बी ए - एम ए >> बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- मनोरंजन के विभिन्न तरीकों का वर्णन कीजिए।
अथवा
मनोरंजन के लिए अपनाये जाने वाले तरीकों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
मनोरंजन गतिविधियों में शामिल होना प्रत्येक जीव का स्वभाव होता है। वह अपनी शारीरिक, मानसिक तथा कौशलात्मक क्षमता के अनुसार मनोरंजन करता है। इसके अन्तर्गत आने वाली मुख्य गतिविधियाँ निम्न हैं-
(1) आउटडोर या बाहरी गतिविधियाँ - इसके अन्तर्गत विभिन्न प्रकार के खेल व अवकाश गतिविधियों को शामिल किया जाता है जो घर के बाहर सम्पन्न होती है, जैसे पैदल यात्रा, शिविर लगाकर मनोरंजन गतिविधियों में भाग लेना, मछली पकड़ना, साइकिल चलाना आदि। इस प्रकार की गतिविधियों से प्रकृति के साथ जुड़ने व शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ाने में सहायता मिलती है।
(2) इनडोर गतिविधियाँ या आंतरिक गतिविधियाँ - इनडोर मनोरंजन गतिविधियों में विभिन्न प्रकार की गतिविधियाँ शामिल होती हैं जिन्हें घर के अन्दर सम्पन्न किया जाता है, जैसे बोर्ड गेम खेलना, किताबें पढ़ना, फिल्में देखना तथा वीडियो गेम खेलना आदि। इस प्रकार की गतिविधियों से शारीरिक मानसिक आराम करने तथा मन को उत्तेजित करने का अवसर मिलता है।
(3) सामाजिक गतिविधियाँ - सामाजिक गतिविधियों में भाग लेना भी मनोरंजन का एक . तरीका है। इसके अन्तर्गत दूसरों से बात करना, सामूहिक कार्यों में भाग लेना, फिल्म देखने जाना, विभिन्न प्रकार के खेलों में भाग लेना आदि। इस प्रकार की गतिविधियों में भाग लेने से संचार कौशल, समाज की समझ, तनाव को कम करने में मदद मिलती है।
(4) रचनात्मक गतिविधियाँ - रचनात्मक गतिविधियाँ भी मनोरंजन का एक उत्तम तरीका है। इसके माध्यम से रचनात्मक अभिव्यक्ति के विभिन्न रूपों जैसे पेन्टिंग, लेखन, फोटोग्राफी और संगीत आदि में भाग लेना शामिल है। इस प्रकार की गतिविधियों से आत्म अभिव्यक्ति का अवसर मिलता है। यह संज्ञानात्मक कार्य में सुधार तथा चिंता व अवसाद को कम कर सकती है।
(5) शैक्षिक गतिविधियाँ - शैक्षिक गतिविधियाँ भी मनोरंजन का एक तरीका है। शैक्षिक गतिविधियों में उन गतिविधियों को शामिल किया जाता है जो सीखने और व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा देती हैं जैसे - शैक्षिक भ्रमण कार्यशालाएँ, संग्रहालयों का दौरा करना आदि। शैक्षिक गतिविधियाँ बौद्धिक विकास, सामाजिक विकास, नैतिक तथा चारित्रिक विकास में सहायक होती हैं।
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