बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 चित्रकला बीए सेमेस्टर-4 चित्रकलासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 चित्रकला - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 6
जर्मन विचारक
(German Writers)
प्रश्न- जर्मन विचारक अरस्तू का विवरण दीजिए।
उत्तर-
अरस्तू (Aristotle) (384-322 ई.पू.) - अरस्तू का जन्म एशिया माइनर की कैल्किदिस नामक यूनानी बस्ती के स्टैजिरा नामक स्थान पर ईसा से 385 अथवा 384 वर्ष पूर्व हुआ था। इनके पिता के पूर्वजों का सम्बन्ध यूनान से था तथा मां एशिया माइनर से सम्बन्धित थीं। ये सत्य का अन्वेषण करने वाले दार्शनिक तथा भौतिक संसार का निरीक्षण करने वाले वैज्ञानिक थे। इनके साहित्य से चिन्तन का ही नहीं वरन् अरस्तू के समय तक के यूनानी चिन्तन के सभी सूत्रों का पता चलता है। ये प्रथम पाश्चात्य विचारक थे। जिन्होंने भौतिक जगत सम्बन्धी अध्ययनों एवं मानवीय अध्ययनों की सीमाएँ निर्धारित करने का प्रयत्न किया था और विभिन्न विषयों के अन्तर्गत ऐतिहासिक विधि का अनुसरण करते हुए अपने विचार व्यक्त किये थे।
प्लेटो के समय तक जितने विचार सूत्र एकत्र हुए थे, अरस्तू ने उन सबकी व्याख्या की। धार्मिक भावनाओं को अरस्तू ने अनावश्यक महत्व नहीं दिया। उन्होंने ईश्वर के अस्तित्व का समर्थन किया किन्तु ईश्वर के विवेचन का क्षेत्र भी निश्चित कर दिया। अरस्तू के चिन्तन में यूनानी दर्शन का चरर्मोत्कर्ष प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि अरस्तू ने लगभग छः ग्रन्थों की रचना की, जिनमें काव्यशास्त्र (Poetics) तथा अलंकारशास्त्र (Rhetoric)) एवं राजनीतिशास्त्र (Politics) ही अस्तित्व में है।
अरस्तू का प्रसिद्ध ग्रन्थ काव्य शास्त्र है। इसमें उन्होंने कला तथा सौन्दर्य के सम्बन्ध में यूनान के अनुकृति, नैतिकता, शुद्धीकरण आदि के परम्परा से चले आते हुए सिद्धान्तों की अपने ढंग से व्याख्या की है। अरस्तू के अनुसार प्रकृति केवल बाहर से दिखाई देने वाली वस्तु न होकर सृजनात्मक शक्ति है जो ब्रह्माण्डीय नियम के रूप में व्याप्त है। कला प्रकृति की सीधी अनुकृति न करके उसकी पद्धति की ही अनुकृति करती है। प्रकृति की सर्वश्रेष्ठ कृति मनुष्य है किन्तु वह अपूर्ण है।
अनुकृति प्रायः तीन वस्तुओं की होती है नैतिक गुण, भाव तथा क्रियाएँ। कला में मानव जीवन, इसकी मानसिक प्रक्रिया, आध्यात्मिक गति तथा आन्तरिक अनुभूति से उत्पन्न होने वाली क्रियाओं, एक शब्द में उसकी आत्मा का प्रतिबिम्ब उतारा जाता है। अरस्तू ने वास्तुकला को ललित कला नहीं माना है।
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