बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 शिक्षाशास्त्र बीए सेमेस्टर-4 शिक्षाशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 शिक्षाशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 4
अधिगम की अवधारणा एवं सिद्धांत
(Concept and Theories of Learning)
सीखना एक निरन्तर चलने वाली सार्वभौमिक प्रक्रिया मानी जाती हैं क्योंकि व्यक्ति जन्म से ही सीखना प्रारम्भ कर देता है और मृत्युपर्यन्त कुछ न कुछ सीखता रहता है। आवश्यकता और परिस्थिति के अनुरूप सीखने की गति घटती अथवा बढ़ती रहती है। सीखने के लिए कोई और परिस्थिति के अनुरूप सीखने की गति घटती अथवा बढ़ती रहती है। सीखने के लिए कोई स्थान विशेष अथवा समय विशेष निश्चित नहीं होता है। व्यक्ति अपनीं आवश्यकता और परिस्थिति के अनुसार कहीं भी और किसी भी समय, किसी से भी कुछ भी सीख सकता है। मानव द्वारा सीखने की क्रिया को ही शिक्षा मनोविज्ञान में अधिगम (Learning) कहा जाता है। मानव जीवन में सीखने की प्रक्रिया का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण स्थान है। व्यक्ति जो भी व्यवहार करता है अथवा नहीं करता, उसका अधिकांश भाग सीखने से अथवा सीखने की प्रक्रिया से प्रभावित रहता है। वास्तव में सीखना ही मानव जीवन और उसकी सफलता की कुंजी है। सीखने के परिणामस्वरूप ही व्यक्ति अपने व्यवहार का परिष्कार करता है। सीखना अथवा अधिगम एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे न केवल शिक्षा मनोविज्ञान में बल्कि मनोविज्ञान की समस्त शाखाओं में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हैं। सीखने के प्रकरण को मनोविज्ञान के क्षेत्र में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है। वास्तव में शिक्षा की प्रक्रिया का सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथा आवश्यक तत्व सीखना ही है। सिखाना भी इस प्रक्रिया का अंग हैं और समान रूप से महत्वपूर्ण है। शिक्षा मनोविज्ञान का तो आधार ही सीखने और सिखाने की प्रक्रिया ही है। कुछ जन्मजात प्रवृत्तियों तथा सहज प्रतिक्रियाओं के अतिरिक्त मानव के प्रायः समस्त व्यवहार सीखे हुए होते हैं। अधिगम या सीखना वैसे तो सामान्य बोलचाल की भाषा में प्रयुक्त होने वाला शब्द है और लगभग सभी व्यक्ति इस शब्द के अर्थ को समझते हैं परन्तु मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से इस शब्द का क्या अर्थ है, यह भी जानना आवश्यक है। यद्यपि अधिगम से अभिप्राय अनुभवों के द्वारा व्यवहार में परिवर्तन लाने की प्रक्रिया से हैं फिर भी इसका स्पष्ट और उपयुक्त अर्थ विद्वानों द्वारा इस शब्द की दी गयी परिभाषा से ही स्पष्ट हो सकता है। विद्वानों द्वारा 'अधिगम' शब्द की दी गयी परिभाषाओं से यह स्पष्ट होता हैं कि 'अधिगम और सीखना' शब्द का प्रयोग व्यक्ति के व्यवहार में अनुभव, अभ्यास तथा परीक्षण में आने वाले सभी प्रकार के परिवर्तनों एवं परिमार्जनों के लिए किया जाता है। इस दृष्टिकोण से अधिगम विकास भी है, समायोजन भी है, अनुभवों का संगठन भी है। अधिगम सोद्देश्यपूर्ण होता है, विवेकपूर्ण व सृजनशील होता है और यह व्यक्तिगत तथा सामाजिक दोनों ही होता हैं। अधिगम को प्रभावित करने वाले अनेक कारक है, यह वातावरण के परिणामस्वरूप भी होता है तथा व्यक्ति के आचरण को भी प्रभावित करता है।
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