बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 शिक्षाशास्त्र बीए सेमेस्टर-4 शिक्षाशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 शिक्षाशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 8
स्मृति
(Memory)
स्मृति का अर्थ व परिभाषा
Sturt & Oakden के अनुसार स्मृति एक जटिल शारीरिक और मानसिक प्रक्रिया है जिसे हम थोड़े से शब्दों में इस प्रकार स्पष्ट कर सकते हैं। जब हम किसी वस्तु को छूते देखते सुनते या सूंघते हैं तब हमारे ज्ञान वाहक तन्तु (Sensory nerves) उस अनुभव को हमारे मस्तिष्क के ज्ञान- केन्द्र (Sensory centre) में पहुँचा देते हैं। ज्ञान केन्द्र में उस अनुभव की प्रतिमा बन जाती है जिसे छाप (Engram) कहते हैं। यह छाप वास्तव में उस अनुभव का स्मृति चिन्ह (Memory trace) होता है जिसके कारण मानसिक रचना के रूप में कुछ परिवर्तन हो जाता है। वह अनुभव कुछ समय तक हमारे चेतन मन में रहने के बाद अचेतन मन (Unconscious mind) में चला जाता है और हम उसको भूल जाते हैं। उस अनुभव को अचेतन मन में संचित रखने और चेतन मन में लाने की प्रक्रिया को स्मृति कहते हैं। दूसरे शब्दों में पूर्व अनुभवों को अचेतन मन में संचित रखने और आवश्यकता पड़ने पर अचेतन मन में लाने 'की शक्ति को स्मृति कहते हैं।
स्मृति के सम्बन्ध में कुछ मनोवैज्ञानिकों के विचार अग्रांकित हैं-
1. वुडवर्थ - जो बात पहले सीखी जा चुकी है उसे स्मरण करना ही स्मृति है।
2. रायबन - 'अपने अनुभवों को संचित रखने और उनको प्राप्त करने के कुछ समय बाद चेतना के क्षेत्र में लाने की जो शक्ति हममें होती है उसी को स्मृति कहते हैं।'
3. जैम्स - स्मृति उस घटना या तथ्य का ज्ञान है जिसके बारे में हमने कुछ समय तक नहीं सोचा है पर जिसके बारे में हमको यह चेतना है कि हम उसका पहले विचार या अनुभव कर चुके हैं।
स्मृति के नियम
बी० एन० झा का मत है - "स्मृति के नियम वे दर्शाए हैं जो पूर्व अनुभव के पुनः स्मरण में सहायता देती है।"
Jha के इस कथन का अभिप्राय है कि हम 'स्मृति के नियमों को स्मरण में सहायता देने 'वाले नियम' कह सकते हैं | Jha के अनुसार, ये नियम 3 हैं, यथा-
1. आदत का नियम (Law of habit) - इस नियम के अनुसार जब हम किसी विचार को बार-बार दोहराते हैं तब हमारे मस्तिष्क में उसकी छाप इतनी गहरी हो जाती है कि हम में बिना विचारे उसको व्यक्त करने की आदत पड़ जाती है। उदाहरणार्थ बहुत से लोगों को अद्धे पौने ढ़इये आदि के पहाड़े रटे रहते हैं। इनको बोलते समय उनको अपनी विचार शक्ति का प्रयोग नहीं करना पड़ता है।
2. निरन्तरता का नियम (Law of perseveration) - इस नियम के अनुसार सीखने की प्रक्रिया में जो अनुभव विशेष रूप से स्पष्ट होते हैं। वे हमारे मस्तिष्क में कुछ समय तक निरन्तर आते रहते हैं। अतः हमें उनको स्मरण रखने के लिए किसी प्रकार का प्रयत्न नहीं करना पड़ता है। उदाहरणार्थ किसी मधुर संगीत को सुनने या किसी दर्दनाक घटना को देखने के बाद हम लाख प्रयत्न करने पर भी उसको भूल नहीं पाते हैं।
3. परस्पर सम्बन्ध का नियम (Law of association) - इस नियम को साहचर्य का नियम भी कहते हैं। इस नियम के अनुसार जब हम एक अनुभव को दूसरे अनुभव से सम्बन्धित कर देते हैं, तब उनमें से किसी एक का स्मरण होने पर हमें दूसरे का स्वयं ही स्मरण हो आता है। उदाहरणार्थ जो बालक गांधीजी के जीवन से परिचित है उनको सत्याग्रह के सिद्धातों या भारत छोड़ो आंदोलन से सरलतापूर्वक परिचित कराया जा सकता है। गांधीजी के जीवन से इन घटनाओं का सम्बन्ध होने के कारण बालकों को एक घटना का स्मरण होने पर दूसरी घटना अपने आप याद आ जाती है।
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