बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 संस्कृत बीए सेमेस्टर-4 संस्कृतसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 संस्कृत - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 6
पत्र व्यवहार
जीवन में पत्र-व्यवहार का अत्यधिक महत्व है। प्रतिदिन हमें पत्र-व्यवहार की आवश्यकता पड़ती है। पारिवारिक वृत्त के आदान-प्रदान के लिये, निमन्त्रण देने के लिए, शुभकामना सन्देश भेजने के लिए प्राय: पत्र-व्यवहार का प्रयोग करते हैं। इन सबके अतिरिक्त भी हमें अनेक व्यवसायों में, अनेक कार्यालयों में पत्र - व्यवहार की आवश्यकता पड़ती है। इस प्रकार पत्र दो प्रकार का होता है-
(i) औपचारिक पत्र - जिनसे हमारा कोई निजी या पारिवारिक संबंध न हो उन्हें लिखा गया पत्र औपचारिक पत्र कहते हैं। औपचारिक पत्रों में कई तरह के पत्र आते हैं - जैसे - विद्यालय के प्राचार्य, प्रशासनिक पदाधिकारियों, व्यापारियों, सम्पादकों, पुस्तक विक्रेताओं आदि को लिखे गए पत्र औपचारिक पत्रों की श्रेणी में आते हैं। सुगमता के लिए औपचारिक पत्रों को निम्नलिखित वर्गों में बाँटा गया है-
1. कार्यालयी पत्र (Official Letters)
2. संपादकीय पत्र (Editorial Letters)
3. व्यावसायिक पत्र ( Business Letters)
4. प्रार्थना पत्र / आवेदन पत्र (Application Letters)
(ii) अनौपचारिक पत्र - अनौपचारिक पत्र वस्तुतः व्यक्तिगत पत्र होते हैं। यह पत्र उन लोगों को लिखा जाता है जिनसे हमारा व्यक्तिगत संबंध रहता है। जैसे - माता-पिता, भाई-बहन, मित्र एवं अन्य सगे-संबंधी आदि। अनौपचारिक पत्रों में पत्र का विषय नहीं लिखा जाता है।
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