.एस. में खेल विज्ञान संकाय की स्थापना की गयी जिसने 1981-82 में कार्य करना प्रारम्भ किया। पंजाब विश्वविद्यालय पटियाला भारत का एकमात्र शिक्षण संस्थान है जिसने खेल विज्ञान का पूर्ण विकसित विभाग स्थापित किया है। तमिलनाडु शारीरिक शिक्षा और खेल विश्वविद्यालय ने भी सन् 2006 में एक पूर्ण विकसित खेल मनोविज्ञान विभाग की स्थापना की, यह संस्थान खेल मनोविज्ञान के क्षेत्र में शिक्षण, अनुसंधान, परामर्श जैसी सेवाएँ दे रहा है। स्पोर्ट साइकोलॉजी एसोसिएशन ऑफ इण्डिया (SPA) जोकि इन्टरनेशनल स्पोर्ट साइकोलॉजी एसोसिएशन का सदस्य हैं भारत में स्पोर्ट साइकोलॉजी के विकास में निरंतर अपना योगदान दे रहा है।
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