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बीए सेमेस्टर-4 शिक्षाशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2748
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-4 शिक्षाशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 1
मनोविज्ञान : प्रकृति, क्षेत्र तथा शिक्षा से सम्बन्ध
(Psychology : Nature, Scope and
Relation with Education)

शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान का ही एक भाग है। लगभग 19वीं शताब्दी तक यह इसी रूप में माना जाता रहा, किन्तु 20वीं सदी से शिक्षा मनोविज्ञान ने धीरे-धीरे अपना स्वतन्त्र अस्तित्व स्थापित कर लिया। वर्तमान समय में मनोविज्ञान ने अपना, क्षेत्र इतना व्यापक कर लिया है कि यह सामान्यतः सभी व्यवहारों में प्रयुक्त होने लगा है और इसी अर्थ में यदि शिक्षा मनोविज्ञान को देखा जाये तो व्यक्ति समाज एवं देश का सम्पूर्ण तथा सर्वक्षेत्रीय विकास शिक्षा के द्वारा ही हो पाया है। शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र आज और भी व्यापक है और इसके और अधिक व्यापक होने की आवश्यकता है। शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षिक परिस्थितियों में मानव व्यवहार का अध्ययन करता है। इस प्रकार शिक्षा मनोविज्ञान वास्तव में मनोविज्ञान की वह शाखा है जो प्रक्रिया का संचालन करने की दृष्टि से मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों तथा नियमों का अध्ययन करती है। वस्तुतः शिक्षा मनोविज्ञान व्यवहार के परिमार्जन का विज्ञान है। इसका उद्देश्य शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायता करना है। चूंकि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति की अन्तर्निहित शक्तियों का अधिकतम संभव सर्वांगीण विकास करना तथा उसे समाज के लिए एक उपयोगी नागरिक बना है और इस कारण शिक्षा मनोविज्ञान का उद्देश्य भी स्पष्टतः शिक्षार्थियों को उनके सर्वांगीण विकास में सहायता करना है। यह छात्रों के व्यवहार को अधिक से अधिक समृद्ध करने तथा अध्यापकों के अपने शिक्षा में सुधार करने के लिए प्रेरित करता है और इस कार्य में उनकी सहायता करता है।

स्पष्टतः शिक्षा मनोविज्ञान विद्यार्थी अध्यापक तथा शिक्षण अधिगम प्रक्रिया का मनोवैज्ञानिक दृष्टि से अध्ययन करता है। इसके कार्य क्षेत्र में वह सभी ज्ञान तथा प्रविधियाँ सम्मिलित होती है जो सीखने की प्रक्रिया का अधिक निपुणता के साथ निर्देशित करने से संबंधित है। यह मानव के व्यक्तित्व और उससे संबंधित विभिन्न समस्या का अध्ययन करता हैं। शिक्षा का उद्देश्य बालक का सर्वांगीण विकास करना है। बालक का यह विकास संतुलित होना चाहिए और इस कार्य में मनोविज्ञान शिक्षा की सहायता करता है क्योंकि मनोविज्ञान व्यक्तित्व की प्रकृति, प्रकारों, सिद्धांतों का ज्ञान प्रदान करके संतुलित व्यक्तित्व के विकास की विधियां बताता है। यह बालक के वंशानुक्रम, विकास, व्यक्तिगत भिन्नता, व्यक्तित्व अधिगम प्रक्रिया, मानसिक स्वास्थ्य, शिक्षण विधियों तथा इनके मापन एवं मूल्यांकन को स्पष्ट करता है तथा उसमें सुधार के उपायों पर भी प्रकाश डालता है। शिक्षा मनोविज्ञान का शिक्षा के क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। वस्तुतः शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति शिक्षा मनोविज्ञान के विकास के कारण ही संभव हो पायी है। शिक्षा मनोविज्ञान के कारण ही शिक्षा को एक नया स्वरूप मिल पाया है जिसके कारण वर्तमान समय की शिक्षा प्रक्रिया में बालक को एक महत्वपूर्ण स्थान दे दिया जाने लगा है। यद्यपि प्राचीन काल में विद्यार्थियों को शिक्षा प्रक्रिया में कोई खास स्थान नहीं दिया जाता था। परन्तु शिक्षा मनोविज्ञान के प्रभाव के कारण अब उसे सर्वोपरि स्थान दिया जाता है। बालक का सहज विकास हो इसके लिए पाठ्यक्रम, समय सारणी, शिक्षण विधियों को नित्य प्रतिदिन नया स्वरूप दिया जा रहा है। इस बाल केन्द्रित शिक्षा के परिणामस्वरूप ही शिक्षा संबंधी दृष्टिकोण में यह आमूल चूल परिवर्तन संभव हो सका है। सम्पूर्ण शिक्षा में आज शिक्षार्थी की आवश्यकता तथा परिस्थिति के अनुरूप शिक्षा का दिया जाना शिक्षा मनोविज्ञान के कारण ही संभव हो पाया है।

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