बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 शिक्षाशास्त्र बीए सेमेस्टर-4 शिक्षाशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 शिक्षाशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 14
मानसिक स्वास्थ्य एवं समायोजन
(Mental Health and Adjustment)
मानसिक स्वास्थ्य की अवधारणा अत्यंत प्राचीन एवं व्यापक है। प्राचीन काल में उस व्यक्ति को मानसिक रोगी मान लिया जाता था जो समाज या परिवार विरोधी कार्य करता था परन्तु यह जानने का प्रयास नहीं किया जाता था कि वह वास्तव में ऐसा क्यों कर रहा है? दौरे पड़ना, वस्त्र विहीन हो जाना आदि क्रिया कलापों को भूत-प्रेतों से जोड़ कर देखा जाता था और इनके उपचार के लिए तंत्र-मंत्र के प्रयोग द्वारा मानसिक चिकित्सा की जाती थी। अशिक्षित तथा आदिवासी क्षेत्रों में यही धारणा आज भी प्रचलित है। परन्तु अब मनोविज्ञान में मानसिक रोगों के बारे में अपनी नई अवधारणा प्रस्तुत की है। मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान आधुनिक शताब्दी का एक लोक कल्याणकारी आन्दोलन है जिसे आरम्भ करने का श्रेय वीयर्स को है। वियर्स ने वर्ष 1908 में प्रकाशित अपनी पुस्तक 'ए माइण्ड दैट फाउण्ड इटसेल्फ' (A mind that found itself) को प्रकाशित करके इस आन्दोलन का सूत्रपात अस्पतालों में पागलों की दशा सुधारने के लिए किया था। आगे चलकर इसमें मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित सभी पहलुओं का समावेश हो गया। मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान को - "मस्तिष्क को स्वस्थ या निरोग रखने वाला विज्ञान कहा जाता है। जिस प्रकार शारीरिक स्वास्थ्य विज्ञान का संबंध शरीर से है उसी प्रकार मानसिक स्वास्थ्य का संबंध मस्तिष्क से है। अतः मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान वह विज्ञान है जो मानसिक स्वास्थ्य को बनाये रखने, मानसिक रोगों को दूर करने और इन रोगों की रोकथाम के उपाय बताता है। मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान के जरिये मानसिक स्वास्थ्य को स्थिर रखा जाता है तथा पागलपन एवं स्नायु संबंधी क्षेत्रों को पनपने से रोका जाता है। साधारण स्वास्थ्य विज्ञान में केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर ही ध्यान दिया जाता है। परन्तु मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान में मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ शारीरिक स्वास्थ्य को भी सम्मिलित किया जाता है क्योंकि बिना शारीरिक स्वास्थ्य के मानसिक स्वास्थ्य संभव नहीं है। मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान का उपयोग शिक्षा के क्षेत्र में भी व्यापक रूप से किया जा रहा है। यह अपवादित बालकों तथा उनकी समस्याओं के लिए वरदान साबित हो रहा है। इस बालकों के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने उनके अधिगम स्तर को बढ़ाने में काफी सहायता मिलती है जिससे ऐसे बालक के व्यक्तित्व का पूर्ण विकास संभव हो पाता है। बालकों के साथ-साथ यह शिक्षण के मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाने में अपना योगदान दे रहा है।
समायोजन का अर्थ है सामंजस्य, व्यवस्थापन या अनुकूलन, समायोजन दो शब्दों से मिलकर बना है सम + आयोजन। जहाँ सम का अर्थ है भली-भाँति, अच्छी तरह या समान रूप से और आयोजन का अर्थ है - व्यवस्था अर्थात अच्छी तरह व्यवस्था करना। अतः इस प्रकार समायोजन का अर्थ सुव्यवस्था या अच्छे ढंग से परिस्थितियों को अनुकूल बनाने की प्रक्रिया जिससे कि व्यक्ति की आवश्यकताएँ पूरी हों और मानसिक द्वन्द्व न उत्पन्न हो। मनुष्य की बहुत सारी आवश्यकताएँ होती हैं जो व्यक्ति को उसके लक्ष्य की ओर प्रेरित करती हैं और वह आगे बढ़ता है, जब व्यक्ति को अपने लक्ष्य की प्राप्ति सरलता से हो जाती है तो उसे संतोष होता है, परन्तु जब लक्ष्य प्राप्त करने पर उसे बाधाओं का सामना करना पड़ता है तो उसे एक अप्रिय अनुभूति होती है जिसे कुण्ठा (Frustation) कहते हैं। इस प्रकार जब व्यक्ति को अपनी इच्छाओं और रुचियों के प्रतिकूल शक्तियों का सामना करना पड़ता है तो उसमें मानसिक द्वन्द्व उत्पन्न हो जाता है। इस प्रकार व्यक्ति में मानसिक तनाव उत्पन्न होता है, जिसके कारण व्यक्ति के मन में उथल-पुथल होती है जिसे दूर करने के लिए वह बाधाओं को दूर करने का पूरा प्रयास करता है। यदि उसका यह प्रयास सृजनात्मक और परिस्थितियों के अनुकूल रहकर बाधाओं को दूर करने में समर्थ रहता है तो वह वातावरण के प्रति समायोजन स्थापित कर लेता है। वहीं व्यक्ति अगर बाधाओं को दूर नहीं कर पाता और अवांछनीय मार्ग को अपना लेता है तो उसमें कुसमायोजन उत्पन्न हो जाता है। सामान्यतः समायोजन की यह प्रक्रिया निरन्तर रूप से चलती रहती है। समायोजन के अर्थ को स्पष्ट करते हुए गेट्स ने कहा कि समायोजन शब्द के मुख्य दो अर्थ हैं - प्रथम में निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है, जिसके द्वारा व्यक्ति स्वयं और पर्यावरण के बीच अधिक सामंजस्यपूर्ण सम्बन्ध रखने के लिए अपने व्यवहार को परिवर्तित कर देता है। द्वितीय में समायोजन एक संतुलित दशा है जिस पर पहुँचने पर हम उसे सुसमायोजित व्यक्ति कहते हैं।
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